शादी मे जाके ड्यूवर से चुड़वके आई

दस मिनट बाद मैंने उनकी चूत में गरम-गरम रस डाल दिया और इस दौरान वो भी दोबारा झड गई थीं। मेरा लंड अभी तक उनकी चूत के अन्दर था, थोड़ी देर बाद हम अलग हुए।
मैंने कहा- भाभी मन नहीं भरा है..!
वो बोलीं- तो करते रहो।
मैंने कहा- पहले तुम्हें इस लंड महाराज की सेवा करनी होगी..!
उसने उसे हाथ में लेकर सहलाना चालू किया। मैं उसके स्तन के निप्पल को मसलने लगा। उनके निप्पल भी अब टाइट होने लगे थे। उन्होंने मेरे लंड को चूमा फिर मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था। मैं भी बोल रहा था, “भाभी आज इसे पूरा पी लो और जोर से चूस… पूरी जीभ से चाट.. खा लो न.. खूब जोर से लो प्लीज..!”
वो भी “उम्म्मम्म” करके लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी। उसने अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड साफ कर दिया और उसे वापस ‘फ्रेश-बनाना’ की तरह कर दिया और चूस-चूस कर अब उसने मेरा लंड गरम लोहे की तरह बना दिया। मैं उसके और उसके स्तनों से खेल रहा था। वो भी अब कड़क हो गई थी।
“अब तुमको फिर मज़ा देता हूँ..! और उससे बोला- अब मैं तुम्हें डॉगी-स्टाइल में चोदूँगा।
वो बोलीं- कैसे?
मैंने कहा- अरे पागल आज तक ऐसे नहीं करवाया तो क्या मस्ती मिली रे.., रोज नए-नए स्टाइल से चोदने का आनन्द लेना चाहिए मेरी जान..!
शीला भाभी बोलीं- तो करो… नए-नए स्टाइल से आज मेरे ऊपर.. देखूं तो सही..!
मैंने उसे उसके दोनों हाथ को साइड में रखी टेबल पर जमा दिए और बोला- अब थोड़ा झुक जाओ।
फिर मैंने उन्हें डॉगी-स्टाइल में खड़ा कर दिया और पीछे से उनके दोनों स्तन को पकड़कर मसल डाला और अपना लंड उनकी दोनों जाँघों के बीच में डालकर अपने लंड को उनकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और उसे गर्म किया।
फिर मैंने अपना पूरा लंड एक ही झटके में अन्दर डाल दिया और मेरे हाथ उनके स्तन को मसल रहे थे, निप्पलों को पकड़ कर खींच रहा था.. मसल रहा था..।
इस स्टाइल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मज़ा आ रहा था कि वो “अह्ह्ह्ह” करती जा रही थीं, “करते रहिए रुकिए नहीं..!”
अब मेरा लंड उनकी चूत में स्क्रू की तरह चला गया था और फिट हो गया था, इससे उन्हें बहुत अधिक उत्तेजना हो रही थी।
मुझे भी जबरदस्त आनन्द आ रहा था।

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अचानक उसने पूरा लंड बाहर निकाल कर पूरा का पूरा एक झटके से मेरी गांड में डाल दिया, तो एकदम से मेरा मूत ही निकल गया। हम दोनों ही जोर-जोर से हंसने लगे। चुदाई के बाद मैं शर्माने जैसा नाटक कर के शिशिर से बोली- मुझे अब बहुत शर्म आ रही है.. मैं न.. कितनी गन्दी हूँ… मैं कितनी बेशरम हो गई थी और तुमने भी आज मुझे कितना रगड़ा है।
तो शिशिर बोला- नहीं भाभी, आप बहुत अच्छी हैं और मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ और शरमाओ मत.. ये सब नेचुरल हैई
शिशिर बहुत खुश था। उसने मुझे हर तरह से रगड़ा था, मैं भी खुश थी कि मेरे तीनों छेद खूब भरे थी.. खूब अच्छे से चुदाई हुई थी।
भरपूर चुदाई के आनन्द के बाद हमने सोचा कि अब वापस चलना चाहिए तो दोनों ने कपड़े पहने और एक-दूसरे को खूब प्यार किया और वादा किया कि हम फिर मौक़ा मिलते ही इस सब को फिर से करेंगे और बार-बार करेंगे।
अब जब भी मेरे पति बाहर जाते हैं, शिशिर चोदने की जिद करता है। मैं भी कभी-कभी उसे मौक़ा देती हूँ, पर बाकी मेरे ढेरों और यार भी तो हैं… उनको भी तो अवसर देना होता है न…!
खैर आप आइएगा.. आपको भी निराश नहीं करूंगी। Antarvasna

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