मेरा नाम नेहा है। मेरी उम्र सत्ताईस साल है और मैं शादीशुदा हूँ। मेरे पति आर्मी में मेजर हैं और उनकी पोस्टिंग दूर-दराज़ के सीमावर्ती इलाकों या सम्युक्त राष्ट्र के किसी अंतर्राष्ट्रीय मिशन पर होती रहती है। इसलिये मैं अपनी सास और ससुर के साथ जालंधर के पास एक गाँव में रहती हूँ जहाँ हमारी पुश्तैनी कोठी और काफी सारी खेती और ज़मीन-ज़ायदाद है।सास और ससुर दोनों की उम्र साठ साल के पार है। सास थोड़ी बिमार रहती है और अपना ज्यादा वक्त भजन कीर्तन और गाँव के गुरुद्वारे में बिताती हैं। ससुर जी भी रिटायर्ड कर्नल हैं और अब पूरा वक्त खेतों पर मज़दूरों की निगरानी और गाँव के विकास कार्यों में मसरूफ रहते हैं। दोनों ही मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार और इज़्ज़त देते हैं और मेरी ज़िंदगी में ज्यादा दखल-अंदाज़ी नहीं करते। मेरा मायका भी मेरे ससुराल से बस एक घंटे की दूरी पर जालन्धर से थोड़ा आगे है। मेरे मायके में मेरे मम्मी और पापा और भैया-भाभी हैं। पापा भी ससुर जी की तरह आर्मी के रिटायर्ड कर्नल हैं।हर लड़की और औरत की तरह मुझे भी बनने-संवरने, मेक-अप, नये-नये फैशन के सलवार-कमीज़, ऊँची ऐड़ी की चप्पल-सैंडल पहनने का बहुत शौक है। मैं इतनी सुंदर और सेक्सी हूँ कि मेरा गोरा बदन, मेरी पतली कमर, लम्बे रेशमी बाल, कसे हुए चूतड़ और मोटे मम्मों को देख कर लड़के तो क्या बुड्ढों का भी दिल बेईमान हो जाये। मेरी चुदाई की प्यास भी कुछ ज्यादा ही है और शादी के पहले चंडीगढ़ में कॉलेज के दिनों से खुल कर चुदाई के मज़े लेती आयी हूँ। अब पति आर्मी में हैं तो इस कारण से कई महीने उनके लण्ड को तरसती रहती हूँ। वैसे तो मेरे मोहल्ले में बहुत सारे लण्ड रहते हैं और सारे लड़के मुझे पटाने की कोशिश करते रहते हैं। मेरे मम्मे, लड़कों की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं। मेरी बड़ी सी गाण्ड देख कर लड़कों की हालत खराब हो जाती है और वो खड़े-खड़े लण्ड को हाथ में पकड़ लेते हैं। मगर मैं किसी-किसी से ही चुदाई करवाती हूँ, जो मुझे बहुत अच्छा लगे और जहाँ पर मेरी चुदाई के बारे में किसी को पता भी ना चले। सास-ससुर के होते मुझे खुद को काबू में रखना पड़ता है। लेकिन मैं अपने बेडरूम में कंप्यूटर पर चैटिंग के ज़रिये साइबर सैक्स का खूब मज़ा लेती हूँ।
पर मस्त मस्त चुदाई की कहानिया पढ़ती हुयी फिंगरिंग करती हु और वयस्क वेबसाइटों पर नंगी ब्लू-फिल्में देख-देख कर मुठ मारने का मुझे बहुत सौक है। मुठ मारने के लिये मैं हर तरह के फल-सब्ज़ी जैसे केले, बैंगन, खीरे, मूली, लौकी या कोई भी लण्डनुमा चीज़ जैसे बियर की बोतल, क्रिकेट या बैडमिंटन के बल्ले का हत्था और कोई भी ऐसी चीज़ जो चूत में घुसयी जा सके, उसका प्रयोग करती हूँ। मेरी चुदाई की प्यास इतनी ज़्यादा है कि दिन में कम से कम आठ -दस बार तो मुठ मार कर