पड़ोस वाली दीदी की चुदाई स्टोरी

ये देख कर मैं बहुत डर गया और छत से नीचे उतर आया. मैं सारे दिन इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि अगर जीजी इस बारे में पूछेंगी तो मैं क्या जवाब दूँगा.. लेकिन मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था. मैंने सोचा कि मैं 2-3 दिन उसको दिखाई ही नहीं पडूंगा और उसके बाद मामला कुछ ठंडा हो जायेगा, तभी देखा जायेगा कि क्या जवाब देना है.

मैं एक दिन तो दीपाली से बचा ही रहा और उसकी नज़रों के सामने ही नहीं आया. अगले दिन पापा और मम्मी को किसी के यहां सुबह से शाम तक के लिए जाना था. उस दिन ड्राईवर नहीं आया था तो पापा ने मुझको कहा कि मैं उनको कार से छोड़ दूँ और शाम को वापस ले आऊं. सो मैं उनको कार से छोड़ने जा रहा था कि मैंने दीपाली को अपनी कार की तरफ़ तेजी के साथ आते हुए देखा, तो डर के मारे मेरा हलक खुश्क हो गया. मम्मी पापा कार में बैठ ही चुके थे, सो मैंने झट से कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी.

हालांकि मम्मी ने कहा भी कि दीपाली हमारी तरफ़ ही आ रही है, कहीं उसे कोई ज़रूरी काम ना हो, पर मैंने सुना अनसुना कर दिया और कार को तेजी के साथ ले गया.

मैंने मन ही मन सोचा कि जान बची तो लाखों पाए.. और लौट कर बुद्धू घर को आए.

जब मैं पापा मम्मी को छोड़ कर वापस घर आया तो देखा कि वो हमारे गेट पर ही खड़ी है.

जैसे ही मैंने कार रोकी वो भाग कर कार के पास आ गई और मुझसे बोली कि कार को भगा कर ले जाने की कोशिश ना करना, वरना बहुत ही बुरा होगा.

मैं बहुत बुरी तरह से डर गया और हकलाते हुए कहा कि जीजी मैं कहां भगा जा रहा हूँ और मेरी इतनी हिम्मत ही कहां है कि जो मैं आप से भाग सकूं?

इस पर दीपाली ने कहा- अभी जब तूने मुझे देखा था तब तो जल्दी से भाग गया था और अब बात बना रहा है.
मैंने कहा कि जीजी मुझको कार को एक तरफ़ तो लगाने दो और फिर अन्दर बैठ कर बात करते हैं.
वो बोली- ठीक है.

मैंने कार को एक तरफ़ लगा दिया और दीपाली के साथ अन्दर अपने घर में चला आया.

और कहानिया   आंटी ने मॉम को अपने शॉप मालिक से चुदवाया

मैंने अपने कमरे में जाते ही एसी ऑन कर दिया क्योंकि घबराहट के मारे मुझे पसीना आ रहा था.

फिर मैं अपने होंठों पर जबरन हल्की सी मुस्कान लाकर बोला कि आओ जीजी बैठ जाओ और बोलो कि क्या कहना है.
ऐसा कहते कहते मैं रुआंसा सा हो गया तो वो बोली- डर मत.. मैं तुझको मारूंगी या डांटूगी नहीं, वो मैं तो ये कहने आई हूँ कि तू उस दिन छत से क्या देख रहा था.
मैं अनजान सा बनने लगा और कहा कि जीजी आप कब की बात कर रही हैं, मुझे तो कुछ ध्यान नहीं है.
तो उन्होंने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा कि साले बनता है और अभी संडे को सुबह छत से मुझे नंगी नहीं देख रहा था?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो बोली कि क्या इस तरह से किसी जवान लड़की को नंगी देखना अच्छा लगता है? तुझे शरम नहीं आती?
मैंने कहा कि जीजी आप हैं ही इतनी खूबसूरत कि उस रोज आपको नंगी देखा तो मैं आँखें ही नहीं फेर सका और मैं आपको देखता ही रहा. वैसे मैं बड़ा ही शरीफ़ लड़का हूँ और अब तक मैंने सिर्फ आपको ही पहली बार नंगी देखा है.
मेरी इस मासूमियत पर वो हंस कर बोली कि हां हां वो तो देखाई ही दे रहा है कि तू कितना शरीफ़ लड़का है, जो जवान लड़कियों को नंगी देखता फिरता है.
मैंने भी झट से कहा कि जीजी उस रोज आप टांगों के बीच के बालों को बार बार क्यों रगड़ रही थीं?
तो इस पर वो शरमा गईं और बोली- धत्त कहीं जवान लड़कियों से ऐसी बात पूछी जाती है?
तो मैंने पूछा कि फिर किस से पूछी जाती है?
इस पर उसने इतना ही कहा कि मुझे नहीं मालूम.

