चाची और डूबे जी की रंगीन कहानी

ही गाइस मेरा नाम साहिल है और मई 13 साल का हू. यह स्टोरी मेरी चाची के बारे मे है जो एक पड़ोसी अंकल से पाट गयी. चाची का नाम सोफ़िया है, उनकी आगे 32 है, फिगर 34-28-36 और हाइट 5.6 है. वो बहोट खूबसूरत है और उनका रंग बहोट गोरा है. बिल्कुल तमन्ना भाटिया जैसा और फिगर भी सेम है.

उन्हे अभी तक कोई औलाद नही है और चाचा ज़डा कर के बिज़ी रहते है. मोस्ट्ली बाहर ही रहते है. सोफ़िया चाची ज़डा सलवार कमीज़ पहनती थी. और बाहर जाते वक़्त खुद को कवर कर के जाती थी.

मई मेरे पेरेंट्स के साथ रहता था. पर मेरी स्टडीस के वजे से चाचा चाची के घर चला गया. चाची हाउस वाइफ थी और अपने हज़्बेंड के साथ लायल थी. कॉलोनी के मर्द उनके दीवाने थे, सब उनको डेक्ते थे.

मई भी उनका फिगर अपने नज़रो से एंजाय करता था. उनकी कमर पतली और गांद बड़ी थी, 38 की होगी. जब चलती थी तो सब पीछे से उनको डेक्ते थे. यह बात उनको भी पता थी लोग उनको डेक्ते थे. उनकी गांद जब हिलती थी तो देकने वेल के दिल ढकना बंद होते थे. ड्रेस फिट होते थे जिससे पूरी बॉडी का शेप दिखता था.

वो हुमेशा पटियाला सूट, लेगींस टॉप और फंक्षन्स मे सारे और दूसरे इंडियन ड्रेसस पहनती थी. मई उनके साथ रहने लगा, हुमारी बात चिट होती थी हसी मज़ाक वो फ्रॅंक भी थी मेरे साथ, सब बोलती थी. चाचा के साथ उनकी कम बनती थी.

वो एक दो महीने बाहर ही रहते थे घर से.. फिर ऐसे ही मुझे एक दो हफ्ते हुए वो मेरे सामने दुपट्टा भी नही लेती थी जिससे मुझे उनके क्लेवगे दिखते थी. उनके छाती पे एक तिल (मोले) था जो बहोट ही सेक्सी दिखता था.

घर मे दो बेडरूम थे, एक मे मई सोता था रात मे और दूसरा चाची का था. सोफ़िया चाची की ब्रा और पनटी देकने का मौका मिलता था. काई बार मैने ब्रा पनटी टच किया, स्मेल किया वो बहोट सेक्सी कलर्स के होते थे, मॉर्डन टाइप थे. मई इमॅजिन कर के मस्तरबते करता था. नेट वाली होती थी बहोट मज़ा आता था.

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फिर कभी वो पड़ोसी आंटीस से बाते करती थी. मई उनके साथ मार्केट, माल्स मे जाता शॉपिंग के लिए. आते वक़्त आइस क्रीम जूसज़ एंजाय करते थे. वो खाना भी अछा बनती थी.

कुछ दिन पहले हुमारे फ्लोर पे एक अंकल आए रहने के लिए. उनकी फॅमिली भी आने वाली थी कुछ महीने बाद, वो पहले आए. वो दिखने मे 50 यियर्ज़ के थे. मई पहले दिन देखा उनको चाची को बताया कोई न्यू नेबर्स आए है रहने के लिए. उन्होने कुछ कहा नही फिर दूसरे दिन मई देकारा था उनकी मेरी बात चिट हुई.

उनका नाम मैने पूछा तो मोहन डूबे बताया वो थोड़े मोटे थे. क्लीन शेव थे पर मुचे रखी थी ज़रा बढ़ी थी वो हाफ ब्लड थे. थोड़े काले थे बाकी बॉडी अची थी मस्क्युलर थाइस, शोल्डर, फॉरार्म पेट तोड़ा बाहर था.

