देसी भाबी चुदाई कहानी में मैंने गाँव में अपनी बड़ी भाबी को चोद कर गर्भवती कर दिया. असल में मैं दोस्तों के साथ पोर्न देख देख कर चूत मारने के लिए मरा जा रहा था.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रोशन है. मैं एक 22 साल युवक हूँ.
मैं महाराष्ट्र के अहमदनगर का रहने वाला हूं. मैं एक मध्यम वर्ग के परिवार से हूं और मराठी मानुष हूं.
और मैं सामान्य से बड़े मोटे लंड का मालिक हूं.
आज मैं अपनी बड़ी देसी भाबी चुदाई कहानी बताने जा रहा हूँ.
आप सभी औरतों और लड़कियों के लिए मेरी सलाह है कि आप सब अपनी अपनी पैंटी उतार कर अपनी चूत में उंगली डाल लें . और लड़के अपना लंड
पकड़ कर हिलाना शुरू कर दें.
यह सेक्स कहानी मेरे और मेरी बड़ी भाबी के बीच हुई चुदाई की है.
तब मैं 19 साल का हुआ ही था.
सेक्स के बारे में मुझे कुछ भी अनुभव नहीं था.
कभी कोई चूत चुदाई के लिए मिली ही नहीं थी.
उसी दौरान दोस्तों की संगत में रह कर मैंने पॉर्न वीडियो देखे थे और बगल वाले पड़ोसी की चुदाई भी देखी थी.
तो मुझे सेक्स के बारे में समझ आ गई थी और अब चुदाई करने की बड़ी इच्छा होने लगी थी.
उन दिनों हमारे पैतृक गांव में वार्षिक मेला लगा हुआ था तो हम सब लोग अपने गांव गए थे.
उधर मेरे बड़े भाई और भाभी रहते हैं.
मेरे भाई की शादी को लगभग 3 साल हो गए थे और उनको एक छोटा लड़का भी हो गया था.
महाराष्ट्र में 'तमाशा' नाम का कार्यक्रम होता है तो तब हम सब तमाशा देखने गए थे.
मैं तब छोटा ही था तो भाभी मुझे अपने साथ लेकर बैठी थीं.
मैंने थोड़ी देर तक तो तमाशा देखा, पर बाद मैं मुझे नींद आने लगी तो मैं भाभी की जांघों पर सिर रखकर सो गया.
भाभी ने मेरे ऊपर चादर डाल दी. भाभी ने तब मैक्सी पहनी थी और पैर फैला कर बैठने की वजह से वे कुछ ऊपर को उठ गयी थीं.
जब मैं लेटा हुआ था तो मुझे एक अलग सी खुशबू आने लगी.
मैंने थोड़ी देर सोचा कि यह कैसी गंध है.
फिर मुझे समझ आया कि यह तो भाभी की चूत की खुशबू है.
मुझे उनकी चूत देखने की इच्छा होने लगी.
मैंने अपने सिर को बार बार हिलाया और उनकी मैक्सी को उनकी जांघों तक सरका ली.
अब उनकी नंगी चूत मेरे सामने आ गयी थी.
गांव में रहने के कारण भाभी पैंटी नहीं पहनती थीं.
जैसे ही उनकी चूत मेरे सामने आयी तो वह खुशबू और तेज होने लगी और मुझे भाभी को चोदने की इच्छा होने लगी.
थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के पास रख कर उंगली को उनकी चूत के छेद से लगा दिया.
एक दो पल रुकने के बाद मुझे अपनी उंगली पर उनकी चूत की तपिश को महसूस होने लगी.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनकी चूत पर उंगली रगड़ने लगा.
वह चूत पर हुए इस प्रहार से एकदम से हड़बड़ा सी गईं और उन्होंने मेरा हाथ हटा कर अपनी मैक्सी नीचे कर दी.
भाभी ने मुझे थोड़ा डांटा भी कि ये क्या कर रहे हो?
मैंने कुछ भी जवाब नहीं दिया; बस ऐसे पड़ा रहा जैसे मैं गहरी नींद में हूँ.
यह देख कर भाभी भी चुप हो गईं.
