What's new

सविता दीदी की जवानी के दीवाने

admin

Administrator
Staff member
मैं बिहार के एक छोटे से गांव का रहने वाला तब तक एक सीधा-सादा लड़का था। जब तक कि मेरी मौसी की लड़की ने मेरे अंदर की ज्वाला नहीं भड़काई थी। मेरे घर का नाम नाम राजू है। इस वक्त मेरी उम्र 23 वर्ष है। मेरी हाईट 5 फीट 9 इंच है। दिखने में हल्का गेहुंआ रंग का चेहरा, बलिष्ठ शरीर, चौड़ी छाती हैं, जिसे देख किसी भी लड़की का मन डोल जाए।

सविता दीदी की उम्र इस वक्त 24 वर्ष है, 5 फीट 6 इंच कद वाली, रसीली, छरहरी जवान गदराई जिस्म वाली लड़की, जिसके चेहरे पर गांव के लड़के तो फिदा ही थे, पर अंकल लोग भी सविता दीदी को देख कर अपने लंड को मसल कर मजा ले लेते थे। अगर दीदी की इस वक्त फिगर की बात करूं तो उनका फिगर 34-30-34 होगा।

दीदी की चौड़ी छातियां किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है। पर अगर कोई चूचियों की गोलाई को ध्यान से देखे, तो जैसे कोई दो खरबूज़े दीदी की छाती पर रखे हुए है, और दोनों खरबूज़े आपस में चिपके हुए है।

अगर कुछ शब्दों में कहूं, तो दीदी की सुडौल चूचियों का आकार और उस पर उभरे हल्के भूरे रंग के निप्पल को अगर कोई कपड़े के अन्दर ही देख ले, तो लंड की हालत खराब हो जाती है। तो सोचिए अगर कोई नंगी चूचियों को देख लेगा, तो देख कर हर किसी का मन तो डोल ही जाएगा, और हर कोई चूचियों में भरी मलाई का रस-पान करना चाहेगा।

अगर बात करूं दीदी की गांड की, तो उनके चूतड़ कद्दू के जैसे बड़े-बड़े हैं, और जब दीदी जींस या फिर साड़ी पहनती हैं, तो दीदी के चूतड़ जींस और साड़ी पर चार चांद लगा देते हैं। सविता दीदी को स्टेशन पर पहली ही नज़र में देखने के बाद मेरे ही दोस्त रोहन और विजय भी दीदी को चोदने की चाहत रखने लगते हैं, और उनके बारे में गन्दी-गन्दी बातें करते हैं।

ये बात मुझे तब पता चली जब एक दफा मैंने रोहन का मोबाईल लिया था। तो गलती से मैंने रोहन और विजय की चैट को पढ़ लिया था। तो मुझे पता चला कि ये दोनों सविता दीदी के बारे में क्या सोचते थे, और उन्हें कितनी बेरहमी से चोदना चाहते थे। वो दोनों चैट में क्या बात किए थे, ये सब बाते मैं उसी स्टोरी में कवर करूंगा। क्या उनकी मन की मुराद पूरी होगी, जानने के लिए हमसे जुड़े रहें।

दीदी की कसी हुई गांड को घर के पास के एक चाचा मारना चाहते थे, जो मैंने अपने कानों से सुना था। जब वो एक दिन अपने ही किसी दोस्त से बातें कर रहे थे, कि सविता की गांड कितनी कसी है। किसी दिन इसकी गांड जरूर मारूंगा मौका मिलने पर।

मैं आपको उन चाचा के बारे में थोड़ा बता दूं। उन चाचा का नाम वीर सिंह है, जो मौसी के गांव के प्रधान हैं, और बहुत अमीर हैं, और वो कर्ज पर पैसे भी सब को देते हैं। उनकी उम्र 40 के आस-पास है। उनकी हाईट 5 फिट 6 इंच है, और देखने में हट्टे-कट्टे नौजवान जैसे लगते हैं।

क्या वीर चाचा सविता दीदी की गांड चोद पाएंगे, और अपने लंड से दीदी की गांड फाड़ पाएंगे? जानने के लिए साथ बने रहे। ये स्टोरी मेरी अलग स्टोरी में जारी रहेगी।

अब ज्यादा वक्त ना गंवाते हुए मैं अपनी इस स्टोरी में बताता हूं कि ये बात तब की है जब दीदी जवानी में अपना पहला कदम रख रही थी। मतलब जब वो 19 वर्ष की अवस्था में थी तब से ही लड़कों ने उनके नाम का मुट्ठ मारना शुरू कर दिया था। दीदी थी ही ऐसी माल कि हर कोई उनके बारे में सोच कर उनके चूत में अपने लंड को गोते खिलाता था।

