ही दोस्तो मई फ़ातिमा आपके लिए एक और नयी सॅकी कहानी लेकर आई हू जो की मेरी दोस्त जन्नत की है आयेज की कहानी आप जन्नत की ज़ुबानी सुनिए..
हेलो दोस्तो मेरा नाम जन्नत है, और मई 42 साल की हूँ, मई दिखने मे गोरी और मोटी हूँ मेरा फिगर 38-34-40 है, मेरा एक बेटा है जिसका नाम साजिद है और उसकी उमर 24 साल है और मेरे सोहर का नाम ताहिर है जिनकी उमर 50 साल है, तो अब कहानी पे आते हैं.
जब मेरी उमर 18 साल की थी तो मेरे अब्बू ने मेरा निकाह ताहिर से करवा दिया और ताहिर की उमर टीबी 25 साल थी. ताहिर शुरू से बहुत गुस्से वेल थे बात बात मे गुस्सा करना उनकी आदत थी.
जब मई 18 साल की हुई तो मैने अपने बेटे साजिद को पैदा किया और बसस उसी की देख भाल मे मान लगा रहता था. धीरे धीरे मेरे सोहर बहोट ज़्यादा शराब पीने लगे और मुजसे मार पीट भी करने लगे.
वो दारू पी के मुझे गंदी गंदी गालिया देते बोलते तू रंडी है मेरे पीठ पीछे गैर मर्दो से छूट बजवती है. लेकिन ऐसा कुछ भी नही था मैने आज तक अपने सोहर के साइवा किसी गैर मर्द के तरफ देखा भी नही था.
वक़्त बीट ता गया और मेरे बेटा भी जवान हो गया और वो मुजसे बहोट प्यार करता था दिन रात अम्मी अम्मी करता रहता था, एक बार की बात है मई मेरे सोहर मार्केट शॉपिंग के लिए गये थे.
मई – भैया कोई अची सी सारी दिखना.
डुकरदार – भाभी जी ये लो लाल रंग की शारी आप पर बहुत अची लगेगी.
मैने वो शारी देखी और मूजी भी पसंद आई तो मैने अपने सोहर से कहा.
मई – ये अची है ये ले लेते है.
हज़्बेंड – (दुकानदार से) भाई कितने की है.
दुकानदार – भाई जी वैसे तो 5000 की है लेकिन भाभी जी रोज कपड़े यही से लेती है तो आप के लिए 4500 लगा दूँगा.
हम शॉपिंग करके घर आए तो मेरे सोहर घर पोंछते ही मेरे बाल पकड़ कर मुझे धक्का देते हैं.
हज़्बेंड – साली रंडी कितनी बार नंगी हुई है उसके सामने जो उसकी पसंद की सारी लेली.
मई – (रोते हुए) ये क्या बोल रहे हो आप?
हज़्बेंड – वो भी तेरा ख़सम है ना रंडी तू उससे अपनी छूट मरवती है तभी तेरे लिए बिना बोले सस्ता लगा दिया.
मई – आप पागल तो नही है अंदर साजिद भी सुन रहा है आपकी ये बाते अब वो बड़ा हो गया है कुछ तो शरम करो.
हज़्बेंड – रंडी उसे भी तो पता चले उसकी अम्मी बाहर क्या क्या करती है.
इतने मे साजिद अंदर से गुस्से मे बाहर आ जाता है.
साजीब – अब्बू आप ये क्या अनब सनब बोलते रहते हो क्या रोज रोज का ड्रामा लगा रखा रहता है.
मई – (रोते हुए) बेटा तू अंदर जेया हुमारी आपस की बात है.
और इतने मे मेरे सोहर भी गुस्से मे बाहर चले जाते हैं, मई वही पे रो रही होती हूँ तो मेरा बेटा आके मुझे ज़ोर से गले लग जाता है.
साजीब – अम्मी रोने की ज़रूरत नही है, अब्बू की आदत है बकवास करने की.
दिन ऐसे ही बीट जाता है और रात मे मेरे सोहर शराब पी कर आते हैं और गुस्से मे मुझे बुलाते है.
हज़्बेंड – जन्नत साली रंडी बाहर आ.
मई – क्या हुआ?
