ससुरजी ने मुझे रंडी जैसे चोदा मज़ा आया

मेरा नाम नेहा है मैं 28 साल की हूँ और मेरा फिगर 38-32-36 है. मेरी शादी हो चुकी है मेरे हज़्बेंड का नाम है राजेश है. मेरी ये कहानी मेरी शादी के बाद शुरू होती है. मेरे हज़्बेंड राजेश का लंड 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है. शादी की पहली ही रात राजेश ने मुझे आगे और पीछे से पूरी रात छोड़ा था. अब मेरे हज़्बेंड मुझे रोज़ छोड़ते थे इस लिए मेरी छोडई की भूक भी भड़ती जा रही थी. घर मे राजेश के अलावा मेरी सास, ससुर और ऐक नोकर शंकर था. राजेश का ऐक छोटा भाई भी था रवि जो इंग्लेंड पाधने के लिए गया होवा था. मेरे हज़्बेंड ऐक मल्टिनॅशनल कंपनी मे फाइनान्स मॅनेजर की पोस्ट पर जॉब करते हैं. कहानी वाहा से शुरू होती है जब मेरे हज़्बेंड को कंपनी की तरफ से ऑस्ट्रेलिया जाना पद गया. उनका विज़िट 6 मंत्स का था मैं राजेश के जाने से बोहट उदास थी क्यूँ राजेश ने मुझे रोज़ छोड़ छोड़ कर मुझे रोज़ छोड़वाने की आदत डाल दी थी. जिस सुबह को राजेश ने जाना था उसकी रात को मैं ने उदासी से कहा, राजेश तुम 6 मंत्स के लिए जरहे हो अब मेरी छूट की भूक केसे मिते गी. राजेश ने मुझे खुद से कस कर भीच लिया और बोला, मेरी जान मेरा जाना ज़रूरी है मैं खुद भी उदास हूँ मैं तुम को चोर कर नही जाना चाहता मगर किया कारों जॉब है काम तो करना है ना. राजेश की बात सुनकर मैं खामोश होगआई. उस रात राजेश ने मुझे सुबह 8 बजे तक कुत्टो की तरहा छोड़ा. राजेश के जाने के बाद मे उदास रहने लगी और ऐक बेचेनी सी मुझे अपने बदन मे महसूस होती थी मैं रातो को तड़पति रहती थी. ये राजेश के चले जाने के बाद तीसरी रात थी मुझे राजेश बोहट याद आरहा था मेरे जिस्म की बेचेनी बढ़ती जराही थी और फिर मैं बेचें होकर कमरे से बाहर आगाई. हमारा घर डबल स्टोरी था मेरा कमरा उपर जब के सास और ससुर का कमरा नीचे था. मैं नीचे आगाई फिर जब मे अपने सास और ससुर के कमरे के पास से गुज़र रही थी तो मुझे अंदर से हल्की हल्की आवाज़ैईन आई जेसे कोई सिसकारियाँ ले रहा है और मुझे दरवाज़े की झेरी से रोशनी भी निकलती होई महसूस होई. मेरे दिल मे आया यक़ीनन बाबू जी मा जी को छोड़ रहे हैं. मेरे दिल मे आई क्यूँ ना अंदर झाँका जाय. पहले मैं ने दरवाज़े की झेरी से झाँका मगर कुछ नज़र नही आया तो मैं खिड़की के पास ही. खिड़की पर पर्दे पड़े होवे थे और उसके दोनो पाट बंद थे. मैं ने आएसए ही हाथ लगाया तो ख़िड़ी का पाट खोल गया. मैं ने ख़िड़ी का पाट खोलना चाहा तो वो पूरा खोल गया मगर कोई आवाज़ नही होई. मुझे दर होवा कही अंदर पता नही चल गया हो. खिड़की खोलते ही अंदर की आवाज़ैईन सॉफ बाहर आने लगीं. मैं ने परदा हटाया और अंदर देखने लगी. बाबू जी लेते होवे थे और सासू मा बाबू जी के उपर लेती होई थी. बाबू जी का लंड सासू मा की छूट मे था और वो नीचे से खूब ज़ोर से झटके मार रहे थे. सासू मा बाबू जी का लंड खूब माज़े से पिलवा रही थी और खूब सिसकारियाँ ले रही थी. मैं काफ़ी दायर से देख रही थी के अचानक ही बाबू जी ने अपना सर खिड़की तरफ घोंया तो मैं उन्हे खड़ी नज़र आगी. मेरे पास छुपने का अब मोका नही था इस लिए मैं वही खड़ी रही. सासू मा की कमर मेरी तरफ थी इस लिए मुझे वो नही देख सकती थी. बाबू जी मुझे देख कर मुस्कराने लगे मैं भी मुस्करदी. फिर उन्हो ने सासू मा की तंगायन मेरी तरफ घॉंा दी और मुझे दिखा दिखा कर खूब ज़ोर से छोड़ने लगे. मैं जाने लगी तो उन्हो ने इशारे से जाने से माना किया और खड़ा रहने को कहा. मुझे भी अछा लग रहा था इस लिए मैं खड़ी होगआई. बाबू जी ने 35 मिनिट तक खूब तेज़ी से सासू मा को छोड़ा फिर जब उन्हो ने अपना लंड बाहर निकाला तो मैं उनका 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड देख कर हेरान होगआई. बाबू जी ने अपना लंड सासू मा के बूब्स पर रख कर अपनी मानी चोर दी. फारिग होने के बाद सासू मा आंखाईं बंद कर के लेट गई तो बाबू जी ने मेरी तरफ इशारा किया के वो मुझे छोदान गे. बाबू जी के इशारे पर मैं मुस्करा दी और अपने कमरे मे आगाई. फिर जब तक मुझे नींद नही आगाई मैं बाबू जी के बारे मैं सोचती रही. सुबह होई तो नाश्ते के बाद मा जी किसी से मिलने चली गई अब उनको शाम मे आना था और अब घर मे सिर्फ़ मैं बाबू जी और हमारा नोकर शंकर ही बचे थे. शंकर पूरे घर के काम करता था और मैं सिर्फ़ खाना पकती थी. मा जी के जाने के बाद मैं ने सोचा क्यूँ ना अपने ससुर को खुवर किया जाय इसी लिए मैं ने पिक कलर का कॉटन का बोहट की टाइट और काफ़ी खोले गले का ब्लाउस और पतली सी सारी पहन ली. मेरा ब्लाउस बोहट छोटा था जो सिर्फ़ मेरे डोरी वाले ब्रेज़ियर को ही छुपा पा रहा था मेरा पूरा पायट नंगा था और मेरी बारीक सारी के नीचे पेटिकोट नही पहना था बालके सिर्फ़ अंडरवेर के उपर ही मैं ने सारी बाँध ली थी जिस मे से मेरी पूरी तंगायन काफ़ी नुमाया हो रही थी और ऐक तरहा से मैं पूरी नंगी ही थी. जब मे इस हुल्यी मे काम करने लगी और जान बॉज़ कर बार बार अपने ससुर के सामने आती रही.

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