ससुरजी ने मुझे रंडी जैसे चोदा मज़ा आया

और बोली, बाबू जी आप शंकर को कुछ नही कह सकते. बाबू जी हेरान हो और बोले, बहू ये तुम किया कह रही हो ये तुम्हे छोड़ रहा था और तुम इसको ही बचाने की कोशिश कर रही हो. मैं बोली, मैं इसे इसलिए बचा रही हूँ के मैं ने ही इसे बोला था छोड़ने के लिए. बाबू जी हेरान हो और बोले, तुम ने इसे बोला था छोड़ने के लिए मगर क्यूँ. इस वक़्त हम ससुर बहू बेहतरीन आक्टिंग कर रहे थे. मैं फिर बोली वो इस लिए के मुझे मेरा पति 6 महीने के लिए तन्हा चोर गया है और मैं प्यासी हूँ इस लिए मैं ने शंकर को मोका दिया है के वो मुझे छोड़ कर मेरी प्यास मिताय. बाबू जी बोले, अगर तुम्हे इतनी ही छोडई की भूक है तो मुझे से कहना था मैं तेरी छूट की भूक मिटाता. मैं बोली आप चाहे तो आप भी मुझे छोड़ सकते हैं मगर मैं शंकर से ज़रूर छोड़वाओं गी. बाबू जी बोले, किया ये तुम्हारा आखरी फ़ैसला है. मैं बोली, हा ये मेरा फ़ैसला है अगर आप गैरत मंद हैं तो यहा से चले जैन वरना शंकर के साथ मिल कर मेरी छोडई कराईं. बाबू जी ने शंकर की तरफ देखा. मेरी तरफ़दारी से शंकर मे आईथमाड़ आगेया था और अब वो टन कर खड़ा होगआया था. बाबू जी ने अपना सर झुका लिया तो मैं बोली, बाबू जी अगर आप शंकर के साथ मिल कर मुझे छोदान गे तो मुझे बोहट खुशी होगी. बाबू जी का लंड अब तक खड़ा हो चक्का था और वो उनकी धोती से बाहर आने के लिए बेताब होरहा था. मैं ने आगे बढ़ कर धोती के उपर से ही उनका लंड पकड़ लिया और बोली, बाबू जी आप का खड़ा लंड ये कह रहा है के आप भी मुझे छोड़ना चाहते हैं. मगर हा तो मुझे पकड़ लाइन अब ये रिश्ते नाते किया देखना. बाबू जी तो पहले ही राज़ी थे ये तो शंकर के सामने आक्टिंग की जराही थी. अब बाबू जी से ज़ियादा आक्टिंग नही हो सकी और उन्हो ने मुझे अपनी तरफ घसीट लिया और मुझे लिपटा कर बेतहाशा किस करने लगे. बाबू जी को मुझे किस करता देख कर शंकर खुश होगआया और वो हमारे पास आगेया और बाबू जी से बोला, साहिब जी ये होई ना मर्दों वाली बात. आप की बहू बोहट सेक्सी है हम दोनो मिल कर इसे छोदान गे तो बोहट माज़ा आय गा. बाबू जी ने मुझे खुद से अलग किया और शंकर से बोले, अभी तू ही मेरी बहू को छोड़ मैं रात मे तेरे साथ मिल कर अपनी बहू को छोड़ों गा. तू मेरी बहू को लेकर इसके कमरे मे जा और आराम से जितना तेरा दिल करे इसे छोड़ तेरी मालकिन को मैं जा कर छोड़ता हूँ. वो फिर बोले जा जल्दी जेया यहा खड़ा वक़्त क्यूँ खराब कर रहा है जा जाकर आेश कर. बाबू जी की बात पर शंकर बोहट खुश होगआया और बोला, साहिब जी अभी आप की बहू को लेकर जाता हूँ. शंकर मेरा हाथ पकड़ कर किचन से निकालने लगा तो बाबू जी बोले, शंकर खूब जाम कर छोड़ना मेरी बहू को इसकी चीखाईं निकाल देना. शंकर हंस कर बोला, आएसा ही होगा साहिब जी आप फिकर ही ना कराईं. फिर मैं और शंकर मेरे कमरे मे आगे. शंकर खुशी से बोला, नेहा ये तो बोहट अछा होगआया है अब तो साहिब जी भी हमारे साथ हैं अब तो हम दोनो मिल कर खूब तुम्हारी छोडई कराईं गे. मैं मुस्कराई और