पडोसी भाभी की गरम चुत को पानी डाला

मैं धीरे से अपने होंठों को भाभी के होंठों के पास ले गया और फिर मैंने उसके होंठों को चूम लिया. वो थोड़ी हिचकी लेकिन मेरे अंदर अब तूफान सा उठने लगा था. मैंने भाभी के होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही भाभी ने मेरा साथ देना शुरू कर दिया.

मुझे तो चुदाई की जल्दी मची हुई थी. मैंने फटाक से भाभी को नंगी कर दिया. उसके गाउन को निकाल फेंका और उस पर टूट पड़ा. मैंने भाभी की टांगों को फैलाया और उसकी चूत को चाटने लगा. वो सिसकारियां लेने लगी. काफी देर तक भाभी की चूत को चाटने के बाद मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिये.

उसके होंठों को चूसते हुए मैंने अपने लंड को भाभी की चूत पर लगाया और लंड को चूत में पेल दिया. भाभी ने गच्च से मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया. मैं बिना देरी किये भाभी की चूत को चोदने लगा. भाभी के मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ बीच-बीच में मैं भाभी के चूचों को दबा भी रहा था और कभी उसके निप्पलों को पी रहा था.

बहुत ही गर्म माल थी रानी भाभी. उसकी चूत भी बहुत गर्म थी. उसकी चूत की गर्मी मुझे अपने लंड पर अलग से ही महसूस हो रही थी. मैंने लगभग दस मिनट तक भाभी की चूत की चुदाई की और फिर मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया.

अब हमारे बीच में कोई दूरी नहीं रह गई थी. उस रात भाभी ने मुझे अपने घर पर ही रोक लिया और मैंने भाभी की चूत को रात में तीन बार चोदा और मैंने अलग-अलग पोजीशन में भाभी की चूत को चोद कर खुश कर दिया. फिर सुबह 4 बजे मैं अपने रूम पर चला गया क्योंकि भाभी ने कह दिया था कि किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मैं रात में उसके घर पर ही रुका हुआ था.

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इस तरह अगले तीन दिन तक हमारा हनीमून चलता रहा. मैंने भाभी की चूत खूब चोदी. फिर चौथे दिन उसके सास और ससुर वापस आ गये.

फिर हमें चुदाई का ज्यादा मौका नहीं मिल पाता था. एक दो बार तो मैंने गाड़ी में ही भाभी की चूत मारी. वो भी मेरा लंड लेकर खुश रहने लगी थी. फिर मेरा काम वहां से खत्म हो गया और मैं अपने गांव वापस चला गया. उसके बाद मैंने उसको फोन करने की कोशिश की लेकिन उसका वो नम्बर बंद हो चुका था.

फिर मैंने भी उससे संपर्क करने की कोशिश नहीं की. लेकिन जब-जब मैंने उसकी चूत चोदी मुझे उसने बहुत मजा दिया.

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