घर मे शादीशुदाऔंती की कुवारि बुर

तुम घर चले जाओ ! अंकल ने अपना बिस्तर खेत में ही लगाते हुए बोले।

ठीक है ! कहकर मैं घर वापस आ गया।

घर में जब मैं आया तो देखा कि रम्भा घर के दरवाजे पर मेरे इंतजार में खड़ी थी। मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया।

ओह! मेरी जान ! रम्भा रानी ! तू तो बड़ी कयामत ढा रही है ! क्या तुमने ब्रा और पैंटी पहनी है।
नहीं तुमने ही तो कहा था कि न पहनो तो मैंने न पहनी।
हां तो मैं सबसे पहले तुम्हारे चूतड़ों को चूसूंगा ! चलो अन्दर बेडरूम में चलो।

हम बेडरूम में आ गये तो मैंने उसे सिंगारदार के सामने खड़ा कर दिया जिसमें कि एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था। अब मैंने उससे कहा- अब पीछे मुड़ कर अपनी साड़ी को अपने हाथों से ऊपर उठा कर अपने चूतड़ दिखाओ।

वह चहकती हुई पीछे को घूमी और साड़ी को ऊपर उठा कर अपने चूतड़ों को दिखाने लगी कि देखो बढ़िया हैं ना?

हां बहुत बढ़िया हैं ! मैंने कहा और जाकर उसके चूतड़ों को चाटने लगा। 2 मिनट बाद मैंने उसके हाथों को हटा दिया जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई।

अब मैंने उसे आगे से बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वाह ! क्या मदमस्त होंठ थे, उससे भी ज्यादा मदमस्त उसकी अदायें थी ! जितनी जोर से मैं उसके होंठों को चूसता उससे भी ज्यादा जोर से वो मेरे होठों को चूस रही थी। कुछ देर के बाद मैंने कहा- मेरी रम्भा रानी, अब तो मैं तुझे चोदकर वो मजा दूंगा कि तू सारी जिन्दगी याद रखेगी।

इतना कह कर मैं उससे लिपट गया और बिस्तर पर ले जाकर उसके होठों और गालों चूमने चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसकी चूचियों को ऊपर से ही दबा रहा था। उसके मुंह से मस्त सिसकारियां निकल रही थीं। अब मैंने अपना चेहरा नीचे किया और कहा- रम्भा ! अब इस ब्लाउज को निकालने में मेरी मदद करो।

वो बोली- मदद क्या करना ! मैं ही निकाले दे रही हूँ।

उसने ब्लाउज को ऊपर से पकड़ा और एक ही झटके में खींच डाला। चूंकि ब्लाउज में चुटपिटी लगी हुईं थी इसलिए तुरन्त ही फाटक खुल गया और मेरे आंखे फटी की फटी रह गईं। इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां गोल-गोल जैसे कि हिमालय पर्वत हों। वह लेटी थी लेकिन क्या मजाल कि जरा सा भी ढलकाव आया हो।

मैं उसकी चूचियों पर पिल पड़ा और खूब मरोड़-मरोड़ कर चूसा। चूचियां चूसते हुए मैं एक हाथ उसकी चूत पर भी फिरा रहा था। जिससे कि वह और भी गर्म हो गई थी। वह खूब तेजी से चिल्ला रही थी- चूसो और तेजी से चूसो ! आज भुर्ता ही बना दो इन चूचियों का।

कुछ देर बाद मैंने कहा- अब साड़ी और पेटीकोट को निकाल दो !

तो वह तुनककर उठ खड़ी हुई, बिस्तर के ऊपर खड़ी हो कर गुस्से भरी नजरों से मेरी तरफ देखा और कहा- तुम तो यह सब कपड़े पहने हो और मुझसे कह रहे हो कि निकालो। अब जब तुम पहले निकालोगे तभी मैं निकालूंगी।

मैंने उससे कहा- खुद ही मेरे कपड़े निकाल दो।

बस फिर क्या था- वह चहकती हुई आई और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, अंडरवियर भी नहीं छोड़ा। जैसे ही उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसकी आश्चर्ययुक्त व खुशी मिश्रित चीख निकल गई- अरे ! इतना बड़ा और मोटा लण्ड।

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‘क्यों? क्या हुआ?’ अपने लण्ड को बिना हाथों के ही हिलाते हुए मैं बोला।
वह बोली- तुम्हारे अंकल का लण्ड तो 3 इंच लम्बा है और आधा इंच ही मोटा !

खैर कोई बात नहीं ! मैं बोल पड़ा- अब मैं तुम्हें मजा दूंगा, लो छू कर देखो ! उसने किलकारी निकालकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी।

मैं अचानक पीछे हटा और कहा- अब तुम कपड़े पहने हो तो नहीं खेलने दूंगा।

बस फिर क्या था मेरे कुछ भी करने से पहले ही उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये। चूंकि कमरे में भरपूर प्रकाश था इसलिए उसकी बुर बिना झांटों की साफ चमक रही थी।

लेकिन वह तुरन्त ही आई और मेरे लण्ड से खेलने लगी।
मैंने उससे कहा- यह सब लेट कर करें?

