स्कूल का प्यार परम से

मैं प्रसन्न अपनी एक और आपबीती लेकर आपके सामने फिर उपस्थित हूँ. सच में अगर देखा जाए तो यहाँ से शुरू होता है मेरे मनपसंद सेक्स का असली सफ़र. इस से पहले मेरे साथ जो भी हुआ वो एक तरह की ज़बरदस्ती थी जिसमें मेरा कोई रोल नही होता था. लेकिन मोहन के साथ हुए एपिसोड ने अब सेक्स में मेरा इंटेरेस्ट जगा दिया था. मुझे मुट्त् मरने में मज़ा आने लगा था. मैं अक्सर दिन में दो दो बार भी मुट्त् मार लेता था. इसके अलावा मेरा इंटेरेस्ट अब और लड़को में बढ़ने लगा था. क्योंकि मैं ऑल बाय्स बोरडिंग में था तो वहाँ एक से एक लड़को का सेलेक्षन था… बस दर अब भी ये ही था के खुद कैसे किसी को अप्रोच करूँ. मैं इस मामले में तोड़ा इंट्रोवर्ट था और कभी ज़्यादा अग्रेसिव नही हो पता था. लेकिन जैसा मैने पहले बताया था मेरे पास तो खुद ही लड़के चले आते थे पढ़ाई में मदद के लिए या किसी और काम से.

मेरी मोहन के साथ थोड़ी बहुत सेक्स आक्टिविटी होती रहती थी जो हमेशा की तरह लंड हिला के एक दूसरे का सीमेन निकालने तक सीमित रहती थी. वो भी मोहन ही आकर शुरू करता था मेरे साथ. एक दो सीनियर्स ने भी मेरे साथ ज़ोर ज़बरदस्ती करनी चाही थी लेकिन अब मैं खुद को काफ़ी हद तक बचा लेता था. कभी ज़बरदस्ती हुई भी तो वो या तो अपना लंड हिलवाते थे या मेरा हिलाते थे… इस से ज़्यादा और कुच्छ नही. मुझे अच्छा नही लगता था उनके साथ.

एग्ज़ॅम्स का टाइम आ गया था और सब पढ़ाई में बिज़ी थे. मोहन तो स्टडीस में बहुत ही वीक था, इसलिए वो तो सब कुच्छ छ्चोड़ के बस लेसन्स रत्ने में ही लगा रहता था. उसे अब किसी चीज़ में इंटेरेस्ट नही रह गया था. मेरा टाइम भी सब फ्रेंड्स की अकॅडेमिक प्राब्लम सॉल्व करने में निकल जाता था. तभी मेरे पास एक दिन परम आया. परम एक फुटबॉल प्लेयर था और बहुत ही अच्छी फिज़ीक का मलिक भी. उसकी थाइस, आर्म्स, चेस्ट सब बहुत ही मस्क्युलर थे. रंग हल्का सांवला. वो हरयाणा का जात था. वैसे वो बहुत ही सीधा और तमीज़दार था और मेरा एक अच्छा दोस्त भी. हिन्दी बोलता था और मज़ाक करता था. खिलाड़ी था इसलिए पढ़ाई में तोड़ा कमज़ोर था… खास कर इंग्लीश में. एग्ज़ॅम्स पास थे… और वो पिच्छले टेस्ट्स में फैल भी हो चुका था तो उसे मुझसे पढ़ाई में मदद चाहिए थी. मैं वैसे भी कभी पढ़ाई के लिए किसी को माना नही करता था और फिर परम तो मेरा फ्रेंड भी था. मैने परम की हेल्प करनी शुरू कर दी. मैं उसे हमेशा नाइट क्लास में बाकी फ्रेंड्स के साथ ही पढ़ा दिया करता था. इसलिए कभी और किसी तरह की बात का मतलब ही नही उत्ता और ना ही मेरा उसकी तरफ कोई सेक्षुयल लगाव था. हमारी बिल्कुल प्लेटऑनिक फ्रेंडशिप थी. एक दिन परम ने मुझसे कहा के उसे एक चॅप्टर बाइयालजी में परेशन कर रहा है जो वो समझना चाहता है. मेरे चॅप्टर का नाम पूच्छने पर उसने कहा ‘सेक्षुयल रिप्रोडक्षन इन प्लॅंट्स’. क्योंकि ये लेसन मैं पहले ही बाकी सबके साथ नाइट क्लास में समझा चुका था तो मैने उसे रात को क्लास के बाद अलग से डॉर्मिटरी में समझने के लिए कह दिया. परम का बेड डॉर्मिटरी में था… और मेरे पास अब एक रूम था क्योंकि मैं प्रीफेक्ट बन गया था.

