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वासना में डूबी औरत की छूट की संतुष्टि

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मेरी पिछली स्टोरीस को आप लोगों ने इतना प्यार दिया सबसे पहले उसके लिए बहुत धन्यवाद आप सभी का. आपने पिछली स्टोरी में पढ़ा कैसे मेरा बेटा उसकी मामी के लड़के रमेश को मेरे बारे में बताता है, और कैसे मुझे पनटी में देख कर दोनो का लंड खड़ा हो जाता है. फिर मैं दोनो को खेत में ले जेया कर पहले सख्ती करती हू. फिर किस करके हम आपस में एक-दूसरे की गर्मी फील करते है एक दूसरे के उपर लेट के. अब आयेज.

मैं पूरी नंगी रूम में पहुँची, और बेड पर बैठ के अपने मोटे मुम्मो को ब्लाउस में समेत रही थी. मेरा मॅन मानो दोनो गरम लंड की तरफ से हॅट ही नही रहा था. कैसे राहुल शर्मा कर मुझसे चिपक रहा था, और मेरे होंठो का चूसान कर रहा था. उसका लंड बराबर मुझे सलामी दे रहा था.

जब रमेश और राहुल की छाती में मेरे बूब्स धस्से हुए थे, और एक-दूसरे के होंठो का रस्स-पॅयन कर रहे थे. रमेश का लंड मेरी छूट च्छेद पे ही था, और बस अंदर डालना था. उसकी गर्मी का मेरी छूट में एहसास हो रहा था. ये सब खुल्ले आसमान के नीचे किसी सपने जैसा याद आ रहा था.

अब मैं ब्लाउस पहन चुकी थी. लेकिन ये सब सोच के मैं अंदर से काबू नही कर पा रही थी. मैं मूसल के लिए तड़प रही थी. अब मैं मोटे बड़े रसीले आम जैसे बूब्स को हाथो में भर लेती हू. ब्लाउस के उपर से और दूसरे हाथ से छूट को सहलाते हुए सिसकारियाँ मार रही थी ह आउच उम्म्म आह. उत्सुकता से अपने होंठ काट-ते हुए बूब्स को ज़ोर से दबाने लगती हू.

नीचे मैं पूरी गीली छूट में उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगती हू. मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था. कभी पसीने की बूंदे चेहरे से मुम्मो पे गिरती, जो मैं ज़ुबान से चाट जाती, या फिर पेट पर होती हुई नाभि में जाती, जो मुझमे बिजली दौड़ा देती. मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ मार रही थी, लगातार बिना रुके ह आह उम्म्म उफ़फ्फ़ आ की आवाज़े ज़ोर से निकाल रही थी.

अब मैने अपना ब्लाउस भी उतार कर फेंक दिया. मैं पूरी हवस से भर चुकी थी, और मुझे आस-पास का होश नही था. अब ब्लाउस उतार कर पूरी नंगी हो गयी, और बिस्तर पर लेट गयी. कमर के बाल उंगलियों पर लगा छूट का पानी जीभ से चाट-ती हू.

अब मैं दो उंगलियों एक साथ अपनी छूट में डाल कर अंदर से बाहर करने लगी. मदहोशी मेरे दिमाग़ में चढ़ चुकी थी. मैं एक हाथ से अपने बूब्स को बुरी तरह मसल रही थी, और दूसरे हाथ से उंगली कर रही थी छूट में. उंगलियों की रफ़्तार मेरी तेज़ सिसकियाँ बता रही थी की एक औरत कितना तड़प सकती है लंड के लिए.

मैं लगातार छूट में उंगली करते हुए मचल रही थी. बिस्तर में ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई ह ह चिल्ला रही थी, जैसे किसी लड़की ने पहली बार लंड को छूट में महसूस किया हो. मेरे बूब्स टमाटर जैसे लाल हो चुके थे मेरे मसालने से.

नशीली उस रात में एक अबला अपने बिस्तर में खुले बाल अकेली पूरी नंगी छूट में उंगली करती हुई इतना मचल रही थी, जैसे उंगली नही कोई मज़बूत लोड्‍ा अंदर-बाहर हो रहा हो. वैसे अपनी गांद को उपर-नीचे पटक रही थी गद्दे पर. उस दिन समझ आया एक औरत मर्द के बिना कितनी अधूरी होती है.

