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हवासी बेटे के साथ किया बिस्तर गरम-1

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हेलो दोस्तों मेरा नाम आरती है. मेरी उमर 49 है, और मैं देसी सारी पहनने वाली औरत हू. थोड़ी सावली और मोटी हू मैं. मेरे बूब्स 40″, कमर 38″, और हिप्स 44″ के है. मेरे हिप्स सारी में बहुत बड़े लगते है जिसका मेरा बेटा दीवाना है. ये मेरे बेटे और मेरी सेक्स की स्टोरी है. आप लोग पढ़ के एंजाय करना और फीडबॅक ज़रूर देना.

मेरे घर में मेरे पति अनिल (52), राहुल (19) मेरा बेटा, और मेरी बेटी शालिनी (14) रहते है. घर तोड़ा गाओं जैसा है, और हमारे रूम में सिर्फ़ परदा है दरवाज़े पे. अब आते है हमारी स्टोरी पे.

मेरे बेटे के 12त के एग्ज़ॅम ख़तम हो गये थे, और बेटी हॉस्टिल में थी. मेरा बेटा जवान हो रहा था. वो मुझे नंगी देखने की कोशिश करता कपड़े बदलते हुए या सोते हुए. हमारे रूम का दरवाज़ा ना होने के कारण देख भी लेता था, और मूठ मारता था.

मुझे ये बात पता चल गयी थी. लेकिन मैने कभी आचे से देखा नही. बस गुस्सा आता था मुझे. मेरे पति भी उमर के कारण बहुत कम सेक्स करते थे, इसलिए मेरा मॅन होता था, और इधर मेरा बेटा मुझे देख के हवस उतारता था अपनी.

एक दिन मैं लेट्रीन सॉफ करके नहाने जेया रही थी. तब मैं नंगी ही थी, क्यूंकी लेट्रीन और बातरूम का दरवाज़ा एक जगह खुलता है, और फिर उसमे और रूम के बीच में एक परदा है बस. जिससे वो मुझे देख रहा था. गर्मी का टाइम था तो मैं लेट्रीन सॉफ करने से पहले ही नंगी हो जाती, और सिर्फ़ पनटी रहती थी.

तब मैने उसका लंड देखा. एक-दूं खड़ा था लगभग 7 इंच का, और मोटा भी था. मेरी आँखें फटी रह गयी उसको देख के, और मैं गरम होने लगी. पहले तो ग़लत लगा, फिर सोचा बेटा ही तो है.

मैं उस दिन नहा के बाहर आई, और सोचने लगी उसके बारे में. अब मुझे लगा की नंगी तो देखा ही है उसने मुझे, और मैं भी उसका लंड देख के गरम हो गयी थी. तो क्या बुराई है. फिर मैने उसको डॉमिनेट करके आयेज बादने की सोची. लेकिन वो बस डोर से मूठ मारता देख के, और चला जाता.

आयेज नही आता था. अब एक दिन मैं पनटी बेड पे छ्चोढ़ गयी जान-बूझ के. वो मूठ मार रहा था. मैं नहा के सीधा पूरी नंगी ही बाहर आ गयी बिना टवल के (उसका मूह फटता का फटता रह गया मुझे ऐसे देख के. वो मेरे बूब्स को घूरे जेया रहा था)

मैं बोली: राहुल तू मेरे रूम में क्या कर रहा है चड्डी में (उसका पूरा खड़ा दिख रहा था चड्डी में से, और वो हाँफ रहा था क्यूंकी वो हिला रहा था, और मैं आ गयी एक-दूं से)?

राहुल: मैं तो ऐसे ही आया था. मुझे क्या पता ऐसे बाहर आती हो नहा के (मैं बूब्स धक रही थी हाथ से).

आरती (गुस्से से बोली): मैं तो पनटी भूल गयी थी वो लेने आई हू.

