मेरा दोस्त के बीवी को चोदके बड़ा मज़ा आया

मेरा नाम नील है.. मैं शादीशुदा हूँ और ऑनलाइन शॉपिंग साइटों के प्रोडक्ट के
लिए मॉडलिंग करता हूँ।
इस मॉडलिंग और लाइफ से जुड़ी काफी कई सारी बातें होती हैं.. जो फिर कभी
बताऊँगा.. क्योंकि टाइपिंग करने की आलस के कारण.. वो बात लिख रहा हूँ.. जो
काफी सेक्सी है।
आपको आगे कभी फिर बताऊँगा कि शादी के पहले जब कुंवारा था.. तब मॉडल की ऑडिशन
के लिए निकला.. तब क्या हुआ था और शादी के बाद क्या-क्या हुआ.. पर अभी तो मेरा
ध्यान सिर्फ कहानी पर है।

अब कहानी पर आते हैं..

मेरी वाइफ का नाम कीर्ति है.. वो 25 साल की है। हम दोनों ही कद में लम्बे हैं,
मैं 6.5 फुट का हूँ और वो 6.1’ लंबी है। वो बहुत गोरी होने के कारण सेक्सी भी
लगती है।

काम पर जब मैं दोपहर की चाय-नाश्ते के लिए जिस कैंटीन में जाता था.. वहाँ मेरी
हम-उम्र का एक लड़का भी आता था.. उससे मेरी दोस्ती हुई.. फिर धीरे-धीरे उससे
पक्की दोस्ती भी हो गई थी।

संयोग की बात यह है कि वो मुझसे दो मकान की दूरी पर ही रहता था और उसका खुद का
मकान था। उसका परिवार दूसरे शहर में रहता है.. यहाँ वो बिजनेस बढ़ाने आया था।

इसी तरह रहते-रहते मेरी और उसकी दोस्ती इतनी पक्की हो गई.. जैसे अटूट बंधन..
पर अभी तक वो हमारे घर नहीं आया था।
तो एक दिन मैंने उसे खाने पर बुलाया.. तब उसने खाने की बहुत तारीफ की। वो
कीर्ति की भी बहुत इज्जत करता था।

एक दिन हम दोनों दोस्त कैंटीन में बैठे थे.. तब पता चला कि उसकी तबियत खराब
है। मैं उसको डॉक्टर के पास लेकर गया। डॉक्टर ने बोला- खाने में कुछ खराब खा
लेने की वजह से इसका पहले पेट खराब हुआ और फिर बुखार आया है।

डॉक्टर ने दवा दे दी और हम दोनों घर को आने लगे।

मैंने उससे खाने के बारे में पूछा.. तब रास्ते वो बोला- मैं जिसके यहाँ खाने
जाता हूँ.. वहाँ कभी-कभार बासी खाना गरम करके दे देते हैं और नजदीक कोई होटल
या फिर इसका बंदोबस्त नहीं है।
तब मैंने कहा- ऐसा थोड़ी चलता है.. आज से तू मेरे यहाँ खाने पर आएगा।

उसने मना किया।
मैं- क्यों भाई.. क्यों नहीं आएगा? हम बासी नहीं खाते समझे..
‘ठीक है.. आऊँगा.. पर जितना यहाँ खाने का देता था.. उतना ही तुझे भी दूँगा..’

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मैं- अबे.. मैंने कोई होटल खोल रखा है.. जो पैसे लूँगा..
संजय- तो तूने धर्मशाला भी तो नहीं खोल रखी.. कि मुफ्त में खाना देगा..

ऐसी लड़ाई के बाद पैसे लेने की बात पक्की हुई।

ऐसे ही दिन गुजरते रहे.. वो रात को खाने पर आता और एक बार भी उसने कभी कीर्ति की तरफ बुरी नजर से नहीं देखा.. वो उसकी बहुत इज्जत करता था और ना ही कीर्ति
कभी उसकी ओर आकर्षित हुई।

एक दिन मुझे मॉडलिंग के शूट के लिए दो दिन के लिए बाहर जाना था। मैं जब दो दिन
बाद आया.. तो हालात कुछ बदले-बदले से लगे, कीर्ति मुझसे नजरें नहीं मिला रही
थी।

मैं दूसरे दिन काम पर गया.. फिर दोपहर को जब मैं और संजय कैंटीन में मिले.. तो
मैंने यह बात बताई। हम दोनों दोस्त एक-दूसरे से झूठ नहीं बोलते थे.. सब बता
देते थे।

