मेरी मादक मा और ज़ालिम दुनिया भाग 3

पिछले पार्ट मे अपने पढ़ा की चाचजी ने मुझे एलेक्षन लड़ने को कहा.

अब आयेज…

चाचजी का इतना बड़ा स्मराज्या मेरे हाथो मे था. टेन्षन तो थी पर मेरे पास 2 चिकनी मादक जिस्म वाली पर्सनल रंडिया भी तो थी मेरी. जो जब मॅन करे मेरा लंड चूस कर या फिर अपनी कसी हुई फाक मे मेरा लंड लेके मुझे खुश रखती थी.

घग्रा चोली मे उनके मादक जिस्म मेरे लंड और खून दोनो गरम कर देते थे. इसीलिए मई भी अब पहले से दुगना हरामी और हवस का पुजारी बन चुका था. कितनी बार मा या चाची सुबह सुबह कुऊए से पानी खिचने जाती तो उनको वही छोड़ देता था.

सुबह सुबह वो 5-6 पानी के मटके सर पर रख कर लाती और उनकी कसी हुई गुलाबी चिकनी छूट मे मेरा वीरये भरा होता था. यूयेसेस दिन सुबह सुबह कुऊए से खिच कर पानी लाते हुए.

मा- दीदी आप पकड़ लो ना पानी मेरी तो जान निकल रही है.

चाची- अरे तुझे क्या हुआ आज?

मा- (शरमाते हुए) आपको पता तो है, मई कुऊए से पानी खिच कर निकल रही थी तभी सुनील आ गया.

चाची- फिर…?

मा- (शरमाते हुए) क्या दीदी तुम भी.

चाची- अरे बता ना मेरी जान.

मा- (शरमाते हुए) फिर क्या था, मेरी कमर पकड़ कर वी नोच ली फिर मेरी चोली मे मेरे चुचे खिच कर बाहर निकल लिए और चोली फाड़ कर फेक दी. 10 मिनिट्स तक मेरे निपल से सा दूध निचोड़ दिया और वही ज़मीन पर पटक कर छोड़ दिया मुझे. हुहह हुहह कसम से दीदी मेरा पानी निकल गया जान निकल दी उसने मेरी पूरी.

चाची- तूने तो सुबह सुबह ही मज़ा कर लिया.

मा- (शर्मा कर मुस्कुराते हुए) अब तो पूरा शैतान हो गया है वो, मुझे निचोड़ डाला पूरा. अब तुम मेरी मदद करो.

चाची ने मा से आधा पानी ले लिया और दोनो चलने लगी और बाते करने लगी.

मा- दीदी मई देख रही हू तुम्हे आज कल. बहोट गहरी चोली पहनती हो आज कल और तुमहरा घग्रा भी नाभि से बहोट नीचे आ रहा है.

चाची – (शरमाते हुए) अब क्या करू हुमारे जवान पति की यही मर्ज़ी है. एक बार मेरी चोली मे से निपल भर आ गया था, बस तभी से उसका ऑर्डर आ गया की चोली और गहरी पहना करू.

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मा- तभी तो आपके चुचो को निचोड़ निचोड़ कर और भी मोटा कर दिया. अब तो और भी मादक लगती हो.

चाची मुस्कुराने लगी.

मा- क्या बात है चाची तुम्हारी कमर और पेट बहोट मुलयूं और चिकनी हो गयी है, जवानी चॅड रही है तुम्हे.

चाची शर्मा गयी.

उधर डोफेर को चौधरी अपनी बीवी के साथ हुमारे घर आया. मतलब चाचजी की कोठी जो अब मेरी हो चुकी थी.

अब दुश्मन का भी घर मे वेलकम तो करना ही पड़ता है. खेर बाते हुई और खाना भी फिर बाहर आ गये और बाते करने लगे. चौधरी ने अपना रोब दिखाने के लिए अपनी 30-35 साल की यूयेसेस बीवी को अपने परो मे बिता लिया और पेर डबवाने लगा.

चौधरी- क्यू छ्होटे प्रधान इश्स बार तो चाचा नही है तेरा तू तो गया.

तभी मैने अपनी दोनो बीवियो को आवाज़ लगाई. दोनो आ गयी. गत्री का दूध जैसा एकद्ूम गोरा मादक जिस्म घग्रा चोली मे देख कर चौधरी का लंड और दिमाग़ दोनो हिल गये. उसके साथ के लोग भी मा को देख कर लंड मसालने लगे.