दरअसल हम दोनों के बीच रामांटिक वक्त शुरू तब हुआ जब मैं 18 साल का था, तो मैं मौसी के यहां गर्मी की छुट्टियों में घूमने गया था। तो एक दिन मैं और मौसी का छोटा लड़का करन जो मुझसे भी उम्र में छोटा था, दोनो छत पर पकड़म-पकड़ाई ( मतलब एक भागता है और दूसरा उसे पकड़ने का काम करता है ) खेल रहे थे।

तो जब करन मुझे पकड़ने के लिए मेरे पीछे दौड़ा तो मैं नीचे की तरफ भागा, और दोनों भागते-भागते बाथरूम के पास पहुंच गए, जो कि टेम्प्रोरी ही बना था, जैसे कि गांव में पहले सब बनाते थे। तीन तरफ से ईंट की दीवार बना कर, एक तरफ लकड़ी का दरवाजा लगा देते थे, और ऊपर खुला आसमान दिखता था। कुछ ऐसा ही बाथरूम मौसी के घर भी था, जहां पर सविता दीदी अपने यौवन को पानी से भिगोए हुए थी।

जब तक सविता दीदी मुझे मना करती कि राजू मत आना मैं नहा रही हूं, तब तक दरवाजा खोल कर उनको बिना कपड़ों के नहाते हुए मैंने देख लिया। मैं इतनी तेजी से भागते हुए आ रहा था कि उनकी आवाज़ जब तक सुन पाता, मैं दौड़ते हुए उनके पास पहुंच चुका था।

अब दृश्य ऐसा था कि उनकी चढ़ती जवानी और उम्र के पड़ाव की वजह से सविता दीदी की उभरती हुई चूचियां, मुझे सामने देख सांसों के तेज़ होने की वजह से ऊपर-नीचे हो रही थी।

और उसी वक्त दीदी मुझे बोल रही थी, प्लीज उधर देखो, उधर देखो, और अपने हाथों से अपनी चूचियों को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, जिसे मैं अच्छे से निहार चुका था, और उनकी चूचियों की गोलाई और साईज को मैं भाप चुका था। पानी की बूंदे उनके यौवन भरे बदन पर बिखरी‌‌ हुई थी।

कुछ बूंदे उनके होठों पर, तो कुछ बूंदे उनकी गर्दन से होते हुए उनकी चूचियों के बीच की क्लीवेज से होती हुई, उनकी नाभि तक जाकर फिर वहीं से वो गायब हो जा रही थी। क्यूंकि दीदी ने कच्छी पहन रखी थी, तो पानी की बूंदें कच्छी में गायब हो जा रही थी।

उस दिन जाने कितना मजा आया था, पर सच बोलूं तो मैंने पहली दफा किसी कमसिन कली और जवानी की ओर बढ़ती हुई 19 साल की अप्सरा को देखा था, और जिसे देख मेरे आंखो में चमक सी आ गयी थी। फिर दीदी कपड़े पहन कर छत पर आई तो उस वक्त मैं चुप-चाप सा बैठा उन्हीं के बारे में सोच रहा था। तभी दीदी आई और बोली-

सविता दीदी: राजू आज के बारे में किसी को कुछ मत बताना।

मैं (अनजान बनते हुए): क्या दीदी?

सविता दीदी: यही कि मैं बिना कपड़ों के ही नहाती हूं, और तुमने मुझे नहाते हुए बिना कपड़ों के देखा है।

मैं: अरे नहीं दीदी मैं किसी को नहीं बताऊंगा।

सविता दीदी: मेरा भाई कितना अच्छा है (और खुश होकर मुझे अपने गले से लगा लिया)।

उस वक्त मैं उनसे हाईट में छोटा था, तो मैं उनकी गर्दन तक ही था। तो जब मुझे वो गले लगाई तो मेरा सिर उनकी चूचियों के ऊपरी हिस्सों तक ही पहुंचा, जिस वजह से मैं दीदी के क्लीवेज को साफ-साफ देख सकता था।

फिर ऐसे ही दिन बीतते गए, और फिर मैं अपने घर आ गया। फिर एक दिन मेरे घर पर एक फंक्शन था, तो रिश्तेदार लोग आए थे। चूंकि मेहमान ज्यादा थे, और गर्मी का महीना चल रहा था, तो मेहमान लोगों की सोने की व्यवस्था छत पर खुले आसमान के नीचे की गयी थी, और कुछ चारपाई भी बिछाया गया था।

जब सब खाना खा लिए और रात में 8 बजे का वक्त हुआ, तो मैं एक चारपाई पर लेट गया। पर किसी ने एक छोटी बच्ची को मेरे पास सुला दिया था, जो कुछ ही देर में अपनी करामात दिखा दी और मेरे ऊपर सुसु कर दी। तो मैं जाग गया, और उस बच्ची को उसकी मां के पास दे आया, और फिर छत पर आकर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए, और अब केवल अंडरवियर और बनियान में मैं सो गया।

