दोस्तो, उम्मीद है कि आप सब अच्छे होंगे. मैं अभि एक बार फिर आपकी सेवा में हाजिर हूँ. मैं देहरादून से हूँ और आपके सामने एक मस्त सेक्स कहानी लेकर आया हूँ. ये सेक्स कहानी मेरे और मेरी पड़ोसन लड़की के बीच की चुदाई को लेकर लिखी गई है.
लड़कियों को बताना चाहता हूँ कि मेरे लंड का साइज एकदम मस्त है, ये 6 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा है. मेरे ख्याल से आपकी चुत के लिए इतना काफी है. ज्यादा कुछ तो नहीं कहूँगा, मगर इस बात की गारंटी है कि आपकी चुत लंड लेकर खुश हो जाएगी.
हुआ यूं कि हमारे घर के सामने एक लड़की रहती थी. उसका नाम मेघा था. मैंने जब से उसको देखा था, तब से उसको चोदने के बारे सोचता था. उसका फिगर 34-32-36 का था, जो मुझे बाद में पता चला था.
चूंकि वो मेरे घर के सामने रहती थी, तो उसका मेरे घर में आना जाना लगा रहता था. पड़ोसी होने के नाते मुझे कोई कुछ नहीं बोलता था. इस दरम्यान मैंने एक बात नोटिस की थी कि वो कभी भी मुझे भैया नहीं बोलती थी … ना अपने घर में और ना मेरे घर में.
एक दिन मैं अपने रूम में बैठा हुआ था. उसी समय वो मेरे घर में आयी और मुझे आवाज देते हुए मेरे कमरे में आ गई.
मेरे कमरे में आकर उसने मुझसे कहा- मेरे कॉलेज में मुझे एक प्रेजेंटेशन बनाने के लिए बोला गया है और मुझे बनाना नहीं आता … तो क्या आप मेरी हेल्प कर दोगे?
मैंने उससे बोला- हां कर दूंगा.
उसके बाद वो अपनी बुक आदि लेकर मेरे रूम में आ गयी और मेरे साथ बैठ कर मुझसे लैपटॉप पर अपनी प्रेजेंटेशन बनवाने लगी. इस दौरान कभी कभी मेरे हाथ उसके हाथ से लग जाते थे, तो वो हंस देती थी.
पहले दिन हमने दो घंटे में सारा डाटा इकट्ठा कर लिया और अगले दिन उस पर काम करने की सोची. हम दोनों के लंड चुत के नसीब से अगले दिन मेरे मम्मी पापा को एक घंटे बाद नानी के यहां जाना था. उस दिन घर में सिर्फ मैं ही रह जाने वाला था. कुछ देर बाद मेरे घर से मम्मी पापा चले गए.
उनके जाने के कुछ देर बाद मेघा अपनी बुक्स लेकर मेरे घर आ गयी.
उसने पूछा- क्या आज घर में कोई नहीं है?
मैंने उसको बताया- हां मम्मी पापा नानी के यहां गए हैं, शाम को आएंगे.
उसने बोला- उधर सब ठीक तो है ना?
मैंने बोला- हां सब ठीक है.
उसने बोला- आज मेरा पूरा काम कर दो … कुछ भी बाकी न रह जाए.
मैंने भी उसकी चूचियों की देख कर कहा- हां आज ही मैं तुम्हारा पूरा काम कर दूंगा.
इस दो अर्थी बात पर हम दोनों ने एक दूसरे को पल के लिए देखा और हंस दिए.
फिर मैंने संजीदा होते हुए अपना लैपटॉप निकाला और उसकी प्रेजेंटेशन को बनाना शुरू कर दिया.
आज वो लोअर और टॉप पहन कर आयी थी. मेरा मन कर रहा था कि आज इसको कैसे भी करके चोदना है … हालांकि उससे दो अर्थी बात करते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि लौंडिया हंस दी है, तो फंस भी जल्दी ही जाएगी.