बोली, हा प्यारे ये बोहट अछा होवा है अब मैं ऐक साथ दोनो सोराखों से छोडवाया कारों गी. फिर शंकर मुझे लेकर बिस्तर पर आगेया और उसने खूब जाम कर मेरी छोडई शुरू कर दी. शंकर ने शाम 7 बजे तक मेरी खूब ज़ोरों से छोडई करी. रात खाना खाने के बाद बाबू जी मा जी के साथ अपने कमरे मैं चले गे. मैं अपना काम निंता कर अपने कमरे मे आई तो मेरे पीछे पीछे शंकर भी कमरे मे आगेया. शंकर को देख कर मुस्करदी. कमरे मे आते ही शंकर ने मुझे नंगा कर दिया. मैं ने सोचा बाबू जी पता नही कब आईं इस लिए मैं ने शंकर से छोड़वाना शुरू कर दिया. ये मेरी छोडई का दोसरा घंटा था जब बाबू जी पूरे नंगे कमरे मे दाखिल हो उनका लंड पूरी तरहा से आकड़ा होवा था. मुज़ेः शंकर से छोड़ता होवा देख कर वो मुस्कारे और फिर हमारे पास आकर बोले, अकेले अकेले ही माज़े किए जरहे हैं. शंकर बाबू जी को देख कर मुझे चोर कर हटा तो बाबू जी मुस्करा कर बोले, लगा रे यार इस साली के 2 सोराख हैं ऐक से तू छोड़ ऐक से मैं छोड़ता हूँ. शंकर ने लेट कर मुझे अपने उपर लिटा लिया और मेरी छूट मे अपना लंड घुस्सा दिया. फिर बाबू जी अपना लंड मेरी गंद मे घुस्स कर मेरे उपर लेट गे. फिर दोनो ने तेज़ तेज़ झटको से मुज़ेः छोड़ना शुरू कर दिया. मेरी छूट और गंद के बीच मे पतला सा गोश्त था जिस से मुझे दोनो के लंड आपस मे रीग़ाड़ खाते हो सॉफ महसूस होरहे थे. ये पहला मोका था जब मैं ऐक साथ 2 मर्दों से छोड़वा रही थी मुझे बोहट माज़ा आरहा था और मैं खुद को लज़्ज़त के आसमानो पर महसूस कर रही थी. दोनो ने पूरी रात तरहा तरहा से मेरी खोब छोडई करी. जब हम तीनो तक कर लेट गे तो मैं बाबू जी से बोली, बाबू जी आप को नही लगता के हमारे घर मे नोकर कम हैं. बाबू जी बोले, किया मतलब मैं समझा नही. मैं मुस्कराई और बोली, मेरा कहने का मतलब है के बिचारे शंकर को अकेले पूरे घर का काम करना पड़ता है ये बिचारा कितना तक जाता होगा आप को नही लगता के इसकी मदद के लिए हमे कुछ और नोकर रखने चाहिए. बाबू जी अब मेरा मतलब समझ गे थे और उन्हो ने कस कर मेरे बूब्स के निपल को दबाया जिस से मेरी चीख निकल गई. बाबू जी हंस कर बोले, मैं अची तरहा समझता हूँ तेरा मतलब तुझे शंकर की मदद के लिए नही अपनी प्यास के लिए और आदमी चाहिए. मैं भी हँसी और बोली, मैं शंकर की मदद के लिए ही कह रही हूँ. पहले वो लोग घर के कम मे शंकर की मदद कराईं गे फिर मुझे छोड़ने मे शंकर की मदद कराईं गे. अब आप ही बताईं इस मे मेरा मतलब कहा से आगेया. हा ये और बात है के ये घर मेरा भी है और घर की कोई चीज़ मे अपने इस्तीमाल मे ले लून तो इस मे कोई हर्ज ना है. मेरी बात पर बाबू जी हंस दिए और बोले, तू कह तो सही रही है. वकाई शंकर की मदद के लिए कुछ लोगो को होना चाहिए. फिर बाबू जी मुझे से बोले, अची कितने लोगों को मुलाज़िम रखों. मैं मुस्कराई और बोली, बाबू जी 2, 3 आफ़राड तो और होने चाहिए. बाबू जी मुस्कारे और बोले, मैं 3 नही 6 आदमियों को नोकरी पर रखों गा. मैं बाबू जी बात सुनकर खुशी से उनसे लिपट गई और बोली, बाबू जी आप बोहट