दोस्तो, मेरा नाम अंकिता है।
आज मैं आपको अपने पापा के शराब पीने के बुरी आदत और उससे होने वाली अपने परिवार की बर्बादी की कहानी सुनाना चाहती हूँ।
हमारे परिवार में मैं, मेरे पापा सुकेश और मेरी माँ कविता हैं, हम करनाल, हरियाणा में रहते हैं, पापा का प्रॉपर्टी डीलिंग का बिज़नस है।
काम अच्छा चल रहा था तो सब ठीक था, पापा के बहुत से दोस्त थे जिनके साथ पापा अक्सर खाते पीते थे।
पर 2012 के बाद पापा का बिजनेस डूबना शुरू हो गया।
तब मैं दसवीं क्लास में पढ़ती थी।
पापा ने बहुत कोशिश की पर उनका बिजनेस ठीक से नहीं चला।
जिस वजह से पापा बहुत परेशान रहने लगे, और परेशानी में और शराब पीने लगे।
2013 और 2014 में तो पापा ने बहुत से लोगो से पैसा उधर लेकर या कर्ज़ लेकर काम शुरू करने की बहुत कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ।
इस कारण पापा के बहुत से दोस्त भी उनका साथ छोड़ गए, रिश्तेदारों ने भी मुँह मोड़ लिया।
मगर पापा ने शराब की लत नहीं छोड़ी।
एक दिन पापा के दो दोस्त शर्माजी और गुप्ताजी शाम को हमारे घर आए, वो अपने साथ शराब की दो बोतलें और खाने का सामान ले कर आए थे।
जब उन्होने पापा के साथ पीनी शुरू कर दी तो माँ ने मुझे दूसरे कमरे में भेज दिया।
दोनों कमरों के बीच में एक जाली का दरवाजा था जिसे मैंने अंदर से लॉक कर लिया पर मुझे बाहर सब दिख रहा था।
पापा उनके साथ दारू पी रहे थे और माँ उनके लिए खाने का सामान बना बना के दे रही थी।
जब दारू का सुरूर चढ़ने लगा तो उन दोनों हरामियों की निगाह मेरी माँ पर ही टिकी हुई थी।
वो दोनों आती-जाती मेरी माँ के बदन को अपनी निगाहों से टटोल रहे थे।
पापा तो पी पी के टल्ली हुये पड़े थे, उनको तो कोई होश ही नहीं था।
तब शर्माजी ने माँ को अपने पास बुलाया और झूठ मूठ की हमदर्दी दिखाने लगे।
बातों बातों में शर्मजी ने माँ के कंधे पे हाथ रखा जिसका माँ ने कोई विरोध नहीं किया, तो उन्होने धीरे धीरे अपने हाथ से माँ की पीठ सहलानी शुरू की।
मैं यह देख कर हैरान थी कि माँ उसकी इस हरकत का विरोध क्यों नहीं कर रही!
और देखते देखते शर्माजी ने माँ को अपनी आगोश में ले लिया और माँ ने भी उनके कंधे पे अपना सर टिका दिया।
तभी गुप्ताजी उठे और माँ के दूसरी तरफ आ कर बैठ गए।
और उन्होंने बैठते ही माँ के ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया।
बस फिर तो दोनों माँ के ऊपर टूट पड़े।
एक मिनट में ही उन दोनों ने माँ की साड़ी, ब्लाउज़, ब्रा और पेटीकोट उतार फेंका।
माँ को नंगी करने के बाद उन दोनों ने भी अपने कपड़े उतारे और माँ से चिपक गए, कोई उसके बूब्स चूस रहा था, कोई उसकी चूत में उंगली कर रहा था।
बेड की एक तरफ पापा दारू पी कर बेहोश लेटे पड़े थे और दूसरी तरफ माँ को वो दो वहशी चिपटे हुए थे।
दोनों ने जम कर माँ से सेक्स किया, मैं सारा कुछ अपने कमरे में लेटी देख रही थी।
बेशक मुझे यह अच्छा नहीं लग रहा था, पर हूँ तो मैं भी इंसान, थोड़ी देर बाद मेरा भी मन करने लगा, मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई, पेंटी उतरी और अपनी उंगली से अपनी चूत को मसलने लगी, मैं भी चाहती थी को दोनों में से कोई मेरे पास भी आए और मुझे भी चोदे।
पर उन दोनों ने सिर्फ माँ से किया।
थोड़ी देर बाद मेरा तो पानी छुट गया और मैं करवट बदल कर सो गई, वो कब गए, मुझे नहीं पता।
अब तो यह रोज़ का ही काम हो गया था।
पापा का कोई दोस्त आता, पापा को खूब शराब पिलाता और उसके बाद माँ से सारा खिलाया पिलाया वसूल करता।
हर दूसरे या तीसरे दिन शर्माजी या गुप्ता जी में से कोई न कोई माँ को को पकड़ लेता।
अब तो माँ भी पूरी खुलने लगी, वो भी पापा और उनके दोस्तो के साथ एक आध पेग मार लेती।
उसके बाद सेक्स का नंगा नाच होता, उधर माँ लण्ड लेती और इधर अपने कमरे में मैं अपनी उंगली लेती।
माँ मुझे बड़ी एहतियात से उस सब से छुपा कर रख रही थी, मुझे कभी भी उनके सामने नहीं आने देती।
मगर बकरे के माँ कब तक खैर मनाती।
एक दिन दोपहर को मैं स्कूल से आकार खाना खाकर बेड पे लेट गई, टीवी देखते देखते मुझे नींद आ गई।
थोड़ी देर बाद मुझे लगा जैसा कोई मेरे बदन को सहला रहा है।
मेरी नींद खुल गई।
मैंने देखा कि शर्मा अंकल ने मेरी स्कर्ट सारी ऊपर उठा रखी थी और वो पेंटी के ऊपर से मेरी चूत सहला रहे थे।
पहले तो मैं एकदम से घबरा गई, पर वो बोले- अरे गुड़िया बेटी उठ गई, डोंट वरी, मैं हूँ, आराम से लेटी रहो, तुम बहुत एंजॉय करोगी।
मैंने पूछा- माँ?
वो बोले- वो गुप्ता जी के साथ दूसरे कमरे में है, और मज़े कर रही है, तुम भी मज़ा लेना चाहोगी?
मैं तो खुद मरी जा रही थी यो मैंने हाँ में सर हिलाया।
बस फिर तो शर्माजी ने झट से मेरी पेंटी उतार दी।
तब मेरी चूत पे हल्के हल्के बाल आ गए थे।
‘ओह माइ गॉड, क्या कमसिन और प्यारी चूत है तुम्हारी!’