मेरे हॉस्टल में ( समलैंगिक )

यह मेरी पहली कहानी है जो वास्तविक है, बड़ी हिम्मत करके मैं यह कहानी लिख रहा हूं। मेरे दोस्त चन्दू ने इस कहानी को लिखने में मेरी मदद की है।

यह घटना छः माह पहले की है। मैंने कहानियाँ अभी जब मेरे पास कम्प्यूटर आया तब पढ़ना आरम्भ की थी। अब हमें पुस्तक से अच्छी और अधिक वासनायुक्त कहानियाँ पढ़ने को मिल जाती हैं और हमारे अब पुस्तकों के किराये के पैसे भी बच जाते हैं।

मेरा एडमिशन बेंगलोर में हो चुका था और मैंने होस्टल में दाखिला ले लिया था। मेरे साथ एक और लड़का था, उसका नाम चन्द्र प्रकाश था। सभी उसे चन्दू कहते थे। यूं तो हम दोनों ही दुबले पतले हैं, और लम्बाई भी साधारण सी ही है। मुझे उसके साथ रहते हुये लगभग दो माह हो चुके थे। उसे फ़ुर्सत में अश्लील पुस्तकें पढ़ने का शौक था। वो मार्केट से किताबें किराये पर ले आता था और बड़े चाव से पढ़ता था।

एक बार मैंने भी उसकी अनुपस्थिति में वो किताब उसके तकिये के नीचे से निकाल कर पढ़ी। उसको पढ़ते ही मेरा भी लन्ड खड़ा हो गया। मुझे उसकी खुली भाषा बहुत पसन्द आई और कहानी को अन्त तक पढ़ डाला। अब मेरे खड़े लन्ड को शान्त करना मुश्किल हो गया था। मैंने अन्त में अपना लण्ड बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारने लगा। जब वीर्य लन्ड से बाहर निकल आया तो मुझे चैन मिला। पर मुझे उस पुस्तक को पढ़ने में बड़ा मजा आया। धीरे धीरे मुझे भी उन पुस्तकों को पढ़ने में मजा आने लगा। मेरा मन पढ़ाई से उचटने लगा। रात को जब तब मैं अब मुठ मारने लगा था।

चन्दू को भी अब मेरी हरकतें मालूम होने लग गई थी। उसे शायद मालूम पड़ गया था कि मैं उसकी अश्लील पुस्तकें छुप कर पढ़ लेता हूँ। उसने एक दिन उसने वो किताब छुपा ली। मुझे ढूंढने पर भी जब वो पुस्तक नहीं मिली तो मैंने हार कर चन्दू से कह ही दिया,”चन्दू, वो जो तू किराये पर पुस्तक लाता है, क्या अब नहीं ला रहा है?”

“देख प्रेम, पुस्तक तो मैं अपने पैसे दे कर लाता हूँ, तू अगर आधा पैसा दे तो तुझे भी दे दूंगा।”

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मैंने उसे आधा पैसा भरने के लिये हां कर दी। अब तो मैं उसकी उपस्थिति में भी पुस्तक पढ़ सकता था।

इन सबके चलते एक दिन हम दोनों ही खुल गये और फिर चला एक दूसरे की गान्ड मारने का सिलसिला।

यह कैसे आरम्भ हुआ…

मैं दिन को लंच के बाद कॉलेज नहीं गया, आराम करने लगा। चन्दू का लंच के बाद एक पीरियड लगता था। मैं कमरे में अश्लील पुस्तक पढ़ रहा था। फिर हमेशा की तरह मैं खड़े हो कर मुठ मारने की तैयारी में था। मैंने अपना पजामा उतार लिया था और चड्डी भी उतार कर अपने कड़क लन्ड को हिला रहा था। तभी चन्दू आ गया… और मुझे लन्ड हिलाते हुये देखने लगा।

“ये क्या कर रहा है रे…” उसने मुझे झिड़का।

मैं बुरी तरह चौंक गया। और पास में पड़ा तौलिया उठा कर लपेट लिया।

“अरे यार वो ऐसे ही… ” मैं हड़बड़ा गया था।

“ऐसे क्या मजा आता होगा … रुक जा, मुझे भी किताब पढ़ने दे … साथ मजा करेंगे !” चन्दू ने बड़ी आशा से मुझे कहा।

मैं कुछ समझा नहीं था।

“साथ कैसे… क्या साथ मुठ मारेंगे…?”