आचे हैं आप को अपनी बहू का कितना ख़याल है. मेरी बात पर बाबू जी हँसने लगे फिर वो शंकर से बोले, यार अब ये तेरी ज़िमेदारी है के तो अपने साथियों का इंतईज़ाम कर. शंकर बोला, साहिब जी ये तो कोई मसला ही नही है आप देखिए गा मैं आएसए आदमी लाओंगा के वो नेहा को छोड़ छोड़ कर इसका हुल्या बिगाड़ डैन गे. मैं शंकर से बोली, हा शंकर मुझे आएसए ही आदमी चाहिए जो मुझे छोड़ छोड़ कर मेरा हुल्या खराब कर डैन. शंकर इसी दिन से अपने काम पर लग गया. दोसरे ही दिन वो 6 आदमियों को घर ले आया. इतेफ़ाक़ की बात ये है के इसी दिन सासू मा को ऐक मोटा मे दोसरे शहर जाना पद गया और अब वो 3, 4 दिन से पहले ना आसक्ति थी. जो आदमी शंकर लाया था वो सब के सब लंबे तड़ंगे और सेहत मंद थे. उन सब की नज़रैयण बार बार मुझे पर पद रही थी क्यूँ मेरा हुल्या ही आएसा था के वो सब मुझे देखे बिना नही रह पा रहे थे. मैं इस वक़्त ऐक छोटे से स्कर्ट और विदाउट स्लिवे त-शर्ट पहनी होई थी और बगैर ब्रेज़ियर के मेरे बूब्स त-शर्ट मे से सॉफ दिखाई दे रहे थे. मुझे उन सब का इस तरहा देखना बोहट अछा लग रहा था. मुझे भी वो सब के सब पसंद आय थे और मैं भी उनको पसंदीडगी की निगाहों से देख रही थी. बाबू जी ने मुझे देखा तो मैं ने इक़रार मे सर हिला दिया के मुझे ये सब पसंद हैं. बाबू जी ने शंकर से कहा, यार ये सब भरोसे के आदमी तो हैं ना आएसा ना हो ये हर ऐक को बताते फिराइन और हमारी बदनामी हो. शंकर बोला, साहिब जी आप बिल्कुल बेफिकर रहे शंकर आदमी पहचानने मे कभी ग़लती नही करता. शंकर की बात सुनकर बाबू जी सब से कहने लगे, मैं आप सब को ये बात बिल्कुल सॉफ बता देना चाहता हूँ के मुझे सिर्फ़ वफ़ादार लोग पसंद हैं और मैं आप लोगों को सिर्फ़ इसी शर्त पर अपने पास मुलाज़िम रखों गा के मेरे घर की कोई बात आप बाहर किसी को नही बताईं गे. सब कहने लगे. साहिब कोई हमारी गर्दन भी काट दे जब भी हम आप से नमक हरामी नही कराईं गे. बाबू जी उन की बात सुनकर बोले, मुझे आप लोगो की बात पसंद आई अब मैं असल बात पर आता हूँ. वेसए तो मुझे इतने मुलाज़िम रखने की ज़रोरत नही है. मगर ये मेरी जो बहू है नेहा इस का कहना है के घर मे और मुलाज़िम भी होना चाहिए जो शंकर के काम मे हाथ बता सकैं. शंकर हमारा बोहट पुराना मुलाज़िम और हम इसे अपना मुलाज़िम नही समझते और ये हमारे घर मे ऐक फर्ड की तरहा रहता है और इस लिए शंकर घर के काम काज से फारिग होकर मेरी बहू को खूब छोड़ता भी है जिस की मैं ने इसको पूरी इजाज़त दे रखी है. अब मैं चाहत हूँ के आप लोग भी इस घर मे घर के फर्ड की रहाीन और शंकर की तरहा आप लोग भी मेरी बहू को खूब छोदान. बाबू जी की बात सुनकर सब हेरान रह गे और हेरात से मुझे देखने लगे. उन मे से ऐक बोला, ये आप किया बात कर रहे हैं. बाबू जी मुस्कारे और बोले, अरे इस मे हेरान होने की किया बात है. मेरी बहू को शोख है छोड़वाने का और शंकर को छोड़ने का और मैं भी अपनी बहू को खूब छोड़ता हूँ और अब मैं आप लोगो से छोड़ने के लिए कह रहा हूँ तो इस मे हेरानी की किया बात है. और इस नोकरी मे दोसरे काम का तो बहाना है मैं तो आप लोगो को मुलाज़ात ही अपनी बहू को छोड़ने की दे रहा हूँ. अब आप लोग सोच लाइन ऐक तो आप लोगो को महना तनखोवा भी मिले गी और छोड़ने के लिए मेरी बहू भी. अब आप लोगो मे से जिस को ये नोकरी मंज़ूर है और यहा रुके वरना वो यहा से चला जाय मैं आप लोगो को सोचने के लिए 5 मिनिट दे रहा हूँ. बाबू जी की बात सुनकर सब ऐक दोसरे को देखने लगे. सब ही इस माज़ेयडार नोकरी पर खुश थे और फिर वो बोले, साहिब जी हमे ये नोकरी करनी है. सब की बात सुनकर बाबू जी खुशी से बोले, तो फिर आप लोगो की जॉब पक्की. मैं जो खामोश बेती थी कहने लगी. बाबू जी अभी इनकी नोकरी पक्की ना कराईं. बाबू जी ने हेरात से मुझ से कहा, अब किया बात है सब कुछ तो तुम्हारी माज़ी से होवा है. मैं मुस्कराई और बोली, हा मैं यही चाहती थी मगर मैं पहले इन सब को टेस्ट करना चाहती हूँ के ये सब मेरी सही से चुदाई कर पाईं गे या नही. बाबू जी मेरी बात सुनकर मुस्कारे और बोले, हा ये बात तो सही है. मैं उठी और सब से बोली, मैं आप लोगो से पहले छोड़वा कर आप लोगो की मर्दानगी टेस्ट कारों गी फिर आप लोगो की जॉब पक्की होगी. अब आप सब अपने अपने कपडान उतार डैन टके मैं आप सब के लंड देख सकों. उन मे से ऐक बाबू जी से बोला, साहिब जी पहले इनको नंगा कराईं टके पहले हम देखैईं के जिस काम के लिए हमे रखा जा रहा है वो हमे पसंद आता भी है या नही. उसकी बात सुनकर बाबू जी हंस पड़े और मुझे से बोले, बहू रानी इसकी बात भी सही है पहले तुम इनको अपना जिस्म टेस्ट कारवओ. बाबू जी की बात सुनकर मैं मुस्करदी. किसी के सामने अब मेरे लिए नंगा होना अब किया बड़ी बात थी. मैं ने फॉरन ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगी होगआई. मेरा खूबसूरत सेक्सी जिस्म देख कर सब की आँखो मे चमक आगाई. फिर सब ने ऐक ऐक करके अपने अपने कपड़े उतार दिए. अब खुश होने की बरी मेरी थी क्यूँ के उन मे से किसी का लंड भी 9 इंच से कम नही था. बाबू जी सब से बोले, मैं आप 6 लोगो को 6 घंटे दे रहा हूँ और खुद दोसरे कमरे मे जा रहा हूँ. अब आप लोगो ने मेरी बहू की आएसी छोडई करनी है के मुझे इस की चीखाईं दोसरे कमरे तक सोनाई डैन और इन 6 घंटों के दोरान इस की चीखाईं 6 सेकेंड के लिए भी नही रुकनी चाहिए. अगर इस की चीखाईं रुकी या स्लो होई तो आप लोगो को ये नोकरी नही मिले गी. सब बोले, साहिब आप बे फिकर रहाीन आप की बहू की चीखाईं दोसरे कमरे तो किया पूरे घर मे इसकी चीखाईं गॉंज़ाइन गी. बाबू मुस्कारे और बोले, आएसा ही होना चाहिए. फिर बाबू जी और शंकर चले गाय. और वो सब मुझे पर कुत्टो की तरहा टूट पड़े. फिर जेसा उन लोगो ने कहा था वेसा ही होवा. उन लोगो ने मेरी 6 घंटे तक वो छोडई करी के मेरी दर्द भारी चीखाईं पूरे घर मे गोंजटी रही. 6 घंटे बाद जब बाबू जी और शंकर कमरे मे आय तो अब भी वो सब मुझे कुत्टो की तरहा छोड़ रहे थे और मैं बुरी तरहा से चीख रही थी. बाबू जी को देख कर उन लोगो ने मेरी छोडई बंद करदी. उन मे से ऐक बोला, साहिब बताईं हम ने केसे छोड़ा है आप की बहू को. बाबू जी मेरी ज़बरदस्त छोडई से बोहट खुश थे इस लिए वो खुशी के मारे से सब गले मिले और मेरी शानदार छोडई करने पर सब को मुबारक बाद दी. फिर बाबू जी कहने लगे, दोस्तो आप लोगो ने मेरी बहू की शानदार छोडई कर के साबित कर दिया है के आप लोगो को इस नोकरी पर फॉरन रख लिया जाय. अब आप लोगो का काम ये है के आप लोग जब चाहे जहा चाहे जिस वक़्त चाहे मेरी बहू को छोड़ सकते हैं बस आप लोगो ने मेरी बीवी यानी घर की मालकिन के सामने अएहतियात करनी है वरना आप सब लोगो को आज़ादी है जिस का जितना दिल चाहे मेरी बहू को छोड़े इस मे वक़्त की क़ैद नही है. आप लोगो ने अपनी काम सही तरीके से और ईमानदारी से करना है. अगर कभी मेरी बहू आप लोगो से छोड़वाने मे नखरा करे या माना करे तो आप लोग ज़बरदस्ती आइसे छोदान और इस के साथ कोई रियात ना कराईं. सब बाबू जी की बात से बोहट खोष थे और ये इन सब लोगो की ज़िंदगी की सब से मज़ेदार नोकरी थी. मेरे तो माज़े आगे थे. मा जी पूरे 6 दिन बाद आई और इन 6 दीनो मे बाबू जी ने इन 7 नोकरों के साथ मिल कर मेरी ज़बरदस्त तरीके से छोडई करी. जब मा जी वापिस आईं तो मुलाज़मो की ये फोज देख कर मौ बनाया मगर बाबू जी ने प्यार से मा जी को समझाया के घर बड़ा है और शंकर अकेला इस लिए मैं ने ये मुलाज़िम रखैईं हैं. घर मे जो मुलाज़िम थे उनकी पोस्ट ये थी 1 ड्राइवर, 1 माली, 1 बावरची, 2 चोकीदार, और शंकर को मिला कर 2 घर की साफाई वग़ैरा के लिए. रात को तो बाबू जी सातों नोकरो के साथ मिल कर मेरी खूब छोडई करते थे और दिन मे भी जिस को भी मोका मिलता मुझे छोड़ देता था. दिन मे मैं ज़ियादा तार नोकरों के क्वॉर्टर्स मे छोड़वति थी क्यूँ के मा जी कभी नोकरों के क्वॉर्टर्स की तरफ नही जाती थी और मैं आज़ादी के साथ सब से छोड़वति थी. इस के अलावा नोकरों को जहा भी मैं तन्हा नज़र आती वो मुझे पकड़ कर छोड़ना शुरू कर देते. नोकरों मुझे मेरे कमरे मे, किचन मे, बातरूम मे, ड्रॉयिंग रूम मे बाहर गार्डेन मे कार पार्किंग मे और घर की छत पर भी छोड़ चुके थे. अब मेरी ज़िंदगी माज़े से भरपूर होगआई है. मेरी इतनी ज़ियादा छोडैयों को देखते हो बाबू जी मोका देख कर बार बार मुझे अपने 8 दोस्तो से भी छोड़ा चुके हैं. मुझे अब छोडैयों की इतनी आदत होगआई है के मैं सोचती हूँ के जब मेरे पति आजैईं गे तो मैं सब से केसे छोड़वा सकों गी. मुझे इन सब से छोड़वते हो 5 मंत्स होगे हैं और अब अगले मंत मेरे पति ऑस्ट्रेलिया से वापिस आरहे हैं. और 2 मंत्स बाद मेरा देवेर रवि भी अपनी एजुकेशन कंप्लीट कर के इंग्लेंड से वापिस आरहा है. सच पोचिए तो मुझे अपने पति से ज़ियादा रवि का इंतेज़ार है और अब मैं रवि से भी अपने जिस्म की भूक मिटाना चाहती हूँ क्यूँ मुझे पता है के इंग्लेंड मे रहते हो वो अँग्रेज़ लड़कियों को छोड़ छोड़ कर छोडई के फन मे अची तरहा माहिर होगआया होगा और मुझे पूरा यकीन है के रवि मुझे बाबू जी और सब नोकरों से ज़ियादा मुझे माज़ा देगा.

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