हैल्लो दोस्तों, आपका हिंदी चुदाई कहानी के दुनिया में स्वागत है.. मेरा नाम बबलू है. में दिल्ली का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 36 साल है. में आज आप सभी लोगों को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ. जिसमें मैंने अपने पड़ोस की एक लड़की को चोदा. वैसे मुझेबचपन से ही सेक्स करना बहुत पसंद था और अब पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक है. मैंने अब तक बहुत सारी कहानियाँ पढ़कर उनके मज़े लिए और इसलिए मेंने सोचा कि क्यों न जो घटना मेरे साथ हुई, उसको में आप लोगों को सुनाऊँ.
मेरी यह कहानी आप सभी को जरुर अच्छी लगेगी और अब आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधे आज की कहानी पर आता हूँ. दोस्तों उस समय मेरे पड़ोस में अग्रवाल साहब रहते थे और वो मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त थे, इसलिए मेरा उनके घर पर आना जाना लगा रहता था. इसलिए वो लोग भी हमारे घर पर आते-जाते रहते थे, उनके पांच बच्चे थे. जिनमें तीन लड़कीयां और दो लड़के थे और उनके लड़के मेरी उम्र के ही थे, इसलिए हम लोग हमेशा साथ में खेला करते थे. ये कहानी आप हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है..
दोस्तों अग्रवाल साहब की सबसे बड़ी लड़की का नाम अनु और वो मुझसे उम्र में करीब तीन साल छोटी थी, लेकिन थी बहुत सुंदर और उसका स्वभाव भी मेरे लिए बहुत अच्छा था और वो मुझसे बहुत ज्यादा हंसी मजाक किया करती थी. मैंने कई बार सही मौका देखकर उसके बूब्स, गांड को छुआ, लेकिन वो बस मुस्कुराकर रह जाती, लेकिन मुझे कुछ ना कहती.
धीरे-धीरे हम लोग जवान हो रहे थे. हम लोग उस समय हम चुप्म चुपाई का खेल खेला करते थे और एक दिन हम सभी लोग मिलकर खेल रहे थे. उस समय हम दोनों ऊपर वाले कमरे में जाकर छुप गये, तो मैंने देखा कि उस कमरे में बहुत ज्यादा अँधेरा था और अब वो ठीक मेरे आगे खड़ी थी.
कुछ देर बाद उसने अपने कूल्हों को पीछे की तरफ दबा दिया, जिसकी वजह से वो अंजाने में मुझसे एकदम चिपक गई थी. अब उसकी गांड की गरमी पाकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया, इसलिए मैंने उसको और भी आगे की तरफ धक्का दे दिया. मैंने ऐसा करीब चार पांच बार किया और मैंने हिम्मत करके अपने दोनों हाथों को उसके आगे लाकर उसके बूब्स को पकड़ लिया, मेरे दोनों हाथ उसके छोटे आकार के, लेकिन एकदम गोल गरम बूब्स पर थे. ये कहानी आप हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है..
उसकी सांसे ज़ोर से चलने की वजह से मुझे उसकी छाती अंदर बाहर होती हुई महसूस हो रही थी, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली और मैंने उसकी तरफ से किसी भी तरह का विरोध ना देखकर तुरंत थोड़ी और हिम्मत करके उसके कपड़ो को झट से ऊपर उठाकर उसके बूब्स को नंगा कर दिया और अब में उसकी छाती को अपनी तरफ घुमाकर बूब्स को ब्रा को ऊपर करके बाहर निकालकर ज़ोर ज़ोर से चूसने दबाने लगा.
उसके मुहं से सस्स्स्स्स्स्स आईईईइ की आवाज़ निकल रही थी. मैंने करीब पांच मिनट तक उसके बूब्स को बहुत मज़े लेकर चूसा और चूसने की वजह से उसको बहुत दर्द हुआ, इसलिए मैंने उसको छोड़ दिया और उसने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए.
