ही फ्रेंड्स मेरा नाम ममता है और मई देल्ही से हू. आज मई अपनी एक स्टोरी शेर करना चाहती हू. क्योकि मई देसी कहानी की एक रेग्युलर रीडर हू और मुझे लगा मुझे भी अपनी स्टोरी शेर करनी चाहिए.
मेरी आगे 42 एअर की है मई एक शादी शुदा औरत हू और एक 8 साल का बेटा है. मेरी शादी तोड़ा लाते हुई क्योकि घर की कंडीशन तोड़ा ठीक न्ही थी. और अगर मई अपने फिगर की बात करू तो मेरा फिगर 34-28-36 है रंग गोरा. मेरी फ्रेंड कहती है की मई बूढ़े के लंड से भी पानी निकल डू.
ये कहानी 1 साल पहले की है जब हम कलकता घूमे गये मेरे पति की मूह बोली सिस्टर के यहा. मूह बोली सिस्टर ऐसे है की जब मेरी शादी न्ही हुई थी तो मेरे पति देल्ही मई जिनके घर किराए पर रहते थे. उनकी बेटी है उसका नाम रहना है तो वो मेरे पति को भैया बुलाती थी.
मेरे पति भी उसको अपनी बहें मानते है क्योकि उनके अपनी कोई बहें न्ही है. रहना की आगे भी 38 के आस पास होगी. मई भी शुरू शुरू मई जब देल्ही आई थी तब 2 साल तक उसके साथ रही. फिर उसकी शादी कलकता हो गयी हम दोनो काफ़ी घुल गई थी अपनी हेर बात शेर करती थी.
तो कई महीनो से रहना का फो आ रहा था की कलकता घूम जाऊ. अब मेरे बेटे की गर्मियो की चूतिया पद रही थी तो हुँने वाहा जाने का प्लान किया.
खैर 2 रात के बाद हम ट्रेन से कलकता पहुचते है तो रहना के पति, जिनका नाम अब्दुल था, वो ह्यूम लेने आते है. आज मैने फर्स्ट टाइम अब्दुल को देखा, वो काफ़ी हॅस्ट पुस्त सरीर के मलिक थे. खैर हम उनके साथ उनके घर पहुच जाते है और फिर सबसे मिलना जुलना होता है. हुमारी बड़ी खातिर डारी की जाती है.
हम 2 रात के थके हुए सुबा कलकता पहुचे थे. तो रहने ने ह्यूम आराम करने के लिए कहा और अपने कमरे मई रेस्ट करने के लिए बोला.
रहना के घर मई 2 कमरे, आयेज बाल्कनी थी. ज़्यादा बड़ा घर न्ही था एक कमरे मे उसके सास ससुर और एक कमरे वी दोनो मिया बीवी रहते थे.
सफ़र की थकान से हुँने पोर दिन आराम किया और फिर साम को हम सब घूमने गये. उस दोरान हुँने बस से सफ़र किया बस मई भीड़ ज़्यादा थी तो हम सब खड़े थे. मेरे हज़्बेंड सबसे आयेज फिर रहना, मेरा बेटा, रहना का बेटा और मई और मेरे पीछे अब्दुल खड़े थे.
बस मई भीड़ बहुत थी तो सब चिपके खड़े थे. मेरी मोटी गूल गांद अब्दुल के लंड को दबा रही थी. उनका लंड मेरी गांद पर साफ महसूस हो रहा था. कई बार उनका लंड बीच बीच मई खड़ा भी हुआ मेरा मान कर रहा था इसको अभी छूट मई लेलू.
क्योकि मई भी कई साल से प्यासी थी क्योकि मेरे पति सेक्स तो करते थे. लेकिन दो चार धक्को मई उनका पानी निकल जाता था और मई प्यासी रह जाती थी.
