करवचौट के दिन पडोसी से चूड़ी

मेरी यह सेक्स कथा कुछ दिन पहले गए करवाचौथ की रात की है जब मैंने अपनी पड़ोसन को चुदाई का असली मज़ा दिया।

मेरा नाम चन्दन है और मैं रेवाड़ी का रहने वाला हूँ। मेरी हाइट 5’10” है. मेरा लन्ड हर चुत की संतुष्टि के लिए कामयाब है। रंग गोरा, फुर्तीला शरीर और अच्छे व्यक्तित्व वाला इंसान हूँ जो सभी की हर शारीरिक जरूरत को पूरा करता है या करवाता है।
मैं अन्तर्वासना का 7 साल से पाठक हूँ और बहुत सी चुदाई तो इस साइट से पढ़कर की है और प्यासे की प्यास बुझाई है। मैंने आज तक बहुत सी चुदाई की है.

जब करवाचौथ के चार दिन बाकी रह गए तो सभी सुहागिन औरतें तैयारी में लगी हुई थी कि तभी उस पड़ोसन भाभी ने मुझे फ़ोन किया। अनजान नंबर था इसलिए मैंने एक बार में नहीं उठाया. जब दोबारा कॉल आया तो मैंने जैसे ही फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ से एक प्यारी सी आवाज ने ‘हेलो …’ बोलकर दिल को छू लिया.

थोड़ी देर तक वो मीठी मीठी बातें करती रही, फिर मैंने पूछ ही लिया कि आप हो कौन?
तब उस भाभी ने अपना नाम पूजा (काल्पनिक) बताया.
मैंने कहा- क्या मैं आपको जानता हूं?
तो पूजा बोली- जब मेरे पीछे पीछे आकर मेरे बदन को निहारता है तो और कितना जानेगा?

पूजा की यह बात सुनते ही मेरा लन्ड खड़ा हो गया, मैं समझ गया कि ये कौन सी भाभी है.

फिर वो बोली- अपने पड़ोस में आ जा।
पूजा भाभी हमेशा चुप्पी साध कर रहने वाली औरत थी, मैंने सोचा कि शायद यह आज रात को ही चुद जाये. मग़र मैंने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और पूजा के पास चला गया।
जैसे ही मैंने पूजा को देखा तो मन किया कि अभी चोद दूँ.

मगर जरूरी था कंट्रोल करना तो मैंने पूछा- क्या बात है पूजा?
ये बोलते ही पूजा बोली- क्या बात है … बड़ा प्यार आ रहा है? पूजा भाभी से सीधा पूजा?
और बोली- तेरे मुँह से अच्छा लगता है. चल अब अपनी बाइक ले आ, मुझे बाजार जाना है.
मैंने कहा- शाम का टाइम है, देख लो?
बोली- सब देख लिया… तो चल।

हम चल दिये. भाभी ने सूट पहन रखा था और बाइक पर दोनों साइड पैर किये हुए बैठी थी. कि तभी सड़क पर बाईक के सामने एक कुत्ता आ गया और मैंने जोर से ब्रेक लगा दिए. तो भाभी मुझसे चिपक गयी और बोली- थोड़ा सब्र करो!
फिर हमें बाजार से लौटते हुए काफी रात हो गयी.

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मैं चुप था तो पूजा बोली- क्या बात है मेरे मजनूँ … क्या हुआ?
मैंने भी मजाक में बोल दिया- कुछ नहीं पूजा … अब कौन है तेरे बिना मेरा दूजा?
पूजा जोर से हंसी और मेरी पीठ पर मुक्का मार के बोली- जितनी मस्ती चढ़ी है ना … सारी निकाल दूंगी।
मैं भी बोला- इसी का तो इन्तजार है।

तभी रास्ता सुनसान देख कर मैंने बाइक रोक दी. भाभी उतर कर साइड में खड़ी हो गयी. पास में ही एक अधूरा बना मकान सा था, मैंने पूजा का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए उस मकान में ले गया. अंदर जाते ही मैंने भाभी के होंठों पर अपने होंठ रख दिये. तभी मुझे पता लगा कि भाई तो भाभी की आग नहीं बुझा सके तभी भाभी इतनी गरम मसाला है.

