कॅरेक्टर्स
नाज़िया मेरी दीदी की सहेली जो मुंबई में रहती है उमर करीबन 25 य्र्स कद 5.5फ्ट
देखने में कोई पारी की तरह,हसीन चेहरा काले लंबे बाल बड़ी बड़ी ब्राउनिश आँखे. श्लवार कमीज़ में कसे हुए चुचिया जो तड़प रहे हो कबूतरो की त्राह आज़ाद होने के लिए अंदाज़े के हिसाब से 36की होगी, नीचे आते हुए हल्की ट्रॅन्स्परेंट कमीज़ से उसकी माखन सी नाभि किसी भी लौंदे की हालत खराब करने के लिए काफ़ी है और साथ देते हुए पतली कमर और बड़ी बड़ी चूतड़ जिसे देख पता लगता है बहुतो से मेहनत करवाने के बाद नसीब हुआ हो.
अमन (मैं). 24य्र्स इट कोंपने में जॉब करता हूँ मुंबई में ही. 5.7फ्ट हाइट आवरेज बदन औट 6इंच लंबा और 3.5मोटा हतियार जो गरम चुट्त की सैर करने के लिए तड़प रहा है..
प्ले: मेरी दीदी की शादी के लिए नाज़िया टाटा नगर जंक्षन जो झारखंड में है आई हुई थी..उस्दीन पहली बार उसे इतने ध्यान से देखा ल़हेंगे में कोई दुल्हन से कम नही लग रही थी हसीन चेहरा आँखो में काजल होतो पे लाल लिपस्टिक.. ब्लाउस में कसी चुचियो बाहर आने के लिए तड़प रही हो. कंधो से नीचे आते हुए दुपपते के पीछे से चोरी चोरी देखते उसकी नाभि जैसे कोई तीर की तरह मेरे दिल को चीरता हुआ निकल रहा हो साथ बड़ी बड़ी गंद जिसे ल़हेंगा अटका हुआ है उफ़फ्फ़ क्या मस्त गांद थी मॅन कर रहा था की बस अपने बबलू को अंदर ही सुला दूं आज रात भर उसकी वांड में… अगाल बगाल मेरे सारे दोस्तो की आँखे भी हवस की जानवर की तसराग ताड़ रही थी नाज़िया को…नाज़िया और बाकी लड़किया दुल्हन मेरी दीदी के अगाल बगल ही थी तो मैं बहाना कर उसके पास गया.
मे- कुछ च्चाईए आप.लोगो को बता दीजिएगा दीदी की तरफ नज़र थी पर दिल और दिमाग़ तो नाज़िया के उपर था उठते हुययए हाथ उसके हाथ से टकराया और अपनी नज़रे उसकी और करते हुयर् मुस्कान देते हुए पूछा नाज़िया दीदी कैसा लग रहा है आपको साधी में कोई कमी तो नही…अगर कुछ भी चाहज्ये हो तो ह्यूम बता दीजिएगा अपनी दोस्तो की और देखते हुए कहा..
नाज़िया- हल्की मुस्कान देते हुए जी बिकुल ह्यूम कुछ भी ज़रूरत होगी तो आफ़ि को बताएँगे आख़िर दुल्हन के भाई हो आप..
उसके चेहरे पे वो मुस्कान ग़ज़ब लग रहा था… मेरा दिमाग़ सुन्न पद गया और उसके होतो को देखने लगा तभी किसी ने कहा बारात आगाय और मैं होश में आया…
बस ऐसे ही वक़्त बीती ..पूरी रात बस नाज़िया को निहारते हुए और बाकी के काम करते हिए बीट गयइ…
दूसरे दिन दोपहर…
नाज़िया- आंटी(मा) जेया रही हूँ…समान लेकर टायर खड़ी थी..
मा- कान्हा जेया रही हो बेटी इतनी जल्दी रुक जाओ कुछ दिन…
मैं पीछे काम करते हुए नाज़ियो को चोरी चोरी देखे जेया रहा था… और मेरा बबलू पंत में उठने लगा था…
नाज़िया – आंटी कुछ काम है यान्हा ऑफीस का फिर कल ट्रेन है घर के लिए…
नाज़िया की नज़र मुझपे पड़ते ही मैं अपनी नज़र हताली..सयद उसे भनक लग गयी थी की मैं उसे देख रहा हूँ…तो उसने अपना एक हाथ कमर पे रख कर हल्के से मसालने लगी मम्मी से बात करते हुए और बीक्षह में मेरी और देख काट मज़े ले रही थी…मेरी भी हालत खराब होने लगी….