रात के 10 बजे तक सारे मेहमान जहां-तहां अपना ठिकाना ढूंढ लिए, और मेरे पास सविता दीदी आकर लेट गई। ये बात मुझे बाद में पता चली। जब मैंने करवट ली तो मैंने पाया कि कोई लड़की मेरे पास सोयी थी, पर रात के अंधेरे में मुझे पता नहीं चला कि वो कौन थी।

फिर जैसे-जैसे रात बीतती गई, उस लड़की की हरकत बढ़ती गई, और रात के अंधेरे में ही मुझे चारपाई पर अकेला पाकर अपनी तरफ बार-बार खींच रही थी।

मैं उस वक्त तक ज्यादा कुछ नहीं जानता था, और बहुत सीधा-सादा होने की वजह से मैं बस उनसे दूर होने का प्रयास कर रहा था। जैसे मैं उनसे दूर होता, तो वो फिर से करवट बदल कर, दूसरी तरफ मुंह करके, मेरी तरफ गांड करके सो जाती। पर कुछ देर बाद फिर वो करवट बदल लेती, और मुझे कस कर पकड़ कर अपनी ओर खींच लेती।

वो कभी मेरे पैरों के बीच में अपने पैरों को डाल देती, तो कभी अपने पैरों को मेरी कमर के ऊपर रख कर सो जाती। सच बोलूं तो मुझे बाद में पता चला कि ये जो दीदी उस रात मेरे साथ कर रही थी, इसका सीधा सा मतलब ये था कि उनकी बुर में लंड लेने की खुजली हो रही थी।‌ वो उस वक्त किसी का भी लंड लेने के लिए तैयार थी। अगर कोई भी लंड उन्हे मिल जाता तो वो तुरन्त ले लेती अपनी कुंवारी बुर में।

आखिर वो 19 साल की उम्र की कच्ची कली जो थी उस वक्त। और आपको तो पता ही है कि उम्र 19 में क्या होता है। ये उम्र सबसे ज्यादा खतरनाक होती है लड़कियों के लिए, और अक्सर इस उम्र से जब कोई लड़की गुज़रती है, तो उसे लंड लेने की चाहत सबसे ज्यादा होती है। अगर 19 की उम्र में कोई लड़की हो, और अगर आप थोड़ा सा भी भाव देदें उसे, तो वो लड़की लपक कर आपका लंड लेगी, और तब तक चुदेगी जब तक उसे आप सन्तुष्ट ना कर ले जाएं।

तो उस वक्त दीदी भी 19 की उम्र से गुज़र रही थी, तो जवानी भी उबाल पर थी। नयी-नयी चूचियां उभर रही थी, और बुर के उपर हल्की भूरी-भूरी झांटे आनी शुरू हुई थी। जिस वजह से वो मेरे साथ वो हर प्रयास की, तांकि मैं उन्हे अपने लंड से चोद सकूं। ऐसा मुझे लगने लगा कि वो मुझसे चुदना चाहती थी, क्योंकि वो चुदने के लिए तड़प रही थी।

क्या उनकी चूत की आग बुझ गयी, जानने के लिए बने रहें अपने भाई राजू के साथ।
 
आपने पिछली कहानी में पढ़ लिया होगा कि कैसे दीदी मेरे पास आकर सो गयी, और वो मुझसे चुदना चाहती थी। अगल-बगल में रिश्तेदार सोए थे, फिर भी वो मुझे अपनी ओर खींच रही थी, ताकि मैं उनकी जोरदार चुदाई करके उनकी चूत में लगी आग को मिटा सकूं। सुनिए आगे क्या हुआ।

क्योंकि अगल-बगल सब लोग सोए थे, इसलिए मैं अपने आप को संभालने का प्रयास कर रहा था, तांकि मेरा लंड बेकाबू ना हो, पर होनी को कौन टाल सकता था। सविता दीदी अपनी तरफ खींच कर मुझे अपने सीने से चिपकाने में सफल रही। तभी मेरे लंड ने भी सलामी देना शुरू कर दिया।

मेरा 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लंड जब खड़ा हुआ, तो दीदी को एहसास हो गया, और उन्होने तुरन्त अपने कोमल हाथों से अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड का स्पर्श किया। वो स्पर्श मुझे पागल करने लगा, और जब उन्हें भी एहसास हुआ कि मैं कुछ नहीं बोल रहा था, तो उन्होने धीरे से चादर को ऊपर खींच कर ओढ़ लिया, और मुझे भी चादर के अन्दर कर दिया। उनकी पकड़ इतनी अच्छी थी कि क्या ही बताऊं, और फिर तभी वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे होठों को चूमने लगी।

फिर मैंने भी उनके होठों को चूमना शुरू किया, और फिर दोनों एक-दूसरे को पकड़ कर जकड़े हुए थे। कभी वो ऊपर तो हम नीचे, कभी वो नीचे तो हम ऊपर। इस तरह करीब 10 मिनट तक हम दोनों के बीच रोमांस चलता रहा। फिर वो मुझे किस करने लगी, और मेरे सिर को अपनी चूचियों की तरफ दबाने लगी। शायद वो ये बोलना चाह रही थी कि मेरी चूचियों को पियो। पर मैं उस वक्त उतना समझदार नहीं था, तो उनके इशारों को समझ नहीं पाया।

