मेरी कमुक्त आत्मकता 2

हम दोनों की शर्टें और मेरी ब्रा भी उतर गई, मोनिका भाभी के स्तन कितने गोरे थे निप्पल तो बिलकुल गुलाबी रंग के थे, मैं अपने आप को नहीं रोक पाई और उन निप्पलों को चूसने लगी, मोनिका भाभी मेरी पीठ और बालों पर हाथ फिराने लगी, उन्होंने अपना सीना मेरी दिशा में और अधिक तान दिया था, मैं कभी दायें स्तन की गोलाई को हाथ से थाम कर उसके निप्पल से काम-रस का पान करती तो कभी बाएँ स्तन के निप्पल को चूसती। मुझे पहली बार स्तन-पान में इतना मजा आ रहा था, पहले भी मैंने श्वेता के स्तनों को कई बार चूसा था पर ऐसा अनोखा आनन्द कभी नहीं आया।
ओह…रजनी…यू आर ए लवली गर्ल…..! पियो ! खूब काम-रस पियो…. ! आई लाइक इट… ! मोनिका भाभी ने मेरे बालों को सहलाते हुए कहा।
स्तनों में ही इतना मजा आया कि मैं उनकी योनि की ओर जा ही नहीं पाई।
अब बाहर चलते हैं….पहले डिनर ले लेते हैं…. उसके बाद करना यह सब….. वैसे मार्टिना के स्तन भी लाजवाब हैं….उन्हें चूसने में मुझे बहुत मज़ा आता है….., मोनिका भाभी मेरा मुख अपनें स्तनों से हटा कर प्यार से बोली, मैं आज्ञाकारी बच्चों की तरह मान गई।
हम दोनों तौलिए से बदन पोंछ कर बिना किसी कपड़े के ही डायनिंग रूम में पहुँच गये, वहाँ बड़ी सी डायनिंग टेबल पर मार्टिना भाभी नें खाना सजा दिया था, तीन चांदी के ग्लास और एक शेंपेन की बोतल भी रखी थी। उन्होंने हम दोनों की नग्नता पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, हाँ मेरी बढ़िया फिगर देख कर जरुर टिप्पणी की- …गुड… ! अच्छी फिगर बना रखी है….!
खाना खाते-खाते ही मेरे पेट में तीन पैग जा चुके थे, मेरे सर पर सुरूर सवार हो गया था, भाभियों को कोई फर्क नहीं पड़ा था, मैं तो झूमने ही लगी थी।
मार्टिना भाभी ने हंसते हुए मुझे सहारा दिया और मुझे कंधों से पकड़ कर बैडरूम में ले जाकर बेड के नर्म गद्दे पर लिटा दिया, मैं पीठ के बल फ़ैल गई, मैंने अपनी टांगें चौड़ा दी और हथेली फैला दी- मोनिका भाभी आइये ना……! मुझे पिलाइये न अपना दूध ! मैं नशे में बोली।
मोनिका भाभी हंसते हुए बेड पर आ गई और मेरे मुख के पास अपना सीना करके लेट गई, मैं उनके स्तन चूसने लगी, उनके हाथ मेरी पीठ और सीनें पर मचलने लगे, मुझे उनके स्तन चूसने के लिए उनकी ओर करवट लेनी पड़ी थी, मैंने आँखें बंद कर ली थी।
तभी मार्टिना भाभी ने मेरी उपरी टांग ऊपर उठाई और अपना मुंह मेरी योनि पर लगा दिया, वो मेरे भंगाकुर को मानो अपने होंठों से नोचने लगी, मेरी जांघें और खुल गई और मैं तड़पने लगी, बैडरूम में तीन सुन्दर युवतियां सामूहिक यौनाचार में लिप्त हो गई थी।
तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरी योनि में कोई लचीली चीज घुसेड़ी जा रही है लेकिन जिसकी गोलाई और चिकनाई लिंग की भाँति है, मैंने नजर डाल कर देखा तो प्रसन्न हुई और चौंक भी पड़ी, मार्टिना भाभी एक फुटे रबड़ के लिंग को मेरी योनि में आगे पीछे कर रही थी, मुझे अब मजा आने लगा और कंठ से कामुक ध्वनियाँ फूटने लगी, मैं मोनिका भाभी के स्तनों को चूसते चूसते ही मचलने लगी।
मार्टिना भाभी एकदम कह उठी …. कमाल है …. मोनिका जरा देखो तो…. एक फुट में से मुश्किल से एक इंच या डेढ़ इंच बाहर रह गया है ये रबड़ का लिंग….. उफ़ कितनी गहरी है रजनी की योनि…..! हमारी योनियों में तो नौ इंच भी नहीं आ सकता, रजनी ये कैसे है इतनी गहरी….उन्होंने मुझसे पूछा।
भाभी इन बातों को उफ़ … ओह … इन बातों को बाद में करना, पहले ये काम तो पूरा कर लो .. उफ़… इसे जोर जोर से चलाओ…… मैंने अपने पेट को सहला कर कहा।
मार्टिना भाभी उसे आगे पीछे करने लगी और मैं मोनिका भाभी और मार्टिना भाभी की योनियों का बारी बारी से स्वाद लेने लगी।
हम तीनों तीन विक्षिप्त नदियों की तरह एक दूसरे में तब तक समाती रहीं जब तक थक कर सो नहीं गईं।
और फिर जब तक माता पिता मारिशस से आये तब तक हम तीनों ने खूब अय्याशी की, उसके बाद भी जब तक भाभियाँ हिन्दुस्तान में रही तब तक ज्यों मौका मिला त्यों ही हम तीनों ने मजे लिए।
भाभियाँ जब विदेश वापस गई तो मुझे रबड़ का लिंग दे गई, मैंने उसे छुपा लिया और अपना विवाह होने तक प्रयोग किया।

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