मेरे हॉस्टल में ( समलैंगिक )

उसने कहा,”प्रेम, इधर आ और इसे छू कर देख…!” मुझे ऐसा करते हुये हिचकिचाहट हो रही थी। पर मैंने उसके लण्ड को हल्के हाथों से पकड़ कर छू लिया।

“ऐसे नहीं रे … जरा कस कर पकड़… हां ऐसे… अब आगे पीछे कर !” उसने आनन्द से मुझे पकड़ लिया। मुझे दूसरे का लण्ड पकड़ते हुये कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। कड़ा सा, नरम चमड़ी, चमकता हुआ लाल सुपाड़ा… फिर भी मैंने उसके लण्ड पर अपना हाथ आगे पीछे चलाना आरम्भ कर दिया। उसका हाथ मेरी कमर पर कस गया। उसके मुँह से आह निकलने लगी। उसने अब मेरी कमर से तौलिया खींच कर उतार दिया।

“अरे… ये क्या कर रहा है… ?” मैंने हड़बड़ाते हुये कहा।

“तेरा लण्ड की मैं मुठ मार देता हूँ… देख बेचारा कैसा हो रहा है…!” और उसने मेरा लण्ड थाम लिया। किसी दूसरे का हाथ लन्ड पर लगते ही मुझे एक सुहानी सी अनुभूति हुई। लण्ड हाथ का स्पर्श पाते ही बेचारा लन्ड कड़क उठा। उसका हाथ मेरे लन्ड पर कस गया और अब उसने हल्के से हाथ से लन्ड पर ऊपर नीचे करके मुठ मारा। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।

“यार चन्दू, मैं मुठ तो रोज़ ही मारता हूँ… पर तेरे हाथ में बहुत मजा है… और कर यार… आह …” हम दोनों अब एक दूसरे का हल्के हाथों से मुठ मारने लगे। मेरे अन्दर एक तूफ़ान सा उठने लगा… सारी दुनिया रंगीन लगने लगी। चन्दू मुठ बड़ी खूबसूरती से मार रहा था। उसके हाथ में जैसे जादू था। उसकी अंगुलियां कहीं सुपाड़े को हौले से मसलती और कभी डन्डे को बेरहमी से मरोड़ती और कस कर मुठ्ठी में दबा कर दम मारती… कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया। मैं उससे लिपट गया और ना जाने कहां कहां चूमने लगा। मेरे झड़ते ही मुझे होश आया कि मैंने तो जाने कब चन्दू लण्ड छोड़ दिया था और अपने आनन्द में डूब गया था। अब मैं उसका लन्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। वो अपने बिस्तर पर लेट गया और अपने शरीर को आनन्द से उछालने लगा। उसका लण्ड और सुपाड़े को मैं सन्तुलित तरीके से या कहिये चन्दू के तरीके से मुठ मार रहा था। उसकी हालत देख कर मुझे लग रहा था कि शायद मुझे भी ऐसा ही मजा आया होगा… अन्जाने में मैं भी ऐसा ही तड़पा हूंगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने पिचकारी निकाल मारी। उसका वीर्य मेरे हाथो में लिपट गया। मैंने उसका लण्ड धीरे धीरे मल कर उसमे से सारा वीर्य निकाल दिया एक दूसरे का मुठ मारना रोज़ का खेल हो गया।