“हां यार, उसमे मजा आयेगा…” मुझे भी लगा कि शायद ये ठीक कह रहा है। वो अपना मुठ मारेगा और मैं अपना मारूंगा। कुछ ही देर में उसने किताब पढ़ ली और उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी कॉलेज की ड्रेस उतारी और नंगा हो गया। उसका लण्ड भी तन्ना रहा था।

उसने कहा,”प्रेम, इधर आ और इसे छू कर देख…!” मुझे ऐसा करते हुये हिचकिचाहट हो रही थी। पर मैंने उसके लण्ड को हल्के हाथों से पकड़ कर छू लिया।

“ऐसे नहीं रे … जरा कस कर पकड़… हां ऐसे… अब आगे पीछे कर !” उसने आनन्द से मुझे पकड़ लिया। मुझे दूसरे का लण्ड पकड़ते हुये कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। कड़ा सा, नरम चमड़ी, चमकता हुआ लाल सुपाड़ा… फिर भी मैंने उसके लण्ड पर अपना हाथ आगे पीछे चलाना आरम्भ कर दिया। उसका हाथ मेरी कमर पर कस गया। उसके मुँह से आह निकलने लगी। उसने अब मेरी कमर से तौलिया खींच कर उतार दिया।

“अरे… ये क्या कर रहा है… ?” मैंने हड़बड़ाते हुये कहा।

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“तेरा लण्ड की मैं मुठ मार देता हूँ… देख बेचारा कैसा हो रहा है…!” और उसने मेरा लण्ड थाम लिया। किसी दूसरे का हाथ लन्ड पर लगते ही मुझे एक सुहानी सी अनुभूति हुई। लण्ड हाथ का स्पर्श पाते ही बेचारा लन्ड कड़क उठा। उसका हाथ मेरे लन्ड पर कस गया और अब उसने हल्के से हाथ से लन्ड पर ऊपर नीचे करके मुठ मारा। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।

“यार चन्दू, मैं मुठ तो रोज़ ही मारता हूँ… पर तेरे हाथ में बहुत मजा है… और कर यार… आह …” हम दोनों अब एक दूसरे का हल्के हाथों से मुठ मारने लगे। मेरे अन्दर एक तूफ़ान सा उठने लगा… सारी दुनिया रंगीन लगने लगी। चन्दू मुठ बड़ी खूबसूरती से मार रहा था। उसके हाथ में जैसे जादू था। उसकी अंगुलियां कहीं सुपाड़े को हौले से मसलती और कभी डन्डे को बेरहमी से मरोड़ती और कस कर मुठ्ठी में दबा कर दम मारती… कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया। मैं उससे लिपट गया और ना जाने कहां कहां चूमने लगा। मेरे झड़ते ही मुझे होश आया कि मैंने तो जाने कब चन्दू लण्ड छोड़ दिया था और अपने आनन्द में डूब गया था। अब मैं उसका लन्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। वो अपने बिस्तर पर लेट गया और अपने शरीर को आनन्द से उछालने लगा। उसका लण्ड और सुपाड़े को मैं सन्तुलित तरीके से या कहिये चन्दू के तरीके से मुठ मार रहा था। उसकी हालत देख कर मुझे लग रहा था कि शायद मुझे भी ऐसा ही मजा आया होगा… अन्जाने में मैं भी ऐसा ही तड़पा हूंगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने पिचकारी निकाल मारी। उसका वीर्य मेरे हाथो में लिपट गया। मैंने उसका लण्ड धीरे धीरे मल कर उसमे से सारा वीर्य निकाल दिया “हां यार, उसमे मजा आयेगा…” मुझे भी लगा कि शायद ये ठीक कह रहा है। वो अपना मुठ मारेगा और मैं अपना मारूंगा। कुछ ही देर में उसने किताब पढ़ ली और उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी कॉलेज की ड्रेस उतारी और नंगा हो गया। उसका लण्ड भी तन्ना रहा था।

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