ट्रैन में अनजान से में बहुत चूड़ी

दोस्तो, मेरा नाम रूचि है. मैं अन्तर्वासना की एक नियमित रीडर हूँ. मैं सहारनपुर यूपी के एक गांव की रहने वाली हूँ. मेरी उम्र 22 साल की है. मेरा फिगर 34-28-34 का है.

मैं एक सीधी सी साधारण लड़की हूँ.. मैं अभी गाज़ियाबाद से अपनी ग्रेजुयेशन कर रही हूँ. ये स्टोरी तब की है, जब मैं अपने भाई (अंकल के बेटे) की शादी से गाज़ियाबाद वापिस जा रही थी. वहां से मुझे एक एक्सप्रेस ट्रेन पकड़नी थी. लेकिन गांव से ही लेट हो जाने की वजह से मेरी ट्रेन छूट गई. इसके बाद अगली गाड़ी 8-30 बजे शाम को थी. मुझे ड्रॉप करने मेरा भाई आया हुआ था, उसे गांव वापस जाना था.

तो मैंने उससे चले जाने को कहा कि मैं खुद ट्रेन पकड़ लूँगी, तुम चले जाओ नहीं तो लेट हो जाओगे.

वो मुझसे 3 साल छोटा था. वो मान गया. मैंने उसे समझा दिया कि बोल देना ट्रेन मिल गई थी, नहीं तो घर वाले मुझे वापिस घर बुलाने के लिए उसे फिर से भेज देते.

वो मेरी बात समझ गया और वापस घर चला गया. सहारनपुर से दिल्ली तक का सफ़र किसी भी एक्सप्रेस ट्रेन से 4 घंटे का ही है.. और धीमी गति की किसी पैसेंजर ट्रेन से 5-30 घंटे लगते हैं. अभी शाम के 5 बजे थे, इस समय गर्मी का मौसम था.. अप्रैल का महीना चल रहा था.

मैंने सोचा अधिक इन्तजार करने से अच्छा है कि पैसेंजर ट्रेन से ही चली जाऊं. पैसेंजर ट्रेन 5-45 पर थी, जो 10 बजे तक मुझे गाज़ियाबाद उतार देती.. जबकि एक्सप्रेस ट्रेन मुझे 12-30 तक पहुँचाती, इसलिए मैंने इसी ट्रेन से जाना सही समझा.

मैं ट्रेन आने का वेट कर रही थी. ट्रेन आने तक स्टेशन पर काफ़ी भीड़ हो गई. जैसे ही ट्रेन आई, मैंने अपना बड़ा बैग जैसे तैसे ट्रेन में भीड़ से घुसते हुए रखा. इस ट्रेन में काफी भीड़ थी.. तो मुझे अन्दर घुसने की जगह नहीं मिली. मैं किसी तरह दोनों टॉयलेट के बीच में ही अपना बैग रखकर खड़ी हो गई.. साथ ही अपना दूसरा बैग भी बड़े बैग के ऊपर ही रख दिया.

भीड़ होने के कारण मुझे वहां भी काफ़ी जगह नहीं मिली थी, लोग बुरी तरह से फंस फंस कर खड़े थे. मेरा मन ट्रेन से उतरने का हुआ, लेकिन तब तक ट्रेन चल चुकी थी.. तो मुझे अब इसमें ही सफ़र करना था.

और कहानिया   स्कूल में गैंगबैंग चुदाई

मैंने सोचा थोड़ी देर बाद शायद ट्रेन खाली हो जाएगी, तो मैं अपनी जगह पे खड़ी रही. दो आदमी मेरे पीछे खड़े थे और मेरे आगे मेरे बैग थे.. साइड में भी भीड़ थी. इस भीड़ में मुझे नहीं पता कितनी बार लोगों ने मेरे कूल्हों को दबाया. मैंने कोई ध्यान नहीं दिया. मैंने सूट सलवार पहना हुआ था क्योंकि मैं अपने गांव से आ रही थी और उधर इससे ज्यादा ढंग की ड्रेस नहीं पहनी जाती थी. जबकि मैं दिल्ली मैं जींस टॉप में ही रहना पसंद करती थी.

गर्मी होने के कारण मुझे बहुत पसीना आ रहा था, जिससे मेरे कपड़े भी थोड़े भीग गए थे. तब मैंने ध्यान दिया कि किसी ने मेरा बूब सहला दिया है. भीड़ में पता ही नहीं चला कि ये हरकत किसने की. पहले तो मुझे प्राब्लम हुई, फिर मैंने सोचा कि भीड़ में क्या कर सकती हूँ.. थोड़ी देर बाद के बाद सीट मिल ही जाएगी. सो मैं बेबस सी खड़ी रही.

