ट्रैन में बीवी और बेहेन की सामूहिक चुदाई भाग 1

ये कहानी कुछ महीने पहले की है. मैं, मेरी बीवी लता और छोटी बहिन कला एक शादी में शामिल होने जबलपुर जा रहे थे. हमारी ट्रैन रात ११ बजे वाली थी. हम कल्याण स्टेशन पर अपने ट्रैन का इंतज़ार कर रहे थे. प्लेटफार्म और वेटिंग रूम में ज़्यादा लोग नहीं थे. सर्दी का मौसम होने के वजह से वैसे भी सब जल्दी घर जाने लगे थे. मेरी बीवी लता के स्लीवलेस ब्लाउज पहना था. एक नेट वाली साड़ी उसके हुस्न में चार चाँद लगा रही थी. उसके चूचे बड़े थे – 36D वाले! गांड भी काफी गोल और बड़ी थी और साड़ी में तोह वो क़यामत ढाह रही थी. लौ कट ब्लाउज होने के वजह से उसके आधे से ज़्यादा बड़े चूचे दिख रहे थे. नेट वाली साडी तोह सिर्फ नाम के थी, उसका ब्लाउज और पेटीकोट को साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था.

बहन कला भी अपने हॉट कपडे में थी. उसके एक लौ कट स्लीवलेस टी-शर्ट पहनी थी और स्कर्ट में हॉट लग रही थी. उसके चुके मध्यम साइज के थे पर एकदम कड़क दिख रहे थे. स्कर्ट शार्ट होने के वजह से उसके जांघ तक सब दिख रहा था और वेटिंग रूम के लाइट्स में चमक रहा था. लता और कला आपस में मज़ाक मस्ती कर रहे थे और एक दूसरे की चुटकी ले रहा थे. मैंने पास एक चाय वाले से चाय लिया और पि रहा था के तभी ट्रैन प्लेटफार्म पर आने लगी. मैंने लता और कला को बहार बुला लिया. ट्रैन प्लेटफार्म पे आ गयी और जम अपने रिजर्वेशन डब्बे में चढ़ गए. डब्बा पूरा खली था. ऑफ सीजन होने के वजह से ज़्यादा बुकिंग नहीं हुयी थी. हम अपने सीट पे जाकर बैठ गए और मैंने अपने साथ लाये हुए अखबार पढ़ने लगा. कुछ देर में ट्रैन चल पड़ी. डिब्बे में और कोई नहीं था हम तीनो के अलावा.

एक-आध घंटे में कसारा आ गया और ट्रैन रुक गयी. अचानक हो हमारे डिब्बे में ३ आदमी चढ़ गए और हमारे सामने वाले सीट पर आ कर बैठ गए. तीनो ३५-४५ के आस-पास के लग रहे थे और मुस्लिम थे. तीनो ने पठानी सूट पहनी थी और पेअर ऊपर करके उकडु बैठ गए. शायद तीनो के पाजामे के अंदर कुछ पहना नहीं था. तीनो के झांट वाली लंड थोड़ी थोड़ी दिख रही थी. मैंने ज़्यादा गौर नहीं किया पर देखा की मेरी बीवी लता उनके लंड की तरफ देख रही थी और बहन कला को देख के इशारा कर रही थी. वह तीनो मुस्लिम आदमी आपस में बात कर रहे थे के एक ने बीवी के इशारे को देख लिया और मुस्कुरा दिया. लता ने भी जवाब में मुस्कुरा दिया.

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अब हम तीनो एक तरफ बैठे थे, मेरी बीवी खिड़की के तरफ, बीच में बहन कला और बाहर के तरफ मैं. कुछ देर ऐसा ही सब बैठे रहे और ट्रैन टनल से गुज़ारने लगी. कला , मेरी बहन ने उठ कर ऊपर के बैग से चादर निकालने लगी तभी ट्रैन अचानक रुक गयी और वह सामने वाले की गोद में गिर गयी, वह ऐसा गिरी के उसके लंड पर उसकी गांड आ गयी, उस आदमी ने कला को गांड को पकड़ कर सहारा देते हुए उठाया तो कला ने सॉरी बोलते हुए चादर निकल बीच में बैठ गयी. बीवी और बहन ने आपस में इशारे किये और लता अंगड़ाई लेने लगी. मैंने सोचा शायद सोयेगी, तोह मैंने कला से कहा के मैं बगल वाली सीट पर बैठ जाता हु, तेरी भाभी को शायद लेटना है. कला मान गयी और बहार के तरफ सरक गयी.

