ऐसे ही पागलों की तरह चिल्लाते हुए वो झड़ने लगी. झड़कर वो शांत हो गई.
अब मैंने उसकी गांड में उंगली डाली और आगे पीछे करके देखी.
उसकी गांड तेल से पूरी लबालब थी.
मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड को रखा और उसकी गांड चुदाई करने लगा.
गांड में भी वो लंड को आराम से ले गयी. लग रहा था कि शायद उसने इससे पहले भी कई बार अपनी गांड की चुदाई करवा रखी है.
पांच-सात मिनट तक उसकी गांड को चोदने के बाद मैं भी झड़ने के कगार पर पहुंच गया. धक्के देते हुए मेरे लंड से वीर्य निकल कर उसकी गांड में जाने लगा. पूरा लंड उसकी गांड में खाली कर दिया.
वो मेरे बगल में आकर लेट गई. मेरे अधसोये हुए लंड को अपने हाथ में लेकर खेलने लगी, बोली- यार अजय, तुम तो बहुत ही मस्त चुदाई करते हो. जितनी तारीफ सुनी थी उससे कहीं ज्यादा मजा दिया तुमने.
मैंने कहा- अगर नहीं करूंगा तो पैसे कौन देगा मुझे.
वो बोली- मैं तो तुम पर खजाने लुटाने के लिए तैयार हूं. बस तुम ऐसे ही मुझे खुश कर देना जब भी मैं तुम्हें बुलाऊं.
मैंने कहा- मेरा तो काम ही यही है.
उसके बाद उसने मेरी पेमेंट दे दी. उसने मेरे लिये खाना मंगाया और काफी खातिरदारी की. पैसे लेकर मैं अपने घर आ गया.