मेरी बात सुनकर वो थोड़ा हड़बड़ाया और शर्म से नीचे देख कर बोला- चल, गार्डन में
बात करते हैं।
फिर हम गार्डन में आए.. तो उसने बताया- पहले तुम वादा करो कि तुम दोस्ती नहीं
तोड़ोगे.. चाहे मुझे मार लेना।

मैं थोड़ा आशंकित हुआ- ठीक है.. बोल तो सही..
संजय- जब तुम दो दिन बाहर थे उस दौरान मैंने और भाभी ने शारीरिक संबध बना लिए
थे।

मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई..
मुझे गुस्सा ज्यादा नहीं आया.. क्योंकि मैं समझना चाहता था कि शादी के बाद वो
घटना घटित कैसे हुई थी। फिर संजय मेरा पक्का दोस्त भी था तो मैंने उससे पूरी
बात जानना चाही।

मैं- तू तो कीर्ति बहुत इज्जत करता था ना?
संजय- मैंने जानबूझ कर नहीं किया.. मेरे मन में तो ऐसे विचार भी कभी नहीं आए!
मैं- यानि कीर्ति?
संजय- ना.. यह समय दोष है.. खराब टाइम पर मैं बहक गया..

फिर उसने पूरी बात बताई-

जब मैं रात के खाने के लिए आया.. तब नल से पानी लीक हो रहा था.. तो भाभी नल
टाइट कर रही थी.. पर नल को ज्यादा टाइट करने पर वो टूट गया और वो चिल्लाई। मैं
दौड़ कर गया तो देखा कि नल टूटने कारण पानी का फव्वारा निकल रहा था और भाभी वो
सब बंद नहीं कर पा रही थी।

पानी का प्रेशर ही इतना अधिक था.. कि भाभी पूरी की पूरी पानी से नहा चुकी थी
और यह देख कर मैं हँसने लगा।
सकीर्ति- हँस क्या रहे हो.. मदद करो मेरी..
मैं मदद करने गया.. मैंने उसमें कपड़े का डाट बना कर लगाया..

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ऐसे ही मेहनत करते-करते बहुत देर हो गई और जब तक ऊपर रखी पानी की टंकी जब तक
खाली नहीं हुई.. तब तक पानी बहता रहा।

जल ही जीवन है, पानी बचाएं!

फिर क्या था.. पूरा घर पानी-पानी हो गया।
कीर्ति भाभी और मैं घर साफ करने लगे। हम दोनों भीगे हुए थे। कीर्ति का नाइट
ड्रेस उसके शरीर से चिपका हुआ था.. वो सब मुझे बहुत बोल्ड लग रहा था। मैंने
मैंने
कभी भी कीर्ति के बारे ऐसा सोचा नहीं था.. और आज उसकी छाती पर और पीछे चिपके
कपड़े देख मेरा मन मचल रहा था।
संजय की बात सुनकर मुझे लगा कि इसके बाद संजय खुद ही कीर्ति को चोदने के लिए
आगे बढ़ा होगा.. पर ऐसा नहीं था।
मैं- फिर..

संजय- तभी धड़ाम करती कीर्ति गिरी.. उसे कूल्हे और पैर की ऐड़ी पर थोड़ा लग गया..
जिसके कारण उसे बेहद दर्द कर रहा था.. वो चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उसे उठा
कर बेड पर लेटाया और मैं पानी साफ करने जा रहा था.. तब उसने बोला कि अल्मारी
में दूसरी नाइट ड्रेस है.. मुझे निकाल कर दे दो.. मैं पूरी भीग चुकी हूँ।
तो मैंने उसे कपड़े निकाल कर दे दिए और पानी साफ करने जाने लगा।

उसने बोला- दरवाजा बंद करते जाना।
क्योंकि कीर्ति को नाइट ड्रेस बदलना था।

मैंने पूरे घर में पानी साफ किया बाद में कीर्ति के कमरे में गया और उससे
बोला- चलो उठो अब खाना खा लो।
कीर्ति बोली- पहले तुम ये भीगे कपड़े बदल लो.. अल्मारी में नील के कपड़े हैं पहन
लो और ड्रावर में निक्कर है।
मैं संजय की बात को स्तब्धता से सुन रहा था… मुझे लगा यहाँ से संबध बनाने के
लिए वे दोनों आगे बढ़े होंगे।
‘फिर?’

संजय- फिर मैंने तुम्हारे कपड़े लिए और बदलने के लिए बाथरूम की ओर जाने लगा।
तब भाभी बोली- रुको..
मैं रुका.. उसने अपने कपड़े मुझे देते हुए बोला- ये कपड़े बाथरूम में रख देना।
ये उसके भीगे हुए कपड़े थे.. वही सब उसकी भीगी नाइट ड्रेस और ब्रा-पैन्टी
वगैरह..

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