तो कुछ देर के बाद वो मेरी तरफ अपनी पीठ करके सो गयी। और तो और क्यूंकि मैं मुंह ढक कर नहीं सो पाता, तो जब दीदी मुझे शान्त सी लगी, तो मैंने अपना मुंह चादर से बाहर करने को सोचा। जब तक मैं अपना मुंह चादर से बाहर करता, दीदी ने तुरन्त मेरे अंडरवियर के अन्दर अपना हाथ डाल दिया। मैं डर के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था, कि अगर कहीं किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी होगी।

मैं चुप-चाप लेटा रहा और इधर दीदी अपने हाथों को पीछे करके मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मेरी हालत बिगड़ती ही जा रही थी, और मेरा लंड टाईट होता जा रहा था। दीदी मेरे लंड को मसल ही रही थी। तभी वासना की आग में जलते हुए मेरी भी प्यास बढ़ने लगी और मेरे हाथ अपने आप ही दीदी के सूट के ऊपर से ही दीदी की चूचियों को मसलने लगे।

मेरे हाथों की पकड़ से दीदी की सांसे तेज हो गयी, और चूचियां ऊपर-नीचे होने लगी। तभी दीदी मेरे तरफ खिसक गयी। अब दीदी की चूचियां सूट के ऊपर से ही मेरे हाथों के गिरफ्त में थी, और मेरा लंड दीदी के हाथों के बीच कैद था। तभी दीदी अचानक से मेरा लंड छोड़ दी, तो मैं डर गया। पर मुझे क्या पता था कि आगे क्या होने वाला था।

तभी दीदी मुझसे और सट गयी, और अब मेरे लंड को दीदी की गांड के बीच की दरारों का अनुभव सलवार के ऊपर से ही मिला। तो मैं दीदी की चूचियों को मसलते हुए उनसे पीछे से चिपक गया। पर अचानक से मुझे एहसास हुआ कि दीदी थोड़ा सा आगे खिसकी, और फिर जब दुबारा पीछे आई, तो दीदी की गांड के ऊपर सलवार नहीं थी। तब मुझे लग गया कि दीदी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया था, और सलवार और पैंटी को नीचे खिसका दिया था।

मेरा लंड भी अब दीदी के जवान जिस्म के मजे लेने के लिए बेताब था, पर अभी भी डर यहीं था कि अगल-बगल सोए हुए लोग जाग गए तो बहुत मार पड़ेगी मुझे। एक पल के लिए डर लग रहा था पर एक पल दिमाग में यही आ रहा था कि आज घोड़ी खुद आई थी‌ घोड़े के नीचे, तो क्यूं ना सवारी कर ही ली जाए। क्या पता कल को कोई दूसरा घोड़ा पसन्द आ जाए घोड़ी को।

मैंने भी बिना देर किए दीदी से चिपक कर उनके सूट के अन्दर अपने हाथों को डाल दिया, और जब मुझे दीदी की चूचियों का उभार समझ आया, तो पता चला कि दीदी तो सच में कड़क माल थी। दरअसल उनकी चूचियां मेरे हाथों की पकड़ में पूरी तरह से आ ही नहीं रही थी। मैं फिर भी दीदी की चूचियों को मसलने लगा और मैंने जैसे ही दीदी की चूचियों के ऊपर उठे निप्पल को पकड़ा, दीदी पागल सी हो गयी और वो सिमट गयी। तो मुझे लगा कि ये गर्म हो रही थी।

मुझे करीब 2 मिनट ही हुए होंगे दीदी की चूचियों को मसलते हुए, तभी दीदी ने फिरसे मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया, और फिर मेरे लंड को अपनी चूत के पास ले जाने लगी। तो मैंने भी उनका साथ दिया। पर जब मेरा लंड उनकी चूत के मुंह पर गया तो मुझे उनकी चूत भीगी-भीगी लगी। उस वक्त मुझे ज्यादा आइडिया तो नहीं था कि चूत कैसे भीग गयी, पर मुझे वो पल अच्छा लग रहा था, और मैं वो सब कुछ करता जा रहा था, शायद जो दीदी मुझसे करवाना चाह रही थी।

कुछ ही सेकेण्डों में मुझे पता नहीं क्या महसूस हुआ, पर मुझे भीगी चूत अच्छी लगी, और मेरा लंड चूत के अन्दर जाने के लिए तैयार खड़ा था। दीदी भी इसी चीज का इंतजार कर रही थी।

दीदी ने अपने चूत के मुंह पर मेरे लंड को सेट करके धीरे से अन्दर करने का इशारा किया, तो मैंने भी अपना लंड हल्का सा दबाया। इससे दीदी के मुंह से अलग ही आवाज़ निकली, पर दीदी ने उस आवाज़ को दबा लिया और बाहर नहीं आने दिया।

