पडोसी का लुंड एक दम मस्त

नमस्कार दोस्तो, मैं राज रोहतक से फिर हाजिर हूँ एक और कहानी लेकर ये कहानी मेरी एक महिला मित्र की है जिससे पहले मेरी फेसबुक पर बात हुई फिर उनको मुझ पर विश्वास हुआ तो हमने फोन पर बात की।
तो उन्होंने अपने साथ हुई एक घटना बतायी.

दोस्तो, यह कहानी है मेरी मित्र निष्ठा (काल्पनिक नाम) की है. उनकी बतायी हुई कहानी उन्ही की जुबानी सुनें।

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्ते. मैं निष्ठा हूँ. मैं रोहतक के पास के ही गांव की शादीशुदा महिला हूँ. मेरी उम्र 41 साल हो गयी है. मेरी शादी को 25 साल हो गये है. गांव में पहले जल्दी शादी हो जाती थी तो कम उम्र में मेरी भी शादी हो गयी थी।

मेरी पति शुरू खेती ही करते हैं और शराब भी बहुत पीते हैं. वो शुरू से ही मुझे प्यार कम और मारपीट ज्यादा करते हैं. अब भी वो झगड़ा करते हैं छोटी छोटी बातों पर।

मेरा एक बेटा और एक बेटी है. बेटे का नाम रवि और बेटी का नाम तनवी है मेरा बेटा रवि 23 साल और बेटी 20 साल की हो गयी है और अगले साल तनवी की शादी है।
परिवार में हम 4 सदस्य ही हैं.

हमने नया मकान बनाया है तो हमने भैंस रखनी छोड़ दी है. मैंने पास ही के घर से दूध लेना शुरू कर दिया।

कुछ अपने बारे में बता दूँ. मेरी हाइट 5 फीट 4 इंच है और बहुत गोरी हूँ मैं! आस पास में पहले ही मेरी खूबसूरती के चर्चे थे.

कुछ एक तरफा प्यार में पागल थे. कभी उनके पास से गुजरती जैसे गांव में पानी लाने या कभी खेत में जाते समय तो वे मजनूं मुझे बात मारते थे- क्या माल है … एक रात मिल जा तो कती फाड़ दयूँ।
मतलब बुरी से बुरी बात करते पर मैंने किसी को भाव नहीं दिया।

लेकिन 2019 में इस उम्र में मैं बहक ही गई. पति ने सारी जवानी बस शराब और मारपीट करके ही निकाल दी लेकिन अब मैं खुद को रोक नहीं पाई।

सुनिए कैसे क्या हुआ!

पर सबसे पहले शुक्रिया मेरे दोस्त राज का … जिसकी वजह से मैं अपनी बात आपके साथ शेयर कर सकी. क्योंकि यह बात मैं गांव में किसी को नहीं बता सकती।

तो अब मैंने पड़ोस से ही दूध लेना शुरू कर दिया. जिस घर से मैं दूध लाती हूँ, उस घर में दो ही सदस्य हैं; मां और उसका बेटा संजय. संजय 25 साल का है, गोरा चिट्टा है.
लेकिन पहले ही मैंने खुद को गलत रास्ते पर जाने से रोक रखा था तो अब तो कोई ख्याल ही नहीं था इस काम का।

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तो मैं सुबह शाम दूध लाती संजय के घर से … तो थोड़ी देर बात कर लेती संजय और उसकी मां से!
उनका घर बड़ा था. नीचे भैसों का कमरा …. साथ में एक कमरा, ऊपर दो कमरे, रसोई बाथरूम सब ऊपर ही थे तो वो ऊपर रहते थे।

कुछ दिन पहले मुझे शाम का दूध लाने में देरी हो गयी तो उनका गली का गेट बन्द था.
मैंने गेट को थोड़ा हाथ लगाया तो वो खुल गया और मैं अन्दर आ गई.

अंदर आकर मैंने देखा तो संजय नीचे खुले में खड़ा आंख बन्द किये लंड को हिला रहा था।

मैं चुपचाप खड़े उसके लंड को देख रही थी और वो मस्ती में आंख बन्द किया लंड हिला रहा था.
उसका लंड बड़ा था और मैं आंखें फाड़कर देखती रही।

फिर उसने तेज हिलाना शुरू कर दिया तो मैं समझ गई कि अब उसका पानी निकलने वाला है.
तो मैं वापस गेट की तरफ गई और वहीं से आवाज दी और मैं अन्दर आने लगी.

