मेरी कमुक्त आत्मकता 2

इस प्रकार अपनी योनि के साथ भाँति भाँति के अजीब ढंग के प्रयोग करते करते समय निकल रहा था कि विदेश से मेरी दोनों भाभियाँ आ गई, वे एक माह के लिए हिन्दुस्तान घूमने आई थी, उन दोनों से मेरी खूब पटी।
मेरी बड़ी भाभी का नाम मार्टिना और छोटी भाभी का नाम मोनिका था, दोनों ही मुझसे लंबी चौड़ी थी, हाँ उनकी फिगर में कसाव था। वो साड़ी कभी कभी ही बांधा करती थी, अधिकतर ढीले ढीले पेंट शर्ट या टी-शर्ट के नीचे घुटनों तक की स्कर्ट पहनती थी, हिंदी भी उन्हें अच्छी आती थी।
उन दोनों के आ जाने से घर में काफी चहल पहल रहने लगी थी, हम सभी लोग ग्यारह बारह बजे तक बैडरूम में जागते रहते थे। रात में बंगले में हम पांच सदस्य ही रह जाते थे, माता-पिता, मैं और मेरी दोनों भाभियाँ, नौकर नौकरानी पति पत्नी ही थे, दोनों ही सर्वेण्ट क्वार्टर में चले जाते थे।
पिताजी को किसी सरकारी काम से मारिशस जाना पड़ गया तो मम्मी भी उनके साथ चली गई, उनका दो दिन का ट्रिप था, घर में हम तीनों महिलाएँ अकेली रह गई।
मम्मी पापा चार बजे गए थे, छः बजे मार्टिना भाभी ने नौकर को भेज कर एक फाइव स्टार होटल से खाना मंगा लिया और उसको तथा उसकी नौकरानी पत्नी को सुबह तक के लिए छुट्टी दे दी।
मार्टिना भाभी ने खाना किचन में रखा और अपने बैग में से कुछ कपड़े लेकर बाथरूम चली गई, मोनिका भाभी और मैं टी. वी. देख रहे थे, केबल पर हिंदी फिल्म आ रही थी।
मोनिका भाभी अलग सोफे पर बैठी थी मैं दूसरे पर ! मैंने घुटनों तक की स्कर्ट और ढीली ढाली शर्ट पहन रखी थी, शर्ट के भीतर गुलाबी रंग की जालीदार ब्रा थी, मोनिका भाभी ने ढीली ढाली सूती पेंट शर्ट पहन रखी थी, शर्ट के ऊपर के तीन बटन खुले हुए थे जहां से उनका मुझसे कहीं ज्यादा गोरा रंग झलक रहा था, उनके भारी स्तन थोड़े लटके हुए से थे जिनके निप्पलों का आभास शर्ट में से हो रहा था, निप्पलों से लटक कर शर्ट में सलवटें बन रही थीं, वह सोफे पर अधलेटी मुद्रा में बैठी थी और एक इंगलिश मैगजीन को देखते देखते टी. वी. भी देख लेती थी।
हल्लो रजनी…. आओ तुम भी नहा लो…. गुनगुने पानी में मजा आ जायेगा…. मार्टिना भाभी का स्वर मेरे कानों में पड़ा।

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मैंने स्वर की दिशा में देखा तो देखती रह गई, मार्टिना भाभी ने अपने आकर्षक शरीर पर केवल एक छोटा सा वह भी बिलकुल पारदर्शी वस्त्र पहन रखा था, जिससे न तो उनके वजनी और उन्नत स्तन छुप रहे थे और न ही गदराई जाँघों के मध्य गोरी सी दो फांकों में बंटी उनकी खूबसूरत योनि। यह वस्त्र शमीज की ही भाँति था जो स्तनों के ऊपर से शुरु होकर उनकी जाँघों के जोड़ से जरा ही नीचे तक आ रहा था,
मोनिका…तुम नहीं लोगी बाथ ?…. मुझसे कहने के बाद मार्टिना भाभी ने मोनिका भाभी से कहा।
ओह्ह… यस्… ! कह कर मोनिका भाभी नें सोफे पर ही अंगड़ाई ली और उठ कर मेरी ओर अपना हाथ बढ़ा कर बोली- आओ….रजनी हम दोनों साथ साथ नहा कर आते हैं !
जी…? मैं आपके साथ नहाऊं ? मैंने शर्माने का अभिनय करते हुए कहा, हालांकि मेरा स्वयं ही मन कर रहा था कि मैं उनके साथ ही नहा लूँ।
तो क्या हुआ … ? कम..ऑन… ! मोनिका भाभी नें दोबारा कहा तो मैं उठ कर उनके साथ हो ली, मोनिका भाभी बिना कपड़े लिए ही मेरा हाथ पकड़े मुझे बाथरूम में ले गई।
मोनिका जरा जल्दी आना…. ! डिनर तैयार है ! मार्टिना भाभी का स्वर हमारे पीछे से गूंजा !
हमारे बंगले के हर बैडरूम के साथ बाथरूम अटैच्ड है, हरेक बाथरूम हर सुविधा से संपन्न है, बड़ा सा बाथटब, गीजर, कमोड, शावर या दो तीन प्लास्टिक के स्टूल जो डब्बे की शक्ल के हैं।
बाथरूम में हम दोनों प्रविष्ट हो गए तो मैंने दरवाजे की सिटकनी लगानी चाही तो मोनिका भाभी ने मुझे रोक दिया, बोली- क्या जरुरत है इसकी…. यहाँ कौन आएगा !
मैंने सिटकनी से हाथ खीच लिया।
मोनिका भाभी ने बिना कपड़े उतारे ही गुनगुने पानी वाला शावर खोल दिया और पानी की फुहार के नीचे खड़ी हो गई, पानी उनको भिगोने लगा, मैंने भी कपड़े उतारने में शर्म का अभिनय किया और टब की ओर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच लिया, मैं उनसे जा टकराई, भाभी ने मेरी पीठ पर हाँथ बाँध लिए और बोली- क्या तुम शरमाई-शरमाई सी रहती हो…! हमसे क्या पर्दा…! तुम्हारे होंठ कितने रसीले हैं ! कब से इन्हें चूमने का मन कर रहा था ! अब मौका मिला है…..
यह कह कर उन्होंने अपने तपते होंठ मेरे होंठों पर ही जो रख दिये, हम दोनों की महकती साँसे नाकों से गुजर कर एक दूसरे से टकराने लगी, मेरी बाँहें भी उनकी पीठ पर जाकर बंध गई थी, वे मेरा नीचे का होंठ चूसने लगी तो मैं ऊपर का, उनकी इस क्रिया में एक लय थी, उनके हाथ भी शरारत करने लगे थे, वे मेरी स्कर्ट को खोल चुकी थी और मेरे चिकने नितंबों को अपनी अँगुलियों के स्पर्श से और अधिक गोल कर रही थी जैसे, वो तो मैंने पेंटी पहनी हुई थी वर्ना अब तक उनकी अंगुलियाँ जाने क्या कर बैठती।
मैं भी पीछे नहीं रही थी, मैंने भी उनकी पेंट खोल कर उसे नीचे खिसका दिया था। मेरे हाथ उनके चिकने और मेरे से ज्यादा सुडौल नितंबों पर पहुंचे तो पाया कि उन्होंने पेंटी नहीं पहनी हुई है, मेरी अंगुलियाँ उनके नितंबों की कसी हुई चिकनी त्वचा पर फिसल रही थीं, जो उनके नितंबों की गहराई में छुपी उनकी गुदा (गांड) और केश विहीन योनि-प्रदेश तक हो आती थी।

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