झड़ती ही हूँ। इसके अलावा चुदाई से पहले मुझे शराब पीना भी अच्छा लगता है क्योंकि थोड़े नशे और खुमारी में चुदाई का मज़ा कईं गुना बढ़ जाता है। वैसे मैं शराब इतनी ही पीती हूँ कि मुझे इतना ज्यादा नशा ना चढ़े या मैं खुद को संभाल ना सकूँ। मेरा तजुर्बा ये रहा है कि जरूरत से ज्यादा नशा चुदाई का मज़ा और मस्ती खत्म कर देता है। ऐसा नहीं है कि मैं कभी नशे में धुत्त नहीं होती मगर ऐसा बहुत ही कम होता है। वैसे मेरे ससुराल और मायके में आर्मी वातावरण वजह से औरतों का कभी-कभार शराब पीना उचित माना जाता है पर मगर मेरे परिवार वालों को ये नहीं पता कि मैं तो तकरीबन हर रोज़ ही रात को सास ससुर के सो जाने के बाद अपने कमरे में एक-दो पैग मार कर खूब फिंगरिंग करती हूँ। अपने बारे में मैंने काफी बता दिया… अब आगे मेरी चुदाई के गरम-गरम किस्से पड़ें।
शादी के तीन चार महीने के बाद की बात है। मेरे पति की पोस्टिंग उन दिनों अरुणाचल में थी। मैं हर रोज़ कंप्यूटर पर लड़कों से चैटिंग करके फिंगरिंग कर अपनी प्यास बुझाती थी। चैटिंग पर मुझे लड़के अक्सर अपना मोबाइल नंबर देने और मिलने को कहते मगर मैं सबको मना कर देती। फिर भी कइंयों ने अपना नम्बर मुझे दे दिया था।
इन सब दोस्तों में एक एन.आर.आई बुड्ढा भी था। वो कुछ दिन बाद भारत आने वाला था। उसने मुझे कहा कि वो मुझसे मिलना चाहता है, मगर मैंने मना कर दिया। कुछ दिन के बाद उसने भारत आने के बाद मुझे अपना फोन नम्बर दिया और अपनी तस्वीर भी भेजी और कहा- “मैं अकेला ही इंडिया आया हूँ, बाकी सारी फॅमिली अमेरिका में हैं।”
उसने यह भी कहा कि वो सिर्फ मुझे देखना चाहता है बेशक दूर से ही सही।
अब तो मुझे भी उस पर तरस सा आने लगा था। वो जालंधर का रहने वाला था और मैं भी जालंधर के पास ही गाँव में रहती हूँ।
अगले महीने मेरी सास की बहन के लड़के की शादी आ रही थी जिसके लिए मुझे और मेरी सास ने शॉपिंग के लिए जालंधर जाना था। मगर कुछ दिनों से मेरी सास की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो उसने मुझे अकेले ही जालन्धर चली जाने को कहा।
जब मैंने अकेले जालन्धर जाने की बात सुनी तो एकदम से मुझे उस बूढ़े का ख्याल आ गया। मैंने सोचा कि इसी बहाने अपने बूढ़े आशिक को भी मिल आती हूँ। मुझे झाँटें बिल्कुल पसंद नहीं हैं और मैं हर हफ्ते अपनी चूत वैक्सिंग करके साफ करती हूँ। अभी दो दिन पहले ही मैंने मैंने अपनी चूत की वैक्सिंग करी थी, फिर भी मैंने नहाते समय अपनी चूत फिर से साफ करी और पूरी सज-संवर कर बस में बैठ गई। मैंने बस में से रास्ते में ही उस बूढ़े को फोन कर दिया। उसे मैंने एक जूस-बार में बैठने के लिए कहा और कहा- “मैं ही वहाँ आ कर फोन करुँगी।”
मैं आपको बूढ़े के बारे में बता दूँ। वो पचपन-साठ साल का लगता था। उसके सर के बाल सफ़ेद हो चुके थे पर उसकी जो फोटो उसने मुझे भेजी थी उसमे उसकी बॉडी और उसका चेहरा मुझे उससे मिलने को मजबूर कर रहा था।
