मेरा भाई और मेरे अब्बू भाग 1

मेरा नाम शबाना है, और मेरी उम्र करीब 24 साल है,
ये कहानी 8 साल पुरानी है,
हम हेदराबाद के रहने वाले है,
मेरे अब्बू का बड़ा बिजनेस है कालीन का, और हम मजे से जिन्दगी जी रहे थे,
मेरे भाईजान मुझसे करीब 2 साल बड़े है, उनकी शक्ल कोई खाश नहीं है और थोड़े मोटे भी है,
वो दिल्ली में पढ़ते है.दिल्ली में मेरी खाला यानि मौसी रहती है .

मेरी ये कहानी तब शुरू होती है ,जब में 18 साल की थी और स्कुल में पढ़ती थी,
में दिखने में बिलकुल हिरोइन जेसी थी,
करिश्मा कपूर की तरह लगती थी पतला मुंह छोटे बोबे और बड़ी गांड मेरा स्कुल हाई क्लास का था और वहां बड़े बड़े घरानों की ओलादे ही आती थी,
हमारा स्कुल बहुत ही हाई फाई था बड़े बड़े बाथरूम थे , पार्क था और एक रेस्तरा भी था ,
यहाँ सब मोर्डेन लोग ही आते थे।

में पढने में ठीक ठाक थी, मेरी कुछ सहेलियi भी थी जिसमे मेरी खासम खास थी आलिया,
हंसी मजाक और हलकी फुलकी बाते चलती ही रहती थी,
में सायंस में थोड़ी कमजोर थी, और हमारी सायंस टीचर थी सोनिया मेडम वो बहुत ही सुन्दर और स्लीम थी ,
और बहुत ही सजी धजी रहती थी,
ये बात है हमारे हाफ ईयर एग्जाम की में सायंस में फ़ैल हो गयी तो सोनिया में ने अब्बू को बुलाया और मेरे बारे में बताया,
पापा ने उनसे पूछा की क्या करना चाहिए, तो सोनिया में ने कहा की शबाना को ट्यूटर की जरुरत है,
आप इसके कोई ट्यूटर लगवा दो, अब्बू ने कहा आप ही पढ़ा दो ना इसको , मेम ने कहा में किसी के घर पढ़ने नहीं जाती हूँ,

यदि आपको इसको पढ़ाना है तो इसे मेरे घर पर भेजना होगा।
अब्बू राजी हो गए और मेम से फ़ीस का पूछा में ने कहा की वो महीने का 4000 लेगी अब्बू राजी हो गए।
और मेम ने मुझे अपना एड्रेस दे दिया वो हमारे घर से 2 किमी दूर था और में स्कूटर से आराम से जा सकती थी।
सब कुछ तय हो गया।
में खुश थी की में अब सायंस में भी ठीक हो जाउंगी।
______________
अब बात मेरे घर की मेरे घर में मेरे अब्बू = असलम खान उम्र 52 साल
(ये सब 2005 के है) अम्मी = गोहर खान उम्र 42 साल
भाई = माजिद उम्र 20 साल

इसके अलावा हमारे घर में एक नोकरानी थी उसका नाम था मुन्नी उम्र 40 साल दिखने में ठीक ठाक थी।
और पापा का ड्रावर था मुरुगन उम्र 40 साल और अक दम काला कलूटा।
हमारे घर में करीब 8 कमरे थे सबका अलग रूम था अब्बू अम्मी साथ में सोते थे
में और भाई अलग अलग।

