शालू की मुलायम चुत में मेरा मोटा लुंड

और मैंने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालू भी मुझसे लिपट कर सिसक उठी- आईए ऊउइ उ अह अह अह धीरे आह आइना ! धीरे आह मेरे दूधु !

और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनों की ज़बाने मुँह के अंदर घुस पड़ी।

उसकी लम्बी चिकनी और गर्म ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गई। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनों की चीखें निकल पड़ी और हम दोनों झूम गईं और मेरी चूत रस से भर गई।

मैंने उसे अपने बदन से लिपटा लिया और उसकी चिकनी पीठ और नर्म-नर्म चूतड़ सहलाने लगी।

इस पर वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी। मैंने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आँखें नहीं खुल पा रही थी, बहुत हसीन लग रही थी शालू !

मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी, उसके गोल नर्म नर्म दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती।

मैंने उसको थोड़ा ऊपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी तो वो मस्ती में चिल्ला पड़ी- आईई माँ ! मर जाऊँगी मैं ! आह अह ओह ऊओफ़ अह आइना !
आह अह्ह हाँ ! ये ये ये भी किया था अश… अह कपिल ने ! शालू बोली।

और मैंने उसका पूरा का पूरा दूध अपने मुँह में ले लिया तो मज़ा आ गया। और शालू ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी- आ आ इए आइना ! धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री ! माँ ! धीरे से ! न आअह ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आह ! पूरा ! पूरा चूसो न ! ऊफ़ मेरा दूध आह ! आइना सची ऐईए ऐसे नहीं ! न काटो मत प्लीज ! उफ़ तुम तो अह कपिल से अच्छा चूसती हो ! आअह आराम से मेरी जान !

और वो मेरे दूध दबाने लगी- सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे आइना ! मुझे दो न प्लीज आइना !

तो मैंने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकने हो रहे थे।

मैंने जैसे ही दूसरा दूध मुँह में लेना चाहा वो सिसक उठी- आह आइना ! प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी प्यारी चूचियाँ ! कितनी मुलायम हैं !

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उइ सच्ची ? मैं उसकी चूचियाँ मसलने लगी तो मैंने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये। शालू मेरी चूचियाँ चूसने लगी !

और मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- अह आअह शालू ! आराम से मेरी जान ! आह ! और ! और क्या किया था कपिल ने बताओ न !

तो मेरे दूध पर से अपने चिकने गुलाबी होंठ हटाते हुए मुस्कुरा कर बोली- और कुछ नहीं करने दिया मैंने !तो मैंने पूछा- क्यों शालू ! दिल नहीं चाहा तुम्हारा।

वो मेरे ऊपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- आइना, सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैंने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका क्योंकि डर लग रहा था।

और मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गई मज़े में !

मेरा हाथ उसके चिकने मुलायम पेट पर आया और मैं उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी- आह शालू ! सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी ! मैं क्या करूं ! आह मेरे दूध आऐ ए माँ ! अह्ह ! धीरे ! ना ! इतनी ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध ! आह आह ओह ऊ ओफ़ शालू प्लीज नहीं ! आअह हन हां अन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है !

आइना ! मेरी जान, सच्ची कहां छुपा रखे थे ये प्यारे-प्यारे दूधु तूने ! तो मैं शरम से लाल हो गई उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हँस पड़ी- ऊऊउइ माँ आइना। तो मैंने उसके होंठ चूम लिये।

शालू !

हूम्म !

तुमने बताया नहीं कपिल और क्या कर रहा था या करना चाह रहा था?

तो वो शरमा कर मुस्कुराई- आइना ! वो तो !

हाँ बोलो ना शालू प्लीज !

तो शालू ने मेरा हाथ अपनी सलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली- वो तो इसे खोलने के मूड में था।

फिर शालू?

मैंने रोक दिया उसे !

क्यों शालू ? क्यों रोक दिया ? बेचारा कपिल !

शालू मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी- बड़ी आई कपिल वाली !

मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी- ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया?

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तो वो मुसकराई, मैंने कह दिया- ये सब अभी नहीं !

और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह शालू ! आराम से मेरी जान !

और मैंने उसकी सलवार खोल दी तो वो चौंक गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ! ये क्या कर रही हो आइना?

तो मैंने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये- मेरी शालू जान ! कपिल को नहीं तो मुझे तो दिखा दो !

वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी- हाय मेरी आइना ! कब से सोच रही थी मैं ! आह मेरी जान !

और एकदम से उसने मेरी सलवार भी खोल दी और उसका हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था।

मैं मज़े में चिल्ला पड़ी- ऊऊउइ शा..आ..लू !! ना..आ.. हाय !!

वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी, मैं मचल रही थी- नहीं शालू ! प्लीज मत करो ! आ..इ..ए ऊ..ऊ..ओ..फ़ ना..आ..ही ना ! ओह मैं क्या करूँ !

और उसने एकदम से मेरी जलती हुई चूत पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी- हाय रे ! आह ! ये क्या कर दिया शालू !

मुझे कुछ होश नहीं था, उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी, दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुँह में हलचल मचा रही थी।

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है। मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गई।

उसकी सलवार भी उतर चुकी थी, अब हम दोनों बिल्कुल नंगी थी और बिस्तर पर मचल रही थी- आह आइना ऊ..ओफ़ सच्ची, बहुत गरम चूत है ! उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत ! सच्ची बहुत तरसी हूँ इस प्यारी चूत के लिये मैं ! दे दो न प्लीज आइना ये हसीन छोटी सी चूत मुझे !

हाय शालू ! मैं जल रही हूँ ! प्लीज ! आह ! मैं क्या करूँ !

मेरा पूरा जिस्म सुलग रहा था और मैंने शालू के नरम-गरम चूतड़ खूब दबाए और जब एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी- ऊ..ऊ..उइ नी..ईइ..ना कर !

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