उसके बाद उसने एक और धक्का लगाया।
इस बार मुझे लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में चाकू डाल दिया हो। मैंने उससे कहा- आराम से..!
तो वो वहीं रुका रहा और वहीं धीरे-धीरे धक्का लगाता रहा और फिर उसने एक फिर जोरदार धक्का मारा और मैंने उसे पूरी ताकत से अपने से अलग करने की कोशिश की लेकिन उसने बड़ी ही मजबूती से मुझे पकड़ रखा था।
उसके बाद वो मेरे चूचे दबाने लगा और फिर मुझे थोड़ा आराम मिला।
उसने इस बार पूरा लंड बाहर निकाला और पूरी ताकत से अन्दर दे मारा। इस बार तो मुझे ऐसा लगा मानो अभी मुँह से बाहर निकल आएगा।
मैं रोने लगी और उससे बोलने लगी- प्लीज बाहर निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।’
तो उसने बताया- दर्द जितना होना था हो चुका है, मेरा पूरा लंड तुम्हारे अन्दर है।’
तब जाके मुझे थोड़ी सांत्वना मिली फिर वो मेरे दूधों को चूसने लगा और उन्हें दबाने लगा और उसके इस काम से मुझे मजा आने लगा।
अब मेरा दर्द भी थोड़ा कम होने लगा और मैंने अपने चूतड़ थोड़े उचकाए, वो समझ गया और उसने भी अपना लंड चलाना शुरू कर दिया।
लंड को बाहर निकलता, अन्दर डालता तो ‘अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ की आवाज मेरे मुँह से निकलती।
उसके ऐसा करने से मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
मैं उससे बोल रही थी- फाड़ दो.. फाड़ दो.. साली को फाड़ दो।’
मेरे मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं जिससे उसे दुगना जोश मिल रहा था।
मेरे मुँह से हर धक्के पर ‘अह्ह्ह्ह्ह् करते रहो’ निकलता और अब तो वो पूरा बाहर निकाल कर अन्दर डालने लगा।
मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ और उसके मुँह से गरम साँसें.. आह्ह.. बहुत मजा आ रहा था।
अब उसने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे कुतिया की तरह उल्टा कर दिया और पीछे से चोदने लगा और फिर से ‘ओह अह्ह्ह्ह प्लीज् करते रहो’
ऐसे ही धक्के लगाते हुए मेरे दूधों को भी मसलना शुरू कर दिया।
अब तो मन कर रहा था कि मेरे इन चूचों को कोई काट ले जाए.. रेलगाड़ी के नीचे रख दे.. टक्कर मार दे.. माल गाड़ी मेरे दूधों में..
मैं उससे कह रही थी- और मसलो..’
मेरे चूचे बहुत ही कड़े हो गए थे।
ऐसे ही करते हुऐ हमने एक बार फिर अपनी अवस्था बदली और इस बार अब वो मुझे पीछे से लेटे हुए चोद रहा था उसने मेरी टाँगें उठा रखी थी और धक्के पर धक्के मारे जा रहा था।
अब उसकी और मेरी सिस्कारियों से पूरा गुसलखाना गूंज रहा था। ऐसा लग रहा था मानो कोई इंजन का पिस्टन चल रहा हो और उसी तरह की आवाज भी आ रही थीं।
वो ऐसे ही धक्के पर धक्के मारने लगा और मैं नीचे से उसका साथ देती रही।
करीब 10 मिनट के बाद वो बोला- मैं गया।
उसने लंड बाहर निकाला और आगे से डालते हुए फिर से चोट मारने लगा और उसने अपनी रफ्तार तेज कर दी और वो झड़ने लगा और उसके साथ ही मैं भी झड़ने लगी।
इस दौरान में 2 बार पहले भी झड़ गई थी। उसके उस कामरस से मेरी चूत में ऐसा लगा मानो सूखी धरती पर बाढ़ आ गई हो।
वो ऐसे ही 5 मिनट मेरे ऊपर लेटा रहा और उसके बाद जब उसने अपना लंड बाहर निकाला तो ‘फच’ की आवाज हुई और फिर हम दोनों एक साथ नहाए।
उसने और मैंने दोनों ने एक-दूसरे को ‘थैंक्स’ बोला और फिर रात को 4 बार और चुदाई किया।
मेरी कहानी आपको कैसे लगी, मुझे मेल करें।