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अब में कहानी पर आती हूँ
मैंने दुसरे दिन से ही सोनिया मेम के यहाँ जाना चालू कर दिया, में अकेली ही रहती थी दो रूम का फ्लेट था, ठीक ठाक डेकोरेट था,
मेम ने एक नाइटी पहन राखी थी, वो लगभग मेम के घुटनों से उपर ही थी,
मेम ने मुझे अपने बेडरूम में पलंग पर बैठाया, और वो सामने बेठ गई और मुझे पढ़ाने लगी,
करीब एक घंटे पढने के बाद में घर की तरफ निकल गयी,
इस तरह पहला दिन निकल गया,
दुसरे दिन स्कुल में में आलिया से मिली और आलिया को मेम के बारे में बताया,
तो आलिया बोली => यार शबाना एक बात बोलू बुरा मत मानना, ये सोनिया मेम कुछ सही नहीं है,
में– कैसे आलिया ,
आलिया => मैंने उनके बारें में बहुत गलत गलत सुन रखा है.
में — क्या आलिया मुझे तो कुछ गलत नहीं लगा.
आलिया => नहीं यार में सही कह रही हूँ, मेरी कजिन नहीं है वोही रेहाना वोही बता रही थी की मेम बहुत ही अजीब है और ख़राब भी,
में — ख़राब क्या ख़राब आलिया।
आलिया => वो होमो है ,
में – क्या, ये क्या होता है आलिया।
आलिया => शबाना तुम पागल हो क्या ये भी नहीं जानती हो, या नाटक कर रही है।
में — अल्लाह कसम आलिया सच्ची नहीं जानती हूँ यार,
आलिया => हूँ तो मेरी रानी तू अभी तक कच्ची कलि ही है फिर तो (और वो हंसने लगी )
में — बता ना आलिया।
आलिया बोली = बाद में हम बात करेंगे क्लास के बाद जब घर जायेंगे तब (हम बस से घर जाती थी और बस में हम पास पास ही बैठती थी )
क्लास ख़त्म होने पर हम निकले और बस में बेठ गए,मैंने वही बात छेड़ दी।
आलिया बोली = क्या तुम्हे जरा भी नहीं पता है इन सब के बारे में,
में– नहीं आलिया नहीं पता है.
आलिया = चल ठीक है कल सन्डे है तुम मेरे घर आ जाना वही सब बाते करेंगे कल में घर पर अकेली भी हूँ.
में — ठीक है आलिया।

घर पहुँच कर मैंने कपडे बदले और में टयुसन के लिए निकल गयी. मेंने बेल बजाई तो मेम ने दरवाजा खोला,
मेम ने एक हाफपेंट और एक छोटी सी वी-कट टीशर्ट पहिन राखी थी जिसमे उनकी टांगे और बूब साफ साफ दिख रहे थे.
सोनिया मेम इसाई थी और तलाकशुदा थी, हम आमने सामने बेठ गए और वो मुझे पढ़ाने लगी,
सायंस में एक सब्जेक्ट था जिसमे योनि लिंग आदि के बारे में बताया गया था.आज वोही सब्जेक्ट चल रहा था.
मेम समझा रही थी योनि और लिंग के बारे में और में समझने का नाटक कर रही थी जबकि मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था.

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मेम ने फिर मुझसे पूछा बच्चेदानी कहाँ होती है,
में हड़बड़ा गई मुझे जवाब नहीं सूझ रहा था.तभी मेम ने मेरा गाल पकड़ लिया और बोली= शर्मा रही हो या हो ही नादाँन।
में कुछ नहीं बोली, मेम ने मुझे अपने पास खिंच लिया और मुझको अपनी गोद में गिरा लिया।
में हेरान थी की मेम ये क्या कर रही थी, लेकिन में न कुछ बोल नहीं रही थी,और न हीं कोई विरोध कर पा रही थी,मुझे जाने क्या हो गया था सब रहा था पर लज्जत भी आ रही थी पता नहीं क्यों दिल चाहता था की ये सब चलता ही रहे,
फिर मेम बोली= शबाना तुम बहुत खुबसूरत हो यार, और मेम ने मेरे होंठो को चूम लिया(मेरा दिल जोर जोर से धडकने लगा )
मेरे होंठो को किसी ने पहली बार चूमा था, और मेम ने कहा आ तुझे एक मस्त फिल्म दिखाती हूँ फोरेंन वाली जिसमे लड़की ही लड़की का मज़ा लेती है.
में अवाक् थी और कुछ भी कह नहीं पा रही थी, मेम ने टीवि चला दिया और सिडी प्लेयर चालू कर दिया।
फिल्म चालू हो गई दो लडकिय थी और वो दोनों ही नंगी थी और वो एक दुसरे के अंगो से खेल रही थी चूम रही थी और पता नहीं क्या क्या कर रही थी,
में एकटक टीवी की तरफ ही देख रही थी, तभी मेम ने मेरी कुर्ती (मैंने सलवार और कुर्ती पहिन राखी थी ) में हाथ डाल कर मेरे बोबे पकड़ लिए. मुझे न जाने क्या हो गया था.
में कोई विरोध नहीं कर रही थी न हीं कुछ बोल रही थी. मेम ने मुझे अपने उपर लिटा लिया और बोली शबाना मेरी जान मुझे चूमो ना प्लीज।

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