यह तब की बात है जब मैं अपने कॉलेज आ आन्यूयल फंक्षन को अटेंड करके अपनी गाड़ी खुद ड्राइव करके घर वापस लौट रही थी.फंक्षन के बाद हुई पार्टी मे दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए कुछ शराब भी पी ली थी मैने और शायद उसी नशे का खुमार था की मेरी कार की स्पीड 70-80 को पार कर गयी थी .इसका ख़याल मुझे तब आया जब एक पोलीस जीप ने हॉर्न देकर मेरी कार को रोका.
पोलीस जीप में से 25-30 साल का जवान पोलीस इनस्पेक्टर निकला और मेरी कार के साइड विंडो की तरफ आकर रौब से बोला- “नशे मे गाड़ी चला रही है.मालूम नही यहाँ मॅग्ज़िमम स्पीड लिमिट 40 की है और तुम 70 की स्पीड पर गाड़ी भगा रही हो !”
इनस्पेक्टर के रौबीली आवाज़ से में एकदम दर गयी और बोली- “ ग़लती हो गयी इनस्पेक्टर साहिब .आयेज से ध्यान से गाड़ी चलौंगी.”
“कार से बाहर निकलो और अपना ड्राइविंग लाइसेन्स दिखाओ “ इनस्पेक्टर भी इस हाथ आए सुनहरे मौके को हाथ से नही जाने देना चाहता था.
में ड्राइविंग लाइसेन्स अपने पर्स मे खोजने लगी लेकिन मिला नही शायद में घर पर ही भूल आई थी.मेरी घबराहट और बढ़ गयी- “ सिर, लगता है मेरा लाइसेन्स घर पर ही रह गया है “
“बाहर आ आजा .तेरी तलाशी लेनी पड़ेगी.” इनस्पेक्टर ने मुझे बाहर निकालने का हुक्म दिया.
मैं घबराती हुई कार से बाहर निकालकर खड़ी हो गयी.मेरे बदन पर स्किन टाइट वाइट टॉप और घुटनो से काफ़ी ऊँची ब्लॅक स्कर्ट थी, जिसमे मेरी फिगर ठीक से नज़र आ रही थी.इनस्पेक्टर ने जी भरकर मेरी खूबसूरत फिगर को देखा फिर कड़क आवाज़ मे बोला-“अपने हाथ उपर उठाओ और घूम जाओ”
शरम से मेरा चेहरा लाल हो चक्का था लेकिन मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नही था.मैने वोही किया जो इनस्पेक्टर चाहता था.उसने तलाशी लेने के बहाने मेरे पुर बदन पर अपने हाथ फिरने शुरू कर दिए.
तलाशी लेने के बाद उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया और मेरे चेहरे को बिल्कुल अपने नज़दीक कर लिया-,” मूह खोलो अपना”
मैने जैसे ही मूह खोला,वो बोला,”तुम्हारे मूह से शराब की स्मेल आ रही है.कहाँ से आ रही हो शराब पीकर ? “
मैं अब और भी घबरा गयी थी-“सिर कॉलेज की पार्टी में थोड़ी सी पी ली थी.”
“शराब पीकर बिना ड्राइविंग लाइसेन्स के कार चलाने के जुर्म मे तुम्हे कम से कम डूस साल की तो सज़ा होकर रहेगी” इनस्पेक्टर ने मेरी तरफ देखा और अपनी पॉकेट से हथकड़ी निकालकर मेरे हाथों को पीछे ले जाकर उन्हे बाँध दिया .अब में बिल्कुल हेल्पलेस हो गयी.
दर के मारे मई रोने गिड़गिदने लगी लेकिन इनस्पेक्टर पर इसका कोई अस्र नही हुआ.वो बोला-अब बाकी की कार्यवाही थाने मे होगी.आओ और मेरी जीप मे बैठ जाओ.”