हज़्बेंड – तू साली बाहर चुड़वति है टुजे मई तलाक़ देता हू अभी तलाक़ तलाक़ तलाक़…
मई रोने लगती हू और वो गुस्से मे मेरे बाल पकड़ कर मुझे घ्र से बाहर फेंक देते है इतने मे मेरे बेटा आता है.
साजिद – आप रहो यहा अकेले मई अम्मी के साथ जौंगा.
रात को साजिद होटेल करता है हम एक रात होटेल मे बिता कर अगली सुबा वो एक घर किराए मे ले लेता है और नोकारी करने लगता है और घर का पूरा खर्चा उठाने लगता है.
ज़्ब बहोट आचे से चलने लगता है और मई भी बहोट ख़ुसी से जीने लगती हूँ एक रात मेरा बेटा मेरे पास आकर कहता है.
बेटा – अम्मी आप खुश तो हो ना?
मई – हन बेटा मई बहोट खुश हू.
बेटा – अम्मी आप घर मे रोज बोर हो जाते हो चलो कल आप और मई घूमने जाएगे.
नेक्स्ट दे हम दोनो घूमते हैं और रात को घर आ जाते हैं घर आके हम टीवी ड़खने लगते हैं.
बेटा – अम्मी कैसा लगा आज?
मई – बेटा बहोट मज़ा आया आज, इतनी जगह तो मैने आज ट्के कभी देखी ही नही थी.
बेटा – अम्मी अब मई आपको ऐसे ही टाइम टाइम ले घूमने ले जौगा.
मई – बेटा कितना ख्याल र्खहता है तू मेरा.
बेटा – अम्मी आपके लिए एक गिफ्ट लाया हू.
और जेब से निकल कर गिफ्ट देता है मई गिफ्ट खोलती हूँ उसमे सोने की चूड़िया रहती हैं.
मई – बेटा ये तो बहोट महगी लगती हैं.
बेटा – अम्मी आपकी ख़ुसी से ज़्यादा महनगी नही हैं लेकिन.
मेरी आँखो मे आँसू का जाते हैं मई अपने बेटे को गले लगा लेती हूँ वो भी कस के मुझे अपनी बाहो मे जाकड़ लेता है मेरे मोटे मोटे बूब्स मेरे बेटे के सीने से चिपक जाते हैं और फिर मेरे आँसू सॉफ करके बोलता है.
बेटा – अम्मी आपकी आँखो मे कभी आँसू नही देख सकता.
और मेरे गाल पे किस करके मुझे चूड़िया पहनता है.
बेटा – अम्मी आपके गोरे हाथो मे ये बहोट प्यारी लग रही हैं.
और मई उसको वापस गले लग जाती हूँ और वो भी मुझे कस के जाकड़ लेता है और अपने हाथ मेरी पीठ मे फेरने लगता है मई भी आँख ब्न्ड करके अपने बेटे के गले लगी रहती हू इतने मे बाहर डोर बेल बजती है और हम दोनो अलग होते हैं.
बाहर दरवाजा खोलते हैं तो मेरे सोहर आए होते है वो आते ही रोने लगते हैं और रोते रोते रिक्वेस्ट करते है.
हज़्बेंड – जन्नत मुझे माआफ़ कर्दे तुम दोनो के बिना मई जी नही पौगा मई अब सुधार चुका हूँ.
जैसे तैसे रो धो के वो मुझे वापस निकाह के लिए माना लेते हैं नेक्स्ट सुबा वो अपने डोर के भाई को लेकर आते हैं और बोलते हैं.
हज़्बेंड – जन्नत देख ना बड़ी मुस्किल से इसको माना कर लाया हू टुजे फ्ले इसस्स निकाह करना होगा टीबी जाके हम वापस निकाह कर सकते हैं.
मेरी पैरो तले ज़मीन खिसक जाती है पर ये तो रिवाज है अगर अपनी तलाक़ दी हुई बीवी वापस छाईए तो उसका निकाह किसी और से करवाना होता है.
हज़्बेंड – जन्नत कुछ नही होता बसस एक रात की बात है अगली सुबा ये टुजे तलाक़ दे देगा और हम निकाह कर लेंगे.