अब मैं समझ गया था कि वो उस रोज देखने से ज्यादा नाराज नहीं थी.

उस समय तक मेरा डर काफी हद तक कम हो गया था और मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया था.

मुझे फिर मस्ती सूझी और मैंने फिर से दीपाली से पूछा कि जीजी बताओ ना कि तुम उस रोज क्या कर रही थीं?
यह सुन कर वो पहले तो मुस्कुराती रही और फिर एकदम से बोली कि क्या तू मुझे फिर से नंगी देखना चाहेगा?
दीदी की इस बात से मेरा दिल बहुत जोरों से धड़कने लगा और मैंने दबी जुबान से कहा कि हां जीजी मैं फिर से आपको नंगी देखना चाहता हूँ.
वो बोली कि क्या कभी तूने पहले भी ये काम किया है?
मैंने कहा कि नहीं.
तो उसने कहा कि आ मेरे पास आ, आज मैं तुझको सब कुछ सिखाऊंगी.

और कहानिया   छवि की कासी हुई गांड मरी

ये कह कर उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठ चूमने लगी. मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा. उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसने की कोशिश कर रही थी, तो मैंने अपना मुँह खोल कर उसकी जीभ चूसनी शुरू कर दी.

इधर मेरा लंड भी चोट खाए काले नाग की तरह फ़नफ़ना रहा था और पेंट में से बाहर आने के लिए मचल रहा था. मैंने एक हाथ बढ़ा कर दीपाली की तनी हुई चूचि पर रख दिया और बड़ी बेताबी के साथ उसको मसलने लगा.

दीपाली का सारा बदन एक गरम भट्टी की तरह तप रहा था और हमारी गरम सांसें एक दूसरे की साँसों से टकरा रही थीं.

ऐसा लग रहा था कि मैं बादलों में उड़ा जा रहा हूँ. अब मेरे से सब्र नहीं हो रहा था. मैंने उसकी चूची मसलते हुए अपना दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिया और उनको बहुत बुरी तरह से मसलने लगा.

दीपाली के मुँह से हल्की सी कराहने की आवाज निकली- ओह्हह्ह.. अईईई.. जरा आरम से मसलो, मैं कोई भागी नहीं जा रही हूँ. तेजी से मसलने पर दर्द होता है.

लेकिन मैं अपनी धुन में ही उसके चूतड़ों को मसलता रहा और वो ‘ओह्हह.. अययईए..’ करती रही.

उसकी इन कामुक आवाजों को सुन कर मेरा लंड बेताब हो रहा था और पेंट के अन्दर से ही उसकी नाभि के आस पास टक्कर मार रहा था.

मैंने उसके कान में फ़ुसफुसाते हुए कहा कि अपनी सलवार कमीज़ उतार दो.

पहले तो वो मना करने लगी, लेकिन जब मैंने उसकी कमीज़ ऊपर को उठानी शुरू की.. तो उसने कहा- रुको बाबा, तुम तो मेरे बटन ही तोड़ दोगे, मैं ही उतार देती हूँ.

ये कह कर उसने अपनी कमीज़ के बटन खोल कर अपनी कमीज़ उतार दी. अब वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा और सलवार में खड़ी थी.

Pages: 1 2

Leave a Reply

Your email address will not be published.