टेनिस कोच ने ट्रेनिंग से ज़्यादा मारा मेरा चुत

मैंने कहा- आंसू पौंछने वाला अगर कोई होता तो शायद जरूर रोती… सहारा देने वाला होता तो शायद ठोकर खाकर जरूर गिरती… कोई हाथ थामने वाला होता तो शायद जरूर बहकती… पर अफ़सोस ऐसा कोई नहीं है…!!!वो आंखें झुका के सब सुन ध्यान से रहा था.. खड़े होके मेरे पास आया..कन्धे पे हाथ रखके उसने मुझ से पूछा- क्या बात है?..सुबह सुबह शेर-ओ-शायरी ! क्या हुआ मेरी स्वीटी को…इतनी सेन्टी क्यूं हो?? किसी की याद आ गई क्या???मैंने उसे कहा- याद उसकी आती है जो दूर हो… कोई है जो सब कुछ देखके भी आंखें बंद कर लेता है, सुन कर भी अनसुना कर देता है। वो हर वक्त मेरे पास होता है…पर मेरे साथ नहीं होता… पर पता नहीं मैं भी उसके इतने ही करीब हूँ या नहीं …उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा .. कोई पागल ही होगा जो तुमसे प्यार करना नहीं चाहेगा .. तुम उसे कह के तो देखो शायद कुछ हो जाए ..मैंने कहा .. उसे कहने से कुछ फायदा नहीं उस बेदर्द में दिल ही नहीं है .. दिल होता तो शायद अब तक समझ जाता … (उसे अब तक पता नहीं चला था कि मैं उसी की बात कर रही थी .. इडियट कहीं का )उसने कहा .. और ऐसा भी तो हो सकता है कि वो सब कुछ समझता हो, जानता हो.. वो सब कुछ तुम्हारी आँखों में पढ़ लेता हो, पर शायद तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हो .. शायद उसे लगता हो कि अगर वो कहेगा तो कहीं तुम उसे मना न कर दो .. कहीं उसे ये डर न हो कि उसकी इगो हर्ट हो जायेगी … उसके शब्द सुन के मेरी आंखें भर आई .. क्यूंकि बस में जिसने मेरे दिल को इतनी चोट पहुंचाई .. क्या ये वरुण वही इन्सान था जो तब मुझसे इतने प्यार से बात कर रहा था …मैं उसे तब भी कुछ नहीं कह सकी. . बस उसकी आँखों में झांकती रही और कब आखों से आंसू छलक गए पता भी नहीं चला .. उसने कंधे से हाथ हटा के मेरे आंसू पौंछे और मेरे सर पर अपना हाथ रख दिया .. उसने कहा .. थोड़े आंसू बचा लो .. तुम लड़कियों के पास एक यही तो हथियार है … उसे बर्बाद मत ।करो .. और हाँ थोड़े इसीलिए बचा के रखा करो क्यूंकि ये अनमोल हैं. और मैं तुम्हे रोते हुए नहीं देख सकता …मुझे चुप कराने के बाद उसने कहा मैं मोर्निंग वाक् पे जा रहा हूँ, चलोगी ?.. थोडी फ्रेश भी हो जोगी .. और थोड़ा वार्म अप भी कर लोगी .. लेग्स की मस्सल्स भी खुल जाएँगी .. और तुम्हे खेलते वक्त दिक्कत भी नहीं होगी ..मुझे उसकी बात ठीक लगी और मैं उसके साथ ट्रैक सुइट पहन कर मोर्निंग वाक् पे चली गई।वापिस आकर हम दोनों फ्रेश हुए अपने स्पोर्ट्स ड्रेस पहने और अपने अपने बल्ले ले के नीचे हॉल मैं चले गए .. जहाँ सर नाश्ता कर रहे थे …हमारे पहुँचते ही सर ने कहा- अरे आ गए तुम दोनों .. वैरी गुड ! वरुण ने व्हाइट शोर्ट्स और टी -शर्ट पहनी थी .. और सर पे हेयर-बैंड था ताकि बाल खेलते वक्त उसकी आखों में ना आयें … मैंने चोटी बनाई थी .. एक व्हाइट टी -शर्ट और व्हाइट मिनी स्कर्ट पहनी थी ..