बीवियों को अदल बदल कर चोदने का मज़ा – 2

तब तक नेहा और नवोदिता भी झड़ चुकीं थीं। हम दोनों ने उन्हें सीधा लिटाकर उनके मुँह की तरफ मुट्ठ मारनी शुरु कर दी। वे हमारा मतलब समझ कर थोड़ी आनाकानी करने लगीं, पर हम उनके ऊपर बैठे थे तो वे उठ नहीं सकतीं थीं। कुछ ही देर में हमने अपना सारा माल उनके मुँह पर उड़ेल दिया और पस्त होकर लेट गए। उनका पूरा मुँह हमारे वीर्य से भर गया था। तभी वे दोनों उठीं और हमें कस के पकड़ कर हमें चूमने लगीं। अब हमारा ही वीर्य हमारे मुँह में था। पहले-पहले थोड़ा सा अजीब सा लगा पर जब उन दोनों ने हमें नहीं छोड़ा तो हमें भी अच्छा लगने लगा। फिर हम लोगों ने बाथरूम में जाकर स्वयं को साफ किया। हम लोग वापिस बिस्तर पर आकार आराम से बैठे, तब तक थोड़ी-थोड़ी भूख लग आई थी, तो मैंने नवोदिता को कहा कि थोड़ा नाश्ते का प्रबन्ध कर ले। तो नेहा और नवोदिता दोनों किचन में चली गईं और थोड़ी देर में वह गरमा-गरम नाश्ता ले आई। हमलोग नाश्ता करने लगे। हम लोग नंगे ही बैठे थे और टीवी पर ब्लू-फिल्म चल रही थी। लगभग आधा घंटा बैठने के बाद हम लोग दोबारा गरम होने लगे थे। तब नवोदिता बोली, मैं बर्तनों को किचन में रख आती हूँ, और वह किचन में बर्तन लेकर चली गई।। तब तक मैंने नेहा को अपने पास खींच कर उसे अपने ऊपर बिठा लिया था और अपना लंड ठीक करके उसकी चूत के दरवाजे पर सटा दिया। नेहा थोड़ा ऊपर उठकर फिर उसपर बैठ गई थी और हिलने लगी थी। तभी मुझे भारीपन का अहसास हुआ। जबतक मैं कुछ समझ पाता, सोहन ने अपना लंड नेहा की गाँड में टिका दिया था, अब नेहा में दो लण्ड घुसे हुए थे और सोहन धक्के पर धक्के मारने लगा था। मैंने धक्के मारने शुरु नहीं किए थे क्योंकि सोहन के धक्कों से मेरा लंड अपने-आप ही अन्दर बाहर हो रहा था। तबतक नवोदिता भी आ चुकी थी।
नवोदिता – अरे, नेहा ने २-२ लंड ले लिए।
नेहा – नहीं यार, ये पीछे से इन्होंने डाल दिया।
सोहन – क्यों, तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है क्या?
अनिकेत – मुझे तो मस्त मज़ा आ रहा है।
नवोदिता हमारे सामने बैठकर सोहन के होंठ चूसने लगी और नेहा मेरे होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर चोदने के बाद :
सोहन – पार्टी बदली जाए?
अनिकेत – क्यों नहीं।
और वह नेहा की गाँड से हटकर नवोदिता को अपने ऊपर बिठा लेता है, और चूत में लंड डाल देता है। कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और नवोदिता की चूत में डालने लगा। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद हम दोनों के लंड उसकी चूत में थे। ऐसा हमने उसी फिल्म में देखा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी चूत ऐसी टाईट लग रही थी कि बस पूछिए मत और नीचे से सोहन के लंड का एहसास जो बिल्कुल लकड़ी की तरह कड़क था। एक अजब सा अहसास हो रहा था। पहली बार मेरा लंड किसी दूसरे के लंड के साथ टकरा रहा था। थोड़ी देर में हमने फिर पार्टी बदल ली। इस बार मैंने नेहा की गाँड में लंड डाला तो सोहन बोला – क्यों ना इस बार गाँड में लंड डालें। तब मैंने इसका लंड नेहा की चूत में से बाहर निकाल कर नेहा की गाँड में सटा दिया। सोहन का लंड काफी कड़क लग रहा था। हमने दोनों लंड नेहा की गाँड में डालने की कोशिश की, उसे दर्द भी बहुत हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद दोनों लंड उसकी गाँड में थे। वैसे चोदने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। करीब २०-२५ मिनट बाद हमलोग उसकी गाँड मे ही झड़ गए। अब तक हमारे लंडों की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो दुबारा खड़े होने की हालत में नहीं थे।
हम लोग नवोदिता और नेहा को छोड़ कर ड्राईंग रूम में आ गए थे।
अनिकेत – यार दिल भर गया पर मन नहीं भरा।
सोहन – हाँ यार, अभी तो और चोदने का मन कर रहा है।
अनिकेत – पर यह लंड पता नहीं कब तक खड़े होंगे।
सोहन – एक तरीका है इन्हें खड़ा करने का।
अनिकेत – कौन सा तरीका?
तब अनिकेत ने मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। उसके ऐसा करने से मेरा लंड फिर हल्के-हल्के खड़ा होने लगा था। मैंने भी उसका लंड पकड़ कर ऐसा ही किया, पर वो पहले वाली बात नहीं आ रही थी। तभी सोहन ने कुछ ऐसा किया कि मेरा लंड पहले से भी अधिक कड़क हो गया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था, उसकी ऐसी हरक़त की मुझे उम्मीद नहीं थी, पर मेरा लंड एकदम से कड़क हो चुका था। मुझे ना जाने क्या हुआ कि मैंने भी उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और जैसा कि मुझे लगता था, उसका लंड भी कुछ ही देर में पूरी तरह टाईट हो चुका था। बड़ा ही मस्त लग रहा था उसका लण्ड। और फिर हम जुट गये एक दुसरे की बीवियों की चुदाई में | मित्रो अब अपनी कहानी यही पर समाप्त करता हु |

और कहानिया   सर्द रात में गर्म माल की चुत चुदाई

Pages: 1 2

Leave a Reply

Your email address will not be published.