पति को मेरा तोहफा भाग 1

मेरा नाम साक्षी है. उस दिन मैं अपनी छोटी बहन श्वेता के बेटे का पहला जन्मदिन मनाने के लिए उसके ससुराल में गई हुई थी. मेरी बहन की यह पहली औलाद थी. घर का चिराग एक साल का हो जाने की खुशी में सब लोग फूले नहीं समा रहे थे. मेरी छोटी बहन श्वेता की सास ने खास तौर पर मुझे जन्मदिन के लिए न्यौता भेजा था.

उसकी सास ने जोर देकर कहा था कि मैं अपने पति मनोज को लेकर एक हफ्ता पहले ही पहुंच जाऊं और जन्मदिवस मनाने के लिए हो रही तैयारियों में हाथ बटाऊं. लिहाजा मुझे हफ्ते भर पहले ही छुटकी के घर जाना पड़ा.

मेरी छुटकी की शादी यूपी के बिजनौर में एक बड़े परिवार में हुई थी. घर में हर तरह का ऐश-आराम था. मैं अपने पति मनोज के साथ ठीक एक हफ्ता पहले ही श्वेता के ससुराल पहुंच गई. चूंकि बेटे का पहला जन्मदिन था तो श्वेता ने जाते ही मुझे गले से लगा लिया.

मगर जब वो मेरे गले लग कर अलग हुई तो उसकी साड़ी का पल्लू मेरे नेकलेस में अटक गया. उसके बड़े बड़े चूचे मेरी नजरों के सामने ही उभर आये. चूंकि अभी वो बच्चे को दूध पिला रही थी तो उसके चूचे और अधिक रसीले हो चले थे. एक बार तो मुझे भी उसके स्तनों के देख कर हैरानी हुई.

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही श्वेता है जिसको मैं अपने मायके में देखा करती थी. शादी और बच्चा होने के बाद उसकी जवानी ऐसे खिल गई थी जैसे गुलाब की कली फूल बन गई हो. चेहरे पर पहले से ज्यादा नूर आ गया था और शरीर भी भर गया था.

मैं उसके पल्लू को अपने नेकलेस से निकालने लगी. काफी देर में उसका उलझा हुआ पल्लू आजाद हो पाया. फिर हम दोनों अलग हुए और मैंने मनोज की तरफ देखा तो उसकी नजर श्वेता के स्तनों की दरार को ताड़ रही थी.

मुझे समझते देर नहीं लगी कि जो भाव मेरे मन में उठे थे वही भाव अपनी साली को देख कर मेरे पति के मन में भी उठ रहे हैं. मैंने उसकी पैंट की तरफ देखा तो उसका लंड फन उठाने लगा था. मगर अभी तक पूरे जोश में नहीं आया था. उसकी नजरों में हवस को मैं साफ साफ पढ़ पा रही थी.

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मैंने मनोज की तंद्रा भंग करते हुए अपना हाथ हिलाया तो उनको होश आया. जब साक्षी ने मनोज को देखा तो उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और अपनी साड़ी के पल्लू से अपने स्तनों को ढक लिया.
साक्षी बोली- अरे जीजा जी, आप भी आये हैं!
मनोज ने कहा- हां जी, साली के बेटे का जन्मदिन है तो आते कैसे नहीं?

तभी उसकी सास भी बाहर निकल आई. हम दोनों ने उनको नमस्ते की और वो हमें बैठक वाले कमरे में लेकर चली गई. कुछ देर तक यहां वहां की बातें होती रहीं और उसकी सास ने बताया कि जन्मदिन की सारी तैयारियां हम दोनों के भरोसे ही हैं.

श्वेता की सास मुझे बहुत मानती थी. इसलिए जब मैं आई तो उनके चेहरे पर निश्चिंतता के भाव भी झलकने लगे थे. उसकी सास ने कहा कि हम लोग तो कल ही मेहमानों के लिए सारे उपहार खरीद लायेंगे. तुम यहां श्वेता और उसके बच्चे को देख लेना.

उसके बाद उन्होंने हमें आराम करने के लिए कह दिया. जल्दी ही शाम हो गई और सारे लोग साथ में मिल कर खाना खाने लगे. खाने के बाद हम दोनों को उसकी सास ने हमारा कमरा दिखा दिया. कुछ देर तक तो हम दोनों बातें करते रहे और देर रात को जब सब लोग सो गये तो पति की जांघों के बीच में लटक रहे उसके सांप ने मेरी चूत के बिल में घुसने के लिए फन उठाना शुरू कर दिया.

मनोज ने मेरी साड़ी और पेटीकोट को एकसाथ ऊपर कर दिया और सीधे ही मेरी चूत में जीभ देकर जोर से उसको चूसने लगे. आज उनका जोश कुछ अलग ही मालूम पड़ रहा था.

शादी के पांच सालों में इतना जोश मैंने एकाध बार ही उनके अंदर महसूस किया था. तेजी से अपनी जीभ को मेरी चूत में मेरे पति ने अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं तड़पते हुए इतनी गर्म हो गई कि मेरे हाथ बेड की चादर को कचोटने लगे. मगर पति की जीभ की रफ्तार थी कि कम नहीं हो रही थी.

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पति का लंड लेने के लिए मेरे अंदर की कामाग्नि भड़क चुकी थी. मैंने उनसे अपनी चूत चुदाई के लिए विनती करनी शुरू कर दी. मगर वो जैसे मेरी बात सुन ही नहीं रहे थे. मेरी चूत में तूफान सा उठ चुका था जिसको शांत किये बिना अब मुझे चैन नहीं मिलने वाला था.

मैंने कहा- मार ही डालोगे क्या आज, अब डाल दो अपना लौड़ा… आह्ह।
मनोज ने कहा- ऐसी भी क्या जल्दी है जान, थोड़ा रस तो पीने दो तुम्हारी चूत का!
मैंने कहा- इतनी देर से रस ही पी रहे हो. मेरा फव्वारा छूटने ही वाला है. इतने भी बेरहम न बनो जी!
वो बोले- क्या मेरा लंड लेने के लिए मेरी बीवी की चूत मचल रही है?

उनकी बात पर मैंने कहा- मचल नहीं रही, बहुत बुरी तरह से तड़प रही है. अब बातें करने में समय बर्बाद न करो और अपने लंड को मेरी इस तपती हुई भट्टी में घुसा दो जान!
वो बोले- तो फिर तुम्हें भी मेरा एक काम करना होगा.

मैंने पूछा- अब मियां बीवी के बीच में शर्त कब से आ गयी?
वो बोले- ज्यादा सवाल न करो. वर्ना तुम्हारी चूत को प्यासी ही रहना पड़ जायेगा आज रात!
मैं बोली- अच्छा ठीक है मेरे सरताज, क्या शर्त है, बताओ भी अब?

मनोज ने कहा- मुझे श्वेता की चुदाई करनी है. आज जब से मैंने उसके ब्लाउज में उसके भरे हुए स्तनों को देखा है तब से ही अंदर एक आग लगी हुई है. बाथरूम में दो बार वीर्य गिरा चुका हूं. अब अगर तुमने अपनी बहन की चूत नहीं दिलवाई तो फिर मैं नाराज हो जाऊंगा. उसका खामियाजा तुम्हारी प्यासी चूत को भुगतना पड़ेगा.

मैं बोली- मगर वो मेरी बहन है. मैं उसको तुम्हारे साथ सेक्स के लिए कैसे तैयार करूंगी?
वो बोले- वो तुम्हारा काम है. तुम देखो. मुझे कुछ नहीं पता. मुझे बस अपनी साली की चूत चोदनी है.
मैंने कहा- ठीक है, मैं पूरी कोशिश करूंगी. मगर अब तो मेरी चूत की प्यास को बुझा दो मेरे राजा. इतनी देर से मेरी चूत में जो आग लगा रखी है तुमने उसको तो शांत कर दो.

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