दूसरे दिन वो रहने आ गये थे. फिर पता चला उनके पास कार भी है फोरटुनेर वाइट वाली. स्कूल बंद थे लॉक्कडोवन् तो शाम मे मई बूलिडिंग के पार्किंग मे था. उनकी गाड़ी आई तो मैने पार्क करने हेल्प की.

फिर हुमारी बात हुई तो पता चला उनका बिज़्नेस है यहा. और वो मेरे सिटी मे रहते थे अभी शिफ्ट हुए. फिर हम उपर आने लगे तो चाची ने मुझे ने मुझे आवाज़ लगाई. तो हम दोनो ने सुनी तो डूबे जी बोले साहिल तुम्हारा नाम है? मई बोला जी. फिर उपर आने लगे तो चाची मुझे बोलने लगी.. तेरी छाई रखी है कितने देर से कहा था तू?

तो अंकल भी साथ मे थे. तो मैने दोनो कू इंट्रोड्यूस करवाया एक दूसरे से. वो चाची को देकने लगे. चाची ने आज ब्लॅक पटियाला सूट पहना था कमीज़ फिटिंग मे था बूब्स. और गांद का शेप आचे से दिख रहा था. उसपर ब्लॅक कलर उनपे बहोट हॉट लग्रा था.

मैने डूबे जी को देखा तो वो उनको ताड़ रहे थे. उन्होने एक दूसरे को नमस्ते किया. और हम अंदर आए. डूबे अंकल अपने फ्लॅट मे चले गये.

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फिर मैने चाची को बोला वो हुमारे सिटी के है मतलब ‘मेरे’. चाची बोली ठीक है क्या कर रहे थे? मई बोला नीचे बैठा तो उनकी पार्क करने हेल्प की बोले ठीक है.

चाची: और कों रहता है उनके साथ?

मई: अभी तो अकेले है उनकी फॅमिली कुछ दिन से आने वाली है.

फिर दूसरे दिन 12 बजे डोर बेल बाजी चाची दरवाज़ा खोला तो डूबे जी थे हम हॉल मे थे तो मई भी था.

डूबे जी: जी गुड आफ्टरनून साहिल है?

सोफ़िया चाची: जी है ना.

डूबे: कुछ काम था उन्हे कहा फ्री हो क्या ह्यूम कुछ समान लाने जाना है?

सोफ़िया चाची: साहिल अंकल की हेल्प करो, अंदर आएएईए.

डूबे जी : नो थॅंक्स बोलकर आ गये.

वो चाची को घूर्ने लगे. चाची को जाते हुए देकने लगे. उनकी नज़र उनके गांद पर थी जो मैने नोटीस किया. चाची ने उनके लिए पानी लाई. वो नॉर्मल ड्रेस मे थी आज फिर भी खूबसूरत लगती थी. डूबे ने पानी पिया और थॅंक्स बोलके हम चले गये.

चाची: जल्दी आना साहिल.

मई : ठीक है चाची.

फिर रास्ते मे डूबे मुझसे पूछने लगा.

डूबे: यह तुम्हारी चाची है फिर चाचा कहा है?

मैने बोला देल्ही गये है कुछ काम के लिए एक महीने बाद आने वेल है.. फिर कुछ देर बाद हम उनका काम कर के वापस आ गये.

मैने उनको खाने के लिए इन्वाइट किया. धूपेर के 3 बाज रहे थे. उन्होने कहा मई ऑनलाइन ऑर्डर कर लूँगा. फिर मैने तोड़ा फोर्स किया तो मान गये. वो टाइट वेर मे थे टशहिर्त और नाइट पॅंट्स मे. मेरे इन्वाइट करने की देर थी उन्हे तो आना ही था चाचा के दीवाने हो गये थे दो दिन मे.

मई पहले जाकर चाची को इनफॉर्म कर दिया.

उन्होने कहा अची बात है ह्यूम हेल्प करनी चाहिए जब तक उनकी फॅमिली नही आती.. फिर हुँने साथ मे खाना खाया. वो चाची को घूर रहे थे. और स्माइल देते थे जब उनकी नज़र मॅच होती थी तो फिर उन्होने कहा.

डूबे जी : खाना बहोट अछा है आप के जैसा.

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