उसके बाद हम दोनों नीचे आ गये और वो मेरी तरफ मुस्कुराती हुई अपने घर पर चली गई और में उसके चले जाने के ठीक बाद बाथरूम में चला गया और अब मैंने उसके नाम की मुठ मारी और अपने खड़े लंड को बैठा दिया, लेकिन उसके बाद मेरी हिम्मत अब इतनी बढ़ चुकी थी कि जब भी मुझे मौका मिलता तो में उसको पकड़कर अपनी बाहों में दबोच लेता और उसके बूब्स को दबा देता था. मैंने उसके साथ यह सब बहुत बार किया और उसने भी धीरे धीरे अब मेरा साथ देना शुरू कर दिया था, क्योंकि अब शायद उसको भी मेरे साथ मज़ा आने लगा था.
एक दिन हमारी अच्छी किस्मत से हम दोनों के घरवाले फिल्म देखने चले गये, लेकिन उनके घर से अन्नु और मेरे घर से में भी उनके साथ नहीं गया था, क्योंकि में उस समय अपने घर से बाहर था और मुझे घर पहुंचने में ज्यादा समय लगता, इसलिए मेरे घरवाले मुझसे फोन पर यह बात कहकर चले गए कि हम सभी लोग और अन्नु के घर वाले हम सभी फिल्म देखने जा रहे है.
जब में अपने घर पर आया तो मैंने देखा कि अन्नु मेरे घर पर बैठी हुई थी. मैंने उससे बिल्कुल अंजान बनकर पूछा कि घर के सभी लोग कहाँ है और वो मुझसे बोली कि वो सभी फिल्म देखने गये है.
मैंने उससे पूछा कि तुम भी उनके साथ क्यों नहीं गई? तो वो मुझसे हंसकर कहने लगी कि बस ऐसे ही मेरी इच्छा नहीं थी. तभी मैंने उसके बूब्स को पकड़ लिया और उसको कपड़ो के ऊपर से ही चूमने लगा और दबाने लगा, तो वो मुझसे बोली कि तुम ऊपर वाले कमरे में चलो, में पूरे घर को ताला लगाकर अभी ऊपर आती हूँ. मैंने उससे बोला कि में भी तुम्हारे साथ चलता हूँ और मैंने एक चादर को उठा लिया, वो जल्दी- जल्दी से अपना काम खत्म करने लगी और हम दोनों ऊपर वाले कमरे में आ गए.
मैंने उस चादर को ज़मीन पर बिछा दिया और लेट गया. वो भी मेरे साथ लेट गयी. अब मैंने उसके गुलाबी होंठो को चूमना शुरू कर दिया और धीरे धीरे मैंने महसूस किया कि उसको भी अब बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने उसको कपड़े उतारने के लिए कहा, लेकिन वो मना करने लगी. ये कहानी आप हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट ऑर्ग पर पढ़ रहे है.. मैंने कहा कि तुम नंगी हो जाओ कुछ नहीं होगा, तुम मेरे होते हुए डरती क्यों हो? वो मुझसे बोली कि ठीक है, में ऊपर वाले कपड़े खोल देती हूँ, लेकिन सलवार नहीं उतारूंगी.
मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है और उसने जैसे ही ऊपर से अपने कपड़े उतारे. मैंने देखा कि उसके छोटी छोटी बूब्स की वो निप्पल एकदम टाईट हो चुकी थी और उसको देखकर मेरा लंड पेंट फाड़ने को तैयार हो गया और जैसे ही में पेंट खोलने लगा तो उसने मुझसे साफ मना कर दिया और वो मुझसे बोली कि तुम पूरी पेंट नहीं बस चैन खोलकर उसको बाहर निकाल लो.
अब मैंने उसके कहने पर अपनी पेंट की चैन को खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरा 6.5 इंच का लंड तनकर लोहे के सरीये की तरह खड़ा हो गया था. मैंने उससे बोला कि तुम अब इसको पकड़ लो.