मैंने उसको फाइल लेने के बहाने अपने पास सोफे पर बैठा लिया और प्रेजेंटेशन पर काम करने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने जानबूझ कर अपनी कोहनी उसके मम्मों पर दबाई, तो उसने कुछ नहीं बोला … बल्कि चुपचाप मुझसे सटी हुई बैठी रही. इससे मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने दूसरी बार फिर से अपनी कोहनी उसके मम्मों पर कुछ जोर से दबाई.
इस बार वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी. मैंने उसकी आँखों में देखा, तो वो फिर से मेरे हाथ से अपनी चूची सटाते हुए मुस्कुराने लगी.
मैंने आंख मारी, तो उसने भी बड़ी अदा से आंख दबा दी.
मैंने पूछा- तुमने आंख क्यों मारी?
वो बोली- तुमने क्यों मारी?
मैंने कहा- पहले तुम बताओ.
वो बोली- नहीं पहले तुम बताओ.
हम दोनों कुछ मिनट तक यूं ही हंस हंस कर एक दूसरे से मजाक करने लगे.
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और उससे बोला- मैं तुमको पसंद करता हूँ.
उसने भी यही बात बोली- हां मैं भी आपको पसंद करती हूँ.
बस फिर क्या बचा था … मैंने लैपटॉप को एक तरफ रखा और उसको किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. हम दोनों एक दूसरे के साथ इतनी जोरों से चिपके हुए थे कि हमारे बीच से हवा भी निकलना मुश्किल लग रही थी. उसकी बांहों में समा कर मुझे एक बड़ा ही सुकून सा मिल रहा था.
मैंने उससे कान में पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- बस ऐसा लग रहा है कि यूँ ही तुम्हारी बांहों में सिमटी रहूँ.
मैंने कहा- अगर यूं ही लिपटे रहे, तो प्रोजेक्ट पूरा कैसे होगा?
वो बोली- यूं ही प्यार करते रहो … कुछ देर में अपने आप प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा.
मैंने कहा- तुम किस प्रोजेक्ट की बात कर रही हो?
उसने मेरे लंड को हाथ से मसला और कहा- इसको अन्दर करने वाला प्रोजेक्ट कह रही हूँ.
उसके लंड पर हाथ फेरते ही मैंने उसको सोफे पर ही लेटा लिया और उसको किस करने लगा. मैंने धीरे से एक हाथ उसके मम्मों पर रखा और दबाने लगा. वो धीरे धीरे गर्म होने लगी. इस वक्त वो मेरे साथ लम्बे चुम्बन में खोयी हुई थी.
मैंने भी उसके मुँह में अपने मुँह में जीभ डाल कर चुसवा रहा था. वो भी मेरी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाने में मस्त हुई पड़ी थी.
कुछ ही पलों बाद मैंने उसका टॉप निकाल दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसको मम्मों को चूसने लगा. मैं उसकी चुदास को बढ़ाने लगा. उसकी चूचियां बड़ी ही मक्खन सी मुलायम थीं. निप्पल एकदम पिंक थे. मैंने उसके एक निप्पल को अपने होंठों में भरा और खींचते हुए चूसा, तो वो मस्ती से कराहने लगी और मुझे उत्तेजित करने लगी.
इसी दौरान मैंने अपना एक हाथ उसकी चुत पर रख दिया, जिससे उसके मुँह से एक लम्बी आह्ह निकल गयी और उसने मुझे कसके पकड़ लिया. मैंने उसकी ब्रा उतारी और मम्मे को पीने लगा, तो वो मेरे सर पर हाथ फेरने लगी.
वो मुझसे दूध चुसवाते हुए बोली- आंह … आराम से पियो मेरी जान … बड़ा मज़ा आ रहा है.
मैंने इस बात को सुनकर समझ लिया कि वो मस्त होने लगी है, तो मैंने धीरे से उसका लोअर और पेंटी एक साथ निकाल दी. अब वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी हुई थी.