राहुल: मा ये पनटी क्या होता है (उसका लंड बिल्कुल सीधा हो गया जैसे चड्डी फाड़ के बाहर आ जाएगा)?

आरती (मैने बेड से पनटी उठाई और उसकी तरफ गांद करके तोड़ा गुस्से में अपनी गांद पे छाँटा मारा): ये पहनते है ना (छाँटा मार के इशारे से बताया, और पनटी पहन ली).

वो खूब मज़े से चड्डी के उपर लंड मसल रहा था मुझे नंगी देख के.

मैं बोली: सब पता है मुझे तू क्या कर रहा था. ज़्यादा भोला मत बन (और ज़ोर से छाँटा मारा उसके गाल पे. उसकी आँखें जो मज़ा ले रही थी मेरे बूब्स और छूट के, उनमे आँसू आ गये. मैं भी चली गयी बातरूम में वाहा से.).

बाद में कुछ बोली नही मैं और रात तक सब नॉर्मल हो गया. मुझे पता था उसकी हालत खराब हो रही होगी मुझे इतनी देर नंगी देख के. अब मुझे पता था वो मेरे रूम में आएगा मूठ मारने मेरे सोने के बाद. तो मैने उस रात पनटी नही पहनी, और माक्ष्य भी ऐसी पहनी की वो आसानी से कमर तक कर सके हटता के. और हुआ भी वैसा ही जैसा मैने सोचा था.

उसने मेरी माक्ष्य कमर तक कर दी. अब उसके सामने मेरी नंगी मोटी गांद थी. वो देखते ही वो पागल हो गया. उसको सुबह वाला सीन याद आ गया. पहले तो वो लंड सहलाने लगा चड्डी के उपर से. फिर वो मेरी गांद सहलाने लगा एक हाथ से, जिससे मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर उसने गांद के च्छेद पर किस की, और पहली बार उसको मौका मिला तो वो मेरी पूरी गांद वो चूमने चाटने लगा. मुझे भी मज़ा आ रहा था. लेकिन मैं वैसे ही लेती रही करीब 5 मिनिट तक. वो चूमता रहा मेरी गांद को, और छूट देखने की कोशिश करता रहा. लेकिन नही देख पाया.

फिर उसने मुझे हिला दिया पूरा. जब उसने लंड मेरी गांद के च्छेद पर लगाया. अचानक ऐसा करने से मैं हिल गयी. लेकिन मैं सातवे आसमान पे थी. उसका लंड मुझे पहली बार फील हुआ, वो भी गांद पे. दिल तो कर रहा था पीछे करके गांद के अंदर लेलू. बहुत गरम था, और पूरी रात चूड़ने का मॅन कर रहा था उससे इतना कड़क लग था उसका लंड.

अब वो लंड को मेरे च्छेद पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा. मेरी तो सिसकी निकालने वाली थी, इतना मज़ा आ रहा था. लेकिन पास में हब्बी सोए थे, इसलिए रोक रही थी. उसने 30 सेकेंड्स तक रगड़ा, और फिर स्पीड बढ़ा दी. वो रगड़ता रहा. करीब 5 मिनिट तक उसके लंड का प्रेकुं मेरे च्छेद पर लग गया. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

लेकिन फिर उसने हटा लिया लंड वाहा से. तब तक मेरा भी पानी छूटने वाला था, और एक हाथ से मेरी गांद सहलाते हुए उसने अपना पानी निकाला. वो अपना पानी मेरी गांद पर लगा कर चला गया. उसके जाने के बाद मैने उठ के वो पानी छाता, और मैं भी तड़प रही थी अब चूड़ने के लिए.

क्या नमकीन पानी था उसका. फिर मैने वो पानी छूट पे लगाया, और उंगली करने लगी बहुत तेज़. अब मैं भी झाड़ गयी और मैं फिर सो गयी. मेरी हालत खराब हो रही थी अब उसका लंड लेने के लिए. जब से उसके लंड का स्पर्श हुआ मेरे शरीर पे, तब से में तड़प रही थी.

