पातियो की एक्सचेंज भाग 2

अंकिता के पति ने चार पेग बनाए और हमें भी पकड़ा दिये। उस दिन पहली बार मैंने विहस्की पी… पी क्या बस अंदर उड़ेल दी।
थोड़ी देर बाद ही जैसे जिस्म में से गर्मी फूट पड़ी हो।

तब मेरे पति ने कहा- चलो अब शुरू करते हैं, सबसे पहले अंकिता मेरे पास आ कर बैठेगी और मैं अपने नए पार्टनर के पास! अभी सिर्फ बात करने की, छूने की, किस करने की पर्मिशन है।

अंकिता उठी और जाकर मेरे पति के पास बैठ गई, मैं भी उठ कर राजेश के पास बैठ गई।

मेरे दिल में तो बहुत ही धक धक हो रही थी, आज पहली बार मैं राजेश के इतनी नजदीक बैठी थी और सोच रही थी सबसे पहले ये क्या करेगा, मुझे चूमेगा, या मेरे बूब्स दबाएगा?

मगर राजेश ने मुझे कहा- राधा, अगर आप मेरी गोद में बैठ जाओ, तो मुझे ज़्यादा अच्छा लगेगा।

मैं उठ कर उसकी गोद में बैठ गई, तो उसने मुझे अपने हिसाब से सेट कर लिया। मैंने अपनी जांघ के नीचे उसके तने हुये लंड को महसूस किया।

उसने मेरी साड़ी का पल्लू मेरे कंधे से नीचे गिरा दिया, मैं अब स्लीवलेस ब्लाउज़ में उसके सामने थी और मेरे लो कट ब्लाउज़ से मेरा बड़ा सा क्लीवेज भी दिख रहा था।

मुझे शर्म सी आई, मगर राजेश बोला- वाह, क्या मस्त चूची है।कह कर उसने ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरे बूब को पकड़ा।

सच में मन में एक खुशी की तरंग दौड़ी, मेरे पसंदीदा मर्द, जिसपे मैं दिल ही दिल में मरती थी, आज मैं उसकी गोद में बैठी थी और वो थोड़ी ही देर में मेरे हुस्न के जलवे लूटेगा।

मुझे हल्की सी सिरहन सी हुई, मेरे दिल में उसको चूमने की ख़्वाहिश जागी तो मैं खुद थोड़ा नीचे को झुकी, उसकी ठोड़ी को ऊंचा उठाया और अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिये, आज तक ऐसा चुम्मा मैंने अपने पति को भी नहीं दिया था, मगर राजेश को मैंने खुद चूमा।

उसने भी मेरा नीचे वाला होंठ अपने होंठों में लेकर चूसा, और मेरे सभी गुप्तांगों में झनझनाहट सी हुई।

उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू किए, मैं बड़े आराम से बैठी उसको सहयोग कर रही थी कि ले खोल ले मेरा ब्लाउज़ और देख मेरे बोबे… मैं कुछ ज़्यादा ही बेशर्म सी हो रही थी।

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मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलने के बाद राजेश ने मेरे दोनों बूब्स को पकड़ा और ऊपर को उठाया, जिससे मेरे बूब्स का क्लीवेज मेरे गले तक आ गया- ओह राधा, मेरी जान, कितने विशाल बूब्स है तुम्हारे! कह कर राजेश ने मेरे क्लीवेज को चूमा और क्लीवेज में अपनी जीभ डाल कर चाट गया।

मैंने उसके सर के बालों में अपना हाथ फिराया, वो वैसे ही मेरे बूब्स से खेलता रहा, चूमते चाटते उसने मेरे दोनों बूब्स मेरे ब्रा से भी बाहर निकाल लिए, और बारी बारी से दोनों निप्पलों को अपने मुंह में लेकर चूसा और बूब्स चुसवाना तो मुझे मस्त कर देता है।

मैंने अपना ब्लाउज़ और ब्रा दोनों उतार कर रख दिये, अपने गले से मैंने अपना मंगल सूत्र, और माला वगैरह भी उतार दिये, ताकि राजेश को मेरे बूब्स से खेलने में कोई दिक्कत न हो।

बूब्स चूसने के बाद राजेश ने मेरी साड़ी को ऊपर उठाया और मेरी जांघों तक उठा दिया, मेरी दोनों चिकनी जांघों को सहला कर बोला- राधा तुम बहुत सेक्सी हो, आज मजा आ जाएगा तुम्हें चोद कर!

मैं मुस्कुरा दी- राजेश , मैं भी उस घड़ी का इंतज़ार कर रही हूँ।

मैंने कहा तो राजेश ने मुझे उठाया और खड़ी करके मेरी साड़ी और पेटीकोट दोनों खोल दिये, अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी, मगर मुझे इसमें कोई शर्म महसूस नहीं हो रही थी।

मैंने भी उसकी टीशर्ट उतारी, नीचे से उसने कोई बनियान नहीं पहनी थी, सीने पे हल्के बाल थे। फिर मैंने घुटनों के बल बैठ कर उसकी बेल्ट खोली, फिर जीन्स की हुक और ज़िप खोली और उसकी पैंट उतार दी।

चड्डी में से उसका तना हुआ लंड चमक रहा था।

मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी, मोटा काला, लंड मेरे सामने प्रकट हुआ, मेरे चेहरे के बिल्कुल पास, उसके लंड की गंध मेरी साँसों में आई, राजेश ने मेरा सर पकड़ा और अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया।

मैंने भी अपने होंठ खोल कर जितना हो सकता था, उसका लंड अपने मुंह में ले लिया। पहले तो राजेश खड़ा था, फिर वो बैठ गया, मैं उसकी गोद में सर रख कर उसका लंड चूसने लगी।

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तभी मेरे पति की आवाज़ आई- अरे राधा, ऐसे तो कभी तुमने मेरा भी नहीं चूसा?

मैंने सर उठा कर देखा, अरे इन लोगों को तो मैं भूल ही गई थी कि ये दोनों भी उसी रूम में हैं। मेरे पति भी बिल्कुल नंगे और अंकिता भी बिल्कुल नंगी, दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे के लंड चूत चूस रहे थे।

मैंने कहा- आज मत पूछो, आज मैं अपने बस में नहीं, मुझे नहीं पता, क्या हो रहा है, क्या मैं कर रही हूँ।कह कर मैं फिर से राजेश का लंड चूसने लगी।

फिर अंकिता की आवाज़ आई- क्या आप मेरी गांड चाटेंगे?तो मेरे पति ने ‘बड़ी खुशी से…’ कहा।

राजेश ने भी मुझे उसके आँड चाटने को कहा। मैंने बारी बारी से उसके दोनों आँड अपने मुंह में लेकर चूसे, और उसकी गांड तक अपनी जीभ से चाट गई।

अब राजेश ने मुझे खड़ा किया, खुद नीचे फर्श पे लेट गया और बोला- राधा, मेरे मुंह पर बैठ जाओ।

मैंने अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी, तो वो अपनी जीभ से मेरी नंगी चूत और गांड सब चाट गया, जब मुझे मजा आया तो मैं भी आगे को झुक गई और खुद उसका लंड पकड़ कर चूसने लगी।

मैं शायद ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी, इसीलिए राजेश की 2 मिनट की चूत चटाई से ही मैं तो स्खलित हो गई, मगर राजेश फिर भी मेरी चूत चाटता रहा।

मैंने ही उसे रोका- बस करो राजेश , मेरा तो हो गया।
‘अरे इतनी जल्दी?’ राजेश बोला।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारे स्पर्श से ही रोमांचित हो उठी थी, इसी लिए जल्दी झड़ गई, अब तुम ऊपर आ जाओ।

राजेश ने मुझे सीधा करके नीचे कालीन पर ही लिटा लिया और मेरे ऊपर आ कर लेट गया, मैंने अपनी दोनों टाँगें ऊपर हवा में उठा ली। राजेश ने अपना लंड मेरी नंगी चूत पे रखा और अंदर डाला।

आँखें बंद करके मैं राजेश के जिस्म को अपने जिस्म में समाने का आनन्द ले रही थी कि राजेश बोला- आँखें खोलो राधा!

मैंने आँखें खोली, राजेश बोला- आँखें बंद मत करो, बल्कि मुझे खुद को चोदते हुये देखो, इस एक एक क्षण को अपनी यादाश्त में बसा लो कि कैसे मैंने तुम्हारे साथ संभोग किया।

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