दोस्तो मेरा नाम बिलस चाँद है, (बीसी फॉर शॉर्ट. ब स्टॅंड्स फॉर बेहन आंड सी स्टॅंड्स फॉर छोड़, यानी की बीसी मीन्स बहनचोड़) मेरी उमर 26 साल की है. मैं म्बा पास हूँ, मेरा कद 6 फीट और रंग सॉफ है. मेरा अपना बिज़्नेस है. मेरे पिता जी का देहांत अब से 6 महीने पहले हो गया था, मेरी मा पहले से ही दुनिया में अनहीं हैं. मेरी दीदी सपना की उमर 34 साल की है. वो बहुत ही सेक्सी औरत है. उसकी चुचि कम से कम 36 इंच, चुटटर 36 इंच और कमर कोई 27 इंच की है. उसका रंग गोरा है और उसके कोई बचा नहीं हुया.
मेरे जीज़्जा जी की उमर 48 साल की है शायद इसी लिए वो मेरी दीदी को संतुष्ट नहीं कर पाते. दीदी की सास रोक्ष दीदी को बांझ कह के ताने मारती है. पिच्छले महीने मेरे जीज़्जा जी ने दीदी को धक्के मार के घर से बाहर निकल दिया और वो मेरे पास आ गयी. मैं घर में अकेला ही रहता हूँ इश्स लिए मुझे कोई तकलीफ़ नहीं है के मेरी दीदी मेरे साथ रह ले. दीदी मेरे घर का सारा काम काज संभालने लगी. उधर जीज़्जा जी ने तलाक़ का मुक़दमा दायर कर दिया और दीदी को तलाक़ दे दिया. दीदी बहुत ही उदास र्हने लगी. एक दिन मेरे दोस्तों ने होटेल मैं पार्टी करने का प्रोग्राम बनाया जिसमे कुछ लड़कीों को भी बुलाया ताकि हम चुदाई भी कर सकें.
मैं शाम को तय्यार हो कर बाहर जाने लगा तो फोन बाज उठा. मेरे दोस्त अशोक का फोन था और उसने बताया की हमारे दोस्त निर्मल के पिताजी का आक्सिडेंट हो गया है इश्स लिए पार्टी कॅन्सल कर दी गयी है. मैने फोन पेर कहा की यार मैं तो लंड खरा कर के बैठा हूँ और तुम लोगों ने सारा मूड ही खराब कर दिया अब मैं इश्स कड़े लंड का काया करूँ. मेरी दीदी मेरे पीच्चे खड़ी मेरी बातें सुन रही थी.
मैं उदास हो कर चेर पर बैठ गया और दीदी को बोला, ” दीदी अगर मैं घर पर शराब पी लून तो तुझे कोई एतराज़ तो नहीं होगा? आज मूड बड़ा खराब है, साली पार्टी ही कॅन्सल कर डाली साले मेरे दोस्तों ने.” दीदी ने मुस्कुरा कर कहा,” मुझे काया एतराज़ हो सकता है भैया, हो सके तो दो घूँट मुझे भी पीला दो, मेरे मान भी बहुत उचाट है, जब से तेरे जीज़्जा जी ने मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं, मेरा दिल करता है की उसको जान से मार डून, और सारे जहाँ को असलियत बता डून, सला खुद तो नमार्द है और मुहे बांझ बता कर तलाक़ लेता है, और उसकी मा, साली रंडी अपने नौकर से चुड़वति है और दुनिया के लिए सती सावित्री बनी फिरती है, चल बही मैं ग्लास ले कर आती हूँ और हम डोड़नो भाई बेहन दो दो पेग लगते हैं, तुझे तो कोई एतराज़ नहीं है अगर मैं भी तेरे साथ पी लून,” मैने हैरान हो कर दीदी को देखा. आज पहली बरी दीदी के मुहन से गली सुनी थी और इश्स तरह उससे बोलते सुना.