उस दिन ऐसे कोई देखे तो रॅंड बोलने की जगह छोड़ के अपना बना ले. लेकिन मैं हवस में बेटे के लिए तड़पति सिसकती हुई कामवासना में जल रही थी.

अपने होंठो को काट रही थी. इतना की होंठो से खून निकालने लगा. लगातार बूब्स दबाने से टमाटर जैसे लाल हो गये. उस पर ब्राउन कलर के निपल पुर तनने हुए थे. ऐसा लग रहा था की एक चुदसी जवान लड़की लंड के लिए पागल हुई जेया रही हो.

जो मर्द हम देहाती औरतों को बिस्तर गरम करने लायक नही मानते वो देख ले तो तुरंत झाड़ जाए ऐसी हालत थी. मैं पहले ही 3 बार झाड़ चुकी थी, जब खेत में रमेश और राहुल के साथ खुले आसमान के नीचे नंगी हो कर दोनो को एक-एक करके अपने उपर सुलाया था. इसलिए 30 मिनिट तक उंगली करने के बाद भी मेरे अंदर की कामुक औरत शांत नही हुई.

अब मैने टेबल पर पड़ी एक गोल आकार की तेल की बॉटल उठाई. छूट में लगाने की जगह मैं उसे अंदर-बाहर करने लगी पूरी ताक़त से छूट में. अब सिसकियाँ भी चीखों में बदल चुकी थी.

मे: छोड़ मुझे राहुल बेटा, आह ज़ोर से आह उम्म उफ़फ्फ़ रे क्या बढ़िया छोड़ता है तू आह. उफफफफ्फ़ अहह राहुल अपनी मा को छोड़ बेटा ये खटिया तोड़ दे ह.

लगभग 10 मिनिट तक बॉटल से छूट छोड़ने के बाद आख़िर मेरी टाँगो के बीच से अमृत की धारा बहने लगी, और मैं बदहाल होने लगी. मेरी गरम तड़पति छूट शांत होने लगी. मैं बिस्तर पड़ी हुई थी, और हाथ में बॉटल थी जिस पर मेरा अमृत रस्स लगा हुआ था. मैं पूरी पसीने से भीगी हुई 5 मिनिट ऐसे ही लेती रही.

कोई सोच सकता है इस देहाती औरत के अंदर इतनी वासना होगी, वो भी अपने बेटे के लिए. शहर की लड़कियाँ वाइब्रटर डालती होंगी, लेकिन असली कामुकता पूरी नंगी हो कर, अपने बाल खोल कर, छूट को अपने हाथो से तड़पने, और अपने प्रेमी के लंड की याद में तड़पने में है. वो मशीन क्या पूरा करेगी? जब बॉटल जैसी चीज़ों से थोड़ी अंदर की त्वचा च्चिल जाती है, तब औरत होने का एहसास होता है.

फिर मैं उठने लगी. वैसे तो मैं वैसे नंगी ही सो जाती, पर आख़िर हमारे संस्कार अभी भी वही है. मेरी छूट के आस-पास स्किन च्चिल गयी थी. अब वो जलन कर रही थी. गोन में जब पति ऐसी डुमदार चुदाई करते है तो अक्सर कट लग जाते है नयी लड़कियों के सुहग्रात पे. क्रीम तो होती नही, इसलिए उस पर गीयी लगाने से आराम मिलता है.

मुझे ये पता था इसलिए अब मैं नंगी ही किचन में जेया कर गीयी लगा के वापस आई, और कपड़े पहन कर कब सो गयी पता ही नही चला, इतनी ताकि हुई थी.

आप लोग सोच रहे होंगे की इतनी तड़प थी, फिर वही चुड लेती. दो लंड को छ्चोढ़ कर खुद तड़प रही है. मैं बता डू, की मुझे पता है लड़कों को तड़पाव और तोड़ा उनको ज़लील करो, फिर चुदाई करवाने में अलग मज़ा है. फिर वो कामदेव की तरह हमारे शरीर की चुदाई करते है, जिससे औरत को अनंत सुख मिलता है.
 
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