नेहा की शादी में अब बस दो दिन बचे थे और आज रात हम दोनों उसके ही रूम में मिलने वाले थे. आज दिन भर के इंतजार और तड़फ के बाद रात एक बजे के आस-पास जब सब लोग लगभग लगभग सो चुके थे. मैं दबे पांव नेहा के कमरे में पहुंच गया.
मैंने एक काले रंग की जीन्स, एक शर्ट जैसा कुर्ता पहन रखा था. मैं फिलहाल नए जमाने का दूल्हा लग रहा था. कमरे के अन्दर का अंधेरा देख कर मैं अचरज में पड़ गया. फिर भी मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया और एक नाईट बल्ब चालू कर दिया.
नेहा पलंग पर दुल्हन का जोड़ा पहन कर बैठी थी. मैं उसे देख कर आश्चर्यचकित होकर उसकी ओर बढ़ा … और पलंग पर जाकर उसके पास बैठ गया.
मैं- घूँघट उठाने की इजाजत है?
नेहा- अमित आज तुम्हें सब करने की इजाजत है, पर मेरी बात को ध्यान से सुनो. एक समय था, जब तुमने मुझे प्रपोज किया था और मैंने तुम्हें मना कर दिया था. उल्टा … तुम्हें इतना ज्यादा हर्ट किया था कि वो दर्द मुझे खुद भी महसूस हुआ था. आज उस बात के लिए मैं तुमसे माफी मांगती हूँ. मैं समझ नहीं पाई थी, पर सच्चाई ये है कि कहीं न कहीं मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. अमित मेरी एक मूर्खता के कारण में तुम्हारी जीवन संगिनी नहीं बन पाई.
नेहा की आवाज से लग रहा था कि वो इस समय रो रही थी. मैंने उसके घूंघट को उठाया, उसके आंसू पौंछे.
मैं उससे बोला- पुरानी सब बातें भूल जाओ. आज की इस रात को इतना खूबसूरत बना दो कि हम पूरी जिंदगी इसकी यादों में गुजार दें.
नेहा हर तरह से दुल्हन की तरह सजी-संवरी हुई थी. उसने भारी भरकम सुहाग का जोड़ा पहन रखा था.
वह बोली- अमित मैं अपनी ही बेवकूफी के कारण तुम्हारी दुल्हन नहीं बन पाई. पर आज मेरी नथ उतार कर मुझे अपनी बना लो.
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखते हुए उसे चुप करवाया और उसके सर से मांग टीका खोला. फिर प्यार से उसके सर पर किस किया. इसी तरह मैंने उसकी साड़ी खोल दी.
दोस्तों, मैंने इतनी लड़कियों को निपटाया था, पर आज नेहा का शादी का जोड़ा हटाते हुए मेरे हाथ कांप रहे थे.
अब हम दोनों के होंठ मिल गए थे और बहुत ही आनन्द के साथ हम एक दूसरे कर होंठों को चूसने लगे थे- मुऊऊऊआह … अह … पुच.
नेहा का पूरा शरीर कांप रहा था. उसने खींच कर मुझे अपने ऊपर कर लिया. मैंने भी उसके ऊपर आते ही उसे कस कर दबोच लिया.
मैंने नेहा के उरोजों पर अपने हाथ रख दिये और उन्हें मसलने लगा. साथ ही मैं उसके कान, माथे, गाल, गर्दन पर हल्के हल्के किस करने लगा.
नेहा- आह … अमित उह … जब से तू शादी में आया, तेरे अलावा मुझे कुछ नहीं दिख रहा है. सबसे पहले तुम एक काम करो, ये शादी का जोड़ा पहले खोल दो, फिर मुझे प्यार करो. यह खराब हो जाएगा तो मुसीबत हो जाएगी.
ये सुनकर मैं उसे एक बड़े से आईने वाली ड्रेसिंग टेबल के सामने ले गया. मैं उसको शीशे के सामने खड़ा करके उसके जोड़े के एक एक पिन को खोलता जाता. उसके शरीर का जो भी हिस्सा खुलता, मैं उस पर किस करता जाता. इसी क्रम में, मैंने उसके पेट, कमर नाभि, जांघों पर सब जगह किस कर दिया.
