बस मे मिली नाखरीली भाभी को छोड़ा

ही दोस्तो, आपका प्यारा युवराज फिर से आपके सामने अपनी भाभी की सेक्स स्टोरी लेकर हाज़िर है, जो मेरे साथ 2 मंत्स पहले हुई. मैं 21 साल का हू इंडोरे मे रहता हू और मुंबई से ग्रॅजुयेशन कर रा हू.

मेरा लंड 7.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. रेग्युलर जिम जाने की वहाः से मेरा शरीर भी कसा हुआ और कड़क है. जिसे लड़कियाँ स्पेशली भाभीया बोहोट पसंद करती है.

अब अपनी कहानी पर आता हू. मेरे सेमेस्टर ख़तम होने की वजह से मैं अपने घर इंडोरे आया हुआ हू और पितामपुर मे इंटेर्नशिप कर रा हू.

आप तो जानते ही है की सुबह लोगो की जॉब होने के कारण बसस मे कितनी भीड़ होती है.

एक दिन की बात मैं सुबह मेरे बस स्टॉप पह्ोचा और एक बस मे चढ़ गया. उसमे जगह ना होने की वजह से मुझे खड़ा रहना पड़ा.

थोड़ी दूर जाकर बस रुकी और एक 30-32 साल की लेडी चढ़ि जो की मॅरीड थी और मेरे आयेज आक्र् खड़ी हो गयइ. दिखने मे वो थोड़ी ग़रीब लग र्ही थी. पर एक कयामति हुसान की मल्लिका थी.

हिरानी जैसी आँखें, गांद तक के लंबे बाल और एक दूं गोरा रंग. इतना गोरा की हाथ रखड़ो तो लाल पद जाए.

32 के बूब्स 28 की कमर और 34 की गांद, जिसे देख कर किसी भी मर्द का महॉल बिगड़ जाए. और उससे मूठ मारे बिना रा ना जाए.

यही मेरे साथ हुआ, बल्कि वो भाभी मेरे आयेज आ कर खड़ी हो गयइ. और हर स्पीड ब्रेकर के साथ पिच्चे होते जेया र्ही थी.

मैने कन्फर्म करने के लिए की इसे भी वही चाहिए जो मुझे चाहिए. मैने उसे धीरे धीरे पैरो से टच करना शुरू कर दिया. पर उसने पैर हटा दिए और मुझे लगा शायद वो पिच्चे ग़लती से हुई होगी.

पर एसी भाभी हाथ से जाने देना मेरे लिए मुश्किल नही था. ये बात भी भगवान ने सुंली मेरी. अगले स्टॉप पर और भीड़ छड़ी जिससे वो मेरे और करीब आ गयइ और लाचार हो गयी. क्योकि बस पॅक हो चुकी थी.

अब मैने उसे फिर से टच करना शुरू किया. पहले अपने हाथ से उसकी गांद पर फेरने लगा. पर उसने हटा दिया और तीखी नॅज़ारो से मुझे देखा और गुस्सा जताया.

पर मुझे पता था वो शोर नही कर सकती. इसलिए मैने इस बार अपना लंड उसकी गांद पर रगड़ना शुरू कर दिया. जैसे ही वो हटाने गयी, मेरा लंड जो की पेंट मे ऑलरेडी तंबू बनाए बेता था, वो उसके हाथ मई आ गया.

10 सेक तक उसने वही मेरे लंड को फील किया और तोड़ा सा रगड़ा. वो शायद देख कर शोक थी इतना बड़ा लंड. फिर हाथ आयेज ले लिया.

थोड़ी देर ये हरकत करी और उसकी ना मंज़ूरी धीरे धीरे मंज़ूरी मे बदलते जेया र्ही थी. मैं धीरे धीरे उसकी गांद पर धक्के दिए जेया रा था.

मैने एक हाथ उसकी सारी मे डाला और धीरे धीरे उसके पेट सहलाना शुरू कर दिया. नाभि मे डाल कर उंगली करना स्टार्ट कर दिया.