किस करते हुए जैसे ही मैंने पूजा की सलवार खोलनी चाही तो पूजा दूर हो गयी और बोली- बस आज के लिए इतना ही … बाकी फिर कभी।
मैंने काफी मिन्नतें भी की पर पूजा के दिमाग में बड़ा प्लान चल रहा था जो मैं उस वक्त नहीं समझ सका। लेकिन तब तो मैं पूजा से गुस्सा हो गया.

करवाचौथ वाले दिन तक मैंने न पूजा की तरफ देखा और ना ही कोई बात की।
करवाचौथ वाली शाम को पूजा मेरे घर आई और मेरी मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने भी गुस्से में बता दिया कि वो प्लाट में गयी हैं, आधे घंटे बाद आयेंगी.

यह सुनते ही पूजा ने मुझे मेरे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और मुझे पागलों की तरह किस करने लगी।
जैसे ही मैं गर्म हुआ कि तभी पूजा मेरे से दूर हो गई और बोली- अभी बस इतना ही … आज रात को तेरी सारी नाराज़गी दूर कर दूंगी।
मैं भी रात होने का इंतजार करने लगा।

तभी मेरी मम्मी आ गयी तो भाभी मेरी मम्मी से बोली- चाची, आज चन्दन को मेरे घर सोने को भेज देना, मेरी सासु माँ ने बोला है.
मेरी मम्मी ने मुझे बोला- ओ … आज अपनी भाभी के पास सोने चले जाना।
मैंने झूठ मूठ मना किया पर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे, मैंने बुरा मुँह बना के बोल दिया- ओके … चला जाऊंगा।

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रात को मां ने कोई ख़ास खाना नहीं बनाया हुआ था, मूंग चावल बनाए थे जो मुझे पसंद नहीं तो मैं बिना खाए पूजा के घर चला गया.
वहां जाकर देखा तो पूजा घर में अकेली थी. उसने तरह तरह के पकवान बनाए थे।
मैंने पूछा- ये पकवान किसके लिए बनाए हैं?
तो पूजा ने कहा- ये मैंने अपने पति के लिए बनाए हैं, आज रात को मैं अपने पति को अपने हाथों से खिलाऊंगी.

लेकिन घर में कोई नहीं था तो मेरे मन में कई तरह से सवाल उमड़ रहे थे कि पूजा के पति कहाँ हैं? वो कब आयेंगे. मेरे बारे में पूजा उन से क्या कहेगी. लेकिन मैंने कुछ भी पूछना उचित नहीं समझा और पूजा जैसे जो करती रही, मैं देखता रहा.

और इस तरह हमें छोटी-छोटी बातें करते हुए रात के लगभग 9:00 बज गए कि तभी पड़ोसन ने आवाज दी- बहन जी, चांद निकल आया है, अपनी पूजा पाठ कर लो.
मैंने कहा- जाओ पूजा … पूजा कर लो!
तो पूजा बोली- थोड़ी देर रुको, जब सब ऊपर से नीचे चले जाएंगे, तब हम जाकर पूजा करेंगे.

मैं और पूजा लगभग आधे घंटे बाद छत पर चांद की पूजा करने गये. मैं साइड में खड़ा था तो पूजा ने छलनी में से पहले चांद को देखा फिर मुझे देखा और फिर चांद की आरती की फिर मेरी आरती की.
मैं पूजा की हरकत समझ गया और मैंने पूजा को अपने हाथों से पानी पिलाया फिर पूजा को गोद में उठाकर नीचे लाया. मैं उठा कर ला रहा था तभी मेरी वासना इतनी प्रबल हो गई, मन किया कि पूजा को भी चोद दूँ.
लेकिन मैंने अपने मन को मारा और अपने लन्ड को कंट्रोल करते हुए चुपचाप पूजा को रसोई के पास उतार दिया. पूजा ने एक बड़ी थाली में सारे पकवान सजा लिए और लाकर मेरे पास बैठ गई।
मैंने जिंदगी में पहली बार पूजा को अपने हाथ से और किसी औरत को इतने प्यार से खाना खिलाया। पूजा ने भी मुझे इसी तरह बड़े प्यार से खाना खिलाया.

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