मेरी दीदी मेरी कंबल बनी

मैं उस वक़्त 12त में अड्मिशन लिया था. मैं घर पे रह के पढ़ाई करता था क्यूंकी एक्षांज़ सर पे थे. घर पे अक्सर दीदी ही होती थी क्यूंकी मों और दाद जॉब करते थे. हू मेरा बहुत ख़याल रखती थी. पता नही कब ये उसके चाहत में बदल गया मुझे पता नही चला. हमरी बहुत नीभती थी दोस्ती. हम हमेशा साथ खाना, रहना, सोना और गप्पे करते थे.
मैं भी उनके प्रति आकर्षित होता था. उसके बड़े बड़े गांद के फाँक मुझे खींचते थे. जब वो झुकती थी तब उसके चुचि दीखते थे. मैं पागल हो जाता था. मैने काई बार उसके पनटी चुराई. कभी उस पनटी को मुँह पे रख के सूंघता था मानो दीदी का बर सूंघ रहा हू. और सूंघट सूंघते ही मैं मूठ भी मरता था. काई बार उसकी अपनटी में ही मूठ मार लेता था मगर तुरंत उसे धो के रख भी देता था. डरता था कही दीदी को पता ना चल जाए.

मैं रोज़ उन्हे छोड़ने की बारे में सोचता था मगर हिम्मत नही होती थी. वो बहुत कड़क थी. शायद मैं कभी शुरुआत कर भी नही पता मैं इतना डरता था और शर्मिला भी था. यहा मेरी दीदी पहले स्टार्ट की थी. वो मुझसे 6 साल बड़ी है और मुझे बोहुत चाहती है. एकदिन मेरा सर मेआइं ज़ोर से दर्द कर रहा था तो मैने रिक्वेस्ट किया तोड़ा सा सिर दबाने के लिए वो मान गयी.
वो मेरा सिर दबा रही थी और मुझसे बाते भी कर रही थी. फिर वो मुझसे गर्ल फ्रेंड के बारे में पूछने लगी लेकिन सच तो ये है की मेरा कोई गर्ल फ्रेंड नही थी.
अंजलि: तुमहरि कोई गर्लफ्रेंड है की नही.
मे: नही दीदी कोई नही, किसी लड़की से बात करनी की इच्छा नही होती.
वो फिर मुझे सेक्स के बारे में पूछने लगी तो मैं चुप रहा. क्यूंकी मैं कभी भी किसी के साथ ये सब टॉपिक्स डिसकस नही करता.
अंजलि: तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया है.
मे: नही कभी नही. किसी ने नही अलो किया दीदी.
अंजलि: किसी लड़की को नेकेड देखा है. किसी को भी.
मे : नही कभी नही.
अंजलि: झूट मत बोलो कभी मुझे नहाते वक़्त कीहोल से नही डेका? मैने काई बार महसूस किया की जब मैं नहाने जाती हू तब तुम दरवाजे आस पास रहते हो जैसे मुझे कीहोल से देखा हो. सॅक्स सच बताओ………तुमने मेरे पनटी को भी काई बार हाथ लगाया है. एक जगह पे रखा हुए मेरे पनटी काई बार दूसरी जगह मिलते है. सुखी पनटी गीली या वॉश्ड मिलती है. ऐसा कैसे तेरे अलावा ये कौन कर सकता है.
मे: नो……..नही दीदी कभी नही.
अंजलि: मुझे नंगी देखना चाहोगे? अगर सच बोलॉगे तो मैं दीखा दूँगी. अगर झूठ बोलॉगे तो कभी नही दीखौँगी. मैं तुम्हे टच करने भी दूँगी.
एसा लगा की मेरे कान सुन्न पर गये. मैने ऐसा सोचा ही नही था. मैं कुछ बोल भी नही पाया.
दीदी ने फिर पूछा. “देखना चाहते हो की नही?” मैं फिर भी चुप रहा.
फिर वो बोली, “क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे””
मुझे लगा की दुनिया घूम गयी मेरी. दीदी ने सॉफ कहा सेक्स करोगे?
मैने कहा, “ये ठीक नही होगा क्यूंकी तुम मेरी बहन हो. और मुझे कुछ भी नही आता है.”