काफ़ी देर घूमने के बाद हम सब घर आए. फिर खाना खाया गप्पे सप्पे लदाए तो टाइम का पता ही चला और रात के 11 बाज गये. तो फिर हम सब सोने के लिए तैयारी करने लगे. मेरे हज़्बेंड और मेरे बेटे का बिस्तर बाल्कनी मई लगा दिया क्योकि उनको बहुत गर्मी लग रही थी. और कमरे मई बेड से नीचे एक गद्दा बिछा लिया जिसपे मई और रहना लाते गये और बेड पर अब्दुल और उनका बचा.
गर्मी के दिन थे मैने और रहना दोनो ने मॅक्सी पहें ली बस और अंदर कुछ न्ही और लाते के बातयन करने लगे. कुछ देर ऐसे हे बात करने के बाद हम सेक्स पर बात करने लगे.
मई बोली मेरी प्यारी नंद आज नंदोई जी का मुन्ना (लंड) क्या खाईगा, आज तो उसे भूखा हे सोना पड़ेगा. तो वो बोली हन जी सही कहा भाभी जी अब्दुल रोज चुदाई करते है बहुत मज़ा आता है, आधे घंटे तक पेलते है. भैया जी भी तो आपको पेलते है.
मई बोली कहा यार ये तो बस 2-4 धक्को के मेहमान है. वो चॉक के बोलती है और उसका एक हाथ मेरी चुचियों पर आता है और हल्का सा उनको दबके बोलती है. भाभी फिर कैसे करती हो आप? मई बोली उंगली से किसी तरहा शांत करती हू.
अब मेरी नंद का हाथ मॅक्सी के अंदर से मेरी चुचियों को सहलाता है. और फिर पेट से होते हुए मेरी छूट पर आकर रुक जाता है. मई अब गरम हो चुकी थी. मई भी अब अपनी नंद के सरीर पर उसकी चुचियों पर हाथ घूमती हू.
वो भी गरम हो चुकी होती है और मेरी छूट मे उंगली डाल कर बोलती है की भाभी अब रहा नही जा रहा. आप अपने मुन्ने (लंड) के पास जाओ और मई अपने. मई बोली उनसे कुछ न्ही होगा, तुम कुछ करो.
तो वो बोली अब्दुल से छुड़वा डू? इस पर मई मॅन मे खुस होती हू और नाटक करके बोलती हू, ये कैसे हो सकता है..
तभी मेरी नंद बोलती है – देखो भाभी पुर कमरे मे अंधेरा है, पहले मई बेड पर जाकर अब्दुल को गरम करती हू फिर आप आ जाना और मई नीचे आ जवँगी, मई बोली ठीक ह्म.
वो उपर जाती है और 10 मिंट बाद वापस नीचे आती है और बोलती है जाओ भाभी करवा लो चुदाई लेकिन आवाज़ मत निकलना.
रहना ने अपनी मॅक्सी उतार दी थी और अब मैने भी मॅक्सी उतरी और बेड पर चढ़ गयी. फिर अपने हाथ से अब्दुल की छाती पर हाथ रखते हुए नीचे ले गई. और फिर उसका लंड जो करीब 7 इंच लंबा होगा वो मेरे हाथ से टकराया. मैने उसको हाथ मे लेकर उपर नीचे किया और फिर उसके उपर चढ़ गयी.
अब्दुल ने मेरी दोनो चुचि अपने हाथ म लेकर दबाने लगे. मई तोड़ा उपर उतार लंड को एक हाथ से छूट पर सेट करके उसपर बैठने लगी. लेकिन वो अंदर नही जा रहा था.
फिर मैने तोड़ा थूक लगाया और फिरसे छूट के छेड़ पर सेट करके धीरे से बैठी थी. की नीचे से अब्दुल ने एक ज़ोर का धक्का मारा. मेरी उफफफ्फ़ निकल गई, आधा लंड छूट के अंदर गया और मई लंड से उठने लगी. की इतने मे अब्दुल ने मेरे कंधे पकड़ के एक जोरदार धक्का मारा. पूरा लंड छूट मे चीरता हुआ घुस गया.