उसके बाद मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत में रगड़ने की बहुत कोशिश की पर भाभी ने अपनी चूत से उंगली टच नहीं होने दी.
अगले दिन सब लोग गांव से निकल गए और मुझे वहीं छोड़ दिया.
मेरी परीक्षाएं हो चुकी थीं और छुट्टियां चालू थीं तो अब घर मैं और भाभी ही थे.
उनका छोटा लड़का भी हमारे साथ था.
भाभी ने अपने बच्चे को दूध पिला कर सुला दिया और वे टीवी देखने बैठ गईं.
एक दिन पहले ही मैंने भैया और भाभी की चुदाई देखी थी.
उस दिन भाभी भैया से उन्हें और चोदने की कह रही थीं पर भैया का लंड खड़ा ही नहीं हुआ और भाभी अधूरी रह गईं.
इससे मुझे लगाने लगा था कि भाभी को चुदाई का मजा नहीं मिल रहा है तो वे मुझे सेक्स करने दे सकती हैं.
जब वे टीवी देख रही थीं, तो मैं अचानक से अपना तना हुआ लंड लेकर उनके सामने आ गया.
वे अचानक से उठीं और दरवाजा बंद कर लिया.
भाभी मुझे समझाने लगीं- ये सब गलत है, मैं तुम्हारी भाभी हूं.
पर मैं कहां कुछ मानने वाला था, मैंने कहा- भाभी, सिर्फ एक बार!
उन्होंने एक मिनट सोचा.
चूंकि भैया सरकारी दफ्तर में हैं और उन्हें काम से 3-4 दिन तक बाहर ही रहना पड़ता था.
वे भाभी की चूत प्यास भी नहीं बुझा पाते थे.
एक मिनट के बाद भाभी ने दरवाजा खोल कर बाहर झांका और फिर से दरवाजा बंद कर दिया.
उन्होंने अपने बच्चे के ऊपर चादर डाल दी और मुझसे बोलीं- बोलो क्या करना है?
अब इधर मुझे कुछ भी पता नहीं था कि किस तरह से शुरुआत करनी होती है.
मैंने कहा- मुझे तो बस चोदना है.
यह सुनकर भाभी मुस्कुराईं और बोलीं- ठीक है, आ जाओ चोद लो.
ये बोलकर वे लेट गईं.
अब मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे शुरू करूं.
भाभी बोलीं- क्या हुआ, नहीं आता है क्या?
मैंने गर्दन ना में हिलाई और कहा- कैसे करना है भाभी?
भाभी थोड़ी हंस दीं और उठ कर बैठ गईं.
उन्होंने मुझे करीब आने का इशारा किया.
मैं उनके करीब आ गया.
भाभी ने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और उसे सहलाया.
मेरा लंड भाभी का हाथ लगने से फड़कने लग गया.
उसमें जान आने लगी.
भाभी ने लौड़े को सहलाया और जीभ से लौड़े के सुपारे को चाटा.
उससे मुझको तो जैसे आग लग गई; लंड ने उठक बैठक शुरू कर दी.
वे भी अब लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
जैसे ही उनके मुँह में लंड गया तो मैं मदहोश हो गया.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे लेटने के लिए बोला तो मैं लेट गया.
वे अपनी मैक्सी उतारने लगीं.
मैं तो बस उन्हें देखता ही रहा.
उनकी चूचियां कुछ छोटी थीं पर गांड इतनी जबरदस्त दिख रही थी कि क्या कहूँ.
वे अपनी मैक्सी उतार कर नंगी हो गईं और वापस मेरे नजदीक आकर एक बार फिर से मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
फिर वे मेरी दोनों तरफ टांगें डाल कर नीचे को हो गईं.
एक हाथ मेरे सीने पर रखा और एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर उसे अपनी चूत के मुँह पर टिका दिया.
लंड चूत के मुँह से लगते ही वे एकदम से नीचे हो गईं तो मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया.
भाभी की आह्ह्ह्ह करके चीख निकल गयी क्योंकि मेरा लंड भैया के लंड से काफी बड़ा था और भाभी की चूत में अभी आधा ही घुसा था.
वे थोड़ी सी रुक गईं और अपने आपको ऊपर नीचे करने लगीं.