फिर दीदी ने थोड़ा और डालने का इशारा किया तो मैंने थोड़ा और दबाया। तो फिर दीदी की हल्की आवाज़ निकली, पर इस बार मुझे भी दर्द हुआ, क्योंकि ये मेरा पहली दफा सेक्स था। तो जब मेरा लंड दीदी की कसी हुई चूत में जा रहा था, तो मेरे लंड के ऊपर की चमड़ी पीछे की ओर खिसक रही थी, जिस वजह से मुझे भी दर्द हो रहा था।

अभी मेरा लंड 2 इंच ही गया रहा होगा, तभी मुझे डर लगने लगा, और मैंने दीदी को धीरे से फुसफुसाते हुए बोला-

मैं: दीदी प्लीज आज रहने देते हैं ना।

दीदी: प्लीज यार, अब रूको मत अन्दर डालो ना‌‌।

मैं: दीदी मुझे डर लग रहा है।

दीदी: किस बात का डर?

मैं: कोई जाग गया और हम पकड़े गए तो?

दीदी: अरे कोई नहीं जागेगा, तुम डालो ना‌। मैं आवाज बाहर नहीं आने दूंगी।

मैं: ठीक है दीदी।

मैंने फिर थोड़ा सा अन्दर लंड डाला तो दीदी की आह निकल गयी, और इस बार उनकी आवाज़ उम्म्म आह उइइईई मां बाहर आवाज़ आ गयी। मैंने फिर से दीदी से बोला-

मैं: आज रहने देते है ना, कल कर लेंगे।

तो दीदी बोली: नहीं रूको मत प्लीज़।

तो मैंने दीदी से बोला: क्यूं ना हम रूम में चलें। सब यहां छत पर सोए हैं, रूम में कोई नहीं होगा गर्मी की वजह से।

तो दीदी बोली: ठीक है चलो चलते है।

और फिर मैंने अपने अंडरवियर को सही किया और रूम में चला गया। फिर कुछ देर बाद दीदी भी रूम में आ गयी।

इधर मैं तैयार लेटा था, दीदी भी तुरन्त रूम में आते ही मेरे बगल में आकर लेट गयी। पर उस वक्त हम दोनों भूल गए थे कि दरवाजा भी बन्द करना था। अब तो मौका अच्छा था, क्योंकि अगल-बगल अब कोई नहीं था, तो हम दोनों अपनी पहली चुदाई यादगार बनाना चाहते थे। तो फिर हम दोनों दरवाजे के पीछे खड़े होकर एक-दूसरे को चूमने लगे। फिर मैंने दीदी की चूचियों को मसलना शुरू किया, और फिर मैंने दीदी से बोला-

मैं: मुझे आपकी चूचियां देखनी है।

दीदी बोली: देख लो, किसने रोका है।

और मैंने उनके मुंह से इतना सुनते ही तुरन्त उनके सूट को ऊपर कर दिया‌। मैंने सफेद कलर की बनियान के अन्दर चूचियों को कैद देखा, तो मैंने बनियान को ऊपर करके चूचियों को आज़ाद कर दिया। फिर जब मेरी नज़र दीदी की गोरी-गोरी गोल-गोल चूचियों पर पड़ी, तो मेरे मुंह में पानी आ गया। तभी उस पर उठे हल्के गुलाबी और भूरे रंग के निप्पल को देख मैं उस पर टूट पड़ा।

मैंने दीदी की चूचियों को अपने मुंह में भर लिया, और दबा-दबा कर पीने लगा। तो दीदी की चूचियां टाईट होने लगी। मेरे हिसाब से उस वक्त दीदी की चूचियां 32″ के साइज की रही होंगी। पर मैंने खूब स्मूच किया और दबा-दबा कर चूचियों को 10 मिनट तक पिया।

फिर मैंने जब सिर उठा कर दीदी की तरफ देखा, तो दीदी पागल सी हो चुकी थी। दीदी अपने होंठों को दांतो से काट रही थी। वो अपने आप को समेट रही थी। तभी मैंने दीदी की सलवार का नाड़ा खोल दिया, और जब मैंने वो नजारा देखा, तो मैं पागल सा हो गया। पतली कमर, चौड़ी गांड, जो कद्दू जैसी‌ बड़ी‌ और गोल थी, और जो पैन्टी के अन्दर छुपने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

दीदी मुझसे बोली: प्लीज अब बस भी करो, अब कितना देखोगे। मुझे भी अपना दिखाओ।

फिर जैसे ही मैं अपना अंडरवियर नीचे करने जा रहा था, तभी मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी। मैंने तुरन्त दीदी को कपड़े पहनने को कहा, और दीदी जल्दी से कपड़े पहनी, और मैं भी तुरन्त बगल में रखी पानी की बोतल लेकर पानी पीने लगा।

दीदी और मैं डरे-डरे से थे, पर जब मैंने देखा तो दीदी की छोटी बहन पानी पीने आई थी।

तो वो बोली: भैया, दीदी, आप दोनों यहां क्या कर रहे हैं गर्मी में?