ट्रेन अगले स्टेशन पर रुकने लगी तो झटका लगते ही पीछे वाले आदमी ने मेरी गांड को आगे को धकेला. मैंने कोई विरोध नहीं किया. जैसे ही ओर लोग चढ़े, तो आगे वाले ने धक्का देते हुए मेरे चूचे दबा दिए और सॉरी बोल दिया. मैंने नो प्राब्लम बोल कर सोचा कि भीड़ है और ये सब तो तो होगा ही. बस मैं उस भीड़ में कंफर्टबल हो गई.

जैसे ही ट्रेन फिर से चली तो पीछे मैंने अपनी बैक पर कुछ महसूस किया. जैसे ही मैंने चेहरा घुमाकर देखा, तो वो आदमी चेहरा झुकाए खड़ा था. मैं फिर चुप होकर खड़ी हो गई. अब अंधेरा हो चला था.. तो फिर से पीछे वाले ने मेरी गांड पर अपने लंड को धकेला. अब मैं समझ गई कि वो आदमी भीड़ का बहाना लेकर मेरी गांड के मज़े ले रहा है. मेरा कोई विरोध ना होने के कारण उसने अपने हाथ से मेरी गांड को सहला दिया. मुझे बहुत शरम आ रही थी, इसलिए मैं कुछ नहीं बोल पाई.

इससे उसका साहस और बढ़ गया. अब उसने दोनों हाथों से मेरी गांड को दबाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर में मुझे भी उत्तेजना महसूस होने लगी और मज़ा आने लगा. अब उसने अंधेरे का लाभ उठाया और मेरी चूचियां भी दबाने लगा. वो मेरी गांड और मम्मों से खेलने लगा. मैं उससे टिक गई तभी वो समझ गया कि लौंडिया राजी हो गई है और इसी के साथ उसका एक हाथ मेरे सूट के अन्दर चला गया. मैं एकदम गनगना गई. वो इस वक्त वो मेरे पेट को सहला रहा था और खूब मज़े ले रहा था. अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.

और कहानिया   एयरहोस्टेस की चुदाई

तभी उसका एक हाथ मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत पर आ गया और मेरी चुत को उसने अपनी मुठ्ठी में पकड़कर दबा दी. मैं उसकी इस हरकत से एकदम से उछल गई. उसने मेरा नाड़ा पकड़ लिया, मुझे पता भी नहीं चला और उसने एक झटके में नाड़ा खोल दिया. मेरी सलवार ढीली होकर कुछ नीचे को खिसक गई. अब मुझे डर सा लग रहा था.. हालांकि मज़ा भी आ रहा था.

मेरी चुत भी गीली हो चुकी थी. उसने एक हाथ से मेरी पेंटी नीचे खिसका दी और अपना हाथ चुत पर रख दिया. उसे गीली चुत देखकर मानो ग्रीन सिग्नल मिल गया हो. इस वक्त मुझको भी एक लंड की ज़रूरत महसूस हो रही थी, तो मैंने कुछ नहीं बोला. उसने अपनी उंगली मेरी चुत में पेल दी और उंगली से ही मुझे चोदने लगा.

मेरे पैर कांप रहे थे और मुझे खड़े होने में प्राब्लम हो रही थी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. उसने अपना लंड निकाला और मेरी झुककर मेरी चुत पर रगड़ने लगा.. और मेरी गर्दन को चूमने लगा उसकी गर्म साँसें मुझे पागल बनाने लगी थीं.

मैंने हाथों को पीछे ले जाकर उसके लंड का साइज़ नापा, लगभग 7-8 इंच लंबा और काफ़ी मोटा लंड था.

मैं पहले अपनी कॉलेज लाइफ में एक दो सेक्स का मज़ा ले चुकी थी, मतलब मेरी सील टूट चुकी थी. पर फर्स्ट टाइम में मैंने बस 5.5 इंच का ही लंड लिया था इसलिए उसके लंड का साइज़ देखकर मुझे पसीने छूटने लगे.

मेरे सारे कपड़े तो पहले से ही भीग रहे थे, अब डर भी था और चुदने का मन भी कर रहा था. इसलिए मैं उसका लंड अपने हाथ से ही अपनी चुत पर रगड़ने लगी. अचानक मेरे सामने वाले आदमी ने मेरे चूचे दबा दिए और मुझे आँख मारी.

Pages: 1 2

Leave a Reply

Your email address will not be published.