मुझे कभी-कभी गुस्सा भी आता की वो मज़े करके जाता था, और मैं तड़पति रह जाती थी. ऐसा काफ़ी दीनो तक चलता रहा. वो रोज़ ऐसे ही रात में कभी छूट पर या कभी गांद पे पानी छ्चोढता, लेकिन वो आयेज नही बढ़ रहा था. इसलिए मैं परेशन थी.

मैं दिन रात उसके लंड के बारे में सोच रही थी. लेकिन मुझे खुद से नही चुदाई का बोलना था उसे.
 
पिछली स्टोरी में आपने पढ़ा कैसे मेरे बेटे ने मुझे सोया हुआ मान कर मेरी गांद में लंड रगड़ा, और मैने मज़े लिए. लेकिन वो इसके आयेज नही आ रहा था, जिसके कारण मैं परेशन थी, और कोई प्लान बनाने का सोचती हू. अब आयेज-

अब ये रोज़ का हो गया था. वो मेरी गांद पे लंड रगड़ता 5-10 मिनिट, फिर पिचकारी छ्चोढता गांद पर. मैं उसको चाट के अपनी छूट में उंगली करती. मुझे भी इसमे बहुत मज़ा आता था.

अब उसकी गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थी, और वो अपने मामा के यहा जाने की ज़िद करने लगा. क्यूंकी गोन में उसको खेलने को बहुत मिलता था, और मेरे भाई के लड़के से बहुत जमती थी उसकी. वो दोनो बचपन से साथ बड़े हुए और एक-दूसरे को अपनी सारी बातें बताते थे.

उसके बारे में तोड़ा बताती हू. उसका नाम रमेश है, उमर 22 है. गाओं में रहने के कारण उसका शरीर बहुत कड़क था. तो हम दोनो 1 वीक के लिए गाओं जाने के लिए तैयार हुए. अब हम सुबह बस से जाने के लिए निकले. मेरे गाओं के लिए रास्ते में बस भी बदलनी थी.

हम दोनो बस में एक सीट पर बैठे थे, और जगह तंग थी. इससे हम चिपके हुए थे. हम इतने पास थे की कभी तो मेरा हाथ उसकी जाँघ पे होता, या उसका मेरी जाँघ पर. इससे काई बार मेरा हाथ उसके लंड को टच हुआ, जिससे हम दोनो गरम हो गये.

हमारी गरम साँसे आपस में टकरा रही थी, और उसकी नज़र मेरे बूब्स पर टिकी हुई थी. क्यूंकी मैने ब्रा नही पहनी थी, और पसीने से ब्लाउस बूब्स से चिपक गये थे. फिर गर्मी के कारण मैने पल्लू साइड कर दिया था. इसके कारण मेरे पुर बूब्स नज़र आ रहे थे, बस निपल्स ढके हुए थे. लेकिन उसका शेप भी पता चल रहा था.

मैं ये भी सोच रही थी, की ये रमेश को मेरे शरीर के बारे में बताएगा और वो तुरंत समझ जाएगा की मुझे चूड़ना था अपने बेटे से. ये सोचते हुए मैं गरम हुई और मैने राहुल का लंड ही पकड़ लिया पंत के उपर से. लोहे जैसे गरम लंड को पहली बार हाथ से टच किया मैने.

इससे उसे झटका लगा और हमारे लिप्स भी बहुत पास आ गये, और शायद एक बार तो किस भी हुई छ्होटी सी, जिससे मैं होश में आई. राहुल मेरी तरफ देख के बोला-

राहुल: क्या कर रही हो मम्मी (उसकी चीख निकल गयी)?

मे: सॉरी बेटा वो बस उछली उससे हो गया, और तुझे दर्द तो नही हो रहा (उसके लंड वाली जगह इशारा करके पूछा)?