तभी मेरे मुंह से जल्दी से निकला: प्यास लगी थी मुझे, और मुझे डर लग रहा था अकेले, तो दीदी को बुला कर लाया था।

पर वो हम दोनों के चेहरे पर पसीना देख कर बोली: क्या भैया, आप इतना डरते हो। और आए भी तो एक डरपोक के साथ। दोनों को कितना पसीना आ रहा है। मुझे बुला लिए होते।

और फिर वो मुस्कुराते हुए पानी पी कर जाने लगी।

तो फिर वो बोली: चलिए अब सो जाइए, सुबह जल्दी उठना है। फिर मैं और दीदी भी उसके साथ चले गए, और हमारी चुदाई उस रात पूरी नहीं हुई। पर दूसरे दिन हम दोनों आम के बगीचे में गए, और फिर वहां पर कैसे हम दोनों ने जी भर कर चुदाई की, जानने के लिए बने रहें।
 
जैसा कि आपने पिछली कहानी में पढ़ा होगा कि मेरी सविता दीदी मेरे लंड के लिए बेकरार थी। पर जब हम खुल कर चुदाई करने वाले ही थे, तभी सविता दीदी की छोटी बहन आ गई थी। जिससे हमारी चुदाई अधूरी रह गई थी। आगे फिर क्या हुआ अब पढ़िए।

जब सविता दीदी की छोटी बहन ने बोला कि चलिए अब सो जाइए, तो हम और दीदी फिर आए अपनी जगह पर सो गए। पर फिर दीदी ने चादर को ओढ़ लिया, और फिर मैंने भी ओढ़ लिया, और दीदी के होठों को तुरन्त चूम लिया। क्योंकि जब से मैंने दीदी की गदराई जवानी को इतने नजदीक से देखा था, तब से मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

फिर दीदी भी मुझे किस करने लगी, और फिर किस करते-करते दोनों एक-दूसरे के करीब आते गए। तभी मैंने दीदी के दोनों पैरों के बीच अपना एक पैर कर दिया, और अब हम दोनों के पैर क्रास की स्थिति में थे।

मुझे ऐसा करके बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि दीदी के जिस्म की गर्मी अब मेरे अंडरवियर में कैद मेरे लंड को अनुभव हो रही थी। इस वजह से मैं और पागल सा हो रहा था। अब तो मेरा मन करने लगा था, कि यहीं पर सब के सामने ही दीदी को चोद दूं। फिर लोग चाहे जो कहें, पर फिर डर लगता था कि नहीं बहुत बदनामी होगी। पर फिर भी मैंने बिना डरे चादर के अन्दर ही दीदी के सूट को ऊपर कर दिया, और फिर उनकी चूचियों को पीना शुरू किया।

दीदी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी, और दीदी थोड़ी-थोड़ी देर में सी सी सी सी कर रही थी। फिर मैं करीब 20 मिनट तक दीदी की चूचियों को मुंह में रख कर पीता रहा, और फिर ऐसे ही मैं सो गया। फिर सुबह हुई और जब मैं उठा, तब तक दीदी उठ कर जा चुकी थी, और फिर मैं जब नीचे गया तो मुझे दीदी दिखाई नहीं दी। मैं जब बाथरूम की तरफ जाने लगा, तो दीदी उधर से आ रही थी।

मैंने देखा दीदी थकी-थकी सी लग रही थी, पर दीदी के चेहरे पर कटीली मुस्कान था। फिर मुझे देख कर वो मुस्कुरा कर बोली-

दीदी: जो भी था अच्छा था। आज इन्तजार रहेगा।

मैं भी खुशी से झूम उठा, और मैंने भी बोला: आज आपका इन्तजार खत्म कर दूंगा दीदी।

और फिर दीदी को आंख मार कर मैं बाथरूम चला गया।

फिर जब मैं फ्रेश होकर ब्रश करके बैठा, तो दीदी अपने हाथों से मुझे चाय लाकर दी। मुझे हसबैंड वाली फीलिंग आई, और फिर मैंने चाय पी। तभी दूसरी तरफ से पापा आए और बोले-

पापा: बेटा यहां और सभी को मैंने व्यवस्था देखने को बोल दिया है, तुम जाकर खेत में सब्जी में पानी चला दो।

तो मैंने बोला: ठीक है।

क्योंकि मुझे पता था 2 घंटे लगेंगे खेतों में पानी लगाने में, तो मैंने घर से ट्यूबवेल वाले घर की चाभी ली, और खेत की ओर चल दिया। जो कि घर से 500 मीटर की दूरी पर रहा होगा। उधर ही मेरे आम की बगिया थी, जो ज्यादा बड़ी तो नहीं, पर हां 10-12 आम के पेड़ और 1-2 अमरूद के पेड़ थे। जब मैं खेत की तरफ जाने लगा, तभी मुझे सविता दीदी मिली।

वो बोली: कहां जा रहे हो?