वो धीरे धीरे आहें भर र्ही थी. फिर मई अपना हाथ उसके बूब्स तक लेगया और हल्का सा प्रेस किया. पर उसने फिर मेरा हाथ हटा दिया. फिर उसका स्टॉप आ गया और वो उतार गयइ और मुझे बड़ा बुरा लगा की शायद मैं उसे कभी ना मिल पाऔ.

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तीन चार दिन यू ही गुज़र गये, पर किस्मत को कुछ और मंज़ूर था. वापस हुमारा सामना एक ही बस मे हुआ.

सॅटर्डे होने की वजह से बस मे आज ज़्यादा भीड़ नही थी. वो जैसे ही छड़ी और उसने मुझे देखा. उसकी आँखों मे अलग सी चमकन आ गयइ और बहोट शरारती स्माइल उसने मुझे दी.

वो जाकर सीट पर बेत गयइ और मैं मौका देख कर उसकी बाजू वाली सीट पर जेया बेता . वो चौक गयइ, पर उसने मुझसे नज़ारे न्ही मिलाई.

पहले मैने बात करना सही समझा. मैने पूछा उनसे की आप कहा जेया र्ही और क्या करती है?

उसने अपना नाम अपर्णा बताया. थोड़ी देर बात करने के बाद जैसे ही स्पीड ब्रेकर आया, मैने अपना हाथ उसकी रयी जैसे सॉफ्ट झांगो पर रख दिया और हटाया न्ही.

उसने मुझे देखा और फिर अपना मूह पलट लिया. मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था. मैने धीरे धीरे उसकी सारी मे से उसके पेट पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसने आँखें बंद कर ली और मज़ा लेने लग गयइ.

मैं धीरे धीरे उसके बूब्स मसलना स्टार्ट किए और उसके मूह से हल्की सी सिसकारी निकली आ की. मैने बहोट बूब्स दबाए और सारी पर से ही छूट रगड़ना शुरू कर दिया.

वो बहोट गरम हो चुकी थी और उसने भी मेरे पंत पर लंड हिलना स्टार्ट कर दिया. उसका स्टॉप आने वाला था, पर वो वाहा न्ही उतरी और अगले स्टॉप पर उसने मुझसे बोला की उतार जाओ यही.

मैं झाट से तय्यार हो गया और हम दोनो वही अगले स्टॉप पर उतार गये. उसने एक होटेल बुक करवाया और उतने मे मैं कॉंडम और सिगरेट ले आया.

हम जैसे ही रूम मे घुसे उसने तड़क से एक छाता मारा और बोली “मदारचोड़ बहोट गर्मी है तुझमे, बहोट हाथ और लंड चल रा है. तेरा आज सारा जोश निकल दूँगी हरमज़ड़े”.

मैं बहोट जोश मे आ गया और उसे उठा कर उसे पलंग पर पटक दिया, और 2 मीं मे उसके सारे कपड़े उतार दिए थे. उसने इत्तेफ़ाक़ से उस दिन पीले रंग की सदी पहनी थी. जो की पार दर्शी थी और उसकी नाभि अलग ही चमक र्ही थी.

जैसे ही मैने कपड़े उतरे, उसकी पिंक ब्रा आंड पनटी मेरे सामने थी. क्या हसीन बदन, बूब्स तो जैसे दो तरबूज़ को आज़ादी मिल गयइ हो.

एक दम क्लीन शेव्ड और पिंक छूट जिस पर बाल का नामु निशान न्ही. गांद तो इतनी बड़ी की रात भर उसे तकिया समझकर सो सके.

मेरे हाथ तो जैसे जन्नत लग गयइ थी. मैं उसे गंदी गंदी गलियाँ देने लगा. “रंडी आज तेरा पूरी छूट का रस्स पी जौंगा और हुमेशा के लिए अब से तू मेरी रखेल बन कर रहेगी”.