राहुल: नही मम्मी मैं ठीक हू (उसने लंड अड्जस्ट किया पंत में).

वो पूरा पसीने में भीगा था, और मेरा लंड पकड़ने से उसकी हालत खराब हो गयी, जिसका असर उसके हाथ पर दिख रहा था. उसने मेरी जाँघ के उपर का हिस्सा छूट के बिल्कुल नीचे कस्स के पकड़ रखा था, जो उसे बिल्कुल पता नही था. मैं भी मज़े ले रही थी. उसका गरम हाथ मेरी छूट पर लग रहा था, जिससे मेरा पानी निकल रहा था.

अब बस एक स्टॉप पे रुकी, जहा से हमे दूसरी बस पकड़नी थी. हम उतरे दोनो, और अब दूसरी बस को 45 मिनिट थे. मुझे ज़ोर से टाय्लेट आने लगी, क्यूंकी बेटे का हाथ मेरी छूट पे लगातार लग रहा था, और वो बूब्स घूरे जेया रहा था. तो मैं झड़ने के भी करीब थी. मैं एक पेड़ के पीछे करने गयी, ताकि बेटे को शक़ ना हो.

मैने सारी उठाई, नीचे से पल्लू भी एक साइड करके कमर में बाँधा, और चड्डी नीचे करके पानी निकाल रही थी छूट से. तभी उपर से एक कोवा (क्रो) ने मेरी गांद पर टट्टी कर दी. अब मेरे पास सॉफ करने के लिए कुछ नही था, तो मैने सोचा अब बेटे को ही बुलाना पड़ेगा. उसके बारे में सोचते ही मेरी छूट से पानी की नदी बह गयी, और मैं ढीली हो गयी (मेरी उंगली पूरी गीली हो गयी, और ज़ोर से उसका नाम निकला मूह से).

इससे वो मेरी तरफ आ गया. फिर मैने संभाला अपने आप को और बोली-

मे: राहुल इधर आ, ज़रूरी काम है.

और वो मेरी साइड आया. तब मैं सारी उठा के हुगने वाले तरीके से बैठी थी. वो मुझे ऐसे देख के हैरान हो गया और बोला-

राहुल: मम्मी, ऐसे क्यूँ बैठी हो? उस दिन तो ग़लती से बातरूम में देख लिया तो मारने लगी थी. और आज चिल्ला के बुला रही हो.

मे: अर्रे बेटा कोवा ने देख क्या किया.

और गांद उसकी तरफ की. छूट का च्छेद भी क्लियर दिख रहा था.

राहुल: मम्मी अब किससे सॉफ करू इसको? वैसे आपकी बहुत बड़ी दिखती है बिना कपड़ो के.

मे: तू वही देखता है नहाते हुए.

राहुल: नही मम्मी, बस एक बार ही हुआ, वो भी ग़लती से.

वो भी हुगने जैसा बैठा मेरे सामने. उसका मूह बिल्कुल मेरे बूब्स की लाइन में था तोड़ा सा डोर, बस और सॉरी कहने लगा बातरूम वाली बात पे.

मे: अर्रे अभी सॉरी छ्चोढ़, इसको सॉफ कैसे करेगा ये देख (गांद उसको दिखा के).

राहुल: मम्मी कोई कपड़ा तो नही है, किससे करू?

मे: मेरी पनटी से कर ले.

राहुल: ये आपकी अंडरवेर को बोलते है ना?

मे: हा रे, अभी मज़ाक सूझ रहा है तुझे. यहा मैं नंगी बैठी हू.

राहुल: मम्मी आपकी पनटी से अछा मेरी अंडरवेर से कर लू, और आपकी पहन लूँगा. फिर क्यूंकी आपकी पनटी के मेटीरियल से सॉफ नही होगा.

मे: ठीक है, फिर तो ऐसे ही पहन लेना पंत.

