अंकल ने दो बहनो की चुत का मज़ा लिया

चूचियाँ दबाने का इशारा कर तू एकदम बौखला दिया था. उसको फंसाने के लिए ज्यादा कोशिश न्मही करनी पड़ी. चुचियों पर हाथ लगाया तू तड़प गयी. उसने उठकर दरवाजा बंद किया और वापस आया तू मैं शर्म भूलकर दोनों चुचियों पर हाथ रखकर बोली, “अंकल धीरे से दबाईयेगा, दर्द होगा.” यह तू उस लौंडियबाज़ के लिए मेरी और से खुला इशारा था. वो मजे से भर मेरे गालों को अपने हाथ मैं ले बोला, “हे कितनी खूबसूरत हो. मजा आएगा दबवाने मैं.” इस पर मैं उसके साथ मजा लेने को बेकरार हो गयी और बोली, “किसी को पता लग गया तू?” “कैसे पता लगेगा.हाथ हटाओ देखो मसलवाने मैं कितना मजा आता है. अभी तू ठीक से खिली भी नहीं हो.” और गाल के हाथ को सरककर फ्रॉक के दोनों उभारों पर लाकर जो दबाया तू मैं अपना सब कुच्छ भूलकर पेट को सोफा से टेककर चुपचाप दबवाने लगी. ऐसा लगा जैसे उसकी नीना की चुचियों से ज्यादा मजा आ रहा हो. दबवाते ही मुझे नशा सा हो गया. उसने दोनों को 10-15 बार मसला फिर मेरे गाल पर हाथ फ़ायर मेरे लिप्स को अपने लिप्स के बीच ले दबा-दबाकर चूसने लगा. मैं मस्त हो कुँवारी चुत को राणो के बीच दबा सोफा पर से चूतड़ उछलने लगी.

होठों को चुसवाने मैं गज़ब का मजा आया. वो खिलाड़ी था. नये माल को दीवाना बनाना उसे आता था. मैं चुप थी. होंठ चुसवाने से चुत की खुजली तेज हुई. तभी उसने मेरे लिप्स अलगकर मेरी दोनों चूचियाँ पकड़ी और तनी तनी घुंडीयों को जो मसला तू मैं उसकी लड़कियों की तरह बेशरम बनने को मजबूर हो गयी. मैं आध-खुली आँखों से उसे देखते बोली, “हें अंकल मजा आ रहा है.” “तुम्हारी घुंडी छोटी है नहीं तू और मजा आता.मेरी नीना तुम्हारी उमर की है. उसके निप्पल देखा कितने बारे हैं.”

“ऊ अंकल मेरे निप्पल छोटे क्यों हैं?” “मजा जो नहीं लेती हो. किसी को पता नहीं चलेगा दिल खोलकर मजा लो.” “अंकल बहुत मजा है.” “अभी तू कुच्छ नहीं बात मानोगे तू बहुत आएगा.” और निप्पल को चुटकी से मसल मुझे पागल करने लगा.

कुच्छ देर बाद वो पीछे हुआ और मेरी दोनों गोरी गोरी राणो को हाथों मैं अलग अलग पकड़ कर झटके के चिपकी राणो को खोलकर मुझे आगे खिंचा तू मैं हांफती सी सोफा पर चित्त हो गयी. उसने अपने सीने को मेरी कमर पर रखा और आगे की और झुक लेफ्ट चूची को मुँह मैं लेकर राइट चूची को हाथ से दबा दबा जो चूसना शुरू किया तू मैं मस्त होकर उसके मुँह पर चूचियाँ दबाती बोली, “हें अंकल बहुत मजा है.” शायद मेरी ताज़ी चूचियाँ पन से उसको भी नया मजा मिल रहा था. अब मैं भी सरिता और नीना की टाराग नंगी होकर मजा लेने के लिए तड़प उठी. चुचियों को मुँह से पेकर तू उसने मुझे मस्त कर दिया था. मैं दूसरी चूची को उसके मुँह मैं थैलकर बोली, “और पेजिए अंकल.”

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दूसरी को 8-10 बार ही चूसा फिर पीछे हो मेरी केले के खंबे सी चिकनी राणो को चेरकर फ्रॉक को पेंट पर रख मेरी राणो को सहलाते जन्नत का दीदार करते बोला, “हायेटुंहारी नीना से ज्यादा मजा दे रही है. पैर ऐसे ही फ़जालाए रहना.” “जाए अंकल.”