उतने मे उसने मेरा लंड पेंट मे से निकाला और चूसना शुरू कर दिया. धीरे धीरे मेरे सारे कपड़े खोल दिए. मैने ज़िंदगी मे जितनी छूट छोड़ी है इस रंडी से अच्छा लंड कोई न्ही चूस सकी.

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छ्होटे छ्होटे से पिंक होंठ मेरे काले लंड पर किसी गुलाब से कम न्ही लग र्हे थे.

15 मीं लंड चूसने के बाद मैने रस्स छोढ़ दिया और वो दूध जैसे पूरा पिई गयइ.

अब बरी थी मेरी. मैने होटेल से शहद की एक बॉटल मँगवाई, और उसकी छूट पर फेला कर चूसने और मसालने लगा.

वो किसी मछली जैसे तड़प र्ही थी और फड़फाड़ र्ही थी और आहें भर र्ही थी. आ आ और चूसो मेरी जान जी भर के चूस अपनी रानी को, पी जेया ये काम रस. मेरा सर अपनी छूट मे दबाने लगी.

बहोट देर चूसने के बाद मैने उसके च्छेद मे अपनी ज़बान डाल दी और छोड़ने लगा. और वो 5 मीं मई झाड़ गयइ. लग रा था काफ़ी समय से एक तगड़ा लंड नही लिया था.

अब मैं फिर से तयार था, उसने फिर 5 मीं चूसा और कहने लगी. “राजा और मत तडपा और छोड़ डाल अपनी रखेल को”.

मई जोश मे आ गया और एक ही झटके मैने आधा लंड अंदर गुशा दिया. वो चीक पड़ी और उसके आँसू आ गये.

“मरररर गईिई रे निकाल इसी बेहन के लोड, तोड़ा धीरीए कर मदारचोड़”.

मई तोड़ा रुका और उसे किस करने लगा और छूट मसालने लगा.

जैसे ही उसका दर्द कम हुआ, मैने फिर से एक ज़ोरदार झटका मारा पर रुका न्ही. मेरा पूरा लंड उसकी छूट मे था और कमरे मे सिर्फ़ उसकी चीखों की आवाज़ थी और वो गंदी गालिया दे र्ही थी.

“फाड़ दे मेरी छूट को, भर दे उसे अपने मूठ से”.

इससे मुझे और जोश आ रा था और मैं और ज़ोर से डाकखे मार रा था.

20 मीं की चुदाई के बाद मैं फिर झाड़ गया. और वो मेरा सारा मूठ पी गयइ. फिर हम साथ मे नहाए और नंगे सो गये.

जैसे ही मैं उठा अपर्णा भाभी सोई पड़ी थी और उसकी नंगी पीठ मेरे सामने थी. मेरा माहूल फिर बिगड़ गया, मैने उसकी गांद के च्छेद पर वसलिने लगाया और एक झटके मे अपना लंड उसकी गांद मे डाल दिया. जिससे वो झटके से पर छीला कर उठ गयी और मुझे दो थप्पड़ मारे.

मैने भी पलट कर उसे छाँटा मारा और किस करने लग गया. तोड़ा मानने के बाद वो अपनी गांद मरवाने के लिए राज़ी हो गयी.

फिर मैने एक ज़ोर दार झटका मारा जिस से वो चीख पड़ी “उउईई माआ मार डाला निकल इसे रंडी बाज़”.

पर मैं न्ही माना और थोड़ी देर वही रहने दिया. फिर वापस से एक धीरे झटका मारा और गांद मरने लगा. पहली बार होने के कारण उसे बहोट दर्द हुआ. पर आख़िर मई मज़ा आने लगा और उछाल उछाल कर छुड़वाने लगी. अब उसे गांद मरवाने मई सबसे ज़्यादा मज़ा आता है.

हुँने सुबह 9 से शाम 5 तक 4 बार और चुदाई करी. उसके बाद अपने अपने घर चले गये. फिर काई बार हम दोनो हुमारा ऑफीस बंक करके छुदाई करते है. वो मेरी रखेल बन चुकी है और मेरे इशारे पर हर काम करती है.

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