नीचे उसने एक डिजाइनर पिंक कलर की पेंटी और ब्रा पहनी हुई थी. जब उसने दर्पण में अपने आपको टू पीस में देखा, तो वो शर्मा कर मुझसे चिपक गई. उसकी ये लाज मुझे ऐसी लगी, जैसे वो अपने आपको मुझमें कहीं छुपा रही हो.
मैंने भी उसे अपनी बांहों की गिरफ्त में ले लिया. उसने भी मेरा कुर्ता, जीन्स खोलने में मेरी मदद की. हम फिर से बिस्तर पर आ गए. इस बार उसने मोर्चा संभाला और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठों को चूसने लगी. वो एक प्रेमिका की तरह मेरी गर्दन, होंठों, गाल और छाती पर किस करने लगी.
मैं सोच रहा था कि एक दुल्हन, जो दो दिन बाद किसी और की बांहों में होती, आज मेरी बांहों में थी. सबसे बड़ी बात, जिसे मैं दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ. ये वही लड़की थी.
इसके बाद मैंने उसके बालों के जूड़े को खोल दिया और उसे पलटा कर, उसके ऊपर आ गया. उसके ऊपर आते ही मैं पूरी शिद्दत से उसके होंठों को पीने लगा. मैंने उसकी टांगों को अपनी टाँगों से चौड़ी करके चुदाई की पोजीशन बना ली. अपने खड़े हो चुके लंड को चुत पर चड्डी के ऊपर से ही रगड़ने लगा.
लंड से चुत की रगड़ाई के कारण नेहा तड़फ उठी और सिसकारियां भरने लगी- शीईईईई उह आह ईईईउई … कितना गर्म है.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उसे महसूस करता रहा.
अब मैंने भी उसकी पीठ के नीचे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा की स्ट्रिप खोल दी और उसके अनछुए मम्मों को मसलने लगा. उसके दूध बहुत ही प्यारे थे, एकदम मक्खन की तरह मुलायम सफेद और उन पर दो छोटे छोटे अंगूर के साइज के निप्पल जड़े थे. उसके निप्पल कड़क हो गए थे … जिन्हें मैंने पकड़ कर मसल दिया.
निप्पलों को उमेठने से नेहा एकदम से चिहुंक उठी. मैंने नीचे उसकी चुत पर लंड घिसना जारी रखा और ऊपर मम्मों को मसलना भी चालू रखा. ऊपर और नीचे, मेरे लगातार मसलने के कारण उसके मम्मे और कड़क हो गए थे.
अब मैं उसके मम्मों के निप्पलों को अपनी जुबान से चाटने लगा और बीच-बीच में उन्हें दांतों से पकड़ कर खींच भी देता था.
नेहा एकदम से चुदासी हो गई थी. उसकी छटपटाहट अब चुदाई की मांग कर रही थी. अब तक मेरी भी उत्तेजना बढ़ गई थी. मैं बेरहमी से जोर-जोर से उसके मम्मों को दबाने लगा. नेहा बिल्कुल पगला गई थी.
वो- आह … अमित धीरे उह … तू इन पर निशान मत बना देना … उईईईईईई उह धीरे मेरे प्यारे अमित, मैं तेरी ही हूं.
एक टाइम पर तो नेहा इतनी उत्तेजित हो गई कि उसने मेरे होंठों को काट खाया … जिसके ग़ुस्से में, मैंने उसके मम्मों को इतनी जोर से मसला कि उसकी चीख निकलने वाली थी. जिसे मैंने अपने होंठों से लॉक करके वहीं घोंट दिया.
फिर मैं उससे बोला- मेरी नेहु … तैयार हो जा … अब नहीं रहा जाता. तेरे अन्दर घुस जाने दे मुझे …
नेहा- अमित मेरी जान, मैंने तो अपने आपको तुम्हें सौंप दिया है. हां, पर एक बात सुन लो … प्लीज़ आराम से करना, अपना समझ कर करना, वैसे मुझे तुझ पर पूरा यकीन है कि तू मुझे कोई तकलीफ नहीं होने देगा.
मैं- बेटू, डंडा अन्दर करूंगा … तो दर्द होगा ही, वो सहन तो तुझे करना ही पड़ेगा.
नेहा- हां हां सब सहन कर लूँगी, मेरा पति, जिसे मैं सही से जानती नहीं, वो भी तो मेरे टाँके तोड़ता ही. इससे अच्छा मेरा बचपन का साथी, जो मुझे इतना प्यार करता है, वही मुझे पहली बार भोगे.