मा- बेटी कल तो अमन भी जाएगा साथ चली जाना..दोनो का साथ भी रहेगा और आज कल तो अकेली लड़की खुली तिज़ोरी की तसरह होती है… तो आज यन्हि रूको और जो काम है कार्लो…मा के फोर्स करने पर वो मान जाती..और फिर अपने मधक अंदाज़ में नीचे झुकते हुए समान उठाने के बहाने दुपट्टा नीचे गिरा देती जिससे उसके पूरे चुचियो का नज़ारा मिले मैं एक ताक देखे जेया रहा था और वो भी टीरची नज़रो से मज़े ले रही थी..उतने में
मा- बेटी क्या कर रही अमन रखड़ेगा तुनहारे कमरे में चली जाओ उसके साथ…
मे- झट से सारा कम कॉर्ड कर…नाज़िया के हातो से बाग लेने लगा और उसके हातो को सहला दिया उफफफफ्फ़ कितनी चिकनी है. मेरी दिल की धड़कने एकद्ूम से तेज़ होगआई… उपर उठते हुए हल्की मुस्कान देते हुए…चलिए दीदी आपके कमरे में अड्जस्ट कर देता हूँ… आँखो में देखते हुए कहा आपका समान और हासणे लगा..
उपर जाते वक़्त भी नाज़िया ने मौका पूरा फयडा उठाते हुए जुल्फे पीछे कर उपरी चुचियो का दर्शन देना सुरू कर दिया आहह इतने कसे हुए थे की आधे बाहर निकल आए और चलते वक़्त तो उपर नीचे हो रहे थे मैं देखे जेया रहा था तभी नाज़िया ने कहा मेरे पीछे आओ और सीडीयो में उसके पीछे जाने लगा ..तभी पहला कदम उपर रखते ही मेरी नज़र सीधे उसकी मस्त गाबड़ पे गयी आहह वाइट शलवार से हल्दी लाल पनटी की लिनिंग दिख रही थी देख कर जी मचल उठा… फिर तो उसने बाकियो के सेडिया चड़ते हुए जो नज़ारे दिखाए दिल कर रहा था साली को नोच कर रेप कार्दुन अभी सबके सामने पर माहॉल की नज़ाकत को दिमाग़ में रखते हुए उसकी मस्तानी गांद को देखते हुए डिल के साथ बबलू भी आग में सुलगने लगा ….और सोचने लगा आज तू मज़े ले कल साथ चलेगी पूरा सफ़र अपने घोड़े पे कार्ओौनगा..और तसल्ली देते हुए कमरे मेी गया…
मे- समान रखते हुए सामने खड़ा हुआ बबलू पूरा पंत में जागा हुआ ..पूछा दीदी शादी की रात मज़ा तो आया ना आपको…
नाज़िया- हन मज़ा बहुत आया पर अभी और भी मज़े करने बाकी है नज़रे नीचे देख रही थी (धीमे से कहा) कातीली मुस्कान उसके चेहरे पे सब कुछ बता र्ही थी उसके डिंमग में क्या चल रहा है…
मे- तो दीदी कल फिर साथ सफ़र करनी है…आचे से बात होगी हुमारी…कहते हुए निकल गया और सोचने लगा कल अपनी सुहग्रत होगी…
ऐसे ही वक़्त बीतते गया काम के चलते.. बीच बीच में हम दोनो की आँखे चार होती कभी अपने हुसान के जादू से मुझे घायल करती तो मैं अपने हतियार का ताव देते हुए उसे पानी पानी कर देता..
फिर तीसरे दिन शाम के वक़्त 8पीयेम हुमारी ट्रेन थी हुमारी सीट सूपर डेकुक्षे ज्ञानेस्वरी एक्सप्रेस में बुक की थी ताकि रात भर कोई परेशन ना कर सके…
रात के वक़्त हम स्टेशन पे आयर मैं नॉर्मल अपने शर्ट ओर पंत और नाज़िया पीछले दिन जैसी पीली टाइट शलवार कमीज़ में जिससे की उसके स्तानो और चूतादो का पूरा नज़ारा स्टेशन पे आते जाते सभी लोग ले रहे थे और मॅन ही मान गंदी गंदी गालिया दे रहे होंगे मैं उनके आँखो को डेक्ग कर सोचने लगा..करीबन 30मीं लाते से आई ट्रेन और हम अपने सामानो के साथ चाड़ने लगे नाज़िया दीदी आयेज चाड रही थी अपनी मस्तानी गांद को हिला कर ..साली कामिनी कोई चान्स नही छ्छोर्री अपने जिस्म की नुमाइश में लगता था उसे भी गंदी गालिया और कोँमनेट्स सुनने में मज़ा आता था उसके जिस्म के बारे में… ट्रेन में चड़ते वक़्त नाज़िया के जांगो के बीच हल्का सा दाग दिखा सयद उसकी मुनिया से अपना मूह खोल कर रस टपकाया होगा आख़िर इतनर सारे हतियार देख कर कोई भी चुट्त गीकी हो ही जाएगी जब उसे पता हो सारे लंड उसकी धहाज़्ज़िया उड़ाने को टायर है…वही हाल मेरा भी था पंत में फूला हुआ काले नाग की तरह फूँककर रहा था बस इंतेज़ार था की कब उसके बिल में जाने मिले… मैं अपना लंड रगड़ते हुए उपर चाड गया और सीट देखने लगा…. सीट मिल जाने पर कस्बीन का दरवाज़ा बाँध कुया और हम दोनो समान को सीट पर रख कर हल्की साँसे भरते हुए बैठ गये नाज़िया मेरे सामने वाली सीट पे बैठी थी…