मेरी मादक मा और ज़ालिम दुनिया भाग 2

पर मेरा रोब देख कर वो चिद्ड़ गया और बोला-

आछा हुआ टुउने पकड़ लिया इसको वरना रामपाल की बीवी को कोई और उठा कर ले जाता, और वो ज़ोर से हासणे लगा.

मई- टेन्षन ना ले चौधरी अब तो कोई हाथ भी ना लगा सकता. दोनो को रात भर रग़ाद कर पानी निकलता हू और दिन भर सेवा करवाता हू. तू अपनी देख.

चौधरी का मूह बंद हो गया. तभी मैने देखा उसकी बीवी जो साइड मे खड़ी थी मुझे देख कर होंठ चबाने लगी और पेट मसालने लगी. मई आयेज बढ़ गया और चौधरी किलस गया. फिर हम बेत गये, मा कुछ खाने को लेने चली गयी और चाची मेरे पेर दबाने लगी. उम्म्म मेले की ठंडी ठंडी हवा और नीचे मादक जिस्म वाली चाची अपने चुचो से मसल कर मेरे पेर दबाती हुई.

कुछ देर बाद मा कुछ खाने को कचोड़ी और लस्सी लेके आ गयी.

मई- अरे लस्सी क्यू ले आई वो तो मई तुम दोनो के चुचो के दूध से बना कर पीऊँगा.

दोनो मुस्कुराने लगी और फिर हुँने मज़ा करा और रात को वापस घर आ गये. मेले घूमने के बाद अब थकान सिर पर चड़ड गयी थी तो-

मई- कहा गयी मेरी कुटिया?

चाची- जी आई…

मई- चल ज़रा मेरा खड़ा कर्दे फिर गत्री के अंदर डाल कर आराम से सौंगा.

चाची ने अपने चुचे बाहर निकल लिए और मेरे लंड पर अपने निपल मसालते हुए बोली-

चाची- (शरमाते हुए) उसको क्यू प्रेशान करते हो, मेरी फाक भी बहोट गरम है रात भर आराम देगी आपको.

मैने चाची को घूरा तो शर्मा कर मुस्कुरा दी और लंड मूह मे लेके चूसने लगी.

उम्म्म्म…प्पुच्छ..उउंम्म..उम्म्म्ममममम..उम्म्म्मम…उम्म्म्म..स्पस्र..स्परर.स्पपररर

आल्लग्ग….गग्ग्ग.ग.ग्ग्ग.अललग्ग..उउंम..स्पस्र..स्परर..स्परर…आल्लगगज्गग…आलागग्ग…स्सपप्ररर..स्पररालालगग्ज्ग

उम्म्म्म…प्पुच्छ..उउंम्म..उम्म्म्ममममम..उम्म्म्मम…उम्म्म्म..स्पस्र..स्परर.स्पपररर

आल्लग्ग….गग्ग्ग.ग.ग्ग्ग.अललग्ग..उउंम..स्पस्र..स्परर..स्परर…आल्लगगज्गग…आलागग्ग…स्सपप्ररर..स्पररालालगग्ज्ग

मई- उउम्म्म्मम.भेंचोड़…मज़ा आ गया.. आहह..आअहह….आहह..आहह..

इससे फेले मई मा की तरफ जाो, चाची मेरे नीचे आ गयी और मेरा खड़ा हो चुका लंड अपनी छूट पर मसालने लगी. उसकी सास तेज हूने लगी, वो जानती थी ये घोड़े जैसा लंड अंदर घुसेगा तो उसको चियर कर रख देगा.

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मैने चाची की छूट पर लंड लगाया और फफककककककककककककककचह…

चाची- आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअहम्म..म्माररर…गयी..

चाची अकड़ गयी लेकिन अंदर तक लंड ले लिया. उम्म्म्म उनकी गरम छूट मे लंड घुसेड कर मज़ा आ गया और फिर वही सो गया. काप्ते हुई चाची लाल पद गयी उनकी छूट को ऐसे झटके मिलते रहते थे पर ये वाला ज़्यादा तगड़ा था. और फिर दोनो सो गये.

सुबह मई उठा तो चाची की गरम छूट से लंड बाहर निकाला और मा भी साइड मे नंगी लेती हुई थी. फिर मैने दोनो की छूट को रग़ाद कर जगा दिया और दोनो काम पर लग गयी. गाओ का महॉल तो आची ही चल रहा था. पर राजनीति तो हर जगह होती है और यहा भी थी. चाचजी गाओ के प्रधान थे काफ़ी सालो से और उनके ऑपोसिशन मे हुमेशा ही चौधरी खड़ा होता था.

गाओ के ये 2 बाहुबली थे पैसे और ज़मीन के लिए भी. चौधरी हुमेशा से ही प्रधान बनना चाहता था पर चाचजी ने कभी बनने नही दिया. अब प्रधान के एलेक्षन पास मे थे और चौधरी भी रेडी हो रहा था. लेकिन चाचजी तो जैल मे थे. तो उन्होने मुझे एलेक्षन लड़ने को बोला.

मई- अरे चाचजी मई कैसे?

चाची- अरे मैने सब सेट्टिंग करदी है, मेरे लोग तुझे सपोर्ट करेंगे और बाकी काम तू देख लियो. अब तो देख मेरी जगह तू ही है सुनील. तुझे सब कुछ संभालना है.

चाचजी का इतना बड़ा स्मराज्या मेरे हाथो मे था. टेन्षन तो थी पर मेरे पास 2 चिकनी मादक जिस्म वाली पर्सनल रंडिया भी तो थी मेरी. जो जब मॅन करे मेरा लंड चूस कर या फिर अपनी कसी हुई फाक मे मेरा लंड लेके मुझे खुश रखती थी.

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