भैया जल्दी से मेरी भाभी की खुली टांगों के बीच में बैठ गए. भाभी के गले से एक हल्की चीख निकल गयी. भैया ने अपना लंड भाभी के चूत में डालना शुरू कर दिया था. भैया ने अपना विशाल महाकाय शरीर से भाभी की मांसल कोमल काया को ढक दिया. भैया के बलवान हृष्ट-पुष्ट नितम्ब ने मेरी किशोरी वासना को और भी उत्तेजित कर दिया.
भैया के नितम्बो की मांसपेशिया थोड़ी संकुचित होई और भैया ने बड़े ज़ोर से अपने कूल्हों को नीचे धक्का दिया. कमरे की दीवारें नीलम भाभी की दर्द भरी चीख से गूँज ऊंथी. मेरी सांस रुक गयी. मेरी चूत अपने आप संकुचित हो गयी. भाभी की चीख ने मुझे उनकी चूत पर भैया के लंड के प्रभाव का अन्दाज़ा दे दिया था.
अजनबी आदमी ने मेरा एक बड़ा कोमल स्तन अपने बड़े हाथ में जितना भर सकता था भर कर दुसरे हाथ की उँगलियों से मेरी भगशिश्निका [क्लाइटॉरिस] को सहलाने लगा. यदि मेरे सामने भैया-भाभी की चुदाई
होती तो मेरे आँखें उन्मत्तता की मदहोशी से बंद हो गयीं होतीं.
भैया ने, मुझे लगा, बड़ी बेदर्दी से नीलम भाभी के चीखों को नज़रअंदाज़ कर के अपने ताकतवर नितम्बों की मदद से अपना लंड भाभी की चूत में घुसाते रहे. अब भाभी के रोने की आवाज़ भी उनकी चीखों के साथ मिल गयी,”आँ.. आँ ..आह..मनू..ऊ…ऊ…मेरी चूत फट गयी. अपना लंड बहर निकाल लो प्लीज़,” नीलम भाभी सिस्कारियां मेरे दिल में सुइओं की तरह चुभ रहीं थीं. मेरा मन अंदर जा कर नीलम भाभी को सान्तवना देने के लए उत्सुक हो रहा था. उसी वक़्त मेरे भग-शिश्न पर उस आदमी की उँगलियों ने मेरी मादकता को और परवान चड़ा दिया.
मनू भैया के चूतड़, इंजन के तरह, अब और भी तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रहे थे.
मेरी चूत की हालत भी बहुत खराब थी. मैं दूसरी बार झरने वाली थी. मेरे शरीर की एंथन आने वाले कामोन्माद से मुझे और भी परेशान करने लगी.
अचानक भाभी की सिसकारी चीख में बदल गयी पर इस चीख में दर्द की कोई भावना नहीं थी.
“मैं झड़ने वाली हूँ, मनू.मेरी चूत को फाड़ दो.मुझे चोदो. आँ..आँ..अ..आ..मैं आ गयी.ई…ई..ई..ई,” नीलम की लम्बी चीख उनके कौमार्य-भंग के पहले कामोन्माद [ओर्गाज़म] की घोषणा कर रही थी.
मेरा चरम-आनन्द भी भाभी के साथ मेरे शरीर को यंत्रणा दे रहा था पर बेचारी भाभी की तरह मैं चीखना चाहती थी पर मैंने अपने होंठ दातों से दबा लिए.
अगले एक घंटे कमरे में भैया ने नीलम भाभी की चूत का,अपने वृहत्काय मोटे लंड से, बेदर्दी से लतमर्दन किया. भाभी कम से कम पांच बार झड़ चुकीं थीं.
बाहर मेरे अपरिचित प्रेमी ने मेरी चूत, भागान्कुर और चूचियों को मीठी यातना दे-दे कर मुझे सात बार झाड़ दिया था .
भैया का लंड अब भाभी की चूत, जो अब उनके स्खलित रति-जल से लबालब भर गयी थी, चपक-चपक की आवाज़ के साथ बिजली की तेज़ी से भाभी की चूत का मर्दन कर रहा था. भाभी की चुदाई अब इतनी भयंकर हो चली थी कि एसा लगता था कि भैया एक हिंसक मनुष्य बन गए थे और भाभी की चूत का विनाश ही उनका उद्देश्य था. पर भाभी सिस्कारियों के बीच में उनको और ज़ोर से उनकी चूत ‘फाड़ने’ का प्रोत्साहन दे रहीं थीं.
जब भाभी अंदर कमरे में भैया के मूसल लंड से चुदवा कर छठवीं बार झड़ीं, मैं बाहर अपने अनजान प्रेमी से अपने चूत मसलवा कर आठवीं बार झड़ रही थी.
भैया ने अपने लंड को भीषण शक्ति से भाभी की चूत में अंदर बाहर डाल कर एक जंगली जानवर कि तरह गुर्रा कर अपने लंड को भाभी की प्यासी चूत में खोल दिया. भैया का लंड भाभी कि चूत में स्खलित हो रहा था और मैं बाहर अनजान पुरुष की उँगलियों पर मचल-मचल कर झड़ रही थी.
भैया भाभी के ऊपर निढाल हो कर परस गए. भाभी ने भैया अपनी दोनों बाँहों में और भी ज़ोर से जक्कड़ लिया. भाभी मातृक-प्रेम के साथ भैया की पीठ और सिर प्यार से सहला रही थीं. कामलिप्सा की संतुष्टी के बाद दोनों एक दुसरे को अनुराग भरे चुम्बन दे रहें थे.
मैं अब बिलकुल थकान से निढाल हो चली थी.मेरे बहुतबार झड़ने की थकान मेरे अजनबी प्रेमी को भी महसूस हुई. मुझे उसकी पकड़ ढीली महसूस हुई और मैंने अपने आपको उसकी बाँहों से मुक्त कर लिया. मैं जैसे ही दूर जाने के लिए चली उस आदमी ने मुझे पकड़ने की कोशिश की पर उसके हाथ में सिर्फ मेरी शॉल ही आ पाई.
मैंने पीछे बिना देखे भाग कर बाहर खुले लॉन में चली गयी. मैंने वहां रुक कर पीछे मुड़कर देखा. वो विशाल शरीर का आदमी अभी भी अँधेरे में खड़ा था. उसने मेरी शॉल प्यार से दीवार पर तह मार कर डाल दी.
मैं भरी साँसों से भरी अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी. कमरे में पहुँच आकर मैं बिस्तर में निढाल हो कर लेट गयी. मुझे करीब आधा घंटा लगा अपनी सांस काबू में लाने के लिए.