फिर तू मेरे मजे को पंख लग गये. उसने अपने मुँह को दोनों सुर-सुरती टांगों के बीच बड़ा हाथों को ऊपर कर फ्रॉक के अंदर से मस्त होकर जवानी की बाहर मैं डूबी दोनों नंगी चुचियों को पकड़कर दबाते हुए जु अपनी जीभ को मेरी पैंटी के ऊपर चला तू मैं फौरन अपने आप चड्डी को हाथों से खिसका उसको अपनी गोरी गोरी मखमल सी गुलाबी चुत चाटने लगी. उसकी जीभ मेरी चुत पर साँप सी चल रही थी. उससे नंगी चुत चटवाते हुए चूचियाँ मसलवाने मैं गज़ब का मजा आ रहा था. मेरी राणे फ्रॉग की तरह फैली थी.

अब हमको मनपसंद मजा मिल रहा था. वो चुत के टाइट होल मैं टंग फक कर रहा था और मैं ऊहह आआहह करती नीचे से चूतड़ उछल उछल हें अंकल कर रही थी. वो बेच बेच मैं रुकता, मेरी चिकनी गुलाबी चुत को प्यार से देखता और फिर जीभ से चाटते हुए मुझे मजे के सागर मैं डुबोने लगता. मेरी चुत गोरी थी इसलिए वो बारे प्यार से चाट रहा था. जो मजा देखकर आया था, उससे कई गुना ज्यादा मजा अब आ रहा था. नहीं चुत चटकार उसका चेहरा भी दमक उठा था. अब हंदोनो की शर्म और झिझक खत्म हो गयी थी. अंकल के पास सचमुच इंग्लिश की अच्छी परहाय हो रही थी. जब जीभ लाल गो गयी फाँक पर चलती तू पूरा बदन झनझणा उठता. 15 साला चुत पर हल्के से बाल थे. चुत चड्डी के बाहर थी. वो 10 मिनट तक कच्चे आम सी मेरी चुत चाटता रहा और अमरूद सी चूचियाँ दबाता रहा और मैं भी बिना लाज मजा लेती रही. मजा कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा था. मैंने जु हाथ से चुत को फैलाया तू वो खुश होकर जीभ को चुत मैं घुसेड़ने लगा तू मैं कसमसकर बोली, “हें अंकल खूब मजा आ रहा है.” “खूब मजा लो.” और मखमल सी चुत को टंग फक करने लगा. अब तू मेरा मन सोफे से उठने को नहीं हो रहा था. बदन के कपड़े बोझ लग रहे थे. मैं बेकरारी के साथ बोली, “अंकल नंगी करके दीदी की तरह……”

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यह सुन वो ज़रा चौंका पर मेरे ताज़े माल मैं इतना मग्न था की समझ नहीं पाया. मैं अपने हाथ से चुत फैलाए थी. अब तू मेरा मन भी चुदवाने को तड़प उठा. तभी उसने चुत से जीभ हटाई और मेरे होठों चूमकर बोला, “तुम्हारी चुत तू मखमल है. बड़ी टेस्टी है.”

“हें अंकल हमको भी….” “क्या? बोलो बेटी शर्माओ नहीं.” “किसी से हमको भी चुदाया दीजिए.” और मैं उठकर बैठ गयी.

वो झरने के बजाए और ललचा गया. मेरा बदन दाहक रहा था और चेहरा खिल गया था. समझ गया की मैं भी उसकी लड़कियों की तरह मजा पकड़ बहक गयी हूँ. मुस्कान के साथ मेरे फाँक को मसलते बोला, “चुदाया देंगे, पूरा मजा दिलाएंगे पर पहले चुदवाने लायक तू हो जाओ. मेरी दोनों लड़कियाँ चुदाया सकती हैं.”

“ऊ अंकल जल्दी से मुझे भी चुदवाने लायक कीजिए ना. मैं भी नीना के बराबर हूँ.”

“जल्दी ही बड़ी कर दूँगा. नंगी हो एकदम.”

यह कह वो उठा और बाहर जाने लगा तू मैं घबराकर बोली, “अंकल नंगी तू हो रही हूँ.” “कपड़े उतरो ज़रा नीना को बुला लाए.”

“नहीं अंकल हें.”

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