चौधरी कुत्ते की तरह मा का जिस्म घूर्ने लगा उउम्म्म्ममम. गत्री का दूध जैसा गोरा जिस्म, उसका मुलयूं पेट..चिकनी पतली कमर उउफ्फ. दूध से भरे उसके चुचे और चोली मे चमकती हुई निपल की गोली. बस अब तो प्रधान का लंड पानी छ्चोड़ देगा. और तभी चाची भी आ गयी उसका भी मादक जिस्म और चोली मे आधे भर निकले चुचे और मोटी गांद वो देखता रह गया.

चाची मेरे परो मे बेत गयी और पेर दबाने लगी और गत्री को खिच कर मैने अपनी झांग पर बिता लिया. और उसकी चिकनी कमर नोच कर और उसकी मुलयूं दूध से भारी च्चती पर हाथ मसालने लगा.

मा- आहहुहह…हुहह..हुहह..

चौधरी का मूह खुला रह गया और राल टपकने लगी.

मई- क्या हुआ चौधरी खा खो गया. हम तेरे से हर चीज़ मे आयेज है. पैसो मे भी, ज़मीन मे भी और…

तभी मैने मा की चोली मे हाथ घुसा दिया और उसका चुचा भीच दिया

मा- आआहहूूच्च…हुहह..हुहह..हुहह..

मई- और लुगाई मे भी. तो अपनी जीत तू भूल जेया.

मा का चुचा चौधरी के सामने भीच कर मैने उकसा मुलयूं पेट भी नोच लिया.

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मई- क्या देख रहा है चौधरी, मेरा माल है ये. देखा क्या चिकना माल है. दिन मे 2 बार अपना दूध पीलती है ये मुझे और फिर रात दिन इसको पटक पटक कर छोड़ कर इसकी कसी हुई गुलाबी छूट का पानी निकल देता हू. लंड को बेत्ने ही नही देती एसी चिकनी माल है ये.

ऐसी चिकनी माल और कोई नही थी इश्स गाओ मे. चौधरी सच मे साँझ गया की वो जितना सोच रहा था उससे बड़ा हरामी हू मई. गत्री जैसी चिकनी मादक औरत को अपनी झांग पर बिता कर मई मज़े ले रहा था. वो साँझ गया की ये शरीफ नही है.

तभी मा मेरा लंड उसके सामने मसालने लगी.

मा- चलिए ना अब, आपके आराम का टाइम हो गया. आपको सुला देती हू.

मेरा खड़ा होता हुआ मोटा लंड जीन्स मे चौधरी की बीवी घूर्ने लगी.

मई- देखा चौधरी कैसे तड़प रही है, अभी देख फिर से इसकी गुलाबी छूट का कैसे भोसड़ा बनउगा.

चौधरी- कुछ भी करले तू जीत तो मेरी ही होगी.

और वो परेशान होके चला गया और मई मुस्कुराने लगा बेचारा जेलासी मे चला गया किलस कर. मई जनता था गत्री का ये जिस्म उसको मेरे पास वापस लेके आएगा. अलगे दिन वही हुआ. मा के जिस्म की तड़प लेके चौधरी मेरे पास आ चुका था.

चौधरी- मान गया तुझे लोंडे, क्या माल है तेरे पास. कसम से कल मेरे लंड का पानी निकल ही जाता.

मई- क्या चौधरी तुम भी मेरे दुश्मन होके.

चौधरी- अरे क्या दुश्मन यार, मेरी बात सुनेगा ज़रा.

मई- सूनाओ?

कुछ देर बाद.

मई- क्या प्रधान जी मेरे ही माल पर नज़र.

चौधरी- अरे सुनील यार, ये लंड की भूक का लिलाज़ तो करना पड़ेगा ना. और तू टेन्षन ना ले. तू ही इश्स गाओ का प्रधान बनियो और मई बराबर वाले गाओ का बन जौंगा, पर ज़रा इश्स गत्री का जिस्म एक बार…

गत्री और भी ज़्यादा मादक बन चुकी थी और अब मई उसको ऐसे चौड़री के साथ भेजने के मूड मे नही था. पर बात ये भी थी की अब मुझे अपना एंपाइयर बड़ा करना था. इश्स गाओ का प्रधान बनके मई अपने घर की सभी मादक औरतो को अपनी रंडी भी बनाना चाहता था.

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