मेरा आधा लंड उनकी चूत की खाज को मिटाने लगीं.
भाभी 'अह्ह्ह ह्ह्ह्ह आई .' करने लगीं.
कुछ ही देर में भाभी एक बार झड़ चुकी थीं और लौड़े की झांट तक टेड़ी नहीं हुई थी.
वे समझ गईं कि मैं लंबी रेस का घोड़ा हूँ.
तब वे चित लेट गईं और कहने लगीं- मैं दो बार झड़ चुकी हूँ. अब तुम्हें जितना चोदना हो, तुम मुझे चोद लो.
मैं अब भाभी की दोनों तरफ अपने हाथ टिका कर उनकी चूत में लंड पेलने लगा.
उन्होंने भी अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ कर पूरा फैला लिया था.
भाभी का चुदाई का पोज देख कर मुझे एक देसी चुदाई की फिल्म की याद आ गई.
उसमें एक आंटी को एक युवा चोद रहा था और वे आंटी अपनी टांगों को ठीक इसी तरह से खोले हुई थीं, जैसे इस वक्त भाभी अपनी टांगें खोल कर चुदवा रही थीं.
कुछ 10-12 मिनट बाद मैं भी झड़ने को हो गया और मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में ही छोड़ दिया.
पर अभी तक भाभी नीचे से अपने छुटद उछाल कर मुझे चोद रही थीं, उन्हें पता भी नहीं चला कि मैं झड़ चुका हूं.
थोड़ी देर बाद जब नीचे की सारी जगह गीली हो गई और भाभी भी थक गईं . तो उन्होंने देखा कि मैं भी झड़ चुका हूं.
वे एकदम से खुश होकर उठीं और अन्दर जाकर कुमकुम लेकर आईं, बोली- देवर जी, मेरी मांग भर दीजिये और मुझे आज से अपनी पत्नी बना लीजिए.
मैं उनकी बात सुनकर तनिक अचकचा सा गया कि ये क्या बवाल हुआ . पर अगले ही पल मैंने उनकी मांग भर दी.
उसके बाद भाभी की दिनचर्या शुरू हो गई और मैं लेट गया.
उस दिन दोपहर से लेकर शाम तक मैंने पॉर्न वीडियो देखे.
चूंकि भैया आज घर नहीं आने वाले थे तो भाभी ने मुझसे कहा था- आज रात को हम दोनों सुहागरात मनाएंगे.
जैसे ही रात हुई तो हम दोनों ने खाना खा लिया और मैं थोड़ी देर बैठ कर टीवी देखने लगा.
तब तक भाभी अपने बिस्तर पर बैठ कर अपने बच्चे को बोतल से दूध पिला रही थीं.
मैं ये देख कर जरा चौंका कि आज भाभी अपने बच्चे को सीधे अपने चूचे से दूध न पिला कर बोतल से दूध क्यों पिला रही हैं?
लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा.
वे अपने बच्चे को सुलाने लगीं.
थोड़ी देर बाद भाभी ने मुझे आवाज दी और अन्दर बुलाया.
मैं अन्दर गया तो देखता ही रह गया.
भाभी लाल साड़ी मैं एकदम नयी दुल्हन की तरह दिख रही थीं.
मैं उनके पास गया तो उन्होंने मुझे दूध का ग्लास पकड़ा दिया.
मैंने दूध पी लिया पर उसका टेस्ट कुछ अलग सा लगा.
तो मैंने भाभी से कहा- ये दूध कुछ अलग सा लग रहा है, कहां से मंगाया है?
इस पर भाभी ने अपना ब्लाउज खोल दिया और इशारा कर दिया.
मैं समझ गया कि भाभी ने अपने मम्मों से दूध निकाल कर गिलास भर दिया है.
आज उन्होंने अपने बच्चे को बोतल से ऊपर का दूध पिलाया था और मुझे अपने चूचों का अमृत पिलाया है.
फिर उन्होंने हल्के से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया.
थोड़ी देर तक हम दोनों ने प्यार किया और एक दूसरे को गर्म किया.
बाद मैं भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
मैंने दोपहर मैं बहुत सारे आसन देखे थे, तो मैं तुरंत 69 की पोजीशन में आ गया और भाभी की चूत चाटने लगा.
भाभी को इस तरह से अपनी चूत चटवाने में बहुत अच्छा लगा.
वे और जोर से मेरे लंड को चूसने लगीं.
कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए.
थोड़ी देर फिर से चूमाचाटी करने के बाद हम दोनों सेक्स के लिए तैयार हो गए.
इस बार मैंने भाभी को घोड़ी बना लिया और कुतिया की तरह उनकी चूत को लौड़े के निशाने पर सैट कर लिया.
फिर उनके बाल पकडकर मैं डॉग शॉट मारने लगा.
भाभी को भी अब चुदाई में मजा आने लगा था.
उस रात भाभी को मैंने तीन बार चोदा और अलग अलग पोजीशनों में सेक्स किया.
मैंने उन्हें खड़े होकर भी चोदा.
भाभी चुदाई में इतनी ज्यादा थक गई थीं कि वे अपने होश में ही नहीं रही थीं.
चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही सो गए.
सुबह मैंने भाभी को एक बार फिर से चोदा.
मैं तीन महीने तक गांव में रहा था तो हर रोज देसी भाबी चुदाई करता रहा.
मैं हर बार अपना लंड का पानी भाबी की चूत में ही टपकाता रहा था.
बाद में मैं वापस आ गया.
कुछ दिन बाद खबर मिली कि भाबी के पैर भारी हो गए हैं.
जब मैं फिर से गांव गया तो भाभी ने बताया- मेरे पेट में तुम्हारा बीज पल रहा है और तुम ही इस बच्चे के बाप बनने वाले हो.
वे मुझसे चुद कर दुबारा से मां बनने वाली थीं.
समय पर उनको एक बेटा हुआ.
मैंने उनसे पूछा- भाभी, पहला बच्चा किसका है?
तो उन्होंने होंठ दबा कर हंस कर दिखा दिया.
मैं समझ गया कि पहला बच्चा भी किसी और ने उन्हें चोदकर दिया था.
अब मैं जब भी गांव जाता हूं तो हम दोनों को जैसे ही मौका मिलता था, हम तब सेक्स कर लेते हैं.
आपको मेरी देसी भाबी चुदाई कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
xxxdarling007@x
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रोशन है. मैं एक 22 साल युवक हूँ.
मैं महाराष्ट्र के अहमदनगर का रहने वाला हूं. मैं एक मध्यम वर्ग के परिवार से हूं और मराठी मानुष हूं.
और मैं सामान्य से बड़े मोटे लंड का मालिक हूं.
आज मैं अपनी बड़ी देसी भाबी चुदाई कहानी बताने जा रहा हूँ.
आप सभी औरतों और लड़कियों के लिए मेरी सलाह है कि आप सब अपनी अपनी पैंटी उतार कर अपनी चूत में उंगली डाल लें . और लड़के अपना लंड
पकड़ कर हिलाना शुरू कर दें.
यह सेक्स कहानी मेरे और मेरी बड़ी भाबी के बीच हुई चुदाई की है.
तब मैं 19 साल का हुआ ही था.
सेक्स के बारे में मुझे कुछ भी अनुभव नहीं था.
कभी कोई चूत चुदाई के लिए मिली ही नहीं थी.
उसी दौरान दोस्तों की संगत में रह कर मैंने पॉर्न वीडियो देखे थे और बगल वाले पड़ोसी की चुदाई भी देखी थी.
तो मुझे सेक्स के बारे में समझ आ गई थी और अब चुदाई करने की बड़ी इच्छा होने लगी थी.
उन दिनों हमारे पैतृक गांव में वार्षिक मेला लगा हुआ था तो हम सब लोग अपने गांव गए थे.
उधर मेरे बड़े भाई और भाभी रहते हैं.
मेरे भाई की शादी को लगभग 3 साल हो गए थे और उनको एक छोटा लड़का भी हो गया था.
महाराष्ट्र में 'तमाशा' नाम का कार्यक्रम होता है तो तब हम सब तमाशा देखने गए थे.
मैं तब छोटा ही था तो भाभी मुझे अपने साथ लेकर बैठी थीं.
मैंने थोड़ी देर तक तो तमाशा देखा, पर बाद मैं मुझे नींद आने लगी तो मैं भाभी की जांघों पर सिर रखकर सो गया.
भाभी ने मेरे ऊपर चादर डाल दी. भाभी ने तब मैक्सी पहनी थी और पैर फैला कर बैठने की वजह से वे कुछ ऊपर को उठ गयी थीं.
जब मैं लेटा हुआ था तो मुझे एक अलग सी खुशबू आने लगी.
मैंने थोड़ी देर सोचा कि यह कैसी गंध है.
फिर मुझे समझ आया कि यह तो भाभी की चूत की खुशबू है.
मुझे उनकी चूत देखने की इच्छा होने लगी.
मैंने अपने सिर को बार बार हिलाया और उनकी मैक्सी को उनकी जांघों तक सरका ली.
अब उनकी नंगी चूत मेरे सामने आ गयी थी.
गांव में रहने के कारण भाभी पैंटी नहीं पहनती थीं.
जैसे ही उनकी चूत मेरे सामने आयी तो वह खुशबू और तेज होने लगी और मुझे भाभी को चोदने की इच्छा होने लगी.
थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के पास रख कर उंगली को उनकी चूत के छेद से लगा दिया.
एक दो पल रुकने के बाद मुझे अपनी उंगली पर उनकी चूत की तपिश को महसूस होने लगी.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनकी चूत पर उंगली रगड़ने लगा.
वह चूत पर हुए इस प्रहार से एकदम से हड़बड़ा सी गईं और उन्होंने मेरा हाथ हटा कर अपनी मैक्सी नीचे कर दी.
भाभी ने मुझे थोड़ा डांटा भी कि ये क्या कर रहे हो?
मैंने कुछ भी जवाब नहीं दिया; बस ऐसे पड़ा रहा जैसे मैं गहरी नींद में हूँ.
यह देख कर भाभी भी चुप हो गईं.
उसके बाद मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत में रगड़ने की बहुत कोशिश की पर भाभी ने अपनी चूत से उंगली टच नहीं होने दी.
अगले दिन सब लोग गांव से निकल गए और मुझे वहीं छोड़ दिया.
मेरी परीक्षाएं हो चुकी थीं और छुट्टियां चालू थीं तो अब घर मैं और भाभी ही थे.
उनका छोटा लड़का भी हमारे साथ था.
भाभी ने अपने बच्चे को दूध पिला कर सुला दिया और वे टीवी देखने बैठ गईं.
एक दिन पहले ही मैंने भैया और भाभी की चुदाई देखी थी.
उस दिन भाभी भैया से उन्हें और चोदने की कह रही थीं पर भैया का लंड खड़ा ही नहीं हुआ और भाभी अधूरी रह गईं.
इससे मुझे लगाने लगा था कि भाभी को चुदाई का मजा नहीं मिल रहा है तो वे मुझे सेक्स करने दे सकती हैं.
जब वे टीवी देख रही थीं, तो मैं अचानक से अपना तना हुआ लंड लेकर उनके सामने आ गया.
वे अचानक से उठीं और दरवाजा बंद कर लिया.
भाभी मुझे समझाने लगीं- ये सब गलत है, मैं तुम्हारी भाभी हूं.
पर मैं कहां कुछ मानने वाला था, मैंने कहा- भाभी, सिर्फ एक बार!
उन्होंने एक मिनट सोचा.
चूंकि भैया सरकारी दफ्तर में हैं और उन्हें काम से 3-4 दिन तक बाहर ही रहना पड़ता था.
वे भाभी की चूत प्यास भी नहीं बुझा पाते थे.
एक मिनट के बाद भाभी ने दरवाजा खोल कर बाहर झांका और फिर से दरवाजा बंद कर दिया.
उन्होंने अपने बच्चे के ऊपर चादर डाल दी और मुझसे बोलीं- बोलो क्या करना है?
अब इधर मुझे कुछ भी पता नहीं था कि किस तरह से शुरुआत करनी होती है.
मैंने कहा- मुझे तो बस चोदना है.
यह सुनकर भाभी मुस्कुराईं और बोलीं- ठीक है, आ जाओ चोद लो.
ये बोलकर वे लेट गईं.
अब मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे शुरू करूं.
भाभी बोलीं- क्या हुआ, नहीं आता है क्या?
मैंने गर्दन ना में हिलाई और कहा- कैसे करना है भाभी?
भाभी थोड़ी हंस दीं और उठ कर बैठ गईं.
उन्होंने मुझे करीब आने का इशारा किया.
मैं उनके करीब आ गया.
भाभी ने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और उसे सहलाया.
मेरा लंड भाभी का हाथ लगने से फड़कने लग गया.
उसमें जान आने लगी.
भाभी ने लौड़े को सहलाया और जीभ से लौड़े के सुपारे को चाटा.
उससे मुझको तो जैसे आग लग गई; लंड ने उठक बैठक शुरू कर दी.
वे भी अब लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
जैसे ही उनके मुँह में लंड गया तो मैं मदहोश हो गया.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे लेटने के लिए बोला तो मैं लेट गया.
वे अपनी मैक्सी उतारने लगीं.
मैं तो बस उन्हें देखता ही रहा.
उनकी चूचियां कुछ छोटी थीं पर गांड इतनी जबरदस्त दिख रही थी कि क्या कहूँ.
वे अपनी मैक्सी उतार कर नंगी हो गईं और वापस मेरे नजदीक आकर एक बार फिर से मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
फिर वे मेरी दोनों तरफ टांगें डाल कर नीचे को हो गईं.
एक हाथ मेरे सीने पर रखा और एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर उसे अपनी चूत के मुँह पर टिका दिया.
लंड चूत के मुँह से लगते ही वे एकदम से नीचे हो गईं तो मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया.
भाभी की आह्ह्ह्ह करके चीख निकल गयी क्योंकि मेरा लंड भैया के लंड से काफी बड़ा था और भाभी की चूत में अभी आधा ही घुसा था.
वे थोड़ी सी रुक गईं और अपने आपको ऊपर नीचे करने लगीं.
मेरा आधा लंड उनकी चूत की खाज को मिटाने लगीं.
भाभी 'अह्ह्ह ह्ह्ह्ह आई .' करने लगीं.
कुछ ही देर में भाभी एक बार झड़ चुकी थीं और लौड़े की झांट तक टेड़ी नहीं हुई थी.
वे समझ गईं कि मैं लंबी रेस का घोड़ा हूँ.
तब वे चित लेट गईं और कहने लगीं- मैं दो बार झड़ चुकी हूँ. अब तुम्हें जितना चोदना हो, तुम मुझे चोद लो.
मैं अब भाभी की दोनों तरफ अपने हाथ टिका कर उनकी चूत में लंड पेलने लगा.
उन्होंने भी अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ कर पूरा फैला लिया था.
भाभी का चुदाई का पोज देख कर मुझे एक देसी चुदाई की फिल्म की याद आ गई.
उसमें एक आंटी को एक युवा चोद रहा था और वे आंटी अपनी टांगों को ठीक इसी तरह से खोले हुई थीं, जैसे इस वक्त भाभी अपनी टांगें खोल कर चुदवा रही थीं.
कुछ 10-12 मिनट बाद मैं भी झड़ने को हो गया और मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में ही छोड़ दिया.
पर अभी तक भाभी नीचे से अपने छुटद उछाल कर मुझे चोद रही थीं, उन्हें पता भी नहीं चला कि मैं झड़ चुका हूं.
थोड़ी देर बाद जब नीचे की सारी जगह गीली हो गई और भाभी भी थक गईं . तो उन्होंने देखा कि मैं भी झड़ चुका हूं.
वे एकदम से खुश होकर उठीं और अन्दर जाकर कुमकुम लेकर आईं, बोली- देवर जी, मेरी मांग भर दीजिये और मुझे आज से अपनी पत्नी बना लीजिए.
मैं उनकी बात सुनकर तनिक अचकचा सा गया कि ये क्या बवाल हुआ . पर अगले ही पल मैंने उनकी मांग भर दी.
उसके बाद भाभी की दिनचर्या शुरू हो गई और मैं लेट गया.
उस दिन दोपहर से लेकर शाम तक मैंने पॉर्न वीडियो देखे.
चूंकि भैया आज घर नहीं आने वाले थे तो भाभी ने मुझसे कहा था- आज रात को हम दोनों सुहागरात मनाएंगे.
जैसे ही रात हुई तो हम दोनों ने खाना खा लिया और मैं थोड़ी देर बैठ कर टीवी देखने लगा.
तब तक भाभी अपने बिस्तर पर बैठ कर अपने बच्चे को बोतल से दूध पिला रही थीं.
मैं ये देख कर जरा चौंका कि आज भाभी अपने बच्चे को सीधे अपने चूचे से दूध न पिला कर बोतल से दूध क्यों पिला रही हैं?
लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा.
वे अपने बच्चे को सुलाने लगीं.
थोड़ी देर बाद भाभी ने मुझे आवाज दी और अन्दर बुलाया.
मैं अन्दर गया तो देखता ही रह गया.
भाभी लाल साड़ी मैं एकदम नयी दुल्हन की तरह दिख रही थीं.
मैं उनके पास गया तो उन्होंने मुझे दूध का ग्लास पकड़ा दिया.
मैंने दूध पी लिया पर उसका टेस्ट कुछ अलग सा लगा.
तो मैंने भाभी से कहा- ये दूध कुछ अलग सा लग रहा है, कहां से मंगाया है?
इस पर भाभी ने अपना ब्लाउज खोल दिया और इशारा कर दिया.
मैं समझ गया कि भाभी ने अपने मम्मों से दूध निकाल कर गिलास भर दिया है.
आज उन्होंने अपने बच्चे को बोतल से ऊपर का दूध पिलाया था और मुझे अपने चूचों का अमृत पिलाया है.
फिर उन्होंने हल्के से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया.
थोड़ी देर तक हम दोनों ने प्यार किया और एक दूसरे को गर्म किया.
बाद मैं भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
मैंने दोपहर मैं बहुत सारे आसन देखे थे, तो मैं तुरंत 69 की पोजीशन में आ गया और भाभी की चूत चाटने लगा.
भाभी को इस तरह से अपनी चूत चटवाने में बहुत अच्छा लगा.
वे और जोर से मेरे लंड को चूसने लगीं.
कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए.
थोड़ी देर फिर से चूमाचाटी करने के बाद हम दोनों सेक्स के लिए तैयार हो गए.
इस बार मैंने भाभी को घोड़ी बना लिया और कुतिया की तरह उनकी चूत को लौड़े के निशाने पर सैट कर लिया.
फिर उनके बाल पकडकर मैं डॉग शॉट मारने लगा.
भाभी को भी अब चुदाई में मजा आने लगा था.
उस रात भाभी को मैंने तीन बार चोदा और अलग अलग पोजीशनों में सेक्स किया.
मैंने उन्हें खड़े होकर भी चोदा.
भाभी चुदाई में इतनी ज्यादा थक गई थीं कि वे अपने होश में ही नहीं रही थीं.
चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही सो गए.
सुबह मैंने भाभी को एक बार फिर से चोदा.
मैं तीन महीने तक गांव में रहा था तो हर रोज देसी भाबी चुदाई करता रहा.
मैं हर बार अपना लंड का पानी भाबी की चूत में ही टपकाता रहा था.
बाद में मैं वापस आ गया.
कुछ दिन बाद खबर मिली कि भाबी के पैर भारी हो गए हैं.
जब मैं फिर से गांव गया तो भाभी ने बताया- मेरे पेट में तुम्हारा बीज पल रहा है और तुम ही इस बच्चे के बाप बनने वाले हो.
वे मुझसे चुद कर दुबारा से मां बनने वाली थीं.
समय पर उनको एक बेटा हुआ.
मैंने उनसे पूछा- भाभी, पहला बच्चा किसका है?
तो उन्होंने होंठ दबा कर हंस कर दिखा दिया.
मैं समझ गया कि पहला बच्चा भी किसी और ने उन्हें चोदकर दिया था.
अब मैं जब भी गांव जाता हूं तो हम दोनों को जैसे ही मौका मिलता था, हम तब सेक्स कर लेते हैं.
आपको मेरी देसी भाबी चुदाई कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.
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