तो मैंने बोला: खेतों में पानी लगाने।

तो दीदी बोली: मै भी चलूं क्या?

मैंने बोला: क्या करने के लिए चलोगी? परेशान होगी फालतू में।

तो दीदी बोली: जो रात में नहीं हुआ अगर वो वहां हो सके तो? और अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो चलूं।

तभी मेरा दिमाग खुला और मैंने हां बोल दिया। तो दीदी गई और मेरी मम्मी से बोल दी कि-

दीदी: मौसी मैं जा रही हूं खेत घूमने।

तो पहले तो मम्मी मना की, पर जब दीदी ने बहुत मिन्नतें की, तो मम्मी ने भी हां बोल दिया। दीदी खुशी से उछल पड़ी। उनकी खुशी देख कर मुझे समझ आ रहा था कि वो चुदने के लिए कितनी बेताब थी।

फिर हम दोनों खेत की तरफ गए। मेरा ट्यूबवेल खेत के बीच में था, और चारों तरफ खेत। इस वजह से आते-जाते हुए लोगों को पता भी नहीं चल पाता कि हम दोनों ट्यूबवेल के पास क्या कर रहे थे। क्योंकि खेत के चारो तरफ भैसों के खिलाने के लिए चरी (एक प्रकार का घास जो बाजरे के जैसा होता है) बोया हुआ था, जिससे कोई गाय या भैंस सब्जियों को खा ना सके।

फिर मैंने जैसे-तैसे ट्यूबवेल चला दिया, और खेतों में पानी जाने लगा। फिर जब मैंने मेढ़बन्दी देख लिया कि कहीं से पानी के ओवरफ्लो होने की दिक्कत नहीं थी, तब मैं ट्यूबबेल वाले रूम के अन्दर आया और फिर दीदी को इशारा किया।

सविता दी भी बहुत समझदार थी। झट से वो भी अन्दर आयी। मैंने तुरन्त उन्हें कस कर पकड़ लिया, और जोर से किस करने लगा। वो भी मुझे पागलों की तरह चूमे जा रही थी, जैसे कि अरसों से वो वासना की भूखी हों।

मैं अपने हाथों से धीरे-धीरे उनकी कमसिन जवानी का नाप लेने लगा। मैं जब उनके बूब्स को तेजी से मसलता, और बूब्स को जोर से दबाता, तो उनकी आह निकल जाती। कभी मैं अपना हाथ उनकी पीठ पर ले जाकर पीठ को सहलाता, तो वो सिमट सी जाती।

फिर कभी मैं उनकी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर दबा देता, तो वो उछल सी जाती। मैंने ऐसे ही करीब 10 मिनट तक उनकी चूचियों को मसल-मसल कर खूब मीजा, जिससे उनकी चूचियां तन गयी, जो सलवार के ऊपर साफ दिख रहे थे।

फिर मुझे ऐसा करते देख दीदी भी मेरे लंड को ऊपर से ही दबाने लगी। कुछ देर में ही मैंने उनके सलवार का नाड़ा खोल दिया, तो वो ब्लैक पैंटी में बची। फिर मैंने उनका सूट निकाल दिया, और फिर उनकी जवानी को जब मैंने उजाले में देखा तो मुझसे रहा नहीं गया। मैं तुरन्त उन्हें वहीं पर रखी चारपाई पर धम्म से पटक दिया, और उनके ऊपर चढ़ गया। मैं दीदी की चूचियों पर टूट पड़ा और फिर झट से मैंने दीदी की ब्रा को खोल कर चूचियों को आजाद कर दिया।

अब मेरे सामने दीदी की खरबूजे जैसी दोनों चूचियां बाहर आ गई। ये देख मैं दीदी की चूचियों पर टूट पड़ा, और चूचियों को चूमने लगा। जो कुछ भी रात में देखना रह गया था, वो ये था कि चूचियां टाईट होकर फूल चुकी थी और जैसे जोर-जोर से चिल्ला रही थी कि मुझे पी जाओ मुझे पी जाओ।

मैंने करीब 5 मिनट तक फिर से दीदी की चूचियों को पिया। फिर तुरन्त दीदी ने मेरा लोअर निकाला और फिर अंडरवियर और फिर टी-शर्ट भी निकाल दिया। फिर मैंने भी जल्दी से दीदी की पैंटी निकाल दी। अब माजरा ऐसा था कि दो नौजवान प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे के सामने बिना कपड़ो के थे। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर पागल हो चुके थे। दीदी ने मेरे खड़े लंड को जब देखा तो उनकी आंख फटी की फटी रह गई।