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उसने कहा, “बहन की पनटी चुराने में ठीक था अब बहन से सेक्स करने में ठीक नही है. मैं तुमको सब सिख़ाओँगी अब बोलो करोगे मेरे साथ…मुझे नंगी देखोगे….मगर मों दाद को मत बताना……….बहँचोड़ बनॉगे.”
मैं मूर्ति की तारझ क़हदा रहा. इसके बाद वो शुरू हो गई. उसने अपने होंठ मेरे होंठ पे रख दिया. फिर मेरे होंठ चूसने लगी. पहले तो फ्रेंच किस 20 मीं तक और सबसे हैरानी की बॅयात है की ये सब मेरी दीदी खुद करवा रही थी. मैं भी मज़े से उसके लिप्स चूस रहा था. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसेड दिया. मैं उसे भी चूसने लगा मानो वो टॉफी हो. बहुत टेस्टी लगा उसके जीभ का स्वाद. दीदी वास्तव में मीठी है.
उसने रेग्युलर निघट्य पहना था. मुझे क्या फीलिंग हो रहा था बता नही सकता. फिर मैने उसके कपड़े उतरे. उसने मुझे निघट्य उतरने में मदद की. उसने अंदर पिंक कलर की पनटी पहनी थी.
तब दीदी ने कहा, “अब मेरी पनटी उतरो.”

और मैने उतार दी. उतरते वक़्त मेरा चेहरा उसके छूट के एकद्ूम बगल में था. मैने अपनी गाल पे उसके छूट के सांस महसूस किए. लगा गाल पे कोई गरम साँस ले रहा है. शयड उसके छूट से गर्मी निकल रही हो. मेरा दिल किया की मैं उसके छूट को किस करू मगर मैने ऐसा कुछ नही किया.
वो उस वक़्त वर्जिन थी आंड ऑफ कोर्स मैं भी. हू बिल्कुल नंगी हो गयी. मैं थोड़ी देर तक उसके नंगे बदन को देखता रहा. चिकना चेहरा, सुतला गार्डेन, उन्नत छाती, नोकिला निपल, सता हुआ पेट, पेट पे छोटा सा नाभि, नाभि से नीचे बिना बाल के चिकना बर और चिकने जाँघो वाला पैर. उपर से नीचे बहुत सुंदर, एकद्ूम मलाई. जी करता था खा जौ. दीदी का छूट कैसा था आज भी याद है. एकद्ूम बिना बाल के गोरा चिकना था. बहुत ही सेक्सी और प्यारा. बाहर का लिप्स पिंक था और अंदर में दाना भी रेड और पिंक का मिक्स था.
दीदी बोली, “क्या देख रहा है? क्या देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?”
मिने दीदी से कहा, “मैं कहा से शुरू करू, मुझे तो कुछ भी नही पता है.”
दीदी मुझसे एकद्ूम लिपट गयी और फिर किस करने लगी. शायद उसे नंगे खड़े रहने में शरम आने लगी. दीदी बिल्कुल मेरे पास खड़ी थी. उसके चुचि बिल्कुल बगल में मैं खुद को रोक नही पा रहा. मैने चुचि को ज़ोर से दबा दिया. दीदी के मुँह से चीख निकल गयी. दीदी की क्या बूब्स थे, गुड 38 साइज़ के. वो मुझे परे हटाने लगी. मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा था. मैं उसके लिप्स को क़िस्स्स कर दिया. वो पीछे हटी.

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मैं इसी बीच उसके नंगे चुचि को फिर से दबा दिया. इस बार में सॉफ्ट्ली दबा रहा था. दीदी शॅंटी से इसके मज़े ले रही थी. उक्से निपल कड़े थे मैने निपल को उंगलिंके बीच ले कर दबाया. मैं कभी बूब्स दबाता कभी निपल दबाता. मैं उसके चुचि को लीक करने लगा. फिर निपल को मुँह में ले कर चूसने लगा. म्‍म्म्मममस्त लग रहा था…………
दीदी बोली, “आआआआअहह…….ज़ोर से चूस इसे मेरे भाई.चूस मेरे बूब्स को. इसे मलाई समझ के खा. आइस क्रीम समझ के चूस.”
मैं बारी बारी से दोनो बूब्स चूस रहा था. बिना कपड़ो के शी वाज़ लुकिंग डॅम सेक्सी.

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