पड़ोसन की गांड मरने का सुखभरी कहानी

मेरा नाम रोशन है मैं लखनऊ का रहने वाला हूं, मैं लखनऊ में ही एक स्कूल में पढ़ाता हूं। मैंने अपना बीएड इसी वर्ष किया है लेकिन मुझे अभी तक कोई भी अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई इसलिए मैंने सोचा कि फिलहाल के लिए मैं किसी स्कूल में पढ़ा लेता हूं। मुझे उसके बदले ठीक-ठाक सैलरी मिल जाती है इसलिए मैं अपने जेब खर्चे के लिए पढ़ाने लगा। मेरे घर में मेरे माता-पिता है। मेरे पिताजी भी एक अध्यापक है और वह हमेशा ही कहते हैं कि तुम भी एक अध्यापक बन जाओगे तो मुझे बहुत खुशी होगी इसीलिए मैं भी पूरी मेहनत करता हूं। मैं भी चाहता हूं कि मैं उनकी तरह ही एक अध्यापक बन सकूं, मैंने कई जगह सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया है परंतु अभी तक कहीं से भी कोई जवाब नहीं मिल पाया इसीलिए मैं फिलहाल एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहा हूं।

मेरे माता पिता और हम लोग सब लखनऊ में ही रहते हैं। हमारे साथ मेरे दादा दादी भी रहते हैं, मेरे दादा दादी की उम्र बहुत ज्यादा है, वह अभी भी पूरी तरीके से स्वस्थ हैं। वह लोग सुबह टहलने के लिए जाते हैं और अपने खाने पर विशेष ध्यान रखते हैं हालांकि मेरे दादा का हार्ट का ऑपरेशन हो चुका है, उसके बावजूद भी वह बहुत ज्यादा एक्टिव है। मैं घर में सबसे छोटा हूं इसलिए मुझे कोई भी कुछ नहीं कहता, मेरे बड़े भैया की भी शादी हो चुकी है और वह बरेली में रहते हैं। वह बैंक में मैनेजर है और मेरी भाभी भी उन्हीं के साथ रहती है। उनका एक छोटा लड़का भी है जिसकी उम्र 3 वर्ष है। मेरी भाभी भी प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ाती थी लेकिन उन्होंने काफी समय पहले नौकरी छोड़ दी इसलिए वह दोनों लखनऊ कम ही आ पाते हैं और उन्हें लखनऊ आने का समय नहीं मिल पाता। जब कभी मेरी स्कूल की छुट्टी होती है तो मैं ही उन लोगों के पास चला जाता हूं या फिर कभी मेरे माता-पिता उनके पास चले जाते हैं। मेरे भैया का व्यवहार भी बहुत अच्छा है और वह बहुत ही हंसमुख है।

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वह हर किसी के साथ एकदम से घुल मिल जाते हैं और कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह उनकी पहली मुलाकात है, उनका व्यवहार ही सब लोगों के साथ इस तरीके का होता है। मेरी भाभी और उनका रिश्ता बहुत ही अच्छा चल रहा है, मैंने कभी भी उनके बीच में झगड़ा होते हुए नहीं देखा और ना ही मेरे भैया कभी भी मेरी भाभी से झगड़ा करते हैं। जहां पर हम लोग रहते हैं वह घर मेरे पिताजी ने काफी समय पहले लिया था इसलिए वह पुराना होने लगा था। मेरे पिता जी कहने लगे कि हम लोग इस घर को बेच देते हैं और कोई नया घर ले लेते हैं, इस बारे में उन्होंने मुझसे भी पूछा था मैंने उन्हें कहा कि हम लोगों को यह घर बेच ही देना चाहिए क्योंकि यह घर काफी पुराना हो चुका है और अब हमें कहीं और पर ले लेना चाहिए इसलिए मेरे पिताजी ने वह घर बेच दिया और हम लोगों ने एक नई जगह पर घर लेकर शिफ्ट कर दिया। हम लोगों ने जहां पर शिफ्ट किया था वहां से मेरा स्कूल बहुत ही नजदीक था और मैं वहां से पैदल भी जा सकता था इसलिए मुझे वह लोकेशन बहुत पसंद आई थी। मेरे भैया ने पिताजी का लोन करवाया था क्योंकि वह बैंक में है इसलिए उनके कुछ दोस्त यहीं पर लखनऊ में हैं, उन्होंने उनसे बोल कर मेरे पिताजी का लोन करवा दिया था। हमारे पड़ोस में सब लोग बहुत ही अच्छे हैं, मैंने अब तक जितने भी लोगों को देखा है वह सब लोग बहुत ही सभ्य और व्यवहारिक हैं। वह ज्यादा किसी से बात नहीं करते और सिर्फ अपने कामों में लगे रहते हैं इसलिए मुझे वह कॉलोनी ज्यादा पसंद आई। हम लोग जहां पहले रहते थे वहां पर बहुत ही लड़ाई झगड़े होते थे। हमारे पड़ोस में जितने भी लोग थे वह सब बड़े ही बदतमीज किस्म के इंसान थे लेकिन हमें वहां रहते हुए काफी समय हो गया था इसलिए वहां से छोड़ने का हमारा मन बिल्कुल भी नहीं था। मेरे पिताजी ने कहा कि वह घर पुराना हो चुका है इस वजह से हमने नया घर ले लिया। हमारे बिल्कुल सामने वाले घर में एक व्यक्ति रहते हैं लेकिन वह ज्यादा किसी से मतलब नहीं रखते और सिर्फ अपने ही काम से मतलब रखते हैं।

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वह सब सुबह ऑफिस जाते हैं तो मैं उन्हें हमेशा ही देखता था क्योंकि उनके ऑफिस का समय और मेरा समय एक साथ ही होता था इसलिए वह मुझे अक्सर दिखाई दे जाते थे। मैंने उनसे कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन वह किसी से भी बात नहीं करते थे और अपने काम पर चले जाते थे। उनकी उम्र 35 से 40 वर्ष के बीच में रही होगी। मेरी जिस दिन छुट्टी होती थी, मुझे उनके घर पर एक महिला दिखाई देती थी, शायद वह उनकी पत्नी होगी और उनके दो छोटे बच्चे भी दिखाई देते थे। मैंने कई बार उस महिला को देखा वह बहुत ही अच्छी और सुंदर थी। वह जब भी वहां छत में कपड़े सुखाने आती थी तो मैं उन्हें हमेशा ही देख लेता था लेकिन वह भी ज्यादा किसी से मतलब नहीं रखती थी और अपने ही कामों में व्यस्त रहती थी। एक दिन मैं कुछ सामान लेकर लौट रहा था तो मेरे हाथ से मेरा सामान गिर गया, जब मैं वह सामान उठाने लगा तो उस वक्त वही महिला मेरी मदद करने लगी। उन्होंने मेरी सामान उठाने में बहुत मदद की। मैंने उन्हें शुक्रिया कहा, उसके बाद मैंने उनसे पूछा कि आप तो हमारे ही पड़ोस में रहती हैं, अब वो मुझसे पूछने लगी क्या आप लोग यहां पर नये आए हैं, मैंने उन्हें कहा कि हां हम लोगों को यहां पर कुछ ही समय हुआ है। मैंने उन्हें बताया कि हम लोग पहले दूसरी जगह पर रहते थे वहां से हम लोगों ने अपना घर बेच दिया है इसलिए हम लोग यहां पर शिफ्ट हो गए हैं।

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