राहुल: मेरा अटक जाएगा चैन में (इशारा करके बोला, और में हस्स पड़ी).

अब वो नीचे से पूरा नंगा हो गया मूह दूसरी तरफ करके. अब वो मेरी तरफ मुड़ा, मेरी उसको देख के हालत खराब हो गयी. क्या लंड था उसका. पहली बार इतने करीब से देखा था. मॅन कर रहा था चूस लू. मेरा मूह खुला का खुला रह गया, और वो मुझे उकसाने के लिए और झटके देने लगा लंड को. फिर वो बिल्कुल मेरे लिप्स के पास ले आया और बोला-

(मैं अभी ढीली हुई थी लेकिन फिरसे पूरी गरम हो गयी. मेरे शरीर में एक करेंट दौड़ने लगा)

राहुल: मम्मी मेरी उल्टी तरफ घूम जाओ ताकि माओं आपके हिप्स सॉफ कर साकु.

मैं घूम गयी. अब वो उसकी चड्डी से गांद सॉफ कर रहा था, और बीच में मेरी गांद पर अपना लंड मार रहा था. मैने उसके हाथ और लंड के स्पर्श से आँखें बंद कर ली, और सिसकियाँ लेने लगी ह उम्म्म्मम बेटा. लगभग 10 मिनिट लगाए उसने. सॉफ करने के बहाने उसने मूठ मारी. मेरी लगातार सिसकियाँ निकल रही थी उम्म्म आह ह करके.

अब मेरी छूट पे उसकी पिचकारी महसूस हुई मुझे लगभग 15 मिनिट बाद. तब मैं चौंक गयी. इतना गरम पानी लगा. मैं पीछे मूडी तो वो हाँफ रहा था. मैं कुछ बोली नही. उसने पानी सॉफ किया, और मेरे बूब्स घूरता रहा. मेरी छूट को उंगली से सॉफ किया.

फिर उसने पनटी निकली मेरे पैर से, और खुद पहन ली. उसका लंड अब तोड़ा नॉर्मल दिखने लगा. लेकिन मैं अभी भी गरम थी. वो खड़ा होके मुझसे बोला-

राहुल: वाह मम्मी, बहुत खूबसूरत लगती हो आप (मेरी गांद पे हल्का हाथ लगा के).

मैं इतनी मदहोश हो गयी थी, की सॉफ होने के बाद भी वैसे ही नंगी बैठी रही

राहुल: मा खड़ी होकर सारी तो पहन लो (फिर मैं थोड़ी नॉर्मल हुई).

मे (उसे एक छाँटा मारा गाल पे तोड़ा प्यार से): ये खूबसूरती तू कब से देखना चाहता था ना?

राहुल: मम्मी ऐसा कुछ नही है. आप ग़लत समझ रहे हो. वासे में कैसा लग रहा हू आपकी पनटी में?

मे: चल अब पंत पहन ले, और वाहा किसी के सामने मत घूमना ऐसे, नही तो ग़लत सोचेंगे हमारे बारे में.

राहुल: क्या ग़लत सोचेंगे मम्मी? मा हो आप मेरी.

मे: तुझे जो बोला वो कर. ज़्यादा सवाल मत पूच.

इतने में दूसरी बस आ गयी, और हम दोनो फिरसे एक सीट पे बैठ गये. मेरी मोटी गांद की वजह से जगह कम पद रही थी. वो तो खुशी से चिपक के बैठा था, लेकिन मेरी छूट आग में सुलग रही थी. मॅन तो हो रहा था उसे बोलू की अभी छोड़ दे मुझे, लेकिन अपने आप को रोके हुए थी.

लेकिन अब मुझे हमारी चुदाई बहुत पास लग रही थी. मुझे पता था उसका लंड बहुत मज़बूत था, इसलिए उसे पहले गुस्से में लाके और शिलाजीत खिला के पलंग-तोड़ चुदाई करना चाहती थी.
 
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