मैं बगल वाली सीट पर बैठ गया और पेपर पढ़ने का नाटक करने लगा. मुझे पता था की चुदाई का प्रोग्राम कभी भी शुरू होगा, तोह मैं वेट करने लगा. उन तीनो में से एक आके बगल वाले सीट पर मेरे सामने बैठ गया और एक उठकर मेरे बीवी के बगल में खिड़की के पास बैठ गया. बहन ने भी अपने जगह बदल कर सामने वाले सीट में दूसरे मुस्लिम आदमी के बगल में बैठ गयी. कुछ देर सब शांत था. ज़्यादा कुछ दिख नहीं रहा था, क्योंकि हम टनल में थे, कभी कभी लाइट थोड़ी आ जाती तो सब अपने अपने जगह पर दिख रहे थे.

मैं उठ कर साइड वाले अपर बर्थ पर चला गया और सोने का नाटक करने लगा. तब मुझे एहसास हुआ के सब शांत नहीं थे. मेरे बीवी के बगल वाला मुस्लिम आदमी के मुँह चादर के अंदर था, बीवी के टांग फैली हुयी थी और वह बार बार अपना सर इधर उधर कर रही थी. वह आदमी मेरी बीवी की चूत चाट रहा था. वह दूसरी तरफ, बहन कला बैठी थी पर उसके हाथ में एक लंड था जिसे वह हिला रही थी. काफी बालोंवाले बड़ा से एकदम काला लुंड. वह आदमी मेरी बहन के टी-शर्ट के अंदर हाथ डालके उसके चुचे दबा रहा था और कला अपने होंठ चबा रही थी.

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इतने में वह तीसरा आदमी को मेरे सामने नीचे वाले सीट पे बैठा था, उठा और मेरी बीवी के तरफ गया! वह पूरा नंगा था!! उसने अपने सारे कपडे उतर दिए था, शायद ये समझ के के मैं सोया हूँ. उसका लँड एकदम टाइट और बहोत मोटा और लम्बा था, उसके भी बहोत झांटे थी और बदबू तोह ऊपर मुझतक आ रही थी, ये तीनो शायद मज़दूर थे, इसलिए इतने गंदे थे.

वह मेरे बीवी के पास गया एयर अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया. लता ने फट से उसका बदबूदार लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. दूसरा आदमी जो लता की छूट चाट रहा था, उसने ऊपर से चादर हटा दिया. मेरी बीवी नीचे से पूरी नंगी थी, उसकी साडी कमर से ऊपर थी और वह आदमी बेतहाशा उसकी छूट चाटे जा रहा था! उधर बहन कला और बिना कपडे के हो गयी थी. उस आदमी ने उसे पूरा नंगा कर दिया था और खुद भी नंगा खड़ा था… कला भी उसका लैंड चूस रही थी.

कुछ देर उस आदमी ने अपना लुंड चुसवा कर कला को सीट पर लिटा दिया और अपना लंड उसके झांट वाली कुवारी चूत में पेल दिया. कला ने ज़ोर से दर्दवाली चीख निकाली, पर वह आदमी रुका नहीं और पेलता रहा. कला चिल्लाती रही और वह किसी मशीन के तरह पेलता रहा. कुछ मिनट बाद कला शांत हो गयी और मज़े से चुदवाने लगी, सीट पर खून गिरा था, शायद उसने पहली बार लंड लिया था. वह आदमी तोह जैसे जानवर के तरह उसे पेल रहा था.

दूसरी तरफ मेरी बीवी भी अब पूरी नंगी थी, उसकी साडी, ब्लाउज, पेटीकोट, पैंटी और ब्रा, सब नीचे गिरे थे और वह दूसरा आदमी जो पहले उसकी चूत चाट रहा था अब उसे जबरदस्त तरीके से चोद रहा था, लता हर झटके साथ ऊपर नीचे हो रही थी और तीसरे आदमी का लंड चूस रही थी. वह तो मानो किसी पोर्नस्टार की तरह दिख रही थी. उधर कला अब घोड़ी बन के छुड़वा रही थी और रो भी रही थी. उसे शायद पीछे से चुत मरवाने में काफी दर्द हो रहा था. कुछ देर उसे छोड़ने के बाद, मेरी बहन के चुत में उस आदमी ने पूरा पानी निकाल दिया और बगल में बैठ गया. उसकी फैली चूत से पानी और खून टपक रहा था. उसकी चूत पूरी लाल हो गयी थी.

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