सुहागरात में चुत का सील खोला

मैंने उनका मतलब समझते हुए उनके लंड की तेल से मालिश की और उन्होंने मेरी गांड के छेद में तेल डाल कर उंगली से छेद को तेल से तर कर दिया।

फिर वे अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए मेरे पीछे आए और मेरी गांड में लंड डालने लगे। जब गांड में लंड गया, तब तेल लगा लंड होने की वजह से वो मेरी गांड में तो चला गया.. पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था।

मैंने उनको मना करने की कोशिश की, पर वो नहीं मान रहे थे और उन्होंने मेरी गांड की चुदाई जारी रखी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था पर कुछ ही देर में मेरी गांड ने लंड से हार मान ली और मुझे मज़ा भी आने लगा था।

थोड़ी देर की गांड चुदाई के बाद उन्होंने अपने लंड का गर्मागर्म पानी मेरी गांड में डाल दिया और ऐसे मेरी पहली चुदाई पूरी हुई।

चुदाई के बाद हम दोनों बाथरूम में जा कर फ्रेश हो कर आए, फिर नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में सोने लगे। मैंने टाइम देखा तो पता चला कि रात के ढाई बज गए थे।

सुबह ही हम दोनों को जल्दी तैयार होना था.. इसलिए मैंने उनको उठाने की ट्राई की.. वो जागे तो, पर वो जागते ही मेरी चुदाई करने की कोशिश करने लगे।

मैं जैसे-तैसे उनसे बच कर बाथरूम में फ्रेश होने चली गई और फिर वो भी फ्रेश होकर रिश्तेदारों से मिलने में बिजी हो गए।

उस रात के बाद अगले दिन रिवाज के मुताबिक एक हफ्ते हम दोनों मेरे पापा के घर रुके थे.. इस लिए सुहागरात के बाद एक हफ्ते तक मुझे मेरे पति के लंड से दूर रहना पड़ा।

रीति रिवाजों के पूरा होने के बाद हम दोनों जम कर लंड चूत चुदाई करते हुए मजा लेने लगे थे।

फिर तो काम की वजह से वो मुझे टाइम नहीं दे पाते थे और इसका फायदा मेरे देवर ने उठा कर मेरी एक साल तक जम कर चुदाई की थी।

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