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एक दिन मुझे चन्दू ने नया खेल सिखाया। उसने नंगे होने के बाद मुझे बिस्तर पर सुला दिया और वो मेरे ऊपर उल्टी पोजीशन में लेट गया। उसने मेरा खड़ा लण्ड अपने मुंह में भर लिया। उसके लण्ड चूसने से मुझे बड़ा मजा आया… मैंने भी उसके लण्ड के अपने मुँह में भर लिया। मैंने भी उसे चूसना शुरू कर दिया। उसकी टांगे मेरी गर्दन के आस पास लिपट गई। मेरा लन्ड तो उसके चूसने से फ़ूलने लगा और मैं आनन्द से भर गया। मेरे चूतड़ नीचे से हिल हिल कर प्रति उत्तर देने लगे थे। उसने भी अपने चूतड़ों को हौले हौले से मेरे मुख में चोदने जैसा हिलाने लगा। मैंने भी उसका लन्ड जोर से होंठ को भींच कर चूसना आरम्भ कर दिया। ये मस्त तरीका मुझे बहुत ही पसन्द आया। मेरा लन्ड भी नीचे फूल कर उसके मुख का भरपूर मजा ले रहा था। वह अपना हाथ से मेरा लण्ड का मुठ भी मार रहा था और मेरे सुपाड़े के रिन्ग को कस कर चूस रहा था। कुछ पलों में मेरा लण्ड मस्ती में हिल हिल कर मस्त हो उठा और ढेर सारा वीर्य उसके मुँह में ही उगल दिया। उसने वीर्य को नीचे जमीन पर थूक दिया और फिर से चूस कर मेरा पूरा वीर्य निकाल कर साईड में नीचे थूक दिया।

अब उसने अपनी कोहनियों पर अपनी पोजीशन ले ली । अब उसका पूरा ध्यान स्वयं के लण्ड पर था जिसे वो मस्ती से हौले हौले मेरे मुख को चोद रहा था। तभी उसने अपने लण्ड का पूरा जोर लगा कर लण्ड मेरे हलक तक उतार दिया और अपना वीर्य छोड़ दिया। उसका सारा वीर्य मेरे गले से सीधे उतर गया और मैं खांस उठा। उसने अपना लन्ड थोड़ा ऊपर करके मुँह में ही रहने दिया और उसका सारा वीर्य मेरे मुँह में भरने लगा। स्वाद रहित चिकना सा वीर्य, पहली बार किसी के वीर्य का स्वाद लिया था। उसके पांवों के बीच मेरा मुख जकड़ा हुआ था, उसका रस गले से नीचे उतर गया और अब उसने मुझे ढीला छोड़ा और मेरे ऊपर से हट गया। इस प्रकार के मैथुन में मुझे आर भी आनन्द आया।

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उन्हीं दिनों चन्दू का कम्प्यूटर भी आ गया। हमारा इस तरह का दौर लगभग रोज ही चलता था। हम दोनों सन्तुष्ट हो कर फिर से पढ़ाई में लग जाते थे।

एक बार रात को चन्दू बड़े गौर से एक गे की सीडी देख रहा था। एक लड़का दूसरे लड़के की गान्ड मार रहा था। मैंने भी उस सीन को बहुत बार लगा कर देखा और फिर हम एक दूसरे को प्रश्न वाचक नजरों से देखने लगे।

“ये तो मुश्किल काम है ना… गान्ड का छेद तो इतना सा होता है… कैसे घुस जाता है यार… कहानियों में भी गान्ड की मारा मारी बहुत होती है।” मैंने हैरानी से कहा।

“तू कहे तो एक बार कोशिश करें क्या … अपने पास सोलिड लन्ड तो है ही ना…इस फ़िल्म को देख जब इस सीन में लन्ड गान्ड में घुसा है, ये सच तो लगता है… ये कुछ चिकनाई भी तो लगाते हैं ना…!”

उस सीन को देख कर लन्ड तो दोनों का ही खड़ा था… दोनों ने कपड़े उतार लिये… मैंने ही पहल की।

“देख मैं झुक जाता हूँ… तू अपना लन्ड मेरी गाण्ड में घुसाने की कोशिश कर…”

चन्दू ने यह देखा और तेल की शीशी देख कर कहा, “तेल लगा लेते हैं…!”

उसने तेल की शीशी से तेल मेरी गान्ड में लगा दिया और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गान्ड से चिपका दिया। मेरी गान्ड का छेद डर के मारे और कस गया।

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