मैडम की चूत बहुत गरम है

मैं 30 साल का हट्टा-कट्टा एक नौजवान हूँ.. दिखने में भी अच्छा हूँ.. रंग भी एकदम गोरा है। यहाँ बहुत सारी कहानियाँ सच्ची.. तो कई कहानियाँ झूठी भी होती हैं.. पर पढ़ने में बहुत मजा आता है।
उन सभी रसीली कहानियों को पढ़ कर मैंने भी सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी आपबीती antarvasna के पाठकों को बताऊँ।

तो अब आप सभी अपने लंड और चूत को संभाल कर रखिएगा.. क्योंकि मैं जो कहानी सुना रहा हूँ.. वो कोई कहानी नहीं है.. बल्कि मेरी ज़िन्दगी की हकीकत है। आप मानो या न मानो..

बात उन दिनों की है.. जब मैं 25 साल का था.. यानि आज से लगभग 5 साल पहले की घटना है। उस वक़्त मार्केटिंग का बहुत चलन था.. तो मैंने सोचा कि मैं भी आज़मा कर देखूँ.. और मैं मीटिंग हॉल में पहुँचा.. बहुत बड़े-बड़े लीडर आए थे.. जिनमें कुछ महिलाएं भी थीं।
उसमें से एक को देख कर तो मैं पागल ही हो गया था। वो बला की खूबसूरत थी.. उसकी ओर देख कर तो ऐसा लग रहा था कि जैसे जन्नत से उतरी हुई हूर हो। उसकी उम्र करीब 40 साल की होगी.. पर देख कर अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल था।

मैं पूरी मीटिंग में बस उसी को देखता रहा.. मीटिंग कब खत्म हुई.. मुझे पता ही नहीं चला.. मैं तो बस उसकी ओर मेरी सुहागरात के सपने देख रहा था।

जब मैं मीटिंग हॉल से बाहर आया तो उसी मैडम ने मुझे इशारा करके बुलाया।
मैं तो डर ही गया था.. सोच रहा था कि कहीं इसे कुछ शक तो नहीं हो गया.. पर उसने बड़ी प्यार से कहा- मैं नन्दिनी.. मेरे साथ काम करना पसंद करोगे?
मेरी तो जैसे निकल पड़ी थी.. मुझे ‘हाँ’ बोलने में भी थोड़ा वक़्त लगा.. क्योंकि मैं सोच रहा था कि पता नहीं ये सच है या सपना..
मैंने ‘हाँ’ कहा.. वो हँसी और उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और कहा- कल मुझे कॉल करना..

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उस रात मैं उसी के बारे में सोच-सोच कर मुठ्ठ मार कर सो गया।

जब सुबह उठा तो नहा-धोकर मैडम को कॉल किया.. तो उनकी सुरीली आवाज़ सुन कर मैं फिर खो गया।
फिर मैडम ने सामने से पूछा- काम कब से शुरू करना है?
मैंने कहा- मैडम मुझे तो अभी से शुरू करना है।
तो मैडम ने कहा- ठीक है मेरे घर पर आ जाओ.. हम आज फॉर्म भर कर आज से ही शुरू करते हैं।

मैंने मैडम के घर का पता लिया और अपनी बाइक से मैडम के यहाँ पहुँच गया। जैसे ही मैंने घन्टी बजाई.. मैडम ने दरवाज़ा खोला।
वो लाल रंग की साड़ी पहनी हुए थी.. उनके गोरे बदन पर लाल साड़ी बहुत ही खुबसूरत और सेक्सी लग रही थी।
मैंने तो मान लिया कि मैडम से खूबसूरत और कोई हो ही नहीं सकता।

मैं उनको देखता ही रह गया.. उन्होंने मुझे अन्दर आने को कहा और पानी के लिए पूछा.. तो मैंने मना कर दिया।
फिर मैडम मेरा फॉर्म भरने लगीं.. झुक कर फॉर्म भरने की वजह से उनके गोरे-गोरे और बड़े-बड़े मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे।
मैं न चाहते हुए भी वही सब देख रहा था और मेरा 7 इंच लंबा लंड अपने असली रूप में आ रहा था।
मेरी नजरों को शायद मैडम ने पढ़ लिया था.. उन्होंने साड़ी से अपने मम्मों को छुपा लिया।

फॉर्म भरने के बाद मैडम ने मुझे समझाया कि कैसे काम करना है और मेरे बारे में भी मैडम ने सारी जानकारी ले ली कि मेरे घर पर कौन-कौन है.. कहाँ तक पढ़े हो.. वगैरह.. वगैरह..

मैडम ने अपने बारे में भी बताया कि कैसे वो इस मुकाम तक पहुँची.. उन्होंने अपने बारे में मुझे बताया कि उनका एक लड़का है.. जो अपने दादाजी के यहाँ रहता है और उनके पति का और उनका 5 साल पहले तलाक हो गया है। घर पर अकेली रहती हैं।
मैं सब सुनता गया.. पर मैं सोच ये रहा था कि कब और कैसे मैडम के साथ अपनी सुहागरात मना सकूँ..

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उस दिन मैं मैडम के घर से खाली हाथ नहीं निकला.. मैं एक उम्मीद ले के निकला.. क्योंकी मैं मैडम की बातों से यह समझ गया था कि वो मुझमें दिलचस्पी ले रही हैं।

कुछ दिन यूँ ही निकल गए.. इन दिनों में हम और खुल गए।
एक दिन मैडम ने मुझे घर पर बुलाया.. मैं अपनी बाइक लेकर मैडम के घर के लिए निकल गया।

रास्ते में तेज़ बारिश की वजह से मैं पूरा भीग गया था। जब मैडम के यहाँ पहुँचा तो मैडम ने मुझे ऐसी हालत में देख कर बहुत डांटा कि मैं कहीं रुक क्यों नहीं गया।
मैंने कहा- कोशिश तो की थी.. पर नहीं रुक पाया..
शायद वो मेरे इशारे को समझ रही थी।

मुझे देख कर मुस्कुराईं और मेरे हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर ले गईं। तौलिए से मेरा सर पोंछा और मुझे अपने पति के कपड़े दिए और बाहर चली गईं।

मैं पूरा भीगा था.. तो मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए.. मेरे चड्डी-बनियान भी भीग गए थे.. तो वो भी उतार कर सुखाने के लिए रख दिए और जब मैं पैन्ट पहन ही रहा था.. तो मैडम अन्दर आ गईं और मुझे इस हालत में देख कर मुस्कुराकर चली गईं।
उस वक़्त मेरा लंड अपने पूरे जोश में था। आज मैंने ठान लिया था कि आज तो मैडम की चूत के दर्शन करके ही रहूँगा।

मैंने कपड़े बदले और हॉल में आकर बैठ गया। मैडम मेरे लिए चाय ले आईं।
मैडम ने गाउन पहना था.. वे बहुत सेक्सी लग रही थीं।

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