संजय भैसों वाले कमरे में घुस गया. शायद लंड को साफ करने गया था।
तो मैं ऊपर चली गई तो ऊपर के कमरे बंद थे.

मैंने कहा- कोई है?
तो नीचे से संजय की आवाज आई- मां मामा के यहाँ गई है, कल आएगी. मैंने दूध निकाल दिया है, मैं आ रहा हूँ दूध डालने।

वो ऊपर आने लगा तो मेरी नजर उसके लंड पर थी और वहाँ पर कुछ गीला था. मैं समझ गयी कि मेरी आवाज सुन कर लंड का पानी पैंट पर ही गिर गया होगा.
मैंने संजय को खाने के लिए पूछा तो उसने कहा- मैं खुद बना लेता हूँ.
तो मैं घर आ गई।

रात को सोचती रही कि क्या मस्त लंड है संजय का! मेरे मन में सेक्स की भावना आने लगी तो मैं उठी और अपने पति के पास गई क्योंकि मेरे पति अलग कमरे में सोते हैं.
गांव में बच्चे बड़े हो जाते हैं तो पति पत्नी एक कमरे में नहीं सोते. या तो बच्चे साथ में सोते हैं या पति अलग कमरे में।

कभी कभी ही सेक्स हो पाता है. दिन में ही मौका मिल जाता है या सुबह सुबह जल्दी उठ जायें तो!

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मैं अपने पति के कमरे की तरफ गई तो उन्होंने दरवाजा अन्दर से बंद कर रखा था।
घर में मैं और मेरी बेटी एक साथ सोते हैं. मेरा बेटा दूसरे राज्य में नौकरी करता है तो वो महीने में एक दो बार आता है।

मैं उनका कमरा अन्दर से बंद देख अपने कमरे की तरफ आ गई. लेकिन मन में ख्याल संजय के लंड का ही था तो नींद ही नहीं आ रही थी. मैं लेटे लेटे अपनी चूत को रगड़ रही थी.

जैसे तैसे सुबह हो गयी।
अब मैं जल्दी ही दूध लेने चली गई क्योंकि संजय अकेला था तो सोचा कि शायद फिर से उसके लंड के दर्शन हो जायें.

गेट खुला हुआ था तो मैं ऊपर गई तो संजय चाय बना रहा था तो वो बोला- चाय पी लेना आप भी!
लगती तो मैं उसकी चाची थी … लेकिन वो आप ही बोलता था।

तो चाय बना कर उसने एक कप चाय मुझे भी दी और मेरा दूध डाल कर नीचे चला गया.
मैं भी चाय पीकर, दूध लेकर नीचे आ गई और अपने घर आ गई.

लेकिन दिमाग में वही कल की बात घूम रही थी. पति के बेरूखी की वजह से जो तमन्ना दबी हुई थी, संजय का लंड देख अब सेक्स की भावना बढ़ने लगी।

अब मैं अच्छे सै तैयार होकर संजय के घर जाने लगी. अब मैं वासना में भूल गई कि मेरी उम्र कितनी है, बच्चे कितने बड़े हैं. मुझे अब तो बस संजय का लंड चाहिए था।

जब मैं संजय के घर जाती तो वो दूसरे कमरे में जाता और मैं नीचे आने लगती तो वो खिड़की खोल कर लंड हिलाता. मैं उसका लंड देखकर भी अन्जान बनकर चली जाती.

अब मेरी वासना बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन चाहती थी कि संजय पहल करे!

मैं अगले दिन सुबह दूध लेने गयी तो संजय धीरे से बोला- निष्ठा दे दे न!
लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा. मैं चाहती थी कि वो खुल कर पहल करे।
वो ये बोल कर नीचे चला गया.
तो मैंने देखा कि वो नीचे कमरे में खड़ा होकर लंड हिला रहा है और मुझे देखकर भी नहीं लंड अन्दर किया और एक हाथ में लंड पकड़कर दूसरे हाथ से मुझे अन्दर आने का इशारा करने लगा।

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