वह तुरन्त मान गई और हम लेट गये। वह मेरे लण्ड से खेलते खेलते ही चूमने लगी और चूमते हुए ही चूसने लगी। मैं अब तक बहुत उत्तेजित हो चुका था सो मैंने उससे कहा- अब हम 69 की पोजीशन में आ जायें ! मैं तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ।

अब हम 69 की पोजीशन में थे। वाह ! क्या बुर थी उसकी बिना झांटो के छोटी सी गुलाबी ! मैं बेतहाशा उसको चूसने लगा। कभी मैं जीभ ऊपर करता तो कभी नीचे कभी गोल-गोल घुमाता तो कभी बुर के अन्दर घुसेड़ देता। मैं उसके दाने को जोर-जोर से चूस रहा था सो मैं और वह कन्ट्रोल नहीं रख पाये और हम दोनों ही एक दूसरे के मुंह में झड़ गये। मैंने उसका और उसने मेरा सारा रस पी लिया।

फिर हम सीधे लेट गये और मैं उसकी जांघों पर अपनी एक टांग रखकर और एक हाथ से उसकी एक चूची दबाकर पूछने लगा- क्या अंकल तुमको नहीं चोदते हैं?

वह बोली- अब तक उन्होंने मुझे 10-15 बार ही चोदा है किन्तु उनकी छोटी सी लूली क्या करेगी ! और मैंने अपनी सहेलियों से सुना है कि पहली बार चोदने पर खून भी निकलता है लेकिन मेरे तो नहीं निकला !

मैं समझ गया कि यह अभी कुवांरी ही है ! मैंने उसे बताया कि तुम अभी कुवांरी ही हो ! छोटा सा लण्ड कुछ भी नहीं कर पाया है। अब देखो कि मैं तुमको कैसे चोदता हूँ। तुम अपनी जांघें फैला लो !

मैंने नीचे तकिया लगा दिया जिससे कि उसकी चूत पूरी खुल गई। अब मैं उसके बीच में आ गया और लण्ड को उसके दाने पर रगड़ने लगा। वह चिल्ला पड़ी कि अब सब्र नहीं होता है खोंस दो।

मैंने उससे कहा- तुम मुंह में कपड़ा खोंस लो जिससे कि आवाज नहीं निकलेगी।
तो वह बोली- क्या दर्द होगा?
मैंने कहा- थोड़ा सा होगा ! फिर बहुत मजा आयेगा।

उसने तुरन्त ही कपड़ा खोंस लिया। अब तक उसकी बुर खूब चिकनी हो गई थी। सो मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका दिया।
इतनी जोरदार कि मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी बुर में घुस गया। वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी और पूरा जोर लगा कर मुझे बाहर की तरफ ढकेल रही थी लेकिन मैंने उससे कहा- जोर से बिस्तर को पकड़ लो और मैंने लण्ड बाहर की तरफ खींचा और फिर पुनः अन्दर को खोंस दिया। अगर उसके मुंह में कपड़ा नहीं होता तो फिर आधे गांव में उसकी चीख साफ सुनी जा सकती थी।

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लगातार 5 मिनट तक मैं उसकी बुर की चुदाई करता रहा और वह तड़पती रही। 5 मिनट के बाद मैं रूका और लण्ड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची दबाते हुए उसके मुंह से कपड़ा निकाला। उसने एक हिचकी ली और रोते हुए बोली- भला ऐसी कहीं चुदाई की जाती है कि मेरी बुर का भुर्ता ही बन जाए।

मैंने कहा- अब दर्द तो खत्म हो गया है अब तो सिर्फ मजा ही आयेगा।

तना कह कर मैं पुनः उठा और उसकी बुर को धीरे-धीरे चोदने लगा। अब वह चिल्ला रही थी कि स्पीड तेज करो और तेज ! उसके मुंह से मदमस्त सिसकारियां निकल रही थी और अपनी उंगली से बुर को रगड़ रही थी।

15 मिनट तक मैं उसको चोदता रहा। इस दौरान वह दो बार झड़ी।

फिर मैंने कहा- अब तुम मेरे उपर आ जाओ और मुझे चोदो !

जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो उसकी बुर से खून और बुर-रस निकल रहा था तो मैंने उससे कहा- देखो यह तुम्हारी कुवांरी बुर की निशानी है ! और अपना लण्ड उसकी आंखो के सामने कर दिया तो वह शरमा गई। अब वह मेरे उपर थी और जोरदार तरीके से उछल रही थी। कभी मैं उसको रोक कर जोरजोर धक्के लगाने लगता तो कभी वह मुझे रोककर उछलने लगती।

10 मिनट के बाद वह झड़ गई तो धक्के लगाना बंद कर दिया और बोली- अब मैं थक गई हूँ !

लेकिन चूंकि मेरे लण्ड से एक बार माल चूसते समय पहले ही निकल गया था इसलिए मैं झड़ा नहीं था। सो मैंने उसे नीचे लिटाया और जोर-जोर से चोदने लगा। 5 मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो उससे कहा- मैं अपना माल कहां पर छोड़ूं?

तो उसने कहा- बुर में ही छोड़ दो ! मुंह में तो एक बार ले ही चुकी हूँ।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अचानक रम्भा के शरीर को झटके लगने लगे मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। जब मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी तो मैंने अपने लण्ड को जड़ तक अन्दर खोंस देता और बाहर खींचता लेकिन सुपाड़ा अन्दर ही रहने देता। मैं यही क्रिया बार-बार दोहरा रहा था। जब हम दोनों पूरे झड़ गये तो मैंने एक करारा धक्का लगा कर अपना लंड पूरा अंदर पेल दिया और रम्भा के ऊपर लेट गया और कहा- कैसा लगा?

उसने कहा- मेरे राजा आज मुझे इतना मजा आया है कि आज तक कभी भी नहीं आया होगा !
तो मैंने कहा- तो चलो इसी बात पर एक रसभरा चुंबन हो जाय !

रम्भा ने मेरे होंठो को चूम लिया और बोली- अब मैं बहुत थक गई हूँ चुपचाप सो जाओ। अब कल चोदेंगे।
गुड नाइट!

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