मेरे मान में कई स्वाल उठ राझे थाई. काया जीज़्ज़िया जी असल में नमार्द हैं? काया दीदी बांझ नहीं है? मेरी नज़र दीदी के शरीर पर दौर गयी. दीदी का जिस्म पूरी तरह से गड्राया हुया था, उसके चुटटर मस्त थाई, जब वो चलती तो तुमक तुमक करते मेरे लंड को फॉर से खड़ा करने लगे. उनकी चुचि और भी मस्त थी. उनका ब्लाउस इतना छ्होटा था और गला इतना नीचे तक कट था के उनकी चुचि का आधे से ज़यादा भाग मेरी नज़र के सामने मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. मियने दीदी का हाथ अपने हाथ में ले लिया और अपने पास बिता लिया. मैने दीदी से पुचछा” किया जीज़्जा जी वाके ही में नमार्द हैं? अगर ऐसा है तो तुम अपने ससुराल में इतने सालों से किओं रह रही थी, मेरे पास किओं नहीं आ गयी मेरी प्यारी दीदी अब मैं तुझे बिल्कुल कहीं भी नहीं जाने दूँगा, तुम यहीं बैठो मैं हम दोनो के लिए पेग बना कर लता हूँ”
मैने दो ग्लास निकले, उनमें जॉनी वॉकर शराब के पेग डाले, सोडा डाला, बरफ डाली और एक को दीदी को दे दिया और दूसरा अपने पास रख लिया, टेबल पर तले हुए काजू रखे हुईय थाई. हम ने शराब की चुस्की लेते हुए काजू खाए. थोड़ी देर के अंदर नशा च्चाने लगा और मेरा मान भी उतेज़ित होने लगा. मेरा हाथ दीदी के कंधे पर चला गया और मैने फिर से पूचछा” दीदी काया जीज़्जा जी असल में नमार्द हैं?’ दीदी ने मेरी तरफ देखा और उसकी नज़र मेरी पंत के उभरे हुए हिस्से पर पद गयी. उससने मेरी जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा” और नहीं तो काया, उनका लंड तो काबी खड़ा ही नहीं होता था, वो मेरी जवानी का घूँट पीने के काबिल ही नहीं था, मैं तड़पति रही सालों तक लेकिन तेरा जीज़्जा कभी मेरी छूट को संतुष्ट ना कर पाया, सला अपना ढीला सा लंड ले कर मेरे जिस्म से खेलता रहता और जब मैं गरम हो जाती तो बहनचोड़ पिचकारी मेरे शरीर के अप्पर छ्होर देता, मैं 6 साल से लंड के लिए तड़पति रही हूँ मेरे भैया.
और तेरा जीज़्जा मातेरचोड़ मेरी आग भड़का तो देता था पर शांत ना कर पता, मैं आज भी तड़प रही हूँ, मेरी छूट आज भी काम की आग में दाहक रही है,” दीदी का हाथ अपनी छूट को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगा. मेरे अंदर की आग भी भड़क उठी. मिने पेग ख़त्म किया, दूसरा बनाया, और दीदी के चेहरे को अपनी ओर खींच लिया. दीदी के जिस्म से बहुत ही मस्त खुश्बू आ रही थी. मैने दीदी को बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके मस्त होंठों पर रख दिए. दीदी मेरे जिस्म से आईससे चिपक गयी जैसे पेड़ के साथ लता लिपट जाती है. मियने दीदी के चुंबन लेने शुरू कर दिए और दीदी ने मेरे चूमबन का ज्वाब चुंबन से देना शुरू कर दिया. मेरे हाथ दीदी की चुचि को रगड़ने लगे, मेरा लंड फूंकारने लगा. दीदी ने जब मेरे लंड को सर उठाते महसूस किया तो उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगीं और उसका हाथ मेरे लंड को टटोलने लगा. मैने उसके निपल्स को च्चेरना चालू रखा और मेरी जीभ दीदी के मुहन में दाखिल हो चुकी थी.