घर मे शादीशुदाऔंती की कुवारि बुर

मैंने दरवाजे को बंद किया लेकिन जंजीर नहीं लगाई और अंदर आ गया।

अब मैं अपनी आंटी के जिस्म का बायोडाटा बताता हूँ। मेरी आंटी 25 साल की जवान लड़की हैं औरत इसलिए नहीं कह रहा कि मुझे तो बाद में मालूम हुआ कि आंटी की बुर की सील ही अभी नहीं टूट पाई थी ! नुकीली चूचियां, उनके बूब्स 36 के हैं कमर 28 चूतड़ 34 के साइज के हैं।

उनका चेहरा ऐसा लगता है जैसे कि मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो ! होंठ ऐसे जैसे कि अभी खून पीकर आई हों ! लम्बी सुराहीदार गर्दन ! भारी गोल चूचियां, पतली कमर बाहर को निकले हुए हाहाकारी चूतड़ ! केले के तने जैसी चिकनी जांघे लम्बी टांगें ! वाह! वाह! उनमें ऐसा सब कुछ था कि किसी का भी ईमान डोल जाए और फिर मेरी तो बल्ले-बल्ले थी, वो आसानी से मेरी गोद में जो आ गिरी थी।
जबकि इसके विपरीत मेरे अंकल 40 साल की उम्र पर पहुंच गये थे। अब अंकल का बायोडाटा बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि पाठक खुद ही अंदाजा लगा लेंगे कि 40 साल का गांव का आदमी कैसा लगता होगा।

अब आता हूँ कहानी पर।

मैं सीधा रसोईघर में गया और बोला- आंटी ! अभी अंकल आते तो दिख नहीं रहे हैं !

तो आंटी बोली- दुकान दूर है और भीड़ भी लगी रहती है, इसलिए देर लग रही है। क्या तुम्हें कुछ ज्यादा ही भूख लगी है? अगर ज्यादा लगी हो तो बताओ कि क्या खाओगे।

मैंने कहा- आंटी, मैं तो इसलिए कह रहा था कि यदि अंकल देर से आयें तो मैं आपको चूम-चाट तो सकूं।
तब आंटी खिलखिलाकर हंस पडीं और बोली- इसीलिए रसोई में आ गये हो?
तो मैंने कहा- आपको यदि बुरा लगा हो तो मैं चला जाता हूँ।

आंटी बोल पड़ी- तुम जो चाहते हो वो करो, मैं बुरा नहीं मानूंगी और तुम मुझे आंटी नहीं रम्भा कहोगे।

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मैंने कहा- ठीक है, मेरी रम्भा रानी ! तुम पीछे घूमकर चाय बनाओ तब तक मैं तुम्हारी गांड को देखता हूँ ! इससे चाय भी बनती रहेगी और मैं तुम्हारी गांड को देखता रहूँगा।

तब रम्भा पीछे को घूमी और मैं उसके चूतड़ों पर साड़ी के ऊपर से हाथ फेरने लगा। मैं जोर-जोर से उसके चूतड़ों को सहला रहा था और रम्भा सिसकारियां भर रही थी। हाथ फेरते हुए मैं उसकी साड़ी को ऊपर को सरका रहा था जिससे कि मुझे उसकी टांगें नजर आ रही थीं। मेरा लण्ड पैंट में खड़ाहोने लगा था जिससे कि मेरी लण्ड वाली जगह फूल गई थी। मेरा जी चाहा कि मैं रम्भा की साड़ी को ऊपर उठा दूं जिससे की उसकी मस्त गांड का नजारा तो देख सकूं।

मैंने साड़ी को ऊपर उठाना जारी रखा। ज्यों-ज्यों साड़ी ऊपर उठ रही थी मुझे उसकी जांघे दिखने लगीं। वाह क्या शानदार नजारा था ! क्या मस्त चिकनी जांघे थी। मैं नीचे बैठ गया और उसको चूमने लगा। चूमते-चूमते मैं रम्भा की गांड को भी देख रहा था। अब मैं सोच रहा था कि चूतड़ों को चाटूं कि अचानक मेरी छठेन्द्रिय ने मुझे खतरे का आभास कराया।

मैं तुरन्त ही उठ गया और बोला- रम्भा मुझे लगता है कि अंकल आ रहे हैं, तुम चाय बनाओ मैं बाहर जाता हूँ। और हां आज रात को ब्रा और पैंटी नहीं पहनना।

मैंने उससे कहा तो उसने प्रत्युत्तर में मुस्कुराकर आंख मार दी। मैं निहाल हो उठा और मैंने उसको पीछे से बांहों में भरकर चूचियां दबा दीं और बाहर को भाग गया। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि अंकल दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ा चुके थे।
मैं बोला- अंकल आप आ गये।
हां आ तो गया हूँ लेकिन तुम जा कहां रहे थे।

मैं बोला- आपने बहुत देर कर दी थी तो मैं बाहर आपको देखने जा रहा था कि देर क्यों लग रही है ! अब चलो।

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जैसे ही हम अन्दर पहुंचे तो देखा कि रम्भा चाय लेकर रसोई से निकल रही थी।
ओह ! ” आप इतनी देर से आये हैं चाय तो बन गई है और आप अब आ रहे हैं !” रम्भा ने कहा।
”हां ! वहां दुकान पर भीड़ थी ना ! इसीलिए देर हो गई है !” अंकल ने कहा।

खैर, कोई बात नहीं ! चाय पियो ! रम्भा ने पैकट ले लिया और रसोईघर से प्लेट में नमकीन और बिस्कुट इत्यादि ले कर बाहर आ गई।

चाय पीने के बाद मैंने कहा- अंकल, मुझे आपका खेत देखना है, क्या बोया है खेत में?

”भुट्‌टा !” अंकल ने कहा।

बस मेरे दिमाग में एक योजना घुस गई।
अंकल आप खेत की रखवाली खुद करते हैं या फिर किसी और से करवाते हैं?
नहीं, तेरे अंकल खुद ही रखवाली करते हैं ! अंकल के बोलने से पहले ही रम्भा बोल पड़ी।

शाम का खाना खाकर मैं बोला- चलो अंकल मुझे अपना खेत दिखाओ चलकर ! शाम होने वाली है इसलिए जल्दी चलो, फिर वापस भी तो आना है।

हां आना तो है लेकिन यह कोई जरूरी नहीं कि मैं भी वापस आऊं ! अंकल बोले।
क्यों?

रम्भा बोली- यहां पर दूसरों के जानवर खेत चर जाते हैं, इसलिए तेरे अंकल ज्यादातर खेत में ही सोते हैं।

फिर हम खेत में चले गये। जब हम खेत में पहुंचे तो अंकल बोले- तुम खेत घूमो ! मैं टट्‌टी फिर कर आता हूँ।

एक जगह पर मुझे तरीका सूझ गया और मैंने कुछ पौधों को इस अंदाज में तोड़-मरोड़ दिया जैसे कि उसको किसी जानवर ने खा लिया हो। जब अंकल के साथ मैं खेत देख रहा था तो अंकल उस स्थान पर पहुंच कर बोले- आज यहीं पर सोऊंगा ! लगता है कि किसी जानवर ने इसे चर लिया है।

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