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रात को मैं उसके बेड पे पहुँचा. वो लेता हुआ था. मैं उसके सिरहाने बैत्त के उसे लेसन समझने लगा. धीरे धीरे बाकी स्टूडेंट्स अपने अपने बेड्स पे सेट्ल होने लगे और सोने की तैय्यरी करने लगे. मेरा किसी के भी बेड पर बैत्त के पढ़ाई में मदद करना एक रोज़मर्रा की बात थी. परम अपनी नाइट सूट की शर्ट के बटन खोल के लेता था और आधे बदन पर चादर ओढ़ रखी थी. उसकी चेस्ट के उभार सॉफ दिख रहे थे. पहली बार मेरी नज़र उसकी च्चती पे पड़ी… और फिर पड़ती ही रही! क्या मस्क्युलर चेस्ट थी उसकी. हल्की हल्की उसके पसीने की महेक और भी अच्छी लग रही थी. इस सब के बावजूद भी मैं उसे पढ़ा ही रहा था. लेसन ख़तम होने पर मैं उसे गुडनाइट बोल के जैसे ही चलने लगा तो वो बोला ‘यार… अगला लेसन भी समझा दे ना. ’ मैं जानता था अगला लेसन ‘रिप्रोडक्षन इन ह्यूमन बीयिंग्स’ था… लेकिन क्योंकि परम से ऐसी कोई मेरी बात नही थी तो मैने कहा कल के लिए छ्चोड़ दो नही तो दोनो की टर्म्ज़ में कन्फ्यूज़ हो जाओगे. तो परम हंसता हुआ बोला ‘तो यार प्रॅक्टिकल कर के समझा देना ना’. मैं और परम दोनो इस बात पे हंस पड़े और परम ने मज़ाक में झटके से मेरा हाथ अपनी तरफ खींच लिया. मैं उत्त्ता उत्त्ता उस पे गिर गया. खुद को संभालने के लिए मैने हाथ आयेज बढ़ाया तो उसकी च्चती पे मेरी हथेली लगी. उसका बदन बहुत ही गरम हो रहा था. मैने उसको कहा के ‘लगता है तुम्हे फीवर है’. वो हंसा और मुस्कुराते हुए बोला ‘हन फीवर तो है यार, लेकिन ये तेरे प्यार का बुखार है. ’ आज पहली बार परम ने मुझसे ऐसे बात की थी. उस वक़्त वो बड़े ही प्यार से मेरी आँखों में देख रहा था और मैं उसकी. मुझे तब पता नही क्या हुआ… मैं वहीं उसके बेड पर फिर से बैत्त गया और बहुत ही प्यार से उसकी च्चती पे हाथ फेरने लगा. वो भी लेते लेते बेड पर मचलने सा लगा.

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डॉर्मिटरी में अब सन्नाटा था… नाइट बल्ब्स की हल्की हल्की रोशनी थी… ज़्यादातर सभी सो रहे थे या नींद की खुमारी में थे. मैं परम की चेस्ट पर हाथ फेर रहा था और उसके गालों को भी सहला रहा था. आज मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था. बेशाक़ शुरुआत परम ने की थी… लेकिन आज मुझ पर भी प्यार का असर था. तभी परम ने मेरा हाथ पकड़ के उसे नीचे की तरफ अपने लंड पे पहुँचा दिया. वो उस चादर के नीचे अपना अंडरवेर पहले ही उतार चुका था. मैने उसके लंड को कस के पकड़ लिया और ऊपर नीचे हिलने लगा. उसके लंड के चारो तरफ काफ़ी बाल थे. मैं उन में भी उंगली फिरा रहा था. फ्रेंड्स आज पहली बार मैं मास्टर ऑफ शो था. कोई फोर्स नही… सब अपनी मर्ज़ी से कर रहा था. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था. थोड़ी देर हिलने के बाद परम का लंड और सख़्त होने लगा. मैं समझ गया के अब उसकी क्लाइमॅक्स आने वाली है. मैने अपने हाथ से उसके लॉड को हिलना चालू रखा. उसने दो टीन झटके खाए और अपने सीमेन (वाइट लिक्विड) की पिचकारी मारनी शुरू करदी. उसकी पिचकारी ख़तम ही नही होने में आ रही थी. सारा कम उसके पेट पे और मेरे हाथ पर गिरा था. उसने साइड में पड़ी अपनी बनियान से सब सॉफ किया. मैं उसे उसके माथे पर एक किस देके उत्त् कर अपने रूम में अपने बेड पर चला आया. आज मैने मुट्त् नही मारी, बस परम के ख़यालो में खोया रहा… अपना लंड सहलाता रहा और सो गया.

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