मेरे हॅंडकफ्ड हाथों को पकड़कर वो मुझे अपनी पोलीस जीप तक ले आया और गाड़ी की आगे अपने साथ बलि सीट पर बिता दिया-मेरे हाथ पीछे से हॅंडकफ्ड होने की वजह से मुझे बैठने में काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी.मैने उसकी तरफ देखकर कहा-“सिर, मेरे हाथ खोल दीजिए ना.मुझे बैठने मे बहुत तकलीफ़ हो रही है.” इसका सल्यूशन इनस्पेक्टर ने कर डाला-मेरी हथकड़ी खोलकर नही बल्कि अपनी चालाकी से.इनस्पेक्टर मुझसे बोला-“मेरी तरफ झुक कर मेरी जांघों पर अपना चेहरा टीका सकती हो.इससे तुम्हे कोई देख भी नही पाएगा और तुम्हे हॅंडकफ्ड होकर बैठना भी नही पड़ेगा”
उसकी बात सुनकर मुझे लगा की उसकी बात मानते जाने में ही शायद मेरी भलाई है-मैने उल्टे होकर लेटने की कोशिश करते हुए अपने चेहरे को उस की जांघों के उपर टिकने का प्रयास किया-इनस्पेक्टर ने इस काम मे मेरी मदद की और मेरे चेहरे को अपनी दोनो जांघों के बीच मे इस तरह से अड्जस्ट कर दिया मानो उसके एरेक्ट कॉक पर चुंबन जड़ने के लिए मुझे लिटाया गया हो.जिस सिचुयेशन मे मैं उल्टी होकर लेती हुई थी उसमे मेरी सीने की दोनो गोलाइयाँ उसकी बाई जाँघ पर चिपक गयी थी.बीच बीच में इनस्पेक्टर स्टियरिंग से अपना हाथ हटाकर कभी मेरी पीठ पर और कभी मेरे नितंबों पर हाथ फिरा देता.
गाड़ी चलने लगी तो मेरे होंठ उसकी जांघों और उसके खड़े उभर से रग़ाद खाने लगे-वो मेरी मजबूरी का भरपूर मज़ा ले रहा था-“तुम इसी तरह को-ऑपरेट करती रहोगी तो मैं तुम्हारी सज़ा कुछ कम भी करवा सकता हूँ और अगर मेरे हुक्म की तामील नही की तो बाकी की सारी जिंदगी हो सकता है जैल मे ही गुजारनी पड़े.”
“बोलो क्या कहती हो? मेरी बात मंजूर है की नही ?” इनस्पेक्टर ने मुझसे सवाल कर डाला.
“जी सिर” मेरे मूह से आवाज़ निकली
“क्या जी सिर.सॉफ साफ बोलो “ इनस्पेक्टर मुझसे मज़े ले रहा था.
“जी सिर मैं आपके हर हुक्म की तामील करूँगी” मेरे मूह से निकला.
“नही.बोलो मैं आपकी सेक्स स्लेव बनने के लिए तय्यार हूँ.” इनस्पेक्टर के इरादे कुछ और ही मालूम होते थे.
“सिर मैं आपकी सेक्स स्लेव बनने के लिए भी तय्यार हूँ अगर आप मेरी सज़ा पूरी तरह माफ़ करा दें.” मैं बोली.
एक रेडलिघत पर जीप रुक गयी तो मैने देखा की इनस्पेक्टर ने अपनी पंत की ज़िप खोलकर अपने खड़े कॉक को बाहर निकल लिया और मेरे होंठों की तरफ करते हुए बोला-“इसे चूमओ और फिर अपने मूह मे लेकर इसे चतो.जब तक मैं ना कहूँ तब तक यह तुम्हारे मूह के अंदर ही रहना चाहिए. यह तुम्हारा इम्तिहान है की तुम मेरी सेक्स स्लेव बनने लायक हो भी की नही.”
शर्म और जलालट से मैं दोहरी हुई जा रही थी.इनस्पेक्टर के खड़े कॉक में से अजीब तरह की स्मेल आ रही थी लेकिन मेरे पास उसको चूमने के अलावा और दूसरा रास्ता नही था.इसके बाद मैने उसके कॉक को अपने मूह मे ले लिया.
“इस पर अपनी जीभ फिराव “ इनस्पेक्टर को जैसे मुझे ह्युमिलियेट करने मे ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था.
इनस्पेक्टर के हुक्म की तामील करते हुए मैं उसके खड़े कॉक पर अपनी जीभ फिरने लगी.एक जगह सड़क पर शायद गढ्ढा था और उसकी वजह से गाड़ी काफ़ी ज़ोर से उछाल गयी जिसकी वजह से उसका कॉक मेरे मूह मे काफ़ी अंदर तक चला गया और इनस्पेक्टर के मूह से भी आनंद भारी सिसकारी निकल गयी-यह तो तय था की इनस्पेक्टर अपने हाथ आई चिड़िया को जमकर सेक्शप्लोइट कर रहा था.