मैंने फिर दीदी को इशारा किया तो पहले वो आना-कानी की पर फिर मान गई और तुरन्त लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। फिर मैंने दीदी को 69 पोजीशन में किया और दीदी की चूत जिस पर हल्के-हल्के काले बाल थे, को चाटने लगा। करीब 5 मिनट हम दोनों एक-दूसरे का चाटते रहे। दीदी की चूत में मैंने जब अपनी जीभ को डाला तो वो झटके देने लगी, और फिर वो अपने पैरों को सिकोड़ने लगी। मैं समझ गया कि अब लोहा गर्म था, और अब हथौड़ा मार देना चाहिए।

मैं तुरन्त उठा और दीदी को चारपाई पर लेटने को बोला। फिर जैसे ही वो चारपाई पर लेटी, मैं उनके ऊपर चढ़ गया। फिर मैं अपने लंड को उनकी चूत के द्वार पर रगड़ने लगा ताकि वो और पागल हों मुझसे चुदने के लिए। कुछ ही देर में दीदी के मुंह से आवाज आई-

दीदी: राजू अब चोद दो प्लीज़, अब रहा नहीं जाता।

मैंने उनका इशारा पाते ही अपने लंड के सुपाड़े को दीदी की चूत के मुंह पर रख कर हल्का सा दबाया, तो दीदी की चूत में हल्का सा लंड घुसा। दीदी के मुंह से उहह उइईईई मां की आवाज आई। फिर मैंने खुद को हल्का सा पीछे किया, और फिर हल्का सा धक्का दिया, तो इस बार लंड थोड़ा और अन्दर चला गया।

दीदी की चीख निकली: उइइईईई मां मर गइईईईई।

मैंने फिर हल्का पीछे होकर एक और झटका मारा, तो दीदी की चूत में मेरा आधे से ज्यादा लंड घुस गया।

दीदी तेज से चीखी: उइईईईईई आहहहहह मां, प्लीज आराम से उउउउउहहहह धीरे-धीरे करो।

मैंने फिर हल्का सा पीछे होकर एक जोर का झटका मारा, तो मेरा पूरा लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया। दीदी की बहुत तेज चीख निकली, और वो जोर से रोने ही वाली थी कि मैंने उनका मुंह बन्द कर दिया। मैंने देखा कि दीदी की आंखो से आसू निकल गए थे।

मैं कुछ देर रूका तो पर मेरा लंड उफान पर था, और फिर एक जोर का झटका मैंने मारा तो दीदी तेजी से मुझे पकड़ ली, और रोने लगी।

दीदी: उइइईईईई मां… मर गइईईई। छोड़ो मुझे जाने दो प्लीज। प्लीज छोड़ दो।

और वो मुझे खुद से दूर करने लगी। तभी मैंने अपने होठों से दीदी के होठों को चूमना शुरू कर दिया, ताकि दीदी का ध्यान भटक जाए, जिससे उन्हे दर्द कम महसूस हो। और ऐसा ही हुआ, कुछ ही देर में दीदी शान्त सी होती नज़र आई। तो मैंने एक और जोर का झटका दिया। मुझे एहसास हुआ कि कुछ तो हुआ, और ये दर्द दीदी की चीख को दो गुना कर दिया, और दीदी की तेज चीख निकल गयी। पर शायद ट्यूबवेल के चलने की वजह से वो चीख बाहर तक नहीं गयी थी।

दीदी मुझसे दूर होने लगी, तभी मेरा लंड बाहर निकल गया। मैंने देखा कि दीदी के खून से मेरा लंड लथ-पथ था। मैं समझ गया कि दीदी की सील टूटी थी, और ये बात दीदी को भी पता चल चुकी थी कि उनकी सील टूट चुकी थी और ये काम मैंने किया था।

फिर मैंने दीदी को समझाया, और दीदी को मना लिया, और दीदी को किस करते हुए उनको चूम लिया। फिर दीदी की चूत पर लंड को रख कर धीरे-धीरे लंड को चूत में ठूंस दिया। कुछ ही देर में दीदी का दर्द कम हुआ, और वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर हम दोनों की चुदाई शुरू हुई। मैंने दीदी को चारपाई पर लिटाया, और फिर दीदी की चूचियों को पीने लगा। मैं फिर दीदी को पीछे से चोदने लगा। हमारी चुदाई घमासान होने ही वाली थी, तभी दीदी ने याद दिलाया कि-

दीदी: एक बार खेतों मे पानी देख लो,‌ फिर करते हैं चुदाई।

तो मैंने बोला: बाद में देख लूंगा।

दीदी ने बोला: जाओ पहले पानी देख कर आओ, नहीं तो डांट पड़ेगी तुम्हें।

फिर मैं कपड़े पहन कर खेत में पानी देखने चला गया। जब मैं लौट कर आया तो कैसे हम दोनों के बीच घमासान चुदाई हुई, और मैंने कैसे पानी में दीदी को नहाते वक्त चोदा, और फिर उनकी गांड कैसे मारी, जानने के लिए बने रहें अपने भाई राजू के साथ।
 
Top