बस से उतरते ही मैं रिक्शा लेकर वहाँ पहुँच गई जहाँ पर वो मेरा इन्तजार कर रहा था। उसने मेरी फोटो नहीं देखी थी इसलिए मैं तो उसे पहचान गई पर वो मुझे नहीं पहचान पाया। मैं उससे थोड़ी दूर बैठ गई। वो हर औरत को आते हुए गौर से देख रहा था मगर उसका ध्यान बार बार मेरे बड़े-बड़े मम्मों और उठी हुई गाण्ड की तरफ आ रहा था। वही क्या… वहाँ पर बैठे सभी मर्द मेरी गाण्ड और मम्मों को ही देख रहे थे। मैं आई भी तो सज-धज कर थी अपने बूढ़े यार से मिलने।
मैंने आसमानी नीले रंग की नेट की कमीज़ और बहुत ही टाइट चूड़ीदार पजामी पहनी हुई थी। कमीज़ भी काफी टाइट थी और उसका गला भी बहुत गहरा था। साथ ही मैंने गोरे नरम पैरों में काफी ऊँची पेंसिल हील वाले काले रंग के सैंडल पहने हुए थे। खुले बालों में हेयर रिंग और सिर पर गॉगल चढ़ाये हुए थे।
थोड़ी देर के बाद मैं बाहर आ गई और उसे फोन किया कि बाहर आ जाए। मैं थोड़ी छुप कर खड़ी हो गई और वो बाहर आकर इधर उधर देखने लगा। मैंने उसे कहा- “तुम अपनी गाड़ी में बैठ जाओ, मैं आती हूँ।”
वो अपनी स्विफ्ट गाड़ी में जाकर बैठ गया। मैंने भी इधर उधर देखा और उसकी तरफ चल पड़ी और झट से जाकर उसके पास वाली सीट पर बैठ गई। मुझे देख कर वो हैरान रह गया और कहा- “तुम ही तो अंदर गई थी, फिर मुझे बुलाया क्यों नहीं?”
मैंने कहा- “अंदर बहुत सारे लोग थे, इसलिए! ”
उसने धीरे-धीरे गाड़ी चलानी शुरू कर दी। उसने मुझे पूछा- “अब तुम कहाँ जाना चाहोगी?”
मैंने कहा- “कहीं नहीं, बस तुमने मुझे देख लिया, इतना ही काफी है, अब मुझे शॉपिंग करके वापस जाना है।“
उसने कहा- “अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुम्हें कुछ तोहफ़ा देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चल सकती हो?”
उसका जालन्धर में ही एक शानदार बंगला था। पहले तो मैंने मना कर दिया पर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैं मान गई। फिर हम उसके घर पहुँचे। मुझे एहसास हो चुका था कि अगर मैं इसके घर पहुँच गई हूँ तो आज मैं जरूर चुदने वाली हूँ। मैं गाड़ी से उतर कर उसके पीछे पीछे चल पड़ी।
अंदर जाकर उसने मुझे पूछा- “क्या पियोगी तुम नेहा?”
“कुछ नहीं! बस मुझे थोड़ा जल्दी जाना है!”
वो बोला- “नहीं ऐसे नहीं! इतनी जल्दी नहीं.. अभी तो हमने अच्छे से बातें भी नहीं की!”
“अब तो मैंने तुम्हें अपना फोन नम्बर दे दिया है, रात को जब जी चाहे फोन कर लेना.. मैं अकेली ही सोती हूँ।”
“प्लीज़! थोड़ी देर बैठो तो सही!”
मैंने कुछ नहीं कहा और सोफे पर बैठ गई। वो जल्दी से बियर की दो बोतलें ले आया और मुझे देते हुए बोला- “मेरे साथ यह बियर ही पी लो फिर चली जाना।” मैंने वो बियर ले ली। वो मेरे पास बैठ गया और हम इधर उधर की बातें करने लगे। बातों ही बातों में वो मेरी तारीफ करने लगा।