हाँ इस बार वरुण ने मेरी स्कर्ट को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई .. क्यूंकि उसे मालूम था टेनिस में कभी कभी एक और से दूसरी और तेज़ और बड़े क़दमों से भागना पड़ता है .. जो कि लम्बी स्कर्ट में नहीं किया जा सकता ..हम दोनों तैयार थे। नाश्ते में हमने एक एक ग्लास ओरंज़ जूस और कुछ फल लिए ..और पहुँच गए गेम वेन्यु पर ..९ बजे खेल शुरू होना था .. हमारी प्रतिद्वंदी टीम चंडीगढ़ के स्कूल की थी। लड़की सुंदर थी (ज्यादातर सरदारनियाँ सुंदर होती हैं ) उसके नैन नक्श एक दम टिपिकल सरदारनियों जैसे थे और लड़का सरदार था। हमारा खेल शुरू हुआ, हम दोनों को शुरू में तालमेल की वजह से कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर ब्रेक में वरुण ने मुझे उसके साथ खेलने के कुछ टिप्स सिखाये और नेक्स्ट हाफ में हमने बहुत अच्छा किया और हम मैच जीत गए। १२ बजे खेल ख़तम हुआ। ये हमारा क्वाटर फाईनल था।इसके बाद हमें सेमी फाइनल में जयपुर के स्कूल की टीम के साथ खेलना था और वो मैच उसी दिन २ बजे होना था। मुकाबला कड़ा था। खेल शुरू होने से पहले हम दोनों ने एक दूसरे को बेस्ट ऑफ़ लक कहा और कड़ी मेहनत के बाद हम वो गेम ६ -४, ५ -४, ६ -५ से जीत गए। गेम ४.३० बजे ख़तम हुआ। निकलते समय मैंने दूसरी टीम की लड़की से हाथ मिलाया और वरुण ने लड़के से .. उसके बाद वरुण ने लड़की से मिलाया और मैंने लड़के से।सामने वाली टीम के लड़के ने मुझसे हाथ मिलते वक्त कहा कि मैं ये मैच जीत जाता अगर तुम न खेल रही होती, मेरा सारा ध्यान तो तुम्हारी टांगों पर था, सच कहूँ युअर लेग्स आर सो स्टन्निंग .. ये सुनने के बाद मैंने सीधा वरुण के चेहरे पे देखा, उसने बात सुनी थी पर उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, हाथ छुड़ाने पर मुझे अपने हाथ मैं एक पर्ची मिली, जो हाथ मिलाते वक्त उस लड़के ने मेरे हाथ पे रखी थी, उसपे लिखा था .. “७ बजे शाम को इसी मैदान की पार्किंग में मिलो.!!!!”हम सर के साथ वापिस होटल आ गए। उस वक्त ५ .३० बजे थे। सर हमारी बहुत तारीफ़ कर रहे थे, पर मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि अभी डेड़ घंटा बाकी है। हम दोनों कमरे में गए, और मैंने वो स्लिप मेज़ पे रख दी। पहले वरुण फ्रेश हो के बाहर आया, और मैं फ्रेश होने बाथ रूम में चली गई। मैं नहा ही रही थी, मुझे लगा कि कमरे का दरवाजा खुला है। मैंने वरुण को अंदर से ही आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नहीं मिला। जल्दी जल्दी में मैंने नहाना धोना ख़तम किया और कपड़े पहन के बाहर आई। ६.४५ हुए थे, मुझे पता था वरुण कहाँ गया है।मैं भी उसके पीछे पीछे चल दी। वहां पहुँच के मैंने सिर्फ़ इतना देखा कि वरुण पार्किंग से बाहर आ रहा है, मैं छुप गई और उसके जाने के बाद मैं पार्किंग में गई।

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