पति के देहांत के बाद बेटे ने दी ख़ुशी

मेरा नाम ज्योति है मैं अड़तीस साल की हूँ। मैं एक स्कूल में टीचर हूँ। मैं हॉट खूबसूरत हूँ। पर भगवान् ने एक चीज जो छीन ली वो है पति। पिछले साल ही उनका देहांत हो गया है तब से ही मैं अकेली हो गई हूँ। मेरे साथ मेरा एक बेटा है पर वो मानसिक रूप से थोड़ा अस्वस्थ है पर शारीरिक रूप से लंबा तगड़ा है।

हिंदी पोर्न कहानी डॉट कॉम की मैं पिछले छह महीने से रेगुलर पढ़ती हूँ। मैं रोजाना दस बजे रात को इस वेबसाइट को खोलती हूँ और जब भी टाइम मिलता है दोपहर में भी और हॉट सेक्सी कहानियां पढ़ती हूँ। यहाँ तक की कई सहेलियां भी इस वेबसाइट की बड़ी फैन है। आज मैं सोची की मेरा भी फर्ज है जब मैं और भी लोगों की कहानिया पढ़कर एन्जॉय करती हूँ तो आपलोग भी मेरी कहानी पढ़कर एन्जॉय कीजिये।

दोस्तों आज मैं आपको अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये कहनी कल की ही है आज मैं आपके सामने रखने जा रही हूँ। आज मैं आपसे ही पूछना चाहती हूँ अगर आपने किसी की अपने साथ सुलाया और रात को वो चोद दे और फिर आप भी ना ना करते शामिल हो जाएँ तो आप इसको सजा कहेंगे की मजा कहेंगे। कल से ही ये सभी बातें सोच सोच कर पागल हो रही हूँ इसलिए मैं आपसे ही पूछना चाहती हूँ। अब मैं सीधे कहानी पर आती हूँ।

जैसा की आपको पता है मेरे पति का देहांत हो गया है और बेटा है। मैं घर में अपने बेटे के साथ रहती हूँ। मेरी उम्र भी उतनी नहीं है पर जल्दी शादी हो गई और बेटा हो गया तो जवानी थोड़ी ना ढल जाती है। दोस्तों ऐसे तो हम दोनों अलग अलग सोते हैं। वो बारहवीं के बाद पढाई छोड़ दिया है। अपना तीन मकान है किराये पर लगा हुआ है किराया से ही घर आराम से चलता है किसी चीज की कोई कमी नहीं है। बाकी मैं खुद ही टीचर हूँ मन लगाने के लिए।

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कल की बात है शर्दी ज्यादा पड़ने की वजह से जल्दी हो सो जा रहे हैं। कल रात बेटे ने जिद कर दी की मैं भी आपके साथ ही सोऊंगा। मैं बोल रही थी की बेटा तुम अपने बेड पर सोओ क्यों की तुम बड़े हो गए हो। तो वो कहने लगा की आप ही तो कहती हूँ। बेटा चाहे तुम कितने बड़े हो जाओ रहोगे मेरे लिए हमेशा छोटे। दोस्तों अब आप ही बताओ ये शब्द कौन माँ बाप अपने पुत्र पुत्री को नहीं कहता। वैसे ही मैं कह दी और वो मान लिया की मैं अभी बहुत छोटा हूँ।

रात में जिद करने लगा। पर करती क्या मैं भी अपने बेटे से प्यार करती हूँ। मेरा और कोई सहारा नहीं है। और इसको भी मेरे शिवा कोई नहीं है। रात में सुला तो लिए। पर धीरे धीरे वो अपनी टांग मेरे पर चढ़ा दिया। और फिर धीरे धीरे उसका हाथ मेरी चूचियों पर भी सरकने लगा. मैं मना करने लगी बेटा अपना हाथ अलग रखो पर वो नहीं माना। कभी वो मेरी गाल को छूता तो कभी मेरी चूचियां कभी वो मेरे पेट को सहलाता तो कभी अपना पैर मेरी जांघ पर रखता।

मैं घूम कर सो गई। सोची वो सो जाएगा। पर वो ऐसा नहीं किया ,वो मेरी गांड में अपना लौड़ा सटाने लगा और धीरे धीरे कर के उसका लौड़ा काफी मोटा और लंबा हो गया क्यों की वो गांड में सटाये जा रहा था। मैं फिर सीधी हो गई और बोली ये क्या कर रहे हो ? वो कुछ भी नहीं बोला और उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी। वो बार बार थूक घोंट रहा था। उसके बाद उसने हद कर दी. मेरे ब्लाउज का हुक खोलने लगा मैं मना करते रही तभी वो मेरे होठों को चूमने लगा.

वो तब तक ब्लाउज का हुक खोल चुका था और ब्रा निचे कर दिया मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और फिर निप्पल को पीने लगा। दोस्तों ऐसा करते ही मेरे अंदर पहले मातृत्व की भावना जाग गई। और मैं अपना दूध पिलाने लगी। दूध तो निकल नहीं रहा था पर मेरी चूत से पानी जरूर निकलने लगा. धीरे धीरे वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मैं अपने कपडे उतार दी। अब वो मेरे जिस्म से खेलने लगा। धीरे धीरे वो निचे गया और फिर मेरी चूत चाटने लगा। मैं सिसकारियां लेने लगी। वो अपना जीभ मेरी चूत में देने लगा मैं पागल होने लगी।

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दोस्तों अब मैं कामुक हो चुकी थी मेरी अन्तर्वासना भड़क उठी थी। मैं चुदने को तैयार थी। अब मैं मजे लेने लगी। मैं खुद ही अपने पैरों को अलग अलग की और उसका लौड़ा पकड़ पर अपने चूत पर लगाई और बोली घुसा। उसने धक्के दिए और पूरा लौड़ा मेरी चुत के अंदर चला गया। मुझे बर्षों की तम्मन्ना पूरी हुई क्यों की कई साल हो गए चुदाई को। आज फिर से खेत में पानी पड़ा और फसल लहलहा गया। दोस्तों अब वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा और मैं खूब मजे लेने लगी। अब मैं अलग अलग तरीके से चुदवाने लगी और वो भी मुझे खुश करने लगा.

दोस्तों पूरी रात अपने जिस्म को उसके हवाले कर दी और खूब मजे ली। आज दिन भर उठा नहीं गया क्यों की कमर में दर्द और चूत सूज गया था। उसका भी लौड़ा काफी दर्द कर रहा है। पर जो भी हुआ अच्छा हुआ। आप चाहे इसको सजा कहें या मजा कहें। सजा तो दर्द कर चुदने का पर मजा रात रंगीन करने का.

Comments 1

  • Such type of incidence should be taken positive for enjoyments, not in practical. It encourages the modern generations